शिवाजी महाराज जयंती निबंध 2022 – Shivaji Maharaj Essay in Hindi Language & Font PDF – Shivjayanti

शिवाजी जयंती पर हिंदी में निबंध- छत्रपति शिवाजी जयंती के अवसर पर स्कूलों में विभिन्न प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं। कुछ स्कूल छत्रपति शिवाजी महाराज हिंदी निबंध का आयोजन करते हैं। यदि आप प्रतियोगिता में भाग लेना चाहते हैं और पुरस्कार जीतना चाहते हैं, तो यहां कुछ हैं शिवाजी जयंती पर हिंदी में निबंध जिसे आप अपने अभ्यास के लिए संदर्भित कर सकते हैं।इन निबंधों में शिवाजी महाराज के जीवन के हर महत्वपूर्ण पहलू का समावेश है।भाषण प्रतियोगिता के लिए, आप देख सकते हैं – Shivaji Maharaj Jayanti Speech 

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Shivaji Maharaj Jayanti essay in Hindi

शिवाजी जयंती पर हिंदी में निबंध- छत्रपति शिवाजी महाराज पर हिंदी में लिखा निबंध

 

छत्रपति शिवाजी महाराज या शिवाजी राजे भोसले भारत के महान योद्धा एवं रणनीतिकार थे, जिन्होंने 1674 में, पश्चिम भारत मराठा साम्राज्य की नींव रखी।

शिवाजी का जन्म 1627 को शिवनेरी के पहाड़ी किले में हुआ था। यह किला पूना के उत्तर में था। ये शाहजी भोसले और माता जीजाबाई के पुत्र थे। उन्हें विश्वास था कि उनका पुत्र हिंदूधर्म और सभ्यता-संस्कृति का महान संरक्षक होगा। इसीलिए उन्होंने जहां उनमें दयालुता, सौम्यता, प्रेम और परस्पर सहयोग जैसे सौम्य भाव भरे थे, वहीं उन्हें ऐसा वीर, साहसी, न्यायप्रिय और कुशल योद्धा भी बनाया था, जिसके नाम से ही शत्रु कांप जाता था।

शिवाजी के पिता बीजापुर के राजा की नौकरी में थे। वे अधिकतर घर से दूर रहते थे, इसलिए शिवाजी को केवल अपनी मां की संगति मिली। उनको नियमित शिक्षा नहीं मिल सकी। उनकी मां ने उन्हें एक साधारण बालक के समान पाला। वे रामायण और महाभारत की कहानियां सुनने के शौकीन थे। इन कहानियों का उनके मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव पड़ा। उनका देश के प्रति अगाध प्रेम और उनका शक्तिशाली चरित्र इन्हीं संस्कारों का परिणाम था।

शिवाजी एक वीर पुरुष थे और छापामार युद्ध की कला में भी प्रवीण थे। मुगल इन्हें ‘पहाड़ी चूहा’ कहते थे। औरंगजेब जब इन्हें हराने में असफल रहा तो उन्हें धोखे से उसने कैद कर लिया। वहां शिवाजी एक मिठाई के टोकरे में बैठकर जेल से फरार हो गए। इन्होंने कई वर्षों तक औरंगजेब के मुगल साम्राज्य से संघर्ष किया।

1647 को रामगढ़ के किले में इनका राजतिलक हुआ। शिवाजी का चरित्र बहुत । ऊंचा था। ये गऊ, ब्राह्मण, स्त्री तथा सभी धार्मिक ग्रंथों का बहुत आदर करते थे-इनके जीवन की अनेक घटनाएं इस सत्य की पुष्टि करती हैं।

1680 को भारत के महान योद्धा और धर्मरक्षक का देहांत हो गया।

छत्रपती शिवाजी निबंध मराठीत तपासा – Shivaji Jayanti Essay in Marathi

Shivaji Jayanti Essay in Hindi- Essay on Chhatrapati Shivaji Maharaj Jayanti

शिवाजी जयंती महान मराठा शासक छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती है। शिवाजी जयंती हर साल 19 फरवरी को पूरे महाराष्ट्र राज्य में बहुत धूमधाम के साथ मनाई जाती है। शिवाजी महाराज का जन्म 19 फरवरी 1630 को शिवनेरी किले में हुआ था। शिवाजी मराठा वंश के सदस्य थे। 1674 में, उन्हें औपचारिक रूप से रायगढ़ में अपने क्षेत्र के छत्रपति (सम्राट) के रूप में ताज पहनाया गया। शिवाजी का जन्म पिता शाहजी भोंसले से हुआ था जो एक मराठा सेनापति थे जिन्होंने दक्खन सल्तनत की सेवा की थी। उनकी माता जीजाबाई, सिंधखेड़ के लाखुजी जाधवराव की बेटी थीं, जो मुगल-संस्कारित सरदार देवगिरि के यादव शाही परिवार से वंश का दावा करती थीं।

