Contents
- 1 Urdu Shayari About Love
- 2 Urdu Sad Shayri
- 3 Urdu Shayari in Hindi
- 4 Urdu Shayari Image
- 5 Urdu Shayari on Dosti
- 6 Romantic Urdu Shayari
- 7 Urdu Shayari on Mohabbat
- 8 Urdu Shayari in English
- 9 Urdu Shayari by Allama Iqbal
- 10 Sher o Shayari in Urdu
- 11 Urdu Shayari Funny
- 12 Urdu Shayari Friendship
- 13 Urdu Shayari Status
- 14 Urdu Shayari for Friends
- 15 Urdu Shayari Mirza Ghalib
- 16 Urdu Shayari Bewafa
- 17 2 Line Urdu Shayari
- 18 Urdu Shayari for Teachers
उर्दू शायरियाँ शायरों की समृद्ध Tradition है और इसके अनेकों प्रकार है। अपने एहसास को अल्फाज़ों के एक समूह के जरिये २ पंक्तियों में व्यक्त कर देने हुनर को ही शायरी कहा जाता है। आज के वक्त में यह Cultures of South Asia का एक Important Part बन गया है। According to Naseer Turbi मीर अनीस, मिर्ज़ा ग़ालिब, मीर तकी मीर, जोश मलीहाबादी और अल्लामा इकबाल उर्दू के 5 मुख्य शायर/कवि है। जो कि Ishq, Comedy, Dard और Sad Love जैसे विषयों पर शायरियाँ लिखते थे।
आज हम इस Article में Latest Urdu Shayari on Life के जरिये आपके लिए Urdu Shayari Zindagi, Yaad Shayari in Urdu, Urdu Shayari Good Morning और Top Urdu Shayari on Maa , for Girlfriend पर कुछ बेहतरीन शायरियाँ प्रस्तुत कर रहे है। जिन्हे आप अपने Friends को for Birthday व् Dua देने के लिए shero shayari, image ke sath उन्हें send कर सकते है और आप इन्हे DP एवं Wallpaper के तौर पर Use कर सकते है।
Urdu Shayari About Love
दिल में किसी के राह किए जा रहा हूँ मैं कितना हसीं गुनाह किए जा रहा हूँ मैं - जिगर मुरादाबादी
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Urdu Sad Shayri
वो दिल ही क्या तेरे मिलने की जो दुआ न करे मैं तुझे भूल के ज़िंदा रहूं ख़ुदा न करे - क़तील शिफ़ाई
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आँखें जो उठाए तो मोहब्बत का गुमाँ हो नज़रों को झुकाए तो शिकायत सी लगे है - जाँ निसार अख़्तर
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Urdu Shayari Judai
और भी दुख हैं ज़माने में मोहब्बत के सिवा राहतें और भी हैं वस्ल की राहत के सिवा - फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
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मैं आज भी रखती हूँ अपने दोनों हाथो का ख्याल न जाने उसने कौन सा हाथ पकड़ कर कहा होगा मुझे तुम से मुहब्बत है ..!!
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Urdu Shayari in Hindi
मैं अश्क़ हूँ मैं अश्क़ हूँ मेरी आँख तुम हो मैं दिल हूँ मेरी धडकन तुम हो मैं जिस्म हूँ मेरी रूह तुम हो मैं जिंदा हूँ मेरी ज़िन्दगी तुम हो मैं साया हूँ मेरी हक़ीक़त तुम हो मैं आइना हूँ मेरी सूरत तुम हो मैं सोच हूँ मेरी बात तुम हो मैं मुकमल हूँ जब मेरे साथ तुम हो मैं तुम मैं हूँ अब तुम ही हो , अब तुम ही हो
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मोहब्बत की आग करते है मोहब्बत और जताना भूल जाते है पहले खफा होते हैं फिर मनना भूल जाते है भूलना तो फितरत सी है ज़माने की लगाकर आग मोहब्बत की बुझाना भूल जाते है
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किस्मत हम ने भी मोहब्बत की थी मगर कुछ भी न मिला हसरत के सिवा तुम ने भी हमें इलज़ाम दिया क्या कहें इसे किस्मत के सिवा
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मुहब्बत की जुबां जुबां तो कह नहीं सकती , तम्हें एहसास तो होगा मेरी आँखों को पढ़ लेना मुझे तुम से मुहब्बत है
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Urdu Shayari Image

chandni raat badi…
Urdu Shayari on Dosti
उसे मोहब्बत कहते हैं आसानी से कोई मिल जाये तो वो किस्मत का साथ है ,”दोस्तों ” सब कुछ खो कर भी , जो न मिली उसे मोहब्बत कहते हैं .
