Speech on Bhim Rao Ambedkar in Hindi PDF – डॉ भीमराव अम्बेडकर पर हिंदी स्पीच – जीवनी व जीवन परिचय

डॉ भीमराव अम्बेडकर पर हिंदी स्पीच

बाबा साहिब के बारे में पूरा समूचा भारत जानता है| वे कितने महान व्यक्तित्व के मनुष्य थे उससे हम सब अवगत है| उनका पूरा नाम डॉ भीम राओ आंबेडकर था| वे एक राजनेता होने के साथ साथ एक महापुरुष और समाज सुधारक थे| उन्होंने दलित समाल पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ आवाज़ उठाई थी| इसी के कारण वर्ष उन्होंने कई आंदोलन करे| बाबा साहिब की जयंती उनके जन्मदिन के उपलक्ष में मनाई जाती है| आज के इस पोस्ट में हम आपको बाबा साहिब पर स्पीच, भीम राव जयंती एस्से, essay on dr bhim rao ambedkar, dr babasaheb ambedkar, आंबेडकर जयंती पर एस्से, आदि की जानकारी देंगे|

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आंबेडकर जयंती के उपलक्ष में 14 अप्रैल 2022 को पूरा आसमान नीला हो जाएगा जब आप Jai bhim geet बजाते हुए जय भीम के नारे लगाएंगे|अम्बेडकर जयंती के उपलक्ष पर हम आपके सामने पेश करने जा रहे हैं अम्बेडकर जयंती स्टेटस, जय भीम शायरी, जय भीम स्टेटस, जय भीम फोटो व बाबासाहेब अम्बेडकर पर कविता| साथ ही आप अम्बेडकर के विचार व अम्बेडकर जयंती पर निबंध भी देख सकते हैं|

भारत के महान् सपूत डॉ. भीमराव रामजी अम्बेडकर ने अपने जीवन की असंक्य कठिनाइयों कि बीच कठिन परिश्रम करके महानता अर्जित की। वह न केवल भारतीय संविधान के निर्माता थे अपितु भारत में दलितों के रक्षक भी थे। इसके अतिरिक्त वे एक योग्य प्रशासक ¸ शिक्षाविद्¸ राजनेता और विद्वान भी थे।डॉ. भीमराव का जन्म 14 अप्रैल 1891 में महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले में अम्बावडे नामक एक छोटे से गाँव में महार परिवार में हुआ था।

महार जाति को अस्पृश्यܷ गरिमा रहित और गौरवविहीन समझा जाता था। अतः उनका बचपन यातनाओं से भरा हुआ था। उन्हें सभी जगह अपमानित होना पड़ता था। अस्पृश्यता के अभिशाप ने उन्हें मजबूर कर दिया था कि वे जातिवाद के इस दैत्य को नष्ट कर दें और अपने भाइयों को इससे मुक्ति दिलाएँ। उनका विश्वास था कि भाग्य बदलने के लिए एकमात्र सहारा शिक्षा है और ज्ञान ही जीवन का आधार है।

उन्होंने एम.ए.¸पी.एच.डी.¸डी.एस.सी. और बैरिस्टर की उपाधियाँ हासिल की।अस्पृश्यों और उपेक्षितों का मसीहा होने के कारण उन्होंने बड़ी ही निष्ठा¸ईमानदारी और लगन के साथ उनके लिए संघर्ष किया। डॉ. अमबेडकर ने दलितों को सामाजिक व आर्थिक दर्जा दिलाया और उनके अधिकारों की संविधान में व्यवस्था कराई।डॉ. अम्बेडकर ने अपने कार्यों की बदौलत करोड़ों लोगों के दिलों में जगह बनाई। उन्होंने स्वतंत्र भारत के संविधान के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। उनका बनाया हुआ विश्व का सबसे बडा लिखित संविधान 26 नवंबर 1949 को स्वीकार कर लिया गया।