शिव जयंती या छत्रपति शिवाजी महाराज जयंती, मराठा राजा शिवाजी की जयंती है। उनके सम्मान में हर साल 19 फरवरी को शिव जयंती मनाई जाती है। इस वर्ष महान मराठा की 391 वीं जयंती है। शिव जयंती की शुरुआत ज्योतिराव फुले ने 1870 में पुणे में पहली घटना के साथ की थी।

शिवाजी महाराज या शिवाजी भोसले एक उन्नत और सुव्यवस्थित नागरिक प्रशासन प्रणाली बनाने के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने बीजापुर के घटते आदिलशाही सल्तनत से एक एन्क्लेव को उकेरा जो मराठा साम्राज्य की आधारशिला बना।

हिंदी भाषा में शिवाजी जयंती पर लघु निबंध- छत्रपति शिवाजी महाराज हिंदी निबंध

छत्रपति शिवाजी महाराज भारतीय इतिहास के सबसे महान आदर्श राजा थे। उनका जन्म 19 फरवरी 1630 को पुणे जिले के शिवनेरी किले में हुआ था। उनकी माता का नाम जीजाबाई और उनके पिता का नाम शाहजीराजे भोसले था। शिवराय का बचपन बहुत ही उथल-पुथल भरा रहा। बारह साल की उम्र में, उन्होंने अपनी मां जिजाऊ और शाहजी राजा द्वारा नियुक्त एक प्रसिद्ध शिक्षक की देखरेख में कई कला और भाषाएं सीखीं।

महाराष्ट्र का अधिकांश भाग अहमदनगर के निज़ाम और बीजापुर के आदिलशाह के नियंत्रण में था। इससे लड़ने के लिए और लोगों को हमेशा के लिए जुल्म से मुक्त करने के लिए, शिवराय ने स्वराज्य का पवित्र कार्य किया। उन्होंने पंद्रह वर्ष की अल्पायु में तोरण किले पर विजय प्राप्त की और स्वराज्य का तोरण बांधा। शिवराय भले ही युवा थे, लेकिन उनका दिमाग बहुत तेज था और उन्होंने महाराष्ट्र में स्वराज्य के लिए आत्मबलिदान देने वाले मावलोंकी फौज का निर्माण किया। शिवराय ने बीजापुर के दरबार को सत्ता के बजाय एक चाल से धूल चटा दी थी, उसमें खास करके ताकतवर सरदार अफजल खान।

उनके जीवन की हर घटना महाराष्ट्र को प्रेरित करती है। शिवाजी महाराज ने छापामार युद्ध की तकनीक अपनाकर कई किलों पर विजय प्राप्त की। इस तकनीक का उपयोग करते हुए उन्हें घने जंगल पहाड़ी किलों और सह्याद्री पहाड़ों में लोगों का पूरा समर्थन मिला। शिवाजी महाराज ने वंनदुर्ग गिरिदुर्ग जलदुर्ग नामक तीन प्रकार के किलों का निर्माण कराया और लोगों में देशभक्ति और विश्वास जगाया।

शिवराय की अंग्रेजी उपलब्धियों और पुर्तगाल ने एक मजबूत हथियार बनाया जिससे डरना चाहिए। शिवाजी महाराज को भारतीय आरमार का जनक कहा जाता है उन्होंने अपने स्वराज्य में कभी भेदभाव नहीं किया। उन्होंने संतों और विद्वानों का सम्मान किया और मंदिरों और मस्जिदों की रक्षा की। महिलाओं का सम्मान करने वाला यह हिंदवीस्वराज्य संस्थापक, आदर्श पुत्र, अजेययोद्धा,कुशल संगठनकर्ता, प्रजा का संरक्षक, दुष्टों का संहारक, युगपुरुष, हिंदूधर्म नायक, महान राष्ट्रीय नायक, 3 अप्रैल, 1680 को अपनी अनुठी छाप इस भूमी पर छोडकर, अपनी प्रजा को दुःख के महासागर मे छोडकर अनंत में विलीन हो गए।