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मुहब्बत और दर्द इस बहते दर्द को मत रोको यह तो सजा है किसी के इंतज़ार की लोग इन्हे आंसू कहे या दीवानगी पर यह तो निशानी हैं किसी के प्यार की …!
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मुहब्बत का अंजाम प्यार का अंजाम कौन सोचता है , चाहने से पहले नियत कौन देखता है . मुहब्बत है एक अँधा एहसास , करते हैं सब पर मुकाम कौन जानता है
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मुहब्बत और ग़म माना की तुम्हें मुझसे ज्यादा ग़म होगा , मगर रोने से यह ग़म कभी न काम होगा , जीत ही लेंगे दिल की नाकाम बाजियां हम , अगर मुहब्बत में हमारी दम होगा …
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मुहब्बत के दीवाने जिस बस में बैठी हो हसीनाएं उस बस के सीसे चिटक ही जाते है ड्राइवर चाहे जितनी तेज़ चलाये बस दीवाने तो फिर भी लटक ही जाते है
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मुहब्बत और किस्मत किस्मत से अपनी मुझको हमेशा शिकायत रहेगी , जो न मिल सका उससे मुहब्बत रहेगी , कितने ही क्यों न आ जाएं रहो में , फिर भी दिल को उसी से चाहत रहेगी
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गुरूर तो होना था उनको हमारी मोहब्बत की शिद्दत देख कर मगर वो इस गरूर की सोच में हमारी कीमत भूल गए …
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Romantic Urdu Shayari
वो मेरी मोहब्बत से इंकार कर देता तो अच्छा होता .., . ऐ दोस्त . वरना बर्बाद तो उसके इज़हार ने भी कर दिया
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क्या फर्क है दोस्ती और मोहब्बत में .. .. .. .. .. . . रहते तो दोनों दिल में ही हैं लेकिन , फर्क बस इतना है .. .. . . बरसों बाद मिलने पर मोहब्बत नज़र चुरा लेती है .. .. .. .. और दोस्ती .. सीने से लगा लेती है ..!!
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तुझी को पूछता रहा बिछड़ के मुझ से , हलक़ को अज़ीज़ हो गया है तू , मुझे तो जो कोई भी मिला , तुझी को पूछता रहा
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मेरे हम-सकूँ मेरे हम-सकूँ का यह हुक्म था के कलाम उससे मैं कम करूँ .. मेरे होंठ ऐसे सिले के फिर उसे मेरी चुप ने रुला दिया ……
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Urdu Shayari on Mohabbat

tum chaho ya na chaho…
यह शब-ऐ-हिजर यह शब-ऐ-हिजर तो साथी है मेरी बरसों से जाओ सो जाओ सितारों के मैं ज़िंदा हूँ अभी
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दस्तक की तमन्ना उजड़े हुए घर का मैं वो दरवाज़ा हूँ “मोहसिन” दीमक की तरह खा गयी जिसे तेरी दस्तक की तमन्ना
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वो कितना मेहरबान था वो कितना मेहरबान था के हज़ारों ग़म दे गया “मोहसिन” हम कितने खुदगर्ज निकले कुछ न दे सके “मुहब्बत ” के सिवा
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पैग़ाम -ऐ -शौक पैग़ाम -ऐ -शौक को इतना तवील मत करना ऐ “क़ासिद” बस मुकतसर उन से कहना के आँखें तरस गयी हैं
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यकीन दिल दो तुम मेरे हो इस बात में कोई शक नहीं तुम किसी और के नहीं होंगे इस बात का यकीन दिल दो
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ख्वाहिशों का काफिला ख्वाहिशों का काफिला भी अजीब ही है ग़ालिब अक्सर वहीँ से गुज़रता है जहाँ रास्ता नहीं होता हो चुकी ‘ग़ालिब’ बलायें सब तमाम कोई , दिन , गैर ज़िंदगानी और है अपने जी में हमने ठानी और है . आतशे – दोज़ख में , यह गर्मी कहाँ , सोज़े -गुम्हा -ऐ -निहनी और है . बारहन उनकी देखी हैं रंजिशें , पर कुछ अबके सिरगिरांनी और है . दे के खत , मुहँ देखता है नामाबर , कुछ तो पैगामे जुबानी और है . हो चुकी ‘ग़ालिब’, बलायें सब तमाम , एक मरगे -नागहानी और है .