Ambedkar Jayanti Speech In Hindi Pdf

बाबा साहिब आंबेडकर पर भाषण देना चाहते है तो आप अपने भाषण में कविता का भी इस्तेमाल कर सकते है| इस पर्व के उपलक्ष में हम आपके लिए (Line on अम्बेडकर जयंती, अम्बेडकर जयंती 5 lines, speech on ambedkar jayanti in hindi, happy ambedkar jayanti lines, short note on dr. br ambedkar jayanti, babasaheb ambedkar line in hindi, ambedkar jayanti line art, आदि की जानकारी देंगे|

भारत के महान् सपूत डॉ. भीमराव रामजी अम्बेडकर ने अपने जीवन की असंक्य कठिनाइयों कि बीच कठिन परिश्रम करके महानता अर्जित की। वह न केवल भारतीय संविधान के निर्माता थे अपितु भारत में दलितों के रक्षक भी थे। इसके अतिरिक्त वे एक योग्य प्रशासक ¸ शिक्षाविद्¸ राजनेता और विद्वान भी थे।डॉ. भीमराव का जन्म 14 अप्रैल 1891 में महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले में अम्बावडे नामक एक छोटे से गाँव में महार परिवार में हुआ था।
क सजग लेखक के रूप में उन्होंने विभिन्न मानवीय विषयों पर पुस्तकें लिखीं। इनमें लोक प्रशामन¸ मानवशास्त्र¸वित्त¸धर्म्¸समाजशास्त्र¸राजनीति आदि विषय शामिल हैं। उनकी प्रमुख कृतियों में ‘ऐनिहिलेशन ऑफ कास्ट्स’ (1936)¸ ‘हूवर द शूद्र’ (1946)¸ ‘द अनटचेबल’ (1948)¸ ‘द बुद्ध एंड हिज धम्म’ (1957) शामिल हैं।

डॉ. अम्बेडकर ने अपना अधिकांश समय अस्पृश्यों के उद्धार मेंही लगाया और उन्होंने महिलाओं की कठिनाइयों को दूर करने में भी हमेशा अपना योगदान दिया। उन्होंने महिलाओं को संपत्ति का अधिकार देने और पुत्र गोद लेने के अधिकारों के संबंध में एक हुन्दू कोड बिल बनाया किंतु अंततः वह पारित नहीं हो पाया। किन्तु बाद में इस विधेयक को चार भागों में विभाजित करके पारित कराया गया।

ये थे-हिन्दू विवाह अधिनियम (1955)¸हिन्दू उतराधिकार अधिनियम (1956)¸ हिन्दू नाबालिग और अभिभावक अधिनियम (1956) और हिन्दू दत्तक ग्रहण और रखरखाव अधियम (1956)। महान त्यागपूर्ण जीवन जीते हुए दलितों के कल्याण के लिए संघर्ष करते हुए डॉ. अम्बेडकर 6 दिसंबर 1956 को स्वर्ग सिधार गए। उनके महान कार्यों और उपलब्धियों के बदले में उन्हें (मरणोंपरांत) भारत रत्न से सम्मानित किया गया।

Essay On Bhim Rao Ambedkar in hindi

अक्सर छोटे बच्चो Kids को स्कूलों में डॉ. बी आर अम्बेडकर जयंती के बारे में लिखना होता है ( अम्बेडकर जयंती के ऊपर दस लाइन लिखें ) पढ़ाया जाता है तथा उसमे हर क्लास के बच्चे अम्बेडकर जयंती पर निबंध, व अम्बेडकर जयंती पर कविता in hindi for class 1, class 2, class 3, class 4, class 5, class 6, class 7, class 8, class 9, class 10, class 11 और class 12 इस तरह से इंटरनेट पर सर्च करते है व स्कूलों के प्रोग्राम व कम्पटीशन में भाग लेते है| साथ ही इस दिन पर आप डॉ बाबासाहेब आंबेडकर शायरी व बाबासाहेब अम्बेडकर जयंती की शुभकामनाएं देख सकते हैं|