छत्रपति शिवाजी महाराज पर निबंध- Chhatrapati Shivaji Maharaj Essay In Hindi

छत्रपति शिवाजी महाराज एक ऐसे राजा हैं जो पूरे हिंदुस्तान के प्रेरणा स्रोत हैं और हिंदवी स्वराज्य के संस्थापक के रूप में जाने जाते हैं। शिवाजी महाराज, जिन्हें शिवराय शिवबा राजे के नाम से भी जाना जाता है, शिवाजी शाहजी भोसले का पूरा नाम है। शिवाजी महाराज का जन्म 19 फरवरी 1630 को पुणे जिले के जुन्नार शहर के पास शिवनेरी किले में हुआ था। शिवनेरी किले पर देवी शिवाई के नाम पर महाराज का नाम शिवाजी रखा गया। 19 फरवरी शिवाजी महाराज का जन्मदिन है जिसे शिव जयंती के रूप में मनाया जाता है। शिवाजी महाराज के पिता का नाम शाहजी राजे और माता का नाम जीजाबाई था।

एक बच्चे के रूप में, शिवराय को दांडपट्टा, तलवार चलाना और भाला फेंकने का प्रशिक्षण दिया गया था और दादोजी कोंडदेव उनके गुरु थे। दस साल की उम्र में 1640 में शिवाजी महाराज ने साईबाई से शादी कर ली। शाहजी महाराज ने पुणे के जहांगीर को शिवराय को सौंप दिया। उस समय शिवराय की सारी जिम्मेदारी राजमाता जिजाऊ पर थी। जिजाऊ ने रामायण महाभारत की कहानियां सुनाकर शिवराय को संस्कार दिए। उन्होंने शिवराय को उनके कर्मों से अवगत कराया।

पन्द्रह वर्ष की आयु में शिवाजी महाराज ने कुछ मावलों के साथ रायरेश्वर के मंदिर में स्वराज्य स्थापित करने की शपथ ली। स्वराज्य के निर्माण के दौरान, उन्होंने तोरण गढ़ पर विजय प्राप्त की और स्वराज्य के तोरण का निर्माण किया। पुणे के प्रभारी रहते हुए शिवाजी महाराज ने अपनी खुद की राजमुद्रा बनाई, जो संस्कृत में थी। स्वराज्य के निर्माण के दौरान शिवाजी महाराज को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा लेकिन वे बिना किसी हिचकिचाहट के लड़ते रहे। प्रतापगढ़ के लढाई मे अफजलखान जैसे बलाढ्य सरदार को संपूर्ण परास्त करने का वीरतापूर्ण कार्य, आगरा से सहीसलामत मुक्ति, सूरत की लूट, शाहिस्तेखान के उपर अचानक हमला और उसको महाराष्ट्र छोडकर जान बचाकर भागने मे मजबूर करना, ये सभी रोमांचक चीजें उनके जीवन में घटित हुईं। यह सब शिवराय के साहसी व्यक्तित्व को दर्शाता है।

उन्होंने एक अनुशासित सेना और प्रशासनिक व्यवस्था के बल पर एक शक्तिशाली राज्य का निर्माण किया। उन्होंने स्वराज्य के मामलों को सुचारू रूप से चलाने के लिए अष्ट प्रधान मंडल का गठन किया। अष्ट प्रधान मण्डल में लोगों को नियुक्त कर उन्हें बोर्ड पद देकर राज्य प्रशासन सुचारू रूप से चलता था। गणिमिकावा तंत्र का उपयोग करके शिवराय ने कई युद्ध जीते। शिवराय का राज्याभिषेक समारोह 6 जून, 1674 को हुआ था। पंडित गागभट्ट ने राज्याभिषेक समारोह किया।

इस राज्याभिषेक से छत्रपति छत्रीय कुलवंत के नाम से सम्मानित किये गये। शिवाजी महाराज मराठी और संस्कृत भाषाओं के समर्थक थे। स्वराज्य कारभार में मराठी भाषा का प्रचार-प्रसार किया। इसलिए उन्होंने हमेशा महिलाओं की स्वतंत्रता को प्रोत्साहित किया। उन्होंने हमेशा महिलाओं का सम्मान किया। उन्होंने लोगों के साथ अन्याय करने वालों को कड़ी सजा भी दी। शिवाजी महाराज एक ऐसे राजा थे जो एक बच्चे की तरह अपनी प्रजा से प्यार करते थे। 3 अप्रैल 1680 को अपने जीवन का संपूर्ण काल प्रजा के हित मे गुजारने वाले। प्रज्यादक्ष राजा “श्री छत्रपती शिवाजी महाराज” का रायगढ़ में निधन हो गया।जिन्हे आज हम “युगपुरुष”के नाम से जाणते है। ।।जय शिवराय।। ।।राजें मानाचा मुजरा।।

