Rabindra Jayanti Essay 2022 -23 रवीन्द्रनाथ टैगोर जयंती निबंध – Essay on Rabindranath Jayanti in Bengali & Hindi

Rabindra jayanti essay 2018

Rabindra Jayanti 2022 – श्री रबीन्द्रनाथ टैगोर भारत के जाने माने कवियों में से एक थे| उनका जन्म ब्रिटिश काल में 7 मई 1861 में कलकत्ता में हुआ था| उनका नाम भारत के सर्वश्रेष्ठ कवियों में शुमार है| वे एक कवी होने के साथ साथ जाने माने साहित्यकार, दार्शनिककार, रचनाकार थे| उन्होंने भारत के हिंदी साहित्य को एक अलग उचाई की तरफ पहुंचा दिया| टैगोर जी को सब गुरु जी के नाम से भी जानते थे| वे भारत एवं एशिया के पहले कवी थे जिनको उनकी लाजवाब साहित्यिक रचनाओं के लिया नोबल पुरस्कार से नवाज़ा गया| आज के इस पोस्ट में हम आपको report on rabindra jayanti celebration in bengali, rabindra jayanti in bengali language, आदि की जानकारी देंगे|

Rabindra Jayanti Essay In Hindi

When is rabindra jayanti 2022 : ठाकुर रविंद्रनाथ टैगोर की जयंती 9 may 2022 को पूरे भारत में मनाई जाएगी| इस दिन बुधवार है| यह त्यौहार यानी की जयंती west bengal, बंगाल, कलकत्ता (kolkata), उड़ीसा, Assam, Sikkim, Gangtok, बिहार, झारखण्ड, मद्रास, bangladesh में मनाया जाता है|आज हम आपके लिए लाये हैं रबिन्द्र जयंती एस्से इन हिंदी, Rabindra Jayanti Speech in Hindi, रवीन्द्रनाथ टैगोर के विचार, महत्व व शायरी, Rabindra Jayanti Poem, Essay on Rabindra Jayanti in Hindi, रबिन्द्र जयंती सन्देश, Rabindra Jayanti Nibandh, Happy Rabindra Jayanti Wishes यानी की रवीन्द्रनाथ टैगोर जयंती पर निबंध हिंदी में 100 words, 150 words, 200 words, 400 words जिसे आप pdf download भी कर सकते हैं|

नोबल पुरस्कार विजेता महान भारतीय कवि रबिन्द्रनाथ टैगोर की जन्म की वर्षगांठ को प्रत्येक वर्ष ‘रबिन्द्रनाथ टैगोर जयंती’ के रूप मेँ मनाया जाता है। टैगोर जयंती हिन्दू कैलेण्डर के अनुसार प्रति वर्ष बैसाख माह के 25वें दिन पड़ती है। अंग्रेज़ी तिथि के अनुसार यह प्रति वर्ष 7 मई को मनायी जाती है।

रबिन्द्रनाथ टैगोर का जन्म 7 मई, 1861 को कलकत्ता के जोड़ासाँको ठाकुरबाड़ी में हुआ था। उनके पिता का नाम देवेन्द्रनाथ टैगोर तथा माता का नाम शारदा देवी था। ये देवेन्द्रनाथ टैगोर के सबसे छोटे पुत्र थे। इनके परिवार के लोग सुशिक्षित और कला-प्रेमी थे। रबिन्द्रनाथ टैगोर की शिक्षा अधिकाँश घर पर हुई थी। इनको वकालत पढने के लिए इंग्लैंड भेजा गया। वहाँ एक साल ठहरने के पश्चात वह भारत वापस आ गए। घर के शांतपूर्ण वातावरण में इन्होने बँगला भाषा में लिखने का कार्य आरम्भ कर दिया और शीघ्र ही प्रसिद्धि प्राप्त कर ली।

