Phalguna Purnima 2022 -23 Vasnata Purnima Puja Vidi, Katha, Significance

वसंत पूर्णिमा पूजा विधि

Phalguna Purnima : फाल्गुन हिन्दी Calendar के हिसाब से वर्ष का आखिरी महिना होता है इस प्रकार इस माह में आने वाली पूर्णिमा भी साल की आखिरी पूर्णिमा होती है । इस दिन को देवी लक्ष्मी की जयंती के रूप में भी मनाया जाता है । इस दिन प्रातः सूर्योदय से लेकर , चंद्रमा के उदय होने तक उपवास रखा जाता है ।

itihas के अनुसार माना जाता है कि इस दिन Vrat रखने से व्यक्ति के सभी संकट और दुख समाप्त हो जाते है और उनपर श्री हरि विष्णु की कृपा बनी रहती है । इसे Holi Purnima के नाम से भी जाना है और जगह – जगह होलिका- दहन का Celebrations भी किया जाता है।

पूर्णिमा क्या है | About Vasanta Purnima

हिन्दू धर्म में पूर्णिमा का विशेष महत्व है । हिन्दी पंचांग के वर्ष के 12 महीने होते है और प्रत्येक माह में एक पूर्णिमा पड़ती है । शस्त्रों के अनुसार इस दिन किए जानेवाले सभी कार्य बिना किसी विघ्न – बाधा के पूर्ण होते है और बहुत लाभकारी फल भी देते है । पवित्र नदियों (गंगा, यमुना, नर्मदा , गोदावरी )  में स्नान करना , दान पुण्य करना ये सब काम लोग इसी दिन करते है ।

बसंत के मौसम ने जब पूर्णिमा की तिथि होती है उसे वसंत पूर्णिमा कहा जाता है । अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार ये फरवरी या मार्च के महीने में और हिन्दी कैलेंडर के अनुसार फाल्गुन के महीने में Vasanta Purnima Festival होती है ।

वसंत पूर्णिमा कब है? | When is Vasant Purnima

जैसा की हमने पढ़ा कि Falgun के महीने में Vasant Poornima मनाई जाति है । इस साल 2020 में 9 मार्च के दिन फाल्गुनी नक्षत्र में पूर्णमासी का दिन हो रहा है । जिस दिन छोटी होली भी मनाई जाएगी । छोटी होली वाले दिन लकड़ियों को इकट्ठा कर उनमे अग्नि जलाकर होलिका – दहन किया जाता है । जो कि बुराई पर अच्छाई की जीत को दर्शाता है ।

इतिहास में धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पूर्णिमा का दिन बहुत शुभ माना जाता है । इस दिन व्रत , अनुष्ठान करने से पापों से मुक्ति मिलती है और अच्छे स्वास्थय, लंबी उम्र और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है ।

वसंत पूर्णिमा का महत्व | Significance of Vasanta Purnima

  • वसंत पूर्णिमा को फाल्गुन पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है ।
  • इस दिन से होली के पर्व की शुरुआत हो जाती है ।
  • हिन्दू Rituals  के अनुसार इस दिन को बहुत मान्यता दि गई है ।
  • होली के साथ साथ बसंत उत्सव भी इसी दिन से शुरू हो जाता है ।
  • साल का अंतिम दिन होने के यहाँ से चैत्र माह और हिन्दू नववर्ष का आगमन भी होता है ।
  • इसके अगले दिन रंगों वाला होली का पवित्र त्यौहार भी मनाया जाता है ।
  • इस दिन श्री विष्णु और लक्ष्मी माता की पूजा करते है और ऐसा करने से मनुष्य को बैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है ।

शुभमुहूर्त | Shubmuhurat

फाल्गुन पूर्णिमा का समय

होलिका दहन का शुभ मुहूर्त

साल 2020 में 9 मार्च को फाल्गुन या वसंत पूर्णिमा का Fast रखा जाएगा । जिसे होलिका दहन का दिन भी माना जाता है । इस दिन का शुभ मुहूर्त इस प्रकार है :-

  • होलिका दहन – शाम 06 बजकर 26 मिनट से 08 बजकर 52 मिनट पर
  • समय अवधि – 2 घंटे 25 मिनट
  • भद्रा पूंछ- 9:50 से 10:51
  • भद्रा मुख-10:51 से 12:32
  • रंग खेलने वाली होली- 10 मार्च 2020

वसंत पूर्णिमा की कथा

फागुन पूर्णिमा के व्रत की वैसे तो अनेक कथाएं हैं लेकिन नारद पुराण में जो कथा दी गई है वह असुर राज हरिण्यकश्यपु की बहन राक्षसी होलिका के दहन की कथा है जो भगवान विष्णु के भक्त व हरिण्यकश्यपु के पुत्र प्रह्लाद को जलाने के लिये अग्नि स्नान करने बैठी थी लेकिन प्रभु की कृपा से होलिका स्वयं ही अग्नि में भस्म हो जाती है। इस प्रकार मान्यता है कि इस दिन लकड़ियों, उपलों आदि को इकट्ठा कर होलिका का निर्माण करना चाहिये व मंत्रोच्चार के साथ शुभ मुहूर्त में विधिपूर्वक होलिका दहन करना चाहिये। जब होलिका की अग्नि तेज होने लगे तो उसकी परिक्रमा करते हुए खुशी का उत्सव मनाना चाहिये और होलिका दहन के साथ भगवान विष्णु व भक्त प्रह्लाद का स्मरण करना चाहिये। असल में होलिका अहंकार व पापकर्मों की प्रतीक भी है इसलिये होलिका में अपने अंहकार व पापकर्मों की आहुति देकर अपने मन को भक्त प्रह्लाद की तरह भगवान के प्रति समर्पित करना चाहिये।

पूजन विधि

  • फाल्गुन पूर्णिमा के दिन होलिका की पूजन होती है । इस दिन भगवान विष्णु के 10 अवतारों में से चौथे अवतार भगवान नरसिंह की पूजा
  • की जाती है ।
  • छोटी होली वाले दिन प्रातः काल सुबह उठकर स्नान करे और स्वच्छ वस्त्र धरण करे ।
  • गाय के गोबर और शुद्ध लकड़ी से होलिका तैयार करे ।
  • फिर  पूजन कीथाली में निम्नलिखित सामाग्री रखे – माला , रोली , फूल , गुड़ ,  नारियल , चावल और पाँच प्रकार के अनाज गेहूं की बालें सहित , और लोटे में जल ।
  • उसके बाद प्रह्लाद का स्मरण करते हुए पुष्प अर्पित करे । और फिर अन्य सामग्री से पूजन करे ।
  • ये सब Pooja करने के बाद होलिका की परिक्रमा लगाए ।
  • अग्नि प्रज्वलित करे और होलिका को अर्पण करे । बाद में उसमे गुलाल डाले और घर के सभी बड़ों के पैर छूकर और गुलाल लगाकर आशीर्वाद ले ।

 

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