Rabindra jayanti 2022 – रबीन्द्रनाथ टैगोर भारत के महान कविओ में से एक थे| वे भारत एवं सम्पूर्ण एशिया में नोबल पुरस्कार से सम्मानित होने वाले पहले हिंदी साहित्यकार थे| उनका जन्म ब्रिटिश काल में 7 मई 1861 में कलकत्ता में हुआ था| उनका नाम भारत के सर्वश्रेष्ठ कवियों में शुमार है| टैगोर जी को सब गुरु जी के नाम से भी जानते थे| वे भारत एवं एशिया के पहले कवी थे जिनको उनकी लाजवाब साहित्यिक रचनाओं के लिया नोबल पुरस्कार से नवाज़ा गया| आज के इस पोस्ट में हम आपको रबीन्द्रनाथ टैगोर कविता इन हिंदी, रबीन्द्रनाथ टैगोर प्रसिद्ध कविताए, आदि की जानकारी देंगे|
Rabindra Jayanti Kavita
अक्सर class 1, class 2, class 3, class 4, class 5, class 6, class 7, class 8, class 9, class 10, class 11, class 12 के बच्चो को कहा जाता है रवीन्द्रनाथ टैगोर जयंती पर कविता लिखें| जिसके लिए हम पेश कर रहे हैं हैप्पी रवीन्द्रनाथ जयंती, Rabindra Jayanti kavita hindi Me, Rabindra Jayanti Essay, rabindranath tagore poems in english, poems by rabindranath tagore, ravindra nath thakur poem, short poem of rabindranath tagore आदि |
एक टुकु छोआं लागे
एक टुकु कौथा शूनि
ताई दिये मोने मोने
रोची मोमो फाल्गुनी
किछू पौलाशेर नेशा
किछू बा चाँपाये मेशा
ताईदिये शूरे शूरे
जे टूक काछे ते आशे
खनिकेर फाँके फाँके
चोकितो मोनेर कोने
जे टुकुजाये रे दूरे
भाबना काँपाये शूरे
ताई निये जाये बैला
नूपूरेरो ताल गूनी
थोड़ी सी छुअन लगी
थोड़ी सी बातें सुनी
उन ही से मन में मेरे
रची मंने फाल्गुनी
कुछ तो पलाश का नशा
कुछ चंपा के गंध मिला
उन ही से सुर पिरोये
रंग ओ’ रस जाल बुने
जो थोड़ी देर पास आते
क्षणों के बीच में से
चकित मन कोने में
स्वप्न की छवि बनाते
जो थोड़ी भी दूर जाते
भावना स्वर कँपाते
उन ही से दिन बिताये
नूपुर के ताल गिने
थोड़ी सी छुअन लगी…
Rabindranath Tagore poems in hindi
When is rabindra jayanti 2022 : ठाकुर रविंद्रनाथ टैगोर की जयंती 9 may 2022 को पूरे भारत में मनाई जाएगी| इस दिन बुधवार है| यह त्यौहार यानी की जयंती west bengal, बंगाल, कलकत्ता (kolkata), उड़ीसा, Assam, Sikkim, Gangtok, बिहार, झारखण्ड, मद्रास, bangladesh में मनाया जाता है|
ओरे, ओरे भिखारी, मुझे किया है भिखारी,
और चाहो भला क्या तुम !