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Urdu Shayari in English
Got up and kissed a few withered buds, Neither did you celebrate like this - I have done it ..
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Your days are passing by your innocent family Neither Gila nor friends, nor complaint-e-zamana
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In the courtyard of the emir, there is a shirir of richness, Every time of theirs is also a skill in the past…
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I am in your party Do not change even after me Mojo-e-Guptagu I'm gone yet i'm in your party
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Tujhi ko puchta raha Bichar ke mujh se, halaq ko aziz ho geya hai tu Mujhe to jo koi mila, tujhi ko puchta raha
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Na jane kaun Na jane kaun sa aasaab dil mein basta hai Ke jo bhi thehra wo aakhir makaan chod gaya
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Urdu Shayari by Allama Iqbal
कोई दिन गर ज़िंदगानी और है कोई दिन गर ज़िंदगानी और है अपने जी में हमने ठानी और है आतिश -ऐ -दोज़ख में ये गर्मी कहाँ सोज़-ऐ -गम है निहानी और है बारह देखीं हैं उन की रंजिशें , पर कुछ अब के सरगिरानी और है देके खत मुँह देखता है नामाबर , कुछ तो पैगाम -ऐ -ज़बानी और है हो चुकीं ‘ग़ालिब’ बलायें सब तमाम , एक मर्ग -ऐ -नागहानी और है .
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फितरत -ऐ -इंसान गुफ़्तुगू कीजिये के यह फितरत -ऐ -इंसान है “शाकेब” जाले लग जाते हैं जब बंद मकान होता है
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इश्क़ ने ग़ालिब निकम्मा कर दिया गैर ले महफ़िल में बोसे जाम के हम रहें यूँ तश्ना-ऐ-लब पैगाम के खत लिखेंगे गरचे मतलब कुछ न हो हम तो आशिक़ हैं तुम्हारे नाम के इश्क़ ने “ग़ालिब” निकम्मा कर दिया वरना हम भी आदमी थे काम के
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बाद मरने के मेरे चंद तस्वीर-ऐ-बुताँ , चंद हसीनों के खतूत . बाद मरने के मेरे घर से यह सामान निकला
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दिया है दिल अगर दिया है दिल अगर उस को , बशर है क्या कहिये हुआ रक़ीब तो वो , नामाबर है , क्या कहिये यह ज़िद की आज न आये और आये बिन न रहे काजा से शिकवा हमें किस क़दर है , क्या कहिये ज़ाहे -करिश्मा के यूँ दे रखा है हमको फरेब की बिन कहे ही उन्हें सब खबर है , क्या कहिये समझ के करते हैं बाजार में वो पुर्सिश -ऐ -हाल की यह कहे की सर -ऐ -रहगुज़र है , क्या कहिये तुम्हें नहीं है सर-ऐ-रिश्ता-ऐ-वफ़ा का ख्याल हमारे हाथ में कुछ है , मगर है क्या कहिये कहा है किस ने की “ग़ालिब ” बुरा नहीं लेकिन सिवाय इसके की आशुफ़्तासार है क्या कहिये
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दिल-ऐ -ग़म गुस्ताख़ फिर तेरे कूचे को जाता है ख्याल दिल -ऐ -ग़म गुस्ताख़ मगर याद आया कोई वीरानी सी वीरानी है . दश्त को देख के घर याद आया
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कोई दिन और मैं उन्हें छेड़ूँ और कुछ न कहें चल निकलते जो में पिए होते क़हर हो या भला हो , जो कुछ हो काश के तुम मेरे लिए होते मेरी किस्मत में ग़म गर इतना था दिल भी या रब कई दिए होते आ ही जाता वो राह पर ‘ग़ालिब ’ कोई दिन और भी जिए होते
