Teachers Day 2023: शिक्षक दिवस हर साल 5 सितंबर को पूरे भारत में मनाया जाता है। माता एवं पिता के बाद शिक्षक ही हमारे जीवन में अहम् महत्व रखते है| हम सभी के जीवन में सफलता के पीछे एक शिक्षक का हाथ होता है जो की हमारे शिष्यकाल के समय हमे सही मार्ग पर चलने की प्रेणना देता है| इस दिन का महत्व इसलिए भी है क्योकि इस दिन को भारत के इतिहास के महान पूर्व राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिवस पर मनाया जाता है| इस दिन को सभी अध्यापको के समर्पण एवं अपने छात्रों के प्रति प्रेम के सम्मान के लिए मनाया जाता है|
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Anchoring Script for Teacher’s Day
गुरु ब्रम्हा गुरु विष्णू, गुरुः देवो महेश्वरा. गुरु शाक्षात परब्रम्हा, तस्मै श्री गुरुवे नमः गुरु ज्ञान को पैदा करता है, जो ब्रम्हा है, गुरु विष्णु हैं जो ज्ञान को बनाए रखता है और गुरु शिव है जो अज्ञान के अंधेरे को नष्ट कर देता है। मैं ऐसे महान गुरु को सलाम करता हूं। शुभ प्रभात, हमारे सम्मानित प्रिंसिपल सर, सभी प्यारे शिक्षक, और मेरे प्यारे दोस्तों, आज हम इस अद्भुत दिन को मनाने के लिए यहां इकट्ठे हुए हैं ताकि दुनिया के श्रेष्ठ पेशे का सम्मान किया जा सके। आज हम यहां समाज और मानव जाति के अच्छाई लिए शिक्षकों के उदार योगदान को मनाने और सम्मान करने के लिए यहां हैं। आज शिक्षक दिवस के शुभ दिन पर हम इस विद्यालय और पूरे विश्व में सभी शिक्षकों का आभार व्यक्त करेंगे। तो चलिए आज के इस अद्भुत कार्यक्रम की शुरुवात, बुद्धि और कला के भगवान, गणेश जी के वंदन गणेश वंदना द्वारा अपने अद्भुत आवाज के साथ हमारे छात्रों द्वारा पेश करते हुए शुरू करते हैं।
मै अभी हमारे आदरणीय प्रिंसिपल जी से निवेदन करता हु की वे आज हमे आपने मार्गदर्शन तथा विचारो से हमे प्रबुद्ध करे. मै अभी हमारे आदरणीय प्रिंसिपल जी से निवेदन करता हु की वे आज हमे आपने मार्गदर्शन तथा विचारो से हमे प्रबुद्ध करे. हमारे प्रिंसिपल सर एक अच्छे शिक्षक और मार्गदर्शक है. उनका अर्थशात्र विषय पे बहोत प्रभुत्व है. जोरदार तालियों के साथ उनका स्वागत कीजिये
*प्रिंसिपल सर के स्पीच के बाद *
आपके अप्रतिम मार्गदर्शन और सुन्दर शब्दोंके के लिए धन्यवाद् प्रिंसिपल सर. आपके यह शब्द और विचार हम याद रखेंगे और अपनी रोजाना जिंदगी में लागू करने की कोशिश करेंगे. एक शिष्य अपने गुरु से हर बार प्रेरित होता है. ऐसे ही कुछ छात्र जो अपने गुरुओसे प्रेरित हुए है जो अपने विचार आप सब के सामने रखना चाहते है. जूनियर क्लास्सेस के स्टूडेंट्स अपने फेवरेट टीचर के विषय में और हायर क्लास्सेस के स्टूडेंट्स अपने जीवन में शिक्षक के महत्व के विषय पे भाषण तथा अपने विचार व्यक्त करेंगे.
*भाषण के बाद*
अपने विचार व्यक्त करने के लिए आप के धन्यवाद. अब मेरे मित्र सीज़ जिन्होंने यह कार्यक्रम सफल करने के लिए अपने योगदान दिया उन सबको आभार प्रदर्शन करेंगे. मै आप सब से अभी इजाजत लूंगा. धन्यवाद दोस्तों.