ओरे ओरे भिखारी, ओरे मेरे भिखारी,
गान कातर सुनाते हो क्यों ।।
रोज़ दूँगी तुम्हें धन नया ही अरे,
साध पाली थी मन में यही,
सौंप सब कुछ दिया, एक पल में ही तो
पास मेरे बचा कुछ नहीं ।।
तुमको पहनाया मैंने वसन ।
घेर आँचल से तुमको लिया ।।
आस पूरी की मैंने तुम्हारी,
अपने संसार से सब दिया ।।
मेरा मन प्राण यौवन सभी,
देखो मुट्ठी, उसी में तो है ।।
ओरे मेरे भिखारी, ओरे, ओरे भिखारी
हाय चाहो अगर और भी,
कुछ तो दो फिर मुझे और तुम ।।
लौटा जिससे सकूँ उसको
तुमको ही मैं,
ओ भिखारी ।।
रबीन्द्रनाथ जयंती पर कविता
ओ करबी, ओ चंपा, चंचल हौठीं तेरी डालें ।
किसको है देख लिया तुमने आकाश में जानूँ ना जानूँ ना ।।
किस सुर का नशा हवा घूम रही पागल, ओ चंपा, ओ करबी ।
बजता है नुपुर ये किसका जानूँ ना ।।
क्षण क्षण में चमक चमक उठतीं तुम ।
करती हो रह रह कर ध्यान भला किसका ।।
किसके रंग हुई बेहाल फूल फूल उठती हर डाल ।
किसने है आज किया अदभुत्त ये साज जानूँ ना ।।
ओ री, आम्र मंजरी, ओ री, आम्र मंजरी
क्या हुआ उदास हृदय क्यों झरी ।।
गंध में तुम्हारी धुला मेरा गान
दिशि-दिशि में गूँज उसी की तिरी ।।
डाल-डाल उतरी है पूर्णिमा,
गंध में तुम्हारी, मिली आज चन्द्रिमा ।।
दौड़ रही पागल हो दखिन वातास,
तोड़ रही अर्गला,
इधर गई, उधर गई,
चहुँदिश है वो फिरी ।।
Rabindra Jayanti Poem in Hindi
मन में है बसा वही मधुर मुख ।
जागूँ या देखूँ मैं सपना, लगे वही अपना ।।
जीवन में भूलूँगा कभी नहीं ।
जानो या जानो न तुम ।।
मन में है बजे सदा वही मधुर बाँसुरी ।
मन में जो बसे तुम ।
बता नहीं पाऊँ ।
इन कातर नयनों में वही रखूँ सनमुख ।।
मेघ बादल में मादल बजे, गगन मेंसघन सघन वो बजे ।।
उठ रही कैसी ध्वनि गंभीर, हृदय को हिला-झुला वो बजे ।
डूब अपने में रह-रह बजे ।।
गान में कहीं प्राण में कहीं—
कहींतो गोपन थी यह व्यथा
आज श्यामल बन — छाया बीच
फैलकर कहती अपनी कथा ।
गान में रह-रह वही बजे ।।
Rabindra Jayanti Poems In Bengali
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ও করবি, ও চাঁপা, চঞ্চাল হঠথী তোমার ডাল্
কে কে আছে দেখি তোমাকেই আকাশে জানুক না জানুক না ..
কি সুর এর নাশপাতা ঘুরান পাগল, ও চম্পা, ও করবি
বজাতা নূর এই কিনার জানু না ..
মুহুর্তে চুমুক
আপনি কি এখনও বেঁচে আছেন?
কাদের রং ছিল বেহাল ফুল ফুল উড়ে
কে কে আজকে আডবুত এই সাজ জানুন না ..
Rabindranath Thakur Kobita
ওহ, আম্র মাঞ্জি, ও রি, আমর মঞ্জি
কি হঠাৎ হৃদয় কেন জারি ..
গন্ধে আপনার ধুলো আমার গান
দিশিস-দিশিতে গুনজ একই কি ত্রি ..
ঢাল-ঢাল উড়ে আছে পূর্ণিমা,
গন্ধে তোমার, মিলি আজ চন্দ্রমা ..
রানিং পাগল হোক দখিন ভোজন,
বিরতি হচ্ছে অর্গলা,
এদিকে গেল, উড়ে গেল,
চহুন্দিশ হু উ ফেরি ..
হিন্দিতে রবীন্দ্র জয়ন্তী কবিতা
মনের মধ্যে বুস ওয়াই মধুর মুখ।
জাগুন বা দেখি আমি স্বপ্ন, চলাচল করেই তার ..
জীবন মধ্যে ভুলুনগা কখনও না
জানো বা জানো না তুমি ..
মনের মধ্যে বুজ সাসা ওয়াই মধুর বান্সসুরি
মন যে জ্য বসসে তোমাকে
বল না
এই কাটার নায়নে ভী রাখু সানকাম ..
মেঘে মেঘে মালে বাজ, গগনে জমকালো সন্নিবেশ।
উঠছে ক্যাসি শব্দ ক্রমবর্ধমান, হৃদয় হোল-ঝুলা যে বুজে
ডুব তার মধ্যে থাকো – বজায় ..
গন মধ্যে कहीं प्राण में कहीं-
সেতু গপা
আজ শয়ামল বেন – শাড বিচ
फैलकर कहती তার कथा
গন মধ্যে থাক-হঠাৎ সে বুজে ..