Ambedkar Jayanti 2022 : डॉ. भीमराव आंबेडकर जी हमारे समाज की एक महान विभूति है जिन्हे दलित वर्ग के लोगो द्वारा बहुत अधिक सम्मान दिया जाता है बल्कि इन्हे पुरे देश के लोगो द्वारा ही सम्मान दिया जाता है | क्योकि इन्होने हमारे संविधान को लिखा था जिसके लिए इन्हे भारत रत्न जैसे सर्वोच्चा नागरिक के पुरुस्कार से भी सम्मानित किया जा चूका है | इसीलिए कई लोगो ने आंबेडकर जी के ऊपर कुछ बेहतरीन कविताये व पोएम लिखी है जो की आपके लिए काफी महत्वपूर्ण है जिन्हे पढ़ कर आप इनके बारे में भी काफी कुछ जानकारी पा सकते है |
Dr Bhimrao Ambedkar Poem – Short Poem on BR Ambedkar
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बचपन से साए में जीते जीते
बड़े हुए… फिर भी रहे वही साए उनके पीछे पीछे
नजर न आया क्या करना है
थोड़े समय में खूब पढ़ लिख गये
पढाई पूरी करने विलायत भी गये
वापस आकर भी दिखी उन्हें वही दशा
देश तो आज़ादी मांगे और हम आपस में खफा
हर एक मार्ग देख लिया उन्होंने
बात अहिंसा की करते थे
गौतम बुद्ध के आदर्शो पर चलते थे
नामुमकिन पथ को.. मुमकिन कर डाला
समाज में न थे जो.. उनका समाज बना डाला
हर तरह से वाकिफ थे वो
कोई उनकी नहीं सुनता था… लेकिन सबके लिए अकेले काफी थे वो
मकसद.. एक एक को इन्साफ दिलाना
वकालत में भी हाथ आजमाया
उनके जितना न था किसी के पास ज्ञान
गाँधी नेहरु प्रसाद ने रचवा डाला उनसे संविधान
मानते है आज भी सब उनको बहुत दिमाग वाला
1990 में भारत सरकर ने उन्हें याद कर … भारत रत्न दे डाला
छोटी सी कविता में इतने बड़े इंसान को बयां कैसे करू
जिसने भारत को चलने लायक बनाया उसके बारे में और क्या लिखूं
अब न केवल संविधान बनाया.
इन्होने समानता का भी पाठ पढाया
जब भी जरुरत पड़ी भारत को
तब इंसानों को इंसान बनाया
Poem on BR Ambedkar in Hindi
आंबेडकर जयंती के उपलक्ष में 14 अप्रैल 2022 को पूरा आसमान नीला हो जाएगा जब आप Jai bhim geet बजाते हुए जय भीम के नारे लगाएंगे| अम्बेडकर जयंती के उपलक्ष पर हम आपके सामने पेश करने जा रहे हैं अम्बेडकर जयंती स्टेटस, जय भीम शायरी, बाबा साहब पर कविता, Jai Bhim Status in Hindi, डाॅ बाबासाहेब आंबेडकर कविता, जय भीम फोटो व जय भीम सॉन्ग| साथ ही आप Speech on Bhim Rao Ambedkar in Hindi व अम्बेडकर जयंती पर निबंध भी देख सकते हैं|
बाबासाहेब अम्बेडकर पर कविता
लिखने को मजबूर हुआ मै तो बाबा साहब की नाखुश आवाज पर
मै समाज की तारीफ में कोई गुणगान नहीं करूंगा
समाज के दुश्मनों का मरते दम सम्मान नहीं करूंगा
शर्मिंदगी है मुझको और होगी तुमको भी उन बातो की
जो अब तक परिभाषा भी न समझ पाये बाबा के संवादों की।
क्या लिखूँ मै अपनी इस पिछड़ती हुई कौम पर
है पिघलने को जो तत्पर जा बैठी है उस मोम पर
वैसे तो हो आजाद देश में ,पर तुम्हारा कोई वजूद नहीं
सोये हो सब के सब पर मान पाने कि सूद नहीं
आज़ादी के वर्षो बाद भी सम्मान पाने कि सूद नहीं।