Anchoring Script for Teachers day in Hindi
शिक्षक दिवस पर मंच संचालन स्क्रिप्ट हिंदी में
एंकर फीमेल: आज की इस मधुर बेला में, मैं आप सबका पंक्तिमय अभिवादन करके आज के कार्यक्रम को आरम्भ करना चाहती हूँ कि-
चांदनी चांद से मिलती है, तो रौशन ज़माल करती है
खुशी से खुशी मिले, तो ख़्वाहिश कमाल करती है
ये विद्वता के नूर की, रौनके महफ़िल है मेरे मित्रों
ये महफ़िल सभी सितारों का, इस्तक़बाल करती है।आज के कार्यक्रम के chief guest, जाने माने समाज सेवी, हमारे प्रेरणास्रोत, इस ख्यातिनाम college के डायरेक्टर श्री पी सी जैन सर, आज के कार्यक्रम के अध्यक्ष हमारे आदर्श पूज्य प्राचार्य महोदय डॉ. आर एस राजपूत जी, विशिष्ट अतिथि बास्केटबॉल संघ के प्रांतीय अध्यक्ष श्री सुरेन्द्र दिवेदी जी एवम प्रथम पंक्ति में विराजित सभी गुरुजनों को कोटि कोटि नमन करती हूँ।
सभा मे उपस्थित सभी सुधिजनों, पत्रकारों-मीडिया प्रतिनिधियों को एवम मेरे सभी सहपाठियों को यथायोग्य अभिवादन करती हूँ। आप सब अपने लिये एकबार ज़ोरदार तालियाँ बजा दीजिये। बहुत बहुत धन्यवाद।
मित्रों, आज के इस खुशनुमा माहौल के बारे में क्या कहूँ। आज सुबह से ही बादल गगन पर छा गए हैं। बारिश का मौसम है। इस मौसम पर चार पंक्तियाँ याद आ रहीं हैं कि-
यह सुबह यह आलम यह फ़िज़ा मुस्कराती है
बून्दें हवा में ही ठहरी हैं जाने क्या गुनगुनाती हैं
एक श्यामल टुकड़ा बादल भी बिछा के चला गया
सच्चे गुरूओं को तो क़ायनात भी सर झुकाती है।मित्रों, आज की यह सुबह कोई साधारण सुबह नही है। आज का वातावरण कोई routine वातावरण नहीं है। आज का यह कार्यक्रम कोई ordinary कार्यक्रम नही है। आज का दिन बहुत ही ख़ास दिन है।
हमारे जीवन का निर्माण करने वाले, हमारी बौद्धिकता में प्राण भरने वाले, हमारे जीवन पथ का उन्मान करने वाले हमारे गुरुजनों को कृतज्ञता प्रेषित करने का दिन है। उनकी उदारता को नमन करने का दिन है। उनके चरण वंदन करने का दिन है।
जी हाँ Dear friends, जैसा कि आप सब जानते हैं कि आज 5 सितम्बर है। और हम विद्यार्थी इस दिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाते हैं। आज हम सब students आज के इस दिन को हर्ष से, आंनद से मनायेंगे। मैं……………. आपके ही कॉलेज की छात्रा, आपकी सहपाठी, अपने गुरुजनों की कृपा की अभिलाषी, इस teachers day के आयोजन पर आप सबका हार्दिक हार्दिक स्वागत करती हूँ-अभिनंदन करती हूँ।
क्रम 1- अतिथियों को मंचासीन कराना
मित्रो, पहला क्रम हमारे आज के अतिथियों को मंचासीन कराने का है।
आज के हमारे विशिष्ट अतिथि बास्केट बॉल संघ के प्रांतीय अध्यक्ष माननीय श्री सुरेन्द्र द्विवेदी जी हैं। हमारा कॉलेज उपकृत है कि उन्होंने हमारा आग्रह स्वीकार किया और यहाँ पधारे। और आप सबको मैं बता दूँ कि हमारे विशिष्ट अतिथि ऎसे ही विनम्र ह्रदय के व्यक्ति हैं। इनके व्यक्तित्व को परिभाषित करने के लिये चन्द पंक्तियाँ आप सबको सौंपती हूँ कि-फूल दरख्तों पर खिले हुये कम ही देखे हैं
हमने तो नज़र नज़र केवल गम ही देखे हैं
आप ऐसी तासीर कहाँ से पाये हैं ज़नाब