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बज़्म-ऐ-ग़ैर मेह वो क्यों बहुत पीते बज़्म-ऐ-ग़ैर में या रब आज ही हुआ मंज़ूर उन को इम्तिहान अपना मँज़र इक बुलंदी पर और हम बना सकते “ग़ालिब” अर्श से इधर होता काश के माकन अपना
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Sher o Shayari in Urdu

dil ke kone se…
हसरत दिल में है सादगी पर उस के मर जाने की हसरत दिल में है बस नहीं चलता की फिर खंजर काफ-ऐ-क़ातिल में है देखना तक़रीर के लज़्ज़त की जो उसने कहा मैंने यह जाना की गोया यह भी मेरे दिल में है
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साँस भी बेवफा मैं नादान था जो वफ़ा को तलाश करता रहा ग़ालिब यह न सोचा के एक दिन अपनी साँस भी बेवफा हो जाएगी
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New Urdu Shayari About Life
जन्नत की हकीकत हमको मालूम है जन्नत की हकीकत लेकिन दिल के खुश रखने को “ग़ालिब” यह ख्याल अच्छा है
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बेखुदी बेसबब नहीं ‘ग़ालिब फिर उसी बेवफा पे मरते हैं फिर वही ज़िन्दगी हमारी है बेखुदी बेसबब नहीं ‘ग़ालिब’ कुछ तो है जिस की पर्दादारी है
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कागज़ का लिबास सबने पहना था बड़े शौक से कागज़ का लिबास जिस कदर लोग थे बारिश में नहाने वाले अदल के तुम न हमे आस दिलाओ क़त्ल हो जाते हैं , ज़ंज़ीर हिलाने वाले
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Urdu Shayari Funny
खुदा के वास्ते खुदा के वास्ते पर्दा न रुख्सार से उठा ज़ालिम कहीं ऐसा न हो जहाँ भी वही काफिर सनम निकले
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वो निकले तो दिल निकले ज़रा कर जोर सीने पर की तीर -ऐ-पुरसितम् निकले जो वो निकले तो दिल निकले , जो दिल निकले तो दम निकले
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तेरी दुआओं में असर तेरी दुआओं में असर हो तो मस्जिद को हिला के दिखा नहीं तो दो घूँट पी और मस्जिद को हिलता देख
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लफ़्ज़ों की तरतीब लफ़्ज़ों की तरतीब मुझे बांधनी नहीं आती “ग़ालिब” हम तुम को याद करते हैं सीधी सी बात है
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जिस काफिर पे दम निकले मोहब्बत मैं नहीं है फ़र्क़ जीने और मरने का उसी को देख कर जीते है जिस काफिर पे दम निकले
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नज़ाकत इस नज़ाकत का बुरा हो , वो भले हैं तो क्या हाथ आएँ तो उन्हें हाथ लगाए न बने कह सके कौन के यह जलवागरी किस की है पर्दा छोड़ा है वो उस ने के उठाये न बने
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Urdu Shayari Friendship
रक़ीब कितने शिरीन हैं तेरे लब के रक़ीब गालियां खा के बेमज़ा न हुआ कुछ तो पढ़िए की लोग कहते हैं आज ‘ग़ालिब ‘ गजलसारा न हुआ
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मेरी वेहशत इश्क़ मुझको नहीं वेहशत ही सही मेरी वेहशत तेरी शोहरत ही सही कटा कीजिए न तालुक हम से कुछ नहीं है तो अदावत ही सही
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ग़ालिब दिल से तेरी निगाह जिगर तक उतर गई दोनों को एक अदा में रजामंद कर गई मारा ज़माने ने ‘ग़ालिब’ तुम को वो वलवले कहाँ , वो जवानी किधर गई
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उल्फ़त ही क्यों न हो उल्फ़त पैदा हुई है , कहते हैं , हर दर्द की दवा यूं हो हो तो चेहरा -ऐ -गम उल्फ़त ही क्यों न हो .
