Plastic Pollution Essay in Hindi – प्लास्टिक मुक्त भारत पर निबंध

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प्लास्टिक प्रदूषण पृथ्वी पर बड़ी ही तेजी से बढ़ रहा है ओर यह मनुष्य जाती को हानि भी पहुचा रहा है। इस आर्टिकल के जरिए आप यह जन पाएंगे की केसे हम अपने देश को प्लास्टिक मुक्त भारत (in india) बना सकते हैं ओर सरकार ने इसके बहिष्कार के लिए कई प्रकार के नारे बनाए है जेसे की पॉलीथिन हटाओ पर्यावरण बचाओ,say no to plastic,जिससे हम plastic ban करा सकते हैं। इस निबंध के माध्यम से आप plastic mukt bharat nibandh hindi mein के बारे में जानकारी आसानी से जान पाएंगे।अगर आप इसे Short and Long Essay में लिखना चाहते है या फिर इसको आप 200 words,150 words, 100 words, 250 words for class 6 के लिए लिखना चाहते है तो भी आप इसे उपयोग में ले सकते है ओर यह निबंध आपको in gujarati,in marathi language में भी easily मिल जाएगा।

प्रस्तावना | Introduction

Plastic Pradushan पूरे देश भर में फैला हुआ हैं और यह हमारे देश के लिए चिंताजनक विषय बन गया हैं। इसकी रोकथाम के लिए सरकार कई प्रकार के अभियान का आयोजन करती रहती है जिससे देश को प्रदूषण से छुटकारा दिला सके।प्लास्टिक एक ऐसा पदार्थ है जोकी लंबे समय तक रहता है ओर पर्यावरण को प्रदूषित करता हैं।इसका उपयोग हम अपनी रोजमर्रा की ज़िंदगी में करते रहते हैं ओर इसलिए भारत देश के हर एक नागरिक की यह जिम्मेदारी है की देश को इस समस्या से निकालने में अपना योगदान दे और साथ ही अपने से जुड़े लोगों को भी इसके प्रति समझाएँ ओर जागरूक करे तभी हम इस परेशानी से बाहर निकल सकते हैं।

प्लास्टिक प्रदूषण के कारण | Causes for Plastic Pollution

  1. किफायती और उपयोग में आसान- प्लास्टिक को आसानी से कोई भी आकार दे सकते है और इसकी वजह से प्लास्टिक आइटम बनाए में ज्यादा समय भी नहीं लगता ओर बड़ी आसानी से हम कई प्रकार के समान बना सकते हैं। प्लास्टिक के समान बाजार में बड़े ही सस्ते दामों में मिलते है ओर इसलीय लोग ज्यादा से ज्यादा इसका इस्तेमाल करते है और इसी की वजह से प्रदूषण की मात्र बढ़ जाती हैं।
  2. नान-बायोग्रेडबल- प्लास्टिक एक non -biodegradable पदार्थ है जिसके चलते यह जमीन पर या फिर भूमि में विघटित नहीं होता ओर कई हजार वर्षों तक पद रहता है ओर इसकी वजह से भूमि, जल,ओर वायु प्रदूषित होती हैं।
  3. प्लास्टिक क्षय होता है परंतु विघटित नही होता है- प्लास्टिक का समान लंबे समय तक पड़े रहने से छोटे छोटे भागों में विभाजित तो हो जाता है और मिट्टी और पानी में मिल जाता है जिसके कारण भी प्रदूषण बढ़ जाता हैं।

प्लास्टिक प्रदूषण को रोकने के उपाय | Ways to prevent plastic

  • प्लास्टिक उत्पादन पर नियंत्रण करके
  • प्लास्टिक के वस्तुओ पर प्रतिबंध लगाकर
  • जागरुकता फैलाकर
  • प्लास्टिक बैगों का उपयोग ना करके
  • बोतलबंद पानी का उपयोग बंद करके
  • बाहर का खाना मंगाना बंद करके
  • पुनरुपयोग
  • किराने का सामान थोक में खरीदकर
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प्लास्टिक प्रदूषण

प्लास्टिक से लाभ और हानि | Advantages and disadvantages of plastic

प्लास्टिक से जुड़े लाभ नीचे दिए गए हैं:-

  • यह वजन में बहुत ही हल्के होते हैं।
  • यह बहुत ही मजबूत होते है ओर इसी कारण से इनका उत्पाद बहुत अच्छा  होता है।
  • यह बहुत ही सस्ते दामों से आसानी से काही पर भी उपलब्ध होता हैं।
  • इसे हम कई प्रकार की वस्तुएँ बनाने में उपयोग कर सकते है जेसे पनि की बोतल, पेन, प्लास्टिक की थैलियाँ , कप आदि।
  • इनको आसानी से कोई भी आकार में ढाल जा सकता हैं।
  • यह जंग रहित होते हैं।
  • यह केमिकल प्रतिरोधी है।
  • इसका उपयोग electroics,packaging, building,transportation industries में बड़े पैमाने पर किया जाता हैं।
  • यह गंध हीन होते हैं।

प्लास्टिक से जुड़ी हानि नीचे दी गई  हैं:-

  • प्लास्टिक को जलाने से यह वायु को प्रदूषित करता है क्योंकि इससे निकालने वाला धुआँ जहरीला होता हैं।
  • यह गैर नवीकरणीय संसाधन हैं।
  • यह non-biodegradable है।
  • पॉइज़नस गैस के द्वारा जहरीला धुआँ cancer जैसी बीमारी को बढ़ावा देता हैं।
  • यह काम गर्मी प्रतिरोधी और बेकार नामनीयता वाले होते हैं।
  • यह नालियों ओर नालों को चोक कर हमारे पर्यावरण को दूषित करते है और उसे नुकसान पहुचाते हैं।

प्लास्टिक को रोकने के उपाय:

  1. इससे बनी वस्तुओ का उपयोग न करे ओर इसका बहिष्कार करे ।
  2. प्लास्टिक से बने समान का लंबे समय तक उपयोग करे जब तक वह पूरी तरह से खराब न हो जाएँ।
  3. इससे बनी वस्तुओं का इस्तेमाल करने से बचे ।
  4. दुकान पर समान खरीदते वक्त कागज य कपड़े से बने थैले आदि का इस्तेमाल करे।
  5. खाने की वस्तुओ में स्टील और मिट्टी के बर्तनों का उपयोग करे।
  6. प्लास्टिक खरीदते वक्त पीईटीई (PETE) और एचडीपीई (HDPE) के समान को प्राथमिकता दे क्योंकि यह रिसाइकिल हो जाता हैं।

प्लास्टिक का वर्गीकरण। Classification of Plastic

आकार के हिसाब से इसका वर्गीकरण किया जाता है जो की इस प्रकार हैं।

  • 25 mm से अधिक – मैक्रोप्लास्टिक(Maicroplastic)
  • 5-25 mm – मेसोप्लास्टिक(Mesoplastic)
  • 0.1 – 5 mm – माइक्रोप्लास्टिक(Microplastic)

निष्कर्ष | Conclusion

हमारी छोटे छोटे कदम प्लास्टिक के उपयोग को काम कर सकते है ओर इससे हमारा पर्यावरण प्रदूषित होने से बचेगा ओर लोगों को अनेक प्रकार की बीमारियों का सामना भी नहीं करना पड़ेगा।इसके रोकथाम की वजह से ही हम अपने आगे आने वाली पीढ़ी को प्रदूषण से बचा सकते हैं।

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