Chhatrapati Shivaji Maharaj Essay In Hindi

Essay On Chhatrapati Shivaji Maharaj In Hindi)- Hindi Essay On Chhatrapati Shivaji Maharaj

प्रस्तावना –
भारत की भूमि पर जन्मे वीरों की शौर्य राष्ट्रवासियों के गौरव की मिसाल हैं। शिवाजी जयंती का पर्व छत्रपति शिवाजी महाराज के जन्मदिन के अवसर पर मनाया जाता है। छत्रपति शिवाजी महाराज मराठा साम्राज्य के संस्थापक थे। जैसे प्रकार आज भारत स्वाधीन तथा एक ही केन्द्रीय सत्ता के अधीन है, इसी प्रकार पूरे राष्ट्र को एक सार्वभौमिक स्वतंत्र शासन स्थापित करने का एक प्रयत्न स्वतंत्रता के अनन्य पुजारी वीर शिवाजी महाराज ने भी किया था। इसीलिए उन्हें एक अग्रगण्य वीर एवं अमर स्वतंत्र सेनानी स्वीकार किया जाता है ।

शिवाजी जयंती कब है –
वर्ष 2022 में छत्रपति शिवाजी महाराज जयंती 19 फरवरी, शनिवार के दिन मनाया जायेगा।

छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म
साहस, शौर्य तथा तीव्र बुद्धी के धनि शिवाजी महाराज का जन्म 19 फरवरी, 1630 को शिवनेरी दुर्ग में हुआ था। शिवाजी की जन्मतीथि के विषय में सभी विद्वान एक मत नही हैं। शिवाजी महाराज शाहजी और माता जीजाबाई की सन्तान थे। इनकी माता जीजाबाई एक धार्मिक विचारों की महिला थीं। छत्रपित शिवाजी के चारित्रिक निर्माण में उनकी माता जीजाबाई का विशेष योगदान था। अपनी माँ से उन्होंने स्त्रियों और सब धर्मों का सम्मान करना सीखा।

शिवाजी महाराज की शिक्षा –
छत्रपित शिवाजी की शिक्षा माता जीजाबाई के संरक्षण में हुई थी। माता जीजाबाई धार्मिक प्रवृत्ती की महिला थीं। इसी कारण उन्होंने बालक शिवा का पालन-पोषण रामायण, महाभारत तथा अन्य भारतीय र्वोरात्म्पाओं की उज्जल कहानियाँ सुना और शिक्षा देकर किया था । धर्म, संस्कृति और राजनीति की भी उचित शिक्षा दिलवाई थी। छत्रपित शिवाजी बचपन से ही मलयुद्ध, भाले बरछे, तीर तलवार, घुड़सवारी तथा बाण विद्या में प्रवीण थे। दादा कौंडदेव ने इन्हें युद्ध कौशल और शासन प्रबन्ध में निपुण कर दिया था। अपनी निर्मित सेना से उन्होंने उन्नीस वर्ष की आयु में ही तोरण, सिंहगढ़ आदि किलों पर अधिकार जमा लिया।