Speech on bhim rao ambedkar in hindi PDF

भारत के लोगों के लिये उनके विशाल योगदान को याद करने के लिये बहुत ही खुशी से भारत के लोगों द्वारा अंबेडकर जयंती मनायी जाती है। डॉ भीमराव अंबेडकर भारतीय संविधान के पिता थे जिन्होंने भारत के संविधान का ड्रॉफ्ट (प्रारुप) तैयार किया था। वो एक महान मानवाधिकार कार्यकर्ता थे जिनका जन्म 14 अप्रैल 1891 को हुआ था। उन्होंने भारत के निम्न स्तरीय समूह के लोगों की आर्थिक स्थिति को बढ़ाने के साथ ही शिक्षा की जरुरत के लक्ष्य को फैलाने के लिये भारत में वर्ष 1923 में “बहिष्कृत हितकरनी सभा” की स्थापना की थी।

इंसानों की समता के नियम के अनुसरण के द्वारा भारतीय समाज को पुनर्निर्माण के साथ ही भारत में जातिवाद को जड़ से हटाने के लक्ष्य के लिये “शिक्षित करना-आंदोलन करना-संगठित करना” के नारे का इस्तेमाल कर लोगों के लिये वो एक सामाजिक आंदोलन चला रहे थे। अस्पृश्य लोगों के लिये बराबरी के अधिकार की स्थापना के लिये महाराष्ट्र के महाड में वर्ष 1927 में उनके द्वारा एक मार्च का नेतृत्व किया गया था जिन्हें “सार्वजनिक चॉदर झील” के पानी का स्वाद या यहाँ तक की छूने की भी अनुमति नहीं थी।

जाति विरोधी आंदोलन, पुजारी विरोधी आंदोलन और मंदिर में प्रवेश आंदोलन जैसे सामाजिक आंदोलनों की शुरुआत करने के लिये भारतीय इतिहास में उन्हें चिन्हित किया जाता है। वास्तविक मानव अधिकार और राजनीतिक न्याय के लिये महाराष्ट्र के नासिक में वर्ष 1930 में उन्होंने मंदिर में प्रवेश के लिये आंदोलन का नेतृत्व किया था। उन्होंने कहा कि दलित वर्ग के लोगों की सभी समस्याओं को सुलझाने के लिये राजनीतिक शक्ति ही एकमात्र तरीका नहीं है, उन्हें समाज में हर क्षेत्र में बराबर का अधिकार मिलना चाहिये। 1942 में वाइसराय की कार्यकारी परिषद की उनकी सदस्यता के दौरान निम्न वर्ग के लोगों के अधिकारों को बचाने के लिये कानूनी बदलाव बनाने में वो गहराई से शामिल थे

Short Speech On Dr Bhim Rao Ambedkar In Hindi

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गीता में कहा गया है- “यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत: अभ्युथानम् अधर्मस्य तदात्मानम सृजाम्यहम् |” अर्थात ‘जब-जब पृथ्वी पर अधर्म का साम्राज्य स्थापित हो जाता है, तब-तब अधर्म का नाश कर धर्म की स्थापना करने के लिए ईश्वर अवतार लेते हैं |’

अंग्रेजों के शासनकाल में जब भारतमाता गुलामी की जंजीरों में जकड़ी कराह रही थीं, तब उस घड़ी में भी दकियानूसी एंव गलत विचारधारा के लोग मातृभूमि को विदेशियों के चंगुल से मुक्त कराने के लिए संघर्ष करने के बजाय मानव-मानव में जाति के आधार पर विभेद करने से नहीं हिचकते थे |ऐसी प्रतिकूल परिस्थिति में कट्टरपंथियों का विरोध कर दलितों का उद्धार करने एवं भारत के स्वतंत्रता संग्राम को सही दिशा देने के लिए जिस महामानव का जन्म हुआ, उन्हें ही दुनिया डॉ. भीमराव अम्बेडकर के नाम से जानती है |

वे अपने कर्मों के कारण आज भी दलितों के बीच ईश्वर के रुप में पूजे जाते हैं |भीमराव अम्बेडकर का जन्म 16 अप्रैल 1891 को केंद्रीय प्रांत (अब मध्यप्रदेश) के म्हो में हुआ था | उनके पिता रामजी मालोजी सकपाल सेना में सूबेदार मेजर थे तथा उस समय म्हो छावनी में तैनात थे | उनकी माता का नाम भीमाबाई मुरबादकर था | भीमराव का परिवार हिन्दू धर्म के महार जाति से संबंधित था, उस समय कुछ कट्टरपंथी स्वर्ण इस जाति के लोगों को अस्पर्श्य समझकर उनके साथ भेदभाव एंव बुरा व्यवहार करते थे |