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आशिक़ का गरेबां हैफ़ उस चार गिरह कपड़े की किस्मत ग़ालिब जिस की किस्मत में हो आशिक़ का गरेबां होना
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तमन्ना कोई दिन और नादान हो जो कहते हो क्यों जीते हैं “ग़ालिब “ किस्मत मैं है मरने की तमन्ना कोई दिन और
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Urdu Shayari Status
जोश -ऐ -अश्क ग़ालिब ‘ हमें न छेड़ की फिर जोश -ऐ -अश्क से बैठे हैं हम तहय्या -ऐ -तूफ़ान किये हुए
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दरो -ओ -दीवार – Mirza Galib रात है ,सनाटा है , वहां कोई न होगा, ग़ालिब चलो उन के दरो -ओ -दीवार चूम के आते हैं
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खमा -ऐ -ग़ालिब बहुत सही गम -ऐ -गति शराब कम क्या है गुलाम -ऐ-साक़ी -ऐ -कौसर हूँ मुझको गम क्या है तुम्हारी तर्ज़ -ओ -रवीश जानते हैं हम क्या है रक़ीब पर है अगर लुत्फ़ तो सितम क्या है सुख में खमा -ऐ -ग़ालिब की आतशफशनि यकीन है हमको भी लेकिन अब उस में दम क्या है
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Urdu Shayari for Friends

dil se khayal…
कौन होश में रहता है तुझे देखने के बाद तेरे हुस्न को परदे की ज़रुरत नहीं है ग़ालिब कौन होश में रहता है तुझे देखने के बाद
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वफ़ा के ज़िक्र में ग़ालिब मुझे गुमाँ हुआ वो दर्द इश्क़ वफाओं को खो चूका होगा , जो मेरे साथ मोहब्बत में हद -ऐ -जूनून तक था वो खुद को वक़्त के पानी से धो चूका होगा , मेरी आवाज़ को जो साज़ कहा करता था मेरी आहोँ को याद कर के सो चूका होगा , वो मेरा प्यार , तलब और मेरा चैन -ओ -क़रार जफ़ा की हद में ज़माने का हो चूका होगा , तुम उसकी राह न देखो वो ग़ैर था साक़ी भुला दो उसको वो ग़ैरों का हो चूका होगा !
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क्या बने बात – Mirza Galib नुक्ता चीन है , गम -ऐ -दिल उस को सुनाये न बने क्या बने बात , जहाँ बात बनाये न बने मैं बुलाता तो हूँ उस को , मगर ऐ जज़्बा -ऐ -दिल उस पे बन जाये कुछ ऐसी , के बिन आये न बने खेल समझा है , कहीं छोड़ न दे , भूल न जाये काश ! यूँ भी हो के बिन मेरे सताए न बने खेल समझा है , कहीं छोड़ न दे , भूल न जाये
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काश ! यूँ भी हो के बिन मेरे सताए न बने ग़ैर फिरता है लिए यूँ तेरे खत को कह अगर कोई पूछे के ये क्या है , तो छुपाये न बने इस नज़ाकत का बुरा हो , वो भले हैं , तो किया हाथ आएं , तो उन्हें हाथ लगाये न बने कह सकेगा कौन , ये जलवा गारी किस की है पर्दा छोड़ा है वो उस ने के उठाये न बने मौत की रह न देखूं ? के बिन आये न रहे तुम को चाहूँ ? के न आओ , तो बुलाये न बने इश्क़ पर ज़ोर नहीं , है ये वो आतिश ग़ालिब के लगाये न लगे , और बुझाए न बने
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यहाँ अब मेरे राज़दान और भी हैं सितारों से आगे जहाँ और भी हैं अभी इश्क़ के इम्तेहाँ और भी हैं ताही ज़िंदगी से नहीं यह फिज़ाएँ यहाँ सैंकड़ों कारवाँ और भी हैं अगर खो गया एक नशेमन तो किया गम मक़ामात-ऐ-आह-ओ-फ़िगन और भी हैं तू शाहीन है , परवाज़ है काम तेरा तेरे सामने आसमान और भी हैं इसे रोज़-ओ-शब में उलझ कर न रह जा कह तेरे ज़मान-ओ-मकाँ और भी हैं गए दिन के तनहा था मैं अंजुमन में यहाँ अब मेरे राज़दान और भी हैं
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Urdu Shayari Mirza Ghalib

aisa kyun na dun…
अपनी फितरत में अमल से ज़िन्दगी बनती है , जन्नत भी जहनुम भी यह कहा की अपनी फितरत में न नूरी है न नारी है
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जो लहू से तामीर हुए थे देख कैसी क़यामत सी बरपा हुई है आशियानों पर इक़बाल जो लहू से तामीर हुए थे , पानी से बह गए
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हमराज़ बदल डालो तस्कीन न हो जिस से वो राज़ बदल डालो जो राज़ न रख पाए हमराज़ बदल डालो तुम ने भी सुनी होगी बड़ी आम कहावत है अंजाम का जो हो खतरा आग़ाज़ बदल डालो पुर-सोज़ दिलों को जो मुस्कान न दे पाए सुर ही न मिले जिस में वो साज़ बदल डालो दुश्मन के इरादों को है ज़ाहिर अगर करना तुम खेल वही खेलो अंदाज़ बदल डालो ऐ दोस्त करो हिम्मत कुछ दूर सवेरा है अगर चाहते हो मंज़िल तो परवाज़ बदल डालो
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इश्क़ क़ातिल से इश्क़ क़ातिल से भी मक़तूल से हमदर्दी भी यह बता किस से मुहब्बत की जज़ा मांगेगा सजदा ख़ालिक़ को भी इबलीस से याराना भी हसर में किस से अक़ीदत का सिला मांगेगा
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इक़बाल दुनिया तुझ से नाखुश है बड़े इसरार पोशीदा हैं इस तनहा पसंदी में . यह मत समझो के दीवाने जहनदीदा नहीं होते . ताजुब क्या अगर इक़बाल दुनिया तुझ से नाखुश है बहुत से लोग दुनिया में पसंददीदा नहीं होते .
