श्री रामकृष्ण परमहंस का जीवन परिचय – Biography of Ramakrishna Paramhansa in Hindi

रामकृष्ण_परमहंस_1

Ramkrishna Paramhans जी का इतिहास (history)मे बाद ही महत्व है ओर उनकी जीवनी, जीवन परिचय को बहूबई दर्शाया गया है। आपको बड़ी आसानी से उनके Education और अधिक जानकारियां इस आर्टिकल के माध्यम से प्राप्त हो जाएगी।साथ ही आपको इससे संबंधित जानकारी in bengali,in telugu,in kannada में भी उपलब्ध कराई जाती हैं।रामकृष्ण जी एक अद्भुत संत थे।यह मान्यता है की हिन्दू धर्म में परमहंस की उपाधि उस व्यक्ति को दी जाती हैं जो समाधि की आखिरी अवस्था में होता हैं। उनको भक्ति में लीन होने की वजह से लोग पागल भी समझते थे।

परमहंस का प्रारंभिक जीवन | Early life story of Ramakrishna Paramahamsa

रामकृष्ण परमहंस उन्नीसवीं शताब्दी (19th Century) के भारत के सबसे प्रसिद्ध(famous) संत थे। उन्हे आज  भी महँ कथनों के लिए  याद किया जाता है। उनका जन्म पश्चिम बंगाल में 1836 में कलकत्ता के पास छोटे से शहर में हुआ था। उनका जन्म गरीब ब्राह्मण परिवार में हुआ था।Ramakrishna Paramahamsa wife सरल स्वभाव की थी ओर उनका नाम Sarada Devi था।Chandra Devi, उनकी माता का नाम था।(Mother of Ramakrishna)

रामकृष्ण परमहंस एक महान संत (Saints)एवं विचारक थे। इन्होंने सभी धर्मों की एकता पर जोर दिया। उन्हें बचपन से ही विश्वास था कि ईश्वर के दर्शन हो सकते हैं अतः ईश्वर की प्राप्ति के लिए उन्होंने कठोर साधना,पूजा और भक्ति ,व्यक्तिगत जीवन बिताया। स्वामी रामकृष्ण मानवता के पुजारी थे। वे अपनी साधन से इस निष्कर्ष पर पहुचे कि संसार के सभी जाती धर्म एकदम सच्चे है ओर एक समान है उन्मे कोई भिन्नता नहीं हैंबस सभी भगवान तक पहुचने में अलग अलग साधन है,वे कई प्रकार के प्रयत्न करकर भी अपना मन अध्ययन-अध्यापन में नहीं लगा पाए।

अनमोल वचन

  1. उनका मानना था की जेसे सूर्य भगवान की छवि दिखाई नहीं देती वेसे ही बेकार मन में भगवान की मूर्ति कभी नहीं बनती ।
  2. सभी धर्म एक समान है और सभी भगवान को प्राप्त करने के लिए साधन बताते हैं।।
  3. अगर किसी रास्ते पर परेशानी य कठिनाई नया आए तो समझना की रास्ता आपके लिए सही नहीं है। ।
  4. जब तक भारत देश भूख है ओर निसहयाए है तब तक यह देश गद्दारी कर रहा है। ।
  5. विषयक का ज्ञान आदमी को बुद्धिहीन बना देता है।

Teachings of Sri Ramakrishna

  • God-realisation-ईश्वर प्राप्ति
  • Kama-Kanchana-कामदेव-Kanchana
  • Avidyamaya and vidyamaya-अविद्यामाया व विद्यामया
  • Harmony of religions-धर्मों का सामंजस्य
  • Jiva is Shiva and other teachings-जीव ही शिव और अन्य शिक्षाएँ हैं
  • Parables-दृष्टान्त

रामकृष्ण _परमहंस

 