हमने हमेशा मुस्कराने वाले कम ही देखे हैं।ज़ोरदार तालियाँ हमारे विशिष्ट अतिथि जी के लिये। मैं हमारे फिजिक्स के प्रोफेसर डॉ. वी एस कठेल सर एवम केमिस्ट्री की प्रोफेसर डॉ ए के मंशानी सर से निवेदन करतीं हूँ कि वो हमारे विशिष्ट अतिथि जी को मंचासीन करायें।
अतिथियों के क्रम में आज के हमारे कार्यक्रम अध्यक्ष सकारात्मक ऊर्जा के स्रोत, विद्वत श्रेष्ठ, पूज्य गुरुवर हमारे Principal Sir माननीय डॉ आर एस राजपूत जी के बारे में कहने को मेरे पास शब्द ही नही हैं। कुछ चन्द टूटे फूटे शब्द जुटाये हैं। पंक्तियाँ निवेदित करती हूँ की
यह शुचिता यह अनुशासन, यह प्रतिबद्धता दुर्लभ है
एक हाथ में सरलता की धरा, दूजे में विद्वता का नभ है
हम शिष्य सौभाग्य शाली हैं, कि आप जैसे गुरु मिले
हम बच्चों की दृष्टि में आपका, ईश्वर से भी उच्च पद है।एक बार गड़गड़ाती तालियाँ बजा दें हमारे बड़े सर के लिये। मैं बायोलॉजी के प्रोफेसर डॉ. के के खरे सर और बॉटनी के प्रोफेसर डॉ. आर पी मानेक से निवेदन करती हूँ कि आज के कार्यक्रम अध्यक्ष जी को मंचासीन करायें।
मित्रों, बड़े ही हर्ष का विषय है कि हमारे dirctor Sir आज हमारे बीच मे हैं और उन्होंने हमारे आग्रह पर आज के कार्यक्रम के लिये अपनी सरपरस्ती हमें प्रदान की है। आज के आयोजन के chief Guest हमारे Director Sir माननीय श्री श्री पी सी जैन जी इस शहर ही नही इस प्रदेश की ख्यातिनाम हस्ती हैं। समाज के हितार्थ सदा सक्रिय रहने वाले जैन सर के हम कृतज्ञ हैं कि उन्होंने कार्यक्रम का मुख्य आतिथ्य स्वीकार किया। इनके गरिमामयी व्यक्तित्व को चन्द पंक्तियाँ सौंपती हूँ कि-
आपका इकबाल और बुलंद हो, दुनिया पर छाते रहें
सितारे चाँद सूरज सब, आपके ज़माल से घबराते रहें।
हम ऐसे ही कुछ न कुछ बहाना, बना कर बुलाते रहें
और आप फरिश्तों की तरह, यूँ ही हमारे बीच आते रहें।ज़ोरदार तालियों की गड़गड़ाहट हमारे माननीय पी सी जैन सर के लिये। मैं मेकेनिकल ब्रांच के head of the Department डॉ. पी एस कुच्या सर और कॉलेज के administration head श्री डी के वैद्य जी से निवेदन करती हूँ कि वो हमारे मुख्य अतिथि जी को मंचासीन करायें।
क्रम 2-दीप प्रज्ज्वलन
एक बार सम्मानीय मंच के लिये ज़ोरदार तालियों की गड़गड़ाहट हो जाये। धन्यवाद। दोस्तों, जैसी की हमारी सांस्कृतिक परंपरा है, किसी भी सांस्कृतिक आयोजन के प्रथम चरण में हम पवित्र अग्नि का प्रवज्ज्वलन करके मंगलमूर्ति गणपति से, माँ सरस्वती से, माँ भारती से प्रार्थना करते हैं कि हे परम शक्ति हमें संबल देना कि हम निर्विघ्न अपने आयोजन को सम्पन्न कर सकें।
मैं आज के मुख्य अतिथि जी, कार्यक्रम अध्यक्ष जी एवम विशिष्ट अतिथि जी निवेदन करतीं हूँ कि वो वीणावादिनी, प्रभु गणपति जी एवम माँ भारती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन कर कार्यक्रम का शुभ आरम्भ करें। दीप प्रज्ज्वलन के इस क्रम को चन्द पंक्तियों से सज्जित करना चाहती हूँ कि-
क्या अंधकार से डरना अब, आओ सूरज बन जाते हैं
धरती अम्बर के तम सारे, जिससे डर कर छट जाते हैं।