रबिन्द्रनाथ टैगोर ने अनेक कवितायें, लघु कहानियाँ, उपन्यास, नाटक और निबंध लिखे। उनकी रचनाएं सर्वप्रिय हो गयीं। साहित्य के क्षेत्र में उन्होंने अपूर्व योगदान दिया और उनकी रचना गीतांजलि के लिए उन्हें साहित्य के नोबल पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था। उनकी अनेक रचनाओं का अनुवाद अंग्रेजी भाषा में किया जा चुका है। टैगोर एक दार्शनिक, कलाकार और समाज-सुधारक भी थे। कलकत्ता के निकट इन्होने एक स्कूल स्थापित किया जो अब ‘विश्व भारती’ के नाम से प्रसिद्द है।

रबिन्द्रनाथ टैगोर ने साहित्य, शिक्षा, संगीत, कला, रंगमंच और शिक्षा के क्षेत्र में अपनी अनूठी प्रतिभा का परिचय दिया। अपने मानवतावादी दृष्टिकोण के कारण वह सही मायनों में विश्वकवि थे। वे ‘गुरुदेव’ के नाम से लोकप्रिय हुए। गुरुदेव के काव्य के मानवतावाद ने उन्हें दुनिया भर में पहचान दिलाई। दुनिया की तमाम भाषाओं में आज भी टैगोर की रचनाओं को पसंद किया जाता है। वे चाहते थे कि विद्यार्थियों को प्रकृति के सानिध्य में अध्ययन करना चाहिए। उन्होंने इसी सोच को मूर्त रूप देने के लिए शांतिनिकेतन की स्थापना की।

रबिन्द्रनाथ टैगोर ने अमेरिका, ब्रिटेन, जापान, चीन सहित दर्जनों देशों की यात्राएँ की थी। 7 अगस्त 1941 को देश की इस महान विभूति का देहावसान हो गया। श्री टैगोर दुनिया के अकेले ऐसे कवि है, जिनकी दो कृतियां, दो देशों की राष्ट्रगान बनीं। भारत का राष्ट्रगान ‘जन गण मन अधिनायक जय हे, भारत भाग्य विधाता..’ और बांग्लादेश का ‘आमार सोनार बांग्ला…’।

रबिन्द्रनाथ टैगोर की जयंती प्रति वर्ष हर्ष-उल्लास के साथ मनाई जाती है। उनकी जयंती पर विद्यालयों मेँ काव्य पाठ के साथ चित्रकला, रंग भरो व कोलाज पेंटिंग प्रतियोगिता इत्यादि का आयोजन किया जाता है। विभिन्न संगठनों एवं टैगोर सोसाइटी के सदस्यों द्वारा टैगोर जयंती का उद्देश्य बताते हुए भारतीय साहित्य एवं संस्कृति से अवगत कराया जाता है। टैगोर जयंती सर्वत्र धूम-धाम से मनायी जाती है एवं जगह-जगह प्रभातफेरी निकाली जाती हैं। कविगुरु के चित्र पर श्रद्धासुमन अर्पित किए जाते हैं और उन्हें सम्मान दिया जाता है।

रवीन्द्रनाथ टैगोर जयंती पर निबंध

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Essay on Rabindranath Jayanti in Bengali

कविन्द्र रबीन्द्रनाथ टैगोर उन विरल साहित्यकारों में से एक हैं, जिनके साहित्य और व्यक्तित्व में अद्भुत साम्य है। अपनी कल्पना को जीवन के सब क्षेत्रों में अनंत अवतार देने की क्षमता रवीन्द्रनाथ टैगोर की खास विशेषता थी ।

विश्वविख्यात कवि, साहित्यकार, दार्शनिक और साहित्य के क्षेत्र में नोबल पुरस्कार विजेता रबीन्द्रनाथ टैगोर, बांग्ला साहित्य के माध्यम से भारतीय सांस्कृतिक चेतना में नयी जान फूँकने वाले युगपुरुष थे। वे एशिया के प्रथम नोबेल पुरस्कार सम्मानित व्यक्ति हैं। ऐसे एकमात्र कवि हैं जिनकी रचनाएँ दो देशों में राष्ट्रगान स्वरूप आज भी गाई जाती है। भारत का राष्ट्र-गान “जन गण मन” और बाँग्लादेश का राष्ट्रीय गान “आमार सोनार बाँग्ला’ गुरुदेव की ही रचनाएँ हैं।