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२६ नोव्हेंबर १९४९ ला संविधान सभेचे अध्यक्ष डॉ. राजेंद्रप्रसाद यांचे समारोपाचे भाषण होऊन त्यादिवशी भारताचे संविधान संमत झाले. त्याच्या एक दिवस आधी म्हणजे २५ नोव्हेंबर १९४९ ला डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर, भारतीय संविधानाचे शिल्पकार या शब्दांनी ज्यांचा सार्थ गौरव होतो, यांचे संविधान सभेत शेवटचे भाषण झाले.

…माझ्या मते, संविधान कितीही चांगले असो, ते राबविण्याची जबाबदारी ज्यांच्यावर आहे, ते जर अप्रामाणिक असतील तर ते वाईट ठरल्याशिवाय राहणार नाही. तसेच संविधान कितीही वाईट असो, ते राबविण्याची जबाबदारी ज्यांच्यावर आहे, ते जर प्रामाणिक असतील तर ते चांगले ठरल्याशिवाय राहणार नाही. संविधानाचा अंमल हा संपूर्णत: संविधानाच्या स्वरुपावर अवलंबून नसतो. संविधान हे केवळ राज्याचे काही विभाग – जसे की कायदे मंडळ, कार्यकारी मंडळ, आणि न्यायपालिका निर्माण करुन देते. राज्याच्या या विभागांचे कार्य लोक आणि लोकांनी स्वत:च्या आकांक्षा आणि राजकारणासाठी साधन म्हणून निर्माण केलेले राजकीय पक्ष यावर अवलंबून राहणार आहे.

…केवळ बाह्य स्वरुपात नव्हे, तर प्रत्यक्षात लोकशाही अस्तित्वात यावी अशी जर आपली इच्छा असेल, तर त्यासाठी आपण काय करायला हवे? माझ्यामते पहिली गोष्ट जी केलीच पाहिजे ती ती अशी की, आपल्या सामाजिक आणि आर्थिक उद्दिष्टांच्या पूर्ततेसाठी आपण संवैधानिक मार्गांचीच कास धरली पाहिजे. याच अर्थ हा की, क्रांतीचा रक्तरंजित मार्ग आपण पूर्णत: दूर सारला पाहिजे. याचा अर्थ कायदेभंग, असहकार आणि सत्याग्रह या मार्गांना आपण दूर ठेवले पाहिजे. आर्थिक आणि सामाजिक उद्दिष्टपूर्तीसाठी संवैधानिक मार्गासारखा कोणताही मार्ग शिल्लक नव्हता, त्यावेळी असंवैधानिक मार्गाचा अवलंब करण्याचे समर्थन मोठ्या प्रमाणात केले जात होते.परंतु जेव्हा संवैधानिक मार्ग उपलब्ध आहेत तेव्हा या असंवैधानिक मार्गांचे समर्थन होऊ शकत नाही. हे मार्ग इतर काही नसून अराजकतेचे व्याकरण आहे आणि जितक्या लवकर आपण त्यांना दूर सारु तेवढे ते आपल्या हिताचे होईल.

Speech on dr. babasaheb ambedkar

Dr. Bhimrao Ambedkar was a great son of India. His full name was Bhimrao Ramji Ambedkar, also known as Babasaheb Ambedkar. He was an Indian jurist, economist, politician and social reformer, who inspired the Dalit Buddhist movement. They supported the rights of workers and women and campaigned against the social discrimination of untouchables (Dalits). He made important contributions in the form of campaigns and negotiations for the independence of India. publishing journals, advocating political rights and social freedom for Dalits.

He was born on 14th April 1891. His father’s name was Ramji Maloji Sakpal, who was also known as Ramji Ambedkar. Dr. Ambedkar’s father was a social worker and Subedar (military rank ) in British India’s army. His mother’s name was Bhimabai Sakpal. Ambedkar was often called Babasaheb in India and elsewhere.