इक नूर बहे रूहानी सा, रौशन यह आलम हो जाये
आओ मित्रो हम मिल करके, इक झिलमिल दीप जलाते हैं।(दीप प्रज्ज्वलन का समापन) ज़ोरदार तालियों की गड़गड़ाहट से इस पवित्र क्रम का अनुमोदन करेंगे। धन्यवाद
क्रम 3-सरस्वती वंदना
मैं B.Sc 2nd year की छात्रायें सोनल शर्मा, शिवांगी सेनगुप्ता से अनुरोध करता हूँ कि वो शीघ्र मंच पर आयें और एक सुमधुर सरस्वती वंदना प्रस्तुत करें।
(सरस्वती वंदना का समापन)
सुरीली मुग्ध सरिताएं मेरे उर में बहा दे माँ
ह्रदय में बाँसुरी की धुन ज़रा संगीत भर दे माँ
मैं बन जाऊँ मधुर मिश्री मुझे सुर पांचवां देना।बहुत खूब सोनल शर्मा, शिवांगी सेनगुप्ता। कितनी बढ़िया मोहक सरस्वती वंदना प्रस्तुत की है। जोरदार तालियाँ मित्रो इस प्रेरणादायक प्रार्थना के लिये।
क्रम 4-स्वागत नृत्य
मित्रों, क्रम को आगे बढ़ाती हूँ। अब अगला सोपान मंच पर विराजित हमारे अतिथियों के स्वागत सम्मान का है। स्वागत सम्मान के चरण को आरम्भ करने से पहले एक सुंदर ग्रुप स्वागत नृत्य की प्रस्तुति के लिये मैं मंच पर आमंत्रित करती हूँ B.Sc द्वितीय बर्ष की छात्रायें, दीपिका सोलंकी, रुचिका देवल, दिव्यांशी गुप्ता, नैंसी सिंघई को, वो आयें और स्वागत नृत्य की प्रस्तुति दें।
(Group dance का समापन)
वाह वाह वाह। ख़ूब भालो। मित्रों, इस प्रस्तुति के बाद तो आपको भरपूर अंदाज़ा हो गया होगा कि इस आयोजन का क्या स्तर होने वाला है। चार पंक्तियाँ याद आ गईं इस प्रस्तुति के बाद कि-
सौगातों का झुण्ड बनाकर, आई सुबह मज़ा लीजे
अपने दिल के हर कोने को, इत्रों से महका लीजे
यहाँ मंच पर धूम मचेगी, अगर आप चाहेंगें तो
बस इतना करना हर क्रम पर, ताली खूब बजा दीजे।ज़ोरदार तालियाँ दीपिका सोलंकी, रुचिका देवल, दिव्यांशी गुप्ता, नैंसी सिंघई के लिये। बहुत बहुत धन्यवाद।।
क्रम 5-अतिथि स्वागत
मित्रों, किसी कवि ने कहा है कि-
मूढ़ महा मति हीन भी, वाल्मीकि सा होय
सच्चे गुरु की कृपा से, लोहा पारस होय।।जी हाँ दोस्तों, सच्चे गुरु सच्चे teacher अगर हम students को शिक्षित करें तो इस देश को फिर से न जाने कितने महामना सर्वपल्ली राधाकृष्णन, कितने स्वामी विवेकानंद, कितने महामहिम कलाम प्राप्त होंगें। जो माँ भारती के दामन में नभ के सितारे भर देंगें। ऐसी ही होती है गुरु की महिमा। क्रम हमारे गुरुओं एवम हमारे अतिथिगणों के अभिनंदन का है।
मैं हमारे छात्र संघ के अध्यक्ष, भाई विजय चक्रवर्ती को मंच पर आमंत्रित करती हूँ कि वो आयें और हमारे आज के विशिष्ट अतिथि श्री सुरेन्द्र द्विवेदी जी का रोली चंदन और गुलदस्ता देकर सम्मान करें। माननीय विशिष्ट अतिथि जी के सम्मान में चार पंक्तियाँ अर्पित करती हूँ कि-
दिल मायूस सा था कोई, उम्मीद जगती ना थी
हथेली पर गुलाब खिला दें यूँ हमारी हस्ती ना थी
हम कैसे शुक्रिया आभार उपकार कहें आपका
अगर आप ना आते तो यह शाम महकती ना थी।ज़ोरदार तालीयाँ विशिष्ट अतिथि जी के लिये। अब मैं हमारे कॉलेज cricket captain ………..जी, chess champion…………जी, tennis champion………..को आमंत्रित करती हूँ कि वो मंच पर आयें और आज के कार्यक्रम अध्यक्ष हमारे माननीय प्राचार्य महोदय जी का चन्दन तिलक और गुलदस्ता भेंट कर उनका अभिनंदन करें स्वागत करें।