मुगलों पर विजय
युवावस्था में आते ही उनका यह खेल वास्तविक कर्म बनकर शत्रुओं पर आक्रमण कर उनके किले आदि भी जीतने लगे । जैसे ही तोरण और पुरन्दर जैसे किलों पर उनका अधिकार हुआ, वैसे ही उन के नाम और कर्म की दक्षिण में तो धूम मच ही गई, खबरें आगरा और दिल्ली तक भी पहुँचने लगीं । अपनी शक्ति से शिवाजी ने बीजापुर पर आक्रमण कर दिया। बीजापुर के शासक ने अपने शक्तिशाली सेनापति अफजल खाँ को छल से शिवाजी को मारने का आदेश दिया। किन्तु शिवाजी उनकी चाल में नहीं फंसे और उन्होंने अफजल को ही मार डाला। तत्पश्चात दक्षिण के राज्यों पर अपना दबदबा बैठा लेने के बाद वीर शिवाजी का ध्यान उधर स्थित मुगलों के अधीनस्थ राज्यों -किलों की ओर गया । एक-के-बाद-एक किला अधीन होते देख औरंगजेब ने जयपुर के महाराजा जयसिंह को शिवाजी पर आक्रमण करने भेजा । वे शिवाजी को समझा-बुझा कर अपने साथ आगरा ले गए । लेकिन शिवाजी को उनके योग्य स्थान देने के स्थान पर जब दस-बीस हजारियों के साथ बैठाना चाहा, तो इसे अपना अपमान मानकर शिवाजी दरबार से चले गए । औरंगजेब ने आगरा किले में उन्हें नजरबन्द करवा दिया । लेकिन शिवाजी भी कम नीतिवान नहीं परे! पै मिठाई के टोकरे में बैठ किले से बाहर आ गए, जहाँ घोड़े उनकी प्रतीक्षा कर रहे थे । उन पर सवार हो चालाकी से मुगल राज्य की सीमाएँ पार करते हुए सुरक्षित अपन स्थान पर आ पहुँचे । अपने राज्य में पहुँच शिवाजी ने मुगलों से युद्ध किए और अंत में मुगलों पर विजय पाई और अपने राज्य की सीमाओं का विस्तार किया ।

छत्रपति शिवाजी का राज्याभिषेक –
छत्रपति शिवाजी ने खानदेश, सूरत, अहमदनगर आदि पर विजय पाई । आखिर सन् 1674 में उन्होंने अपने आपकों सब तरह से स्वतंत्र महाराजा घोषित किया और 6 जून, 1674 रायगढ़ में छत्रपति शिवाजी का राज्याभिषेक विधिपूर्वक हुआ। छत्रपति शिवाजी का चरित्र बड़ा ऊँचा था । वे किसी भी जाति की स्त्री पर अत्याचार सहन न कर पाते थे। उनका राज्य बड़ा शान्त और सर्वधर्म समन्वय के सिद्धान्त पर आधारित था । वे सभी के साथ-अमीर-गरीब, निर्बल-ध्ययल के साथ समान न्यारा और व्यवहार करते थे । शिवाजी पर महाराष्ट्र के लोकप्रिय संत रामदास एवं तुकाराम का भी प्रभाव था। संत रामदास शिवाजी के आध्यात्मिक गुरु थे, उन्होने ही शिवाजी को देश-प्रेम और देशोध्दार के लिये प्रेरित किया था। बीस वर्ष तक लगातार अपने साहस, शौर्य और रण-कुशलता द्वारा शिवाजी ने अपने पिता की छोटी सी जागीर को एक स्वतंत्र तथा शक्तीशाली राज्य के रूप में स्थापित कर लिया था। उन्होने अपने प्रशासन में सभी वर्गों और सम्प्रदाय के अनुयायियों के लिये समान अवसर प्रदान किये। कई इतिहासकरों के अनुसार शिवाजी केवल निर्भिक सैनिक तथा सफल विजेता ही न थे, वरन अपनी प्रजा के प्रबुद्धशील शासक भी थे। शिवाजी के मंत्रीपरिषद् में आठ मंत्री थे, जिन्हे अष्ट-प्रधान कहते हैं।

उपसंहार –
छत्रपति शिवाजी के राष्ट्र का ध्वज केशरिया है। तेज ज्वर के प्रकोप से 3 अप्रैल 1680 को छत्रपति शिवाजी महाराज को स्वर्गवास हो गए। राज्य-व्यवस्था, भूमि- व्यवस्था आदि सभी व्यवस्थाएँ उन्होंने नए ढंग से की थीं, जो इतिहास में आज भी अमर एवं आदर्श मानी जाती हैं इन्हीं सब कारणों से छत्रपति शिवाजी को एक आदर्श एवं महान् योध्या कहा जाता है । शिवाजी केवल मराठा राष्ट्र के निर्माता ही नही थे, अपितु मध्ययुग के सर्वश्रेष्ठ मौलिक प्रतिभा-सम्पन्न व्यक्ती थे। महाराष्ट्र की विभिन्न जातियों के संर्धष को समाप्त कर उनको एक सूत्र में बाँधने का श्रेय शिवाजी को ही है। इतिहास में शिवाजी का नाम, हिन्दु रक्षक के रूप में सदैव अमर रहेगा। इसीलिए उनके जन्मदिन के शुभ अवसर पर हर वर्ष शिवाजी जयंती मनाए जाते है।

 

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