रवीन्द्रनाथ ठाकुर का जन्म देवेन्द्रनाथ टैगोर और शारदा देवी के सन्तान के रूप में 7 मई, 1861 को कोलकाता के जोड़ासाँको ठाकुरबाड़ी में हुआ था। उन्होंने लन्दन विश्वविद्यालय में कानून का अध्ययन किया लेकिन 1880 में बिना डिग्री हासिल किए ही स्वदेश वापस आ गए। सन् 1883 में मृणालिनी देवी के साथ उनका विवाह हुआ।

बचपन से ही उनकी कविता, छन्द और भाषा में अद्भुत प्रतिभा का आभास लोगों को मिलने लगा था। उन्होंने पहली कविता आठ साल की उम्र में लिखी थी और 1877 में केवल सोलह साल की उम्र में उनकी लघुकथा प्रकाशित हुई थी। पिता के ब्रह्म-समाजी के होने के कारण वे भी ब्रह्म-समाजी थे। परन्तु अपनी रचनाओं व कर्म के द्वारा उन्होंने सनातन धर्म को भी आगे बढ़ाया। टैगोर ने करीब 2,230 गीतों की रचना की है। रविन्द्र संगीत, बाँग्ला संस्कृति का अभिन्न अंग है।

Rabindra Jayanti Essay in Bengali

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रवीन्द्रनाथ टैगोर जयंती निबंध

Rabindra jayanti essay in bengali language इस प्रकार है:

রবীন্দ্রনাথ ঠাকর একটি বিখ্যাত ভারতীয় কবি হলেন যারা গুরুদেব এর নাম দিয়ে বিখ্যাত Tagore এর জন্ম Calcutta এর জোর-সাঁকো মধ্যে 7 মে 1861 একটি আमीर সুসংসারিত পরিবার মধ্যে ছিল সেখানে। তাঁর অভিব্যক্তি মহর্ষি দেভেন্দ্রনাথ (পিতার) এবং শার্দা দেবী (মা) থেন। এর থেকেও অবাক হওয়ার কিছু নেই। একজন মহান কবি হচ্ছেন, তিনি একজন মানবিক, দেশাত্মবোধ, চিত্রকার, উপন্যাসিক, গল্প লেখক, শিক্ষাবিদ এবং দর্শনশাস্ত্রও সেখানে সে দেশের কৃষ্টিগত দূতেরা যাঁকে সমগ্র বিশ্ব জুড়ে ভারতীয় সংস্কৃতির জ্ঞান বিস্তৃত হয় তিনি তাদের সময় একটি প্রতিভাশালী সন্তানের মধ্যে ছিল যারা মহান কাজ করছেন। কবিতা লেখার ক্ষেত্রে সে একটি উগ্রে সূর্যের জিনিস ছিল।

কবিতা বা কাহিনী হিসাবে আপনার লেখাগুলি মাধ্যমে মানুষের মানসিক এবং মর্যাদাপূর্ণ অনুভূতি ভালভাবে প্রদর্শিত হবে। আজকের মানুষদের জন্য তাঁর লেখার প্রধান এবং বিপ্লবী প্রমাণিত হ’ল। জিলিয়াভা বাগ জেলহত্যার ট্র্যাজেড কারণে তাদের খুব দুঃখজনক ছিল যার মধ্যে জেনারেল ডায়ার ও তার সৈন্যদের দ্বারা অমৃতসরে 1919 এ 13 এপ্রিল নারী ও শিশুসহ অনেক নির্দোষ লোক মারা গিয়েছিল।

