Ravidas Jayanti quotes in Hindi- संत रविदास जी महान कवि, समाज सुधारक और ईश्वर के भक्त थे। वह अपनी महान कविताओं, शायरी और उद्धरणों के लिए जाने जाते हैं। उनका जन्म वर्ष 1450 में हुआ था।रविदास जी को एक शिक्षक के रूप में पंजाब, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश और अन्य राज्यों में सम्मानित किया जाता था| वह एक कवि-संत, समाज सुधारक और एक आध्यात्मिक व्यक्ति थे जिनके भक्ति गीतों का भक्ति आंदोलन पर काफी प्रभाव पढ़ा| यदि आप सर्वश्रेष्ठ संत रविदास के विचार, ravidas vani hindi, ravidas jayanti quotes in hindi, sant ravidas jayanti quotes, guru ravidas jayanti 2022 quotes in hindi की तलाश में हैं, हम इस लेख में उनके सर्वश्रेष्ठ उद्धरण साझा करेंगे।
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संत रविदास जी के अनमोल वचन
ब्राह्मण मत पूजिए जो होवे गुणहीन। पूजिए चरण चंडाल के जो होने गुण प्रवीन।।
हर दिन एक नई शुरुआत है, सूर्योदय और सूर्य अस्त है। जीवन चलता रहता है। हमारे आसपास के लोग भी गायब हो जाते हैं। मौत से कोई नहीं बच सकता। गुरु रविदास जयंती की हार्दिक बधाइयाँ।
अर्थ- जिस प्रकार केले के तने को छिला जाये तो पत्ते के नीचे पत्ता फिर पत्ते के नीचे पत्ता और अंत में कुछ नही निकलता है आैर पूरा पेड़ खत्म हो जाता है ठीक उसी प्रकार इंसान भी जातियों में बांट दिया गया है इन जातियों के विभाजन से इन्सान तो अलग अलग बंट जाता है और इन अंत में इन्सान भी खत्म हो जाते है लेकिन यह जाति खत्म नही होती है इसलिए रविदास जी कहते है जब तक ये जाति खत्म नही होंगा तब तक इन्सान एक दूसरे से जुड़ नही सकता है या एक नही हो सकता है।
कृस्न, करीम, राम, हरि, राघव, जब लग एक न पेखा वेद कतेब कुरान, पुरानन, सहज एक नहिं देखा
अर्थ- राम, कृष्ण, हरी, ईश्वर, करीम, राघव सब एक ही परमेश्वर के अलग अलग नाम है वेद, कुरान, पुराण आदि सभी ग्रंथो में एक ही ईश्वर का गुणगान किया गया है, और सभी ईश्वर की भक्ति के लिए सदाचार का पाठ सिखाते हैं।
हरि-सा हीरा छांड कै, करै आन की आस ते नर जमपुर जाहिंगे, सत भाषै रविदास
अर्थ-हीरे से बहुमूल्य हरी यानि भगवान है उसको छोड़कर अन्य चीजो की आशा करने वालों को अवश्य ही नर्क जाना पड़ता है अर्थात प्रभु की भक्ति को छोडकर इधर उधर भटकना व्यर्थ है।
गुरु रविदास के शब्द वाणी – guru ravidas jayanti 2022 quotes
चल मन! हरी चटसाल पढ़ाऊं।। गुरु की साटी ज्ञान का अक्षर, बिसरै तो सहज समाधि लगाऊं।। प्रेम की पाटी सुरति की लेखनी, ररौ ममौ लिखि अंक लगाऊं।।
प्रभु जी, तुम चंदन हम पानी, जाकी अंग-अंग बास समानी।। प्रभु जी, तुम घन बन हम मोरा, जैसे चित्रपट चंद चकोरा।। प्रभु जी, तुम दीपक हम बाती, जाकी ज्योति बरै दिन राती।। प्रभु जी, तुम मोती, हम धागा जैसे सोना ही मिलत सोहा गवा।।