Dr. Bhimrao Ambedkar was the first law and justice minister of independent India. He was the architect of the Constitution of India and a founding father of the Republic of India. Ambedkar obtained his doctorate in economics from the London School of Economics and Columbia University.

He gained fame as a scholar for his research in law, economics and political science. In his early career he was an economist, professor and lawyer. On 14 October 1956 Ambedkar adopted Buddhism with millions of his supporters.

Ambedkar died at his home in Delhi on 6th December 1956. He was honored posthumously for his Bharat Ratna Award in 1990. He was a great personality of Indian history and true hero of our nation.

Short speech on dr babasaheb ambedkar in Hindi

डॉ। भीमराव अम्बेडकर भारत के एक महान पुत्र थे। उनका पूरा नाम भीमराव रामजी अंबेडकर था, जिन्हें बाबासाहेब अंबेडकर के नाम से भी जाना जाता था। वह एक भारतीय न्यायविद्, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ और समाज सुधारक थे, जिन्होंने दलित बौद्ध आंदोलन को प्रेरित किया। उन्होंने श्रमिकों और महिलाओं के अधिकारों का समर्थन किया और अछूतों (दलितों) के सामाजिक भेदभाव के खिलाफ अभियान चलाया। उन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए अभियान और वार्ता के रूप में महत्वपूर्ण योगदान दिया। पत्रिकाओं का प्रकाशन, राजनीतिक अधिकारों और दलितों के लिए सामाजिक स्वतंत्रता की वकालत करना।

उनका जन्म 14 अप्रैल 1891 को हुआ था। उनके पिता का नाम रामजी मालोजी सकपाल था, जिन्हें रामजी अंबेडकर के नाम से भी जाना जाता था। डॉ। अंबेडकर के पिता एक सामाजिक कार्यकर्ता और ब्रिटिश भारत की सेना में सूबेदार (सैन्य रैंक) थे। उनकी माता का नाम भीमाबाई सकपाल था। अम्बेडकर को अक्सर भारत और अन्य जगहों पर बाबासाहेब कहा जाता था।

डॉ। भीमराव अंबेडकर स्वतंत्र भारत के पहले कानून और न्याय मंत्री थे। वह भारत के संविधान के निर्माता और भारतीय गणतंत्र के संस्थापक पिता थे। अम्बेडकर ने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स और कोलंबिया विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की।

उन्होंने कानून, अर्थशास्त्र और राजनीति विज्ञान में अपने शोध के लिए एक विद्वान के रूप में ख्याति प्राप्त की। अपने शुरुआती करियर में वे एक अर्थशास्त्री, प्रोफेसर और वकील थे। 14 अक्टूबर 1956 को अंबेडकर ने अपने लाखों समर्थकों के साथ बौद्ध धर्म अपना लिया।

6 दिसंबर 1956 को अंबेडकर का दिल्ली में उनके घर पर निधन हो गया। 1990 में उन्हें मरणोपरांत भारत रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वे भारतीय इतिहास के महान व्यक्तित्व और हमारे राष्ट्र के सच्चे नायक थे।

Babasaheb ambedkar speech

डॉ। भीम राव अम्बेडकर, जिन्हें बाबासाहेब अम्बेडकर के नाम से जाना जाता है, एक प्रसिद्ध नेता हैं, जिन्होंने ‘भारत के संविधान’ को हरी झंडी दिखाई। वह एक प्रसिद्ध राजनेता थे जिन्होंने दलितों और अन्य सामाजिक रूप से पिछड़े वर्गों के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी।

2022 अम्बेडकर (१४ अप्रैल १ 131 ९ १) की १३१ वीं जयंती वर्ष होगा, जिसे भारतीय संविधान के पिता के रूप में जाना जाता है, सरकार ने वर्ष को बड़े पैमाने पर मनाने का फैसला किया।

इस प्रकार 2015 में केंद्र ने 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में घोषित किया। सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने 19 नवंबर 2015 को, भारत सरकार के 26 नवंबर को ‘संविधान दिवस’ के रूप में मनाने के निर्णय को अधिसूचित किया।

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