कार्यक्रम अध्यक्ष जी के लिए पंक्तियाँ सौंपती हूँ कि-
हमने फ़रिश्ते तो नही देखे कि कैसे होते होंगे
अगर वो होते भी होंगे तो आप जैसे होते होंगें।जोरदार तालियाँ हमारे बड़े सर के लिए। क्रम आज के chief guest के अभिनंदन का है। मैं हमारे कॉलेज के शिक्षक संघ के अध्यक्ष माननीय …………एवम सचिव माननीय……….जी को मंच पर आमंत्रित करती हूँ कि वो मुख्य अतिथि जी का तिलक बुके देकर अभिनंदन करें।
क्रम 6-मुख्य अतिथि भाषण
चन्द पंक्तिया हमारे आदरणीय मुख्य अतिथि जी के गरिमामयी व्यक्तित्व को अर्पित करती हूँ कि-
यह बड़ी सोच यह दूर दृष्टि यह ऊर्जा हमें भी मिल जाये
तो हम सब के जीवन में भी आशा की कौंपल खिल जाये।
कृत उपकृत मन के भाव सुमन हम सादर अर्पित करते हैं
श्रीमान् पधारे आप यहाँ हम सब मिल स्वागत करते हैं ।।ज़ोरदार तालियाँ हमारे मुख्य अतिथि जी के गरिमायुक्त स्वागत क्रम के लिये। मैं आज के मुख्य अतिथि माननीय पी सी जैन सर से अनुरोध करती हूँ कि वो अपने उद्गार व्यक्त कर हम छात्रों का पथ प्रदर्शित करें।
(मुख्य अतिथि का भाषण सम्पन्न) बहुत ख़ूब। इतनी अच्छी सीख हमें हमारे मुख्य अतिथि जी ने बताईं जो निश्चित रुप से हमारे जीवन के दर्शन बदलेगी। जोरदार तालियाँ मित्रो।
क्रम 7-सांस्कृतिक कार्यक्रम
चलिये आप सबको ले चलते हैं हमारी अगली सांस्कृतिक प्रस्तुति की ओर।
हमारी अगली प्रस्तुति एक short play लघु नाटक है। नाटक की विषय वस्तु तो नही, लेकिन आपको दो पंक्तियाँ अवश्य सुना कर हिंट दे सकती हूँ-
अतिशय गुरु का देखिये, छवि लख के अभ्यास
एकलव्य की श्रेष्ठता, अर्जुन से थी ख़ास।।मुझे पता है कि आप लोग काफी कुछ समझ गये हैं। play का शीर्षक है गुरुदक्षिणा। जिसे आप के सामने प्रस्तुत करेंगे हमारे कॉलेज के प्रतिभावान कलाकार। तो आइये देखते हैं यह प्रस्तुति-
(प्रस्तुति का समापन) वाह वाह।। मित्रो तालियों की ऐसी गड़गड़ाहट होनी चाहिए कि आसपास के लोगों को पता चले कि कोई कार्यक्रम चल रहा है। बहुत ही बढ़िया play था।
देखिये मैंने तालियों की मखमली आवाज़ के लिए नही कहा था जी, गड़गड़ाहट के लिये कहा था। पंक्तियाँ कहती हूँ कि-
उदास चेहरों पर भी रूहानी नूर आ जाता है
ताली बजतीं रहें तो जोश भरपूर आ जाता है
इन कलाकारों का हौसला बढ़ाते रहें बजाते रहें
तालियों से तो महफ़िल में भी सुरूर आ जाता है।मजाकिया स्वर में-हाँ जी। अब कहना ना पड़े। ऐसे ही हर प्रस्तुति पर जोरदार तालियाँ बजती रहनी चाहिये। बहुत बहुत धन्यवाद
क्रम 8-शिक्षक अभिनदंन
फिर थोड़ा गंभीर होकर-तो dear friends आप सबने देखा कि किस प्रकार एकलव्य ने अपनी जिद, लगन और सतत अभ्यास से अर्जुन से भी ज्यादा दक्षता प्राप्त की। क्यों ऐसा क्यों हुआ भला? मुझे जो समझ आया वो यूँ कि सच्चे शिष्य बनो, योग्य शिष्य बनो, पात्र बनो तो गुरुजन सच्चे ह्रदय से तुम्हारे साथ होते हैं। तुम्हारे ह्रदय में वास करते हैं।