दक्षिणेश्वर में रामकृष्ण की आध्यात्मिक साधना

कलकत्ता(Kolkata) के पास दक्षिणेश्वर में  स्थित काली माता के मन्दिर में अग्रज रामकुमार ने पुरोहित का दायित्व रामकृष्ण को प्रदान किया लेकिन वे इस कार्य को नहीं कर पाए उसके बाद उनके बड़े भाई का भी कालान्तर में निधन हो गया।वे उस समय बे मन से रामकृष्ण मंदिर की पूजा,आराधना एवं अर्चना करने लगे।Ramakrishna को Totapuri के द्वारा सन्यास लेने की प्रेरणा मिली  , रामकृष्ण मां काली की पूजा करने लगे ओर 20 वर्ष की अवस्था में साधना करते-करते उन्हे माता की कृपा से दिव्य ज्ञान प्राप्त हुआ।इनके प्रिय शिष्य विवेकानन्द ने इनसे पूछा की क्या आपने ईश्वर को देखा है?
उन्होंने उत्तर देते हुए कहा की जिस प्रकार मैं तुम्हें देख रहा हूं उसी प्रकार वे भगवान को भी देखते हैं।स्वयं की अनुभूति सेभगवान के अस्तित्व की पहचान करते थे।उन्होंने सत्य,ज्ञान को चारों ओर फैलाया।काली माता की भक्ति में अवगाहन करके वे भक्तों को मानवता का पाठ पढाते थे।रामकृष्ण काली मा के भक्त थे।रामकृष्ण परमहंस के भक्त स्वामी विवेकानंद थे।

वे अपने आखिरी समय के दिनों में अपने आप को समाधि की स्थिति में रहने लगे थे ओर अंत तक शिथिल भी होने लगे।वे अपनी सेवा  मात्र से  समाज को सुरक्षित करना चाहते थे ओर उनको इस भाव पर जोर देना चाहते थे।जब उनके गले की सूजन को डाक्टरों ने कैंसर बताया ओर सभी डॉक्टर ने उन्हे उनकी समाधि लेने और वार्तालाप की क्रिया से रोका तो वे हसने लगे।
विवेकानन्द ने उनको चिकित्सा कराने से मन करने पर भी इलाज बरकरार रखा।विवेकानन्द चाहते थे की संत जी काली मा से बोलकर अपने रोग कसे मुक्ति पा सकते है लेकिन परमहंस का कहना था की उनक अटन मन सब मा पर समर्पित है इस पर उनका अधिकार है वह जो करेगी मेरे लिए अच्छा ही करेगी ओर उन्होंने मानवता का मंत्र लुटाया।

लोग उन्हें पागल समझते थे क्योंकि वे भावों में विश्वास रखते थे। वे घंटों ध्यान करके माँ के दर्शनों करते।एक दिन जब उनका मन बहुत बेचान था मा के दर्शन के लिए तब आधीरात पर मा ने उन्हे अपने दर्शन दिए ओर तभी से परमहंस रामकृष्ण ठाकुर के रूप में जाने गए।

उन्होंने 15 अगस्त, 1886 को अपने अंतिम समय में तीन बार काली का नाम उच्चारित किया ओर अपनी समाधि में लीन हो गए।वे हमेशा यही समझते थे कि उन्होंने मां काली का हाथ नहीं पकड़ा हुआ है,मां काली ने उनका हाथ पकड़ा हुआ है। इस कारण उनको कभी किसी के कथन की कोई चिन्ता ही नहीं रही।

RamaKrishna Paramahamsa Death | मृत्यु

Ram Krishna Paramhansh को गले का रोग हो गया था ओर उसके बढ़ने से उनकी मृत्यु हो गई। उनके शरीर ने उनका साथ 15 अगस्त 1886 को छोड़ दिया।

Few Lines about Ramakrishna Paramahansa

  1. भारत के प्रसिद्ध संतों में रामकृष्ण परमहंस भी एक मुख्य संत के रूप में जाने जाते है।
  2. स्वामी विवेकानंद जी इनके शिष्य थे ओर वे काली के भक्त थे ।
  3. श्री रामकृष्ण जी का जन्म 18 फ़रवरी को 1836 में हुआ था।
  4.  वे सभी धर्मों को एक समान मानते थे ओर सबको एक रहने की प्रेरणा भी देते थे।
  5. इनके बचपन का नाम गदाधर था।
  6. वे ब्राह्मण परिवार के थे ओर उनका परिवार बहुत गरीब भी था।
  7. ये संत देवी काली के भक्त थे।
  8. उनके पिता बड़े ही सरल स्वभाव के व्यक्तित्व के थे।
  9. उन्होंने परमहंस की उपाधि प्राप्त की ओर सभी मनुष्यों को जाती अध्यात्म पर ज्ञान विवरण किया।
  10. इनको गले का रोग था ओर उसी के कारण इनकी मृत्यु 15 अगस्त 1886 में हो गई।

About the author

admin