क्या इसी लिए बाबा साहब ने आज़ादी का मतलब समझाया था
क्या इसी लिए उन्होने तुमको गुलामी से लड़ना सिखलाया था
क्या इसी लिए बाबा साहब ने तुमको ताकत दिलवाई थी
क्या इसी लिए बाबा ने तुमसे कसमें खिलवाई थी
अरे बाबा साहब के परम सपने को ऎसे ना नकेरो तुम
और उनकी बनाई कौम को इस तरह ना बिखेरो तुम
बाबा साहब की जीवन कहानी तुम भूल गये
उनकी संघर्षमय वो ज़वानी तुम भूल गये
तोड़ दी सारी कसमें और वादे भी तुम भूल गये
और बाबा की दी वो सारी सौगाते तुम भूल गये
तुम स्वार्थी ज़रूर हो पर अन्य कुछ और नहीं
तुम्हारा वज़ूद क्या है करते तुम कभी गौर नहीं
अधिकारी, नेता का ताज़ तुम्हारे सर पे नहीं
पूर्ण आज़ादी का स्वरूप साज तुम्हारे घर में नहीं
अरे याद करो था वो इक सिंह जिसने सारे विश्व को हिला डाला था
और तुम्हारे लिए ही मनुवादियों को अपने कदमों में झुका डाला था
गैर मनुवादियो को तुमने अपना सम्राट बनाया है
अपना आया आगे कोई तो तुमने उसको ठुकराया है
जाति-जाति में भेद कर भाईचारा भी तुमने मिटा दिया
और बाबा के सपनों तुमने कुम्भकर्ण की नींद सुला दिया॥
Ambedkar Jayanti Par Kavita – Dr BR Ambedkar Poem in Hindi
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भीमराव अम्बेडकर पर कविता 2022
“मत काटो प्रतिभाओं को आरक्षण की तलवार से”
उस कविता के जवाब मे ये . . .
किस प्रतिभा की बात करो ,जो जन्म से तुमने पायी है
आरक्षण तलवार नही है ,समानता की लड़ाई है
गर पूना पेक्ट लागू होता तो सचमुच तुम बीमार थे
प्रतिभा नही तुम खुद कटते हो, आरक्षण के वार से
रेल पटरियों पर जो भी बेठे, आज दिखाई देते हैं
आरक्षण को सारे वो,मान मिठाई बेठे हैं
मिलकर तुम षडयंत्र चलाते हो ,संघी सरकार से
प्रतिभा नही तुम खुद कटते हो, आरक्षण के वार से
गृहयुद्ध की धमकी देकर ,भयभीत किसे तुम करते हो
आरक्षण का विरोध करो ,आरक्षण पर ही मरते हो
फिर बयान देने लगते हो बिल्कुल ही बेकार से
प्रतिभा नही तुम खुद कटते हो, आरक्षण के वार से
जातिवाद ही प्रमुख समस्या, आधार ब्राह्मणवाद है
जन्माधारित उंच नींच दलितों का क्या अपराध है
सदियों जिसने काम किया है बिन पैसे बेगार से
Ambedkar Jayanti Poem in Hindi – Poems on Ambedkar Jayanti
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संवारा है विधि ने वह छण इस तरह से,
दिया जब जगत को है उपहार ऐसा ।
सुहाना महीना बसंती पवन थी,
लिए जन्म ‘बाबा’ हुआ हर्ष ऐसा ।
पिता राम जी करते सेना में सेवा,
मदिरा मांस जिसने कभी नहीं लेवा,
माता जी भीमाबाई धर्म की विभूति थी,
विनय-सद्भावना की साक्षात मूर्ति थीं,
उनके प्रताप का प्रकाश प्राप्त कर के,
हुआ सुत विलक्षण कोई जग न ऐसा ।।
शिक्षा संगठन के थे वे पुजारी,
अधिकार हेतु किए संघर्ष भारी,
मानव मेँ रक्त एक, एक भाँति आये,
स्वारथ बस होके जाति पाति हैं बनायें,
युगो की यह पीड़ा रमी थी जो रग-रग,
गहे अस्त्र जब वे गया दर्द ऐसा ।।
देश के विधान हेतु संविधान उनका,
हित है निहित जिसमें रहा जन-जन का.