তিনি একজন মহান কবি হউন হউন এ এক প্যাট্রাকট এন্ড জেজ এন্ড বেয়ার অব এক্টিটিতা এন্ড এর এমবেড রিভোয়েন্স অটোমিউট। তাঁর সমগ্র লেখার দ্বারা প্রেম, শান্তি এবং ব্রতীচারের সাথে রাখা এবং তাদের সাথে একের সাথে রাখা এবং তাদের কাছে পৌঁছানোর জন্য তিনি তাদের সবচেয়ে ভালো প্রচেষ্টা। তার কবিতা এবং কাহিনী মাধ্যমে প্রেম এবং সৌহাই সম্পর্কে তিনি ভালভাবে বলা হয়। Tagore এর পুরো জীবন একটি অন্যতম প্রেম এবং সৌহার্দের পরিষ্কার ধারণা এছাড়াও উপলব্ধ করা হয়। নিম্নবর্ণিত বক্তব্য থেকে তার দেশের প্রতি শ্রদ্ধা দেখানো হয়েছে, “আমার দেশ যা সর্বদা ভারত, আমার পিতারের দেশ, আমার সন্তানদের দেশ, আমার দেশ আমাকে জীবন ও দৃঢ়তা প্রদান করেছে”। এবং আবার, “আমি আবার অবশ্যই অবশ্যই ভারতবর্ষে”

Short Essay on Rabindranath Tagore Jayanti

रबीन्द्रनाथ टैगोर एक प्रसिद्ध भारतीय कवि थे जो गुरुदेव के नाम से प्रसिद्ध थे। टैगोर का जन्म कलकत्ता के जोर-साँको में 7 मई 1861 को एक अमीर सुसंस्कृत परिवार में हुआ था। उनके अभिवावक महर्षि देवेन्द्रनाथ (पिता) और शारदा देवी (माता) थीं। वो बचपन से ही कविताएँ लिखने के शौक़ीन थे। एक महान कवि होने के साथ ही, वो एक मानवतावादी, देशभक्त, चित्रकार, उपन्यासकार, कहानी लेखक, शिक्षाविद् और दर्शनशास्त्री भी थे। वो देश के सांस्कृतिक दूत थे जिन्होंने पूरी दुनिया में भारतीय संस्कृति के ज्ञान को फैलाया है। वो अपने समय के एक प्रतिभासंपन्न बच्चे थे जिसने बहुत महान कार्य किये। कविता लेखन के क्षेत्र में वो एक उगते सूरज के सामान थे।

कविताओं या कहानी के रुप में अपने लेखन के माध्यम से लोगों के मानसिक और नैतिक भावना को अच्छे से प्रदर्शित किया। आज के लोगों के लिये भी उनका लेखन अग्रणी और क्रांतिकारी साबित हुआ है। जलियाँवाला बाग नरसंहार की त्रासदी के कारण वो बहुत दुखी थे जिसमें जनरल डायर और उसके सैनिकों के द्वारा अमृतसर में 1919 में 13 अप्रैल को महिलाओं और बच्चों सहित बहुत सारे निर्दोष लोग मारे गये थे।

वो एक महान कवि होने के साथ ही एक देशभक्त भी थे जो हमेशा जीवन की एकात्मकता और इसके भाव में भरोसा करता है। अपने पूरे लेखन के द्वारा प्यार, शांति और भाईचारे को बनाये रखने के साथ ही उनको एक रखने और लोगों को और पास लाने के लिये उन्होंने अपना सबसे बेहतर प्रयास किया। अपनी कविताओं और कहानियों के माध्यम से प्यार और सौहार्द के बारे में उन्होंने अच्छे से बताया था। टैगोर के पूरे जीवन ने एक दूसरे से प्यार और सौहार्द के स्पष्ट विचार को भी उपलब्ध कराया। निम्न वक्तव्यों से उनका देश के प्रति समर्पण दिखायी देता है, “मेरा देश जो हमेशा भारत है, मेरे पितर का देश है, मेरे बच्चों का देश है, मेरे देश ने मुझे जीवन और मजबूती दी है”। और दुबारा, “मैं फिर से अवश्य भारत में पैदा होऊँगा”।

2018 update

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