और जब ऐसा हो जाता है तो चाहे कैसी भी लड़ाई हो, कैसी भी ज़िद हो। जहाँ जहाँ भी तुम्हें निर्णय लेने में, कठिनाइयों से जूझने में असहायता मेहसूस हो, बस अपने गुरु को याद कर लेना। यकीन मानें वहाँ वहाँ तुम्हारे गुरुजन तुम्हें सहायता करेंगे-करते हैं। उनके दिये हुये आशीर्वाद के रूप में, उनकी दी हुई शिक्षा और ज्ञान के रूप में।
ऐसे होते हैं गुरुजन। कितना बढ़िया कहा है संत कबीर ने कि-
सब धरती कागज करूँ, लिखनी सब बनराय
सात समुद्र की मसि करूँ, गुरु गुन लिखा न जाय।चाहे पूरी धरती को कागज़ बना लो, वसुंधरा के सारे जंगल को कलम बना लो, सातों समुद्रों को स्याही बना लो तब भी गुरु गुणों का वर्णन नही हो पायेगा। एक बार ज़ोरदार करतल ध्वनि हमारे गुरुजनों के लिए।
सभा मे अभी हमारे बहुत सारे गुरुजन उपस्थित हैं और उनका वंदन अभिनंदन किया जाना शेष है।
मैं यहाँ से क्रमशः एक एक सर का नाम का वाचन करूंगी, साथ ही उनका स्वागत छात्र छात्राओं की ओर से कौन कौन या कॉलेज की प्रबंधन टीम की तरफ से कौन कौन करेगा यह भी उल्लेख करूंगी। नामित गुरुजन का तिलक लगाकर और मोमेंटो देकर स्वागत करना है। स्वागत कर्ताओं से अनुरोध है कि हमारे गुरुजन जिस चेयर या स्थान पर विराजित हों। उसी स्थान पर जा कर उनका स्वागत करें, वंदन करें, अभिनन्दन करें।
(स्वागत क्रम सम्पन्न) हम छात्रों के लिए सौभाग्य शाली इस क्रम के समापन पर मुझे श्री गोस्वामी तुलसी दास जी की दो पंक्तियाँ याद आ रहीं हैं कि-
गुरुबिन भव निधि तरइ न कोई
ज्यों विरंचि शंकर सम होई।।अर्थात आप चाहे ब्रम्हा विष्णु या शंकर ही क्यों न हों लेकिन गुरुबिन आपको कोई पार नही लगा सकता। ऐसी गुरु की महिमा होती है। एक बार दोनों हाथ ऊपर उठा करके हमारे गुरुजनों के सम्मान में तालियों की गड़गड़ाहट हो जाये। सब एक साथ बजायेंगे। एक भी हाथ इस सभागृह में शेष न रहे। बहुत बहुत धन्यवाद।
क्रम 9-आभार प्रदर्शन
मैं हमारे students union leader भाई विजय चक्रवर्ती जी को मंच पर आमंत्रित करती हूँ कि वो आयें और आभार स्वरूप कुछ शब्द कहें। बहुत बहुत धन्यवाद आप सभी का। आप सबको टीचर्स डे की ढेरों ढेर शुभेक्षायें।
Anchoring Script for Teacher’s Day Function in College
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Ladies and gentlemen, we are thankful to God who brings us to this moment. We are from many countries; we speak various languages, and we are from different traditions. Also, our backgrounds and cultures are as different as we are. Some of us invoke the creator from whom we draw strength whereas others recognize no religion and tradition at all and yet we are a part of the human family and we have so much to be grateful for. We give thanks to those who give us courage and hope: our families who love us, no matter what; our friends who make us laugh and cry; and especially, our mentors and our teachers who are always there to watch us do well.