एकता अखंडता स्वदेश प्रेम भाये,
धर्म वे स्वदेशी सदा अपनाये,
छुवा-छूत मंतर छू करके भगाये
सहे दीन दुखियों के हित क्लेश ऐसा ।।
दिये उपदेश उसे सदा अपनायें,
किसी के समक्ष कर नहीं फैलायें,
मार्ग शांति का पुनीत कभी नहीं भूलें,
श्रम अरु उमंग भाव गहि गगन छू लें,
सदा दीप होगा ज्वलित जग में जगमग,
लगें सब सगे ‘राज’ सबके सब ऐसा ।।
Poem on Babasaheb Ambedkar
यह दिन Agra, Meerut, UP, Punjab, Haryana, Himachal Pradesh, Jammu Kashmir, Bihar, Chhattisgarh, Delhi, Gujarat, Haryana, Jharkhand, Karnataka, mumbai, pune, Maharashtra, Meghalaya, Madhya pradesh, Punjab, Rajasthan, Tamil Nadu, Uttarakhand, Uttar Pradesh, सहित अन्य राज्यों में मनाया जाता है|साथ ही इस दिन पर आप डॉ बाबासाहेब आंबेडकर शायरी व बाबासाहेब अम्बेडकर जयंती की शुभकामनाएं देख सकते हैं|
आज जिनके जन्मदिन पर , गीत हैं हम गा रहे |
जीवन में कुछ करने की , सीख हैं हम पा रहे |
प्रेरणा लेकर के जिनसे , प्रगति पथ पर जा रहे |
स्वर्ग से भी नित्य हम पर, आशीष बरसा रहे |
सूने भारत में गया, संगीत सा जो छेड़कर |
वो युगनियंता युगपुरुष वो भीमराव अम्बेडकर |
अम्बेडकर अम्बेडकर अम्बेडकर अम्बेडकर ||
श्रद्धा सुमन करते हें अर्पित , जिनके हम सम्मान में |
जिनके बिचारों से हुई , बृद्धि हमारे ज्ञान में |
दुनिया की अच्छाईयां , डाली हैं संविधान में |
दैदीप्य सूरज की तरह , होता है सकल जहान में |
कुशल चितेरा समय का , गया है चित्र उकेरकर |
वो युगनियंता युगपुरुष , वो भीमराव अम्बेडकर |
अम्बेडकर………………………………..||
विकट समस्या थी समाज में , गाँव गाँव जन जन में |
सह सकते थे कैसे बाबा , लगी थी उनके तन मन में |
खुशहाली लाना चाही थी , भारत माँ तृण तृण में |
नयी जान फूंकी थी जिसने , इस माटी के कण कण में |
जीवन जिया जिन्होंने सारा ,जग में खुशियां बिखेरकर |
वो युगनियंता युगपुरुष , वो भीमराव अम्बेडकर |
अम्बेडकर अम्बेडकर अम्बेडकर अम्बेडकर ||
बाबासाहेब आंबेडकर मराठी कविता
असंख्य माणसांचा तप्त समूह
मुख्य रस्त्यावर लोटासारखा आला.
त्यांनी शहरातील सगळे पुतळे तोडायला सुरुवात केली.
कुणाचे डोके फोडले, कुणाला नेस्तनाबूत केले,
कुणाला लोळवले, काहींना विद्रूप केले
शेवटच्या क्षणी, ते माझ्या पुतळ्याजवळ आले.
क्रुद्ध समूहातील एक संथ पावलाने समोर आला
आणि अल्प श्रमाने त्याने माझे दिशा दाखविणारे बोटच तोडले.
– लोकनाथ यशवंत