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बड़ा बे-अदब हूँ तेरे इश्क़ की इन्तहा चाहता हूँ मेरी सादगी देख क्या चाहता हूँ भरी बज़्म में राज़ की बात कह दी बड़ा बे-अदब हूँ , सज़ा चाहता हूँ
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मुहब्बत की तमना है तो फिर वो वस्फ पैदा कर जहाँ से इश्क़ चलता है वहां तक नाम पैदा कर अगर सचा है इश्क़ में तू ऐ बानी आदम निग़ाह -ऐ -इश्क़ पैदा कर मैं तुझ को तुझसे ज़्यादा चाहूँगा मगर शर्त ये है के अपने अंदर जुस्तजू तो पैदा कर अगर न बदलू तेरी खातिर हर एक चीज़ तो कहना तू अपनी आप में पहली अंडायज़ -ऐ -वफ़ा तो पैदा कर
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आज फिर तेरी याद मुश्किल बना देगी सोने से काबिल ही मुझे रुला देगी आँख लग गई भले से तो डर है कोई आवाज़ फिर मुझे जगा देगी
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Urdu Shayari Bewafa
काश उन्हें भी कभी हमपे ऐतबार तो होता काश उनका दिल इतना शख्त न होता , प्यार हमसे भी कभी उन्होंने किया होता .. एक हम भी थे उनके चाहने वाले , काश उन्हें भी कभी हमपे ऐतबार तो होता ..
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हमे तो मोहब्बत हो गयी आप के साथ रहते रहते हमे चाहत सी हो गयी आप से बात करते करते हमे आदत सी हो गयी
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मुझको अच्छा नहीं लगता मुझको अच्छा नहीं लगता तेरा हर एक से मिलना .. हर एक से मिलोगे तो आम हो जाओगे …
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2 Line Urdu Shayari
Small Urdu Shayari
आसमान से दिल लगा बैठे हुई हम से ये नादानी के तेरी महफ़िल में आ बैठे हो के ज़मीन की खाक आसमान से दिल लगा बैठे
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मिसल-ऐ-खुशबु सुना है जिन की बातें मिसल-ऐ-खुशबु फैला जाती हैं बहुत बिखरे हुए होते हैं ऐसे लोग अंदर से
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Urdu Shayari for Teachers
कलंदर की वो बात पानी पानी कर गयी मुझको कलंदर की वो बात तू झुका जो ग़ैर के आगे न तन तेरा न मन तेरा
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ज़ख्मो से भर दिया सीना किसी की याद ने ज़ख्मो से भर दिया सीना हर एक सांस पर शक है के आखरी होगी
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इक़रार -ऐ-मुहब्बत इक़रार -ऐ-मुहब्बत ऐहदे-ऐ.वफ़ा सब झूठी सच्ची बातें हैं “इक़बाल” हर शख्स खुदी की मस्ती में बस अपने खातिर जीता है
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तेरी खिदमत के क़ाबिल उम्र भर तेरी मोहब्बत मेरी खिदमत रही मैं तेरी खिदमत के क़ाबिल जब हुआ तो तू चल बसी
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दीदार -ऐ -यार ज़माना आया है बे – हिजबी का , आम दीदार -ऐ -यार होगा ; सकूत था पर्देदार जिसका वो राज़ अब आशकार होगा .
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कोई ऐसा शख्स जो पुकारता था हर घड़ी , जो जुड़ा था मुझसे लड़ी लड़ी कोई ऐसा शख्स अगर कभी , मुझे भूल जाये तो क्या करूं
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