Also, we understand the call to give wake to the world our hope. Their future is ours to create and discover. As Mr. Rogers says,” Our world hangs like a magnificent jewel in the vastness of space. Every one of us is a part of that jewel. A facet of that jewel. And in the perspective of infinity, our differences are infinitesimal.” So, may we make a better difference this auspicious day and always.
Recitation
Respect and honor all human beings irrespective of their religion, color, sex, race, language, status, property, profession, birth, and so on. Moving forward, we would like to call (name of the reciter) for the holy recitation.
(After the recitation)
Mashallah!Welcome Tableau
We dance for laughter
We dance for tears
We dance for madness
We dance for fears
We dance for hopes
We dance for screams
We are the dancers
We create the dreamsLadies and gentlemen, please, put your hands together for our little fairies for the welcome tableau.
(Ater the Welcome Tableau)
Outstanding! So, a round of applause for the splendid performance of our cute little fairies, please.
Drama
Real life is said to be messy, whereas drama the shaped version of life. It happens in big places and also in small ones. So, the drama is an essential part of life: You have to come on with a bang. You never want to go out with a whimper. Everything can have drama if it’s done right. Even a pancake.With that being said, we would like to call (name of the group) on the stage for the drama in the honor of our respected teachers. Round of applause for them, please.
(After the drama)
Thank you, (name of the group). It’s a mindblowing performance.
Speech
Indeed, teaching is a very noble profession that shapes the character, caliber, and future of an individual. A teacher affects eternity and brings out the best in a student. Teachers can change lives with just the right mix of chalk and challenges. In the honor of the respected teachers, we would like to introduce (name of the speaker) who is going to talk about (the title of the speech). So, ladies and gentlemen, put your hands together to appreciate him.(After the speech)
Thank you, (name of the speaker).
Calling the principal on the stage
Now, a big round of applause for the one who neither cares about night nor day, who is always volunteer to burn the midnight oil when it comes to quality education for our kids. Indeed, he is none other than Mr. (name of the principle). So, it is my honor more than a pleasure to welcome the respected principle, (name of the principle).
(After the speech)Thank you, sir. We appreciate your hard work and sincerity towards this academy.
Conclusion
Thank you, all ladies and gentlemen for joining us. We hope you had a great time and wish you all happiness, peace, health, success, and liberty.
Anchoring Script for Teacher’s day Function in English
Speech Teacher’s Day A very very Good Afternoon to you all, I Purvi Jain on behalf of all students wishes our dear, dearer and dearest mentors Happy Teachers Day. A teacher is a word which is beyond imagination, A teacher is an Ocean of Knowledge, A builder of nation’s future, Our Friend, philosopher, and guide. Ours is a country of glorious teachers and students… Dronacharya and Eklavya, Swami Ramakrishna Paramhansa and Vivekananda, Tirthankar Mahavir and Gautam Gandhar and of course we all students of Dr. Sarvapalli Radhakrishnan. We have great teachers, but today the situation is not so as it has to be. I am a student but still, I feel that today the sense of willingness, accountability, and responsibility is missing among us. Social Networking, Bunking Culture, Drinking, smoking have become a status symbol for students. It is Important to realize the fact that what we all are because of our teachers, our gurus, our mentors only… So we must respect them from the bottom of our hearts. The way they teach, The knowledge they share, The blessings they shower are precious stones given to us by our teachers. So, I wanna conclude by a poem. If all the trees of the world were one, what a great tree it would be. If all the rivers of the world were one, what a great river it would be. If all the citizens of the country respect their teachers, what a great country it would be. Thank you