आरक्षण विरोधी शायरी – आरक्षण पर शायरी – Aarakshan Virodhi Shayari in Hindi for WhatsApp

आरक्षण विरोधी शायरी

आज के समय में भारत में एक चीज की बहुत चर्चा है| आज के समय में एक जहा जाट या दलित समाज आरक्षण के लिए आंदोलन या दंगो का सहारा ले रहा है वही दूसरी जगह दूसरी जाती के लोग इस बात का विरोध कर रहे है| आरक्षण के चक्कर में आंदोलन का रूप अपनाना बहुत ही हानिकारक होता है| ऐसा आंदोलनों की वजह से भारत की अन्य जनता और भारत की अर्थव्यवस्था पर भारी प्रभाव पढता है और इसके परिणाम स्वररूप बहुत बार ऐसा भी होता है की मनुष्यो को अपने जीवन से भी हाथ धोना पड़ता है| इसी बात का कुछ असामाजिक तत्त्व फ़ायदा उठाकर सरकारी सम्पत्तियो को हानि पहुंचाते है| आज के इस पोस्ट में हम आपको आरक्षण विरोधी शायरी इन हिंदी, आरक्षण पर शायरी, आरक्षण के खिलाफ शायरी, आदि की जानकारी देंगे|

आरक्षण शायरी

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दुनियां मेहनत करती है, Forward होने के लिये!
भारत में लोग मर रहे है, Backward होने के लिए!

जिस देश के लोगो में खुद को
पिछड़ा सिद्ध करने की होड़ लगी हो,
वो देश आगे कैसे बढ़ेगा ?

गरीबी…
जाति देखकर नहीं आती
फिर आरक्षण…
जाति के आधार पर क्यों?

आरक्षण विरोधी शायरी इन हिंदी

अगर घोड़ा गधे से तेज दोड सकता है तो क्या घोड़े के पैर मे आरक्षण कि जंजीर बांध दे
जिससे गधा आगे निकल जाये….
तेज चलना घोड़े कि प्रतिभा है कमजोरी नहि….!
40% नंबर पाने वाला पुलिस_अधिकारी बन जाता है,
और 80% नंबर पाने वाला रोजगार न मिलने के कारण चोर बन जाता है,

Aarakshan sms

“करती हूं अनुरोध आज मैं , भारत की सरकार से ,”
“प्रतिभाओं को मत काटो , आरक्षण की तलवार से
“वर्ना रेल पटरियों पर जो , फैला आज तमाशा है ,”

आरक्षण हटाओ भारत बचाओ

जाट आन्दोलन से फैली , चारो ओर निराशा है
“अगला कदम पंजाबी बैठेंगे , महाविकट हडताल पर ,”
“महाराष्ट में प्रबल मराठा , चढ़ जाएंगे भाल पर
“राजपूत भी मचल उठेंगे , भुजबल के हथियार से ,”

“प्रतिभाओं को मत काटो , आरक्षण की तलवार से
“निर्धन ब्राम्हण वंश एक , दिन परशुराम बन जाएगा ,”
“अपने ही घर के दीपक से , अपना घर जल जाएगा
“भडक उठा गृह युध्द अगर , भूकम्प भयानक आएगा

आरक्षण विरोधी हिंदी शायरी

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आरक्षण वादी नेताओं का , सर्वस्व मिटाके जायेगा
“अभी सम्भल जाओ मित्रों , इस स्वार्थ भरे व्यापार से ,”
“प्रतिभाओं को मत काटो , आरक्षण की तलवार से
“जातिवाद की नही , समस्या मात्र गरीबी वाद है ,”

“जो सवर्ण है पर गरीब है , उनका क्या अपराध है
“कुचले दबे लोग जिनके , घर मे न चूल्हा जलता है ,”
“भूखा बच्चा जिस कुटिया में , लोरी खाकर पलता है

आरक्षण हटाओ शायरी

“समय आ गया है उनका , उत्थान कीजिये प्यार से ,”
“प्रतिभाओं को मत काटो , आरक्षण की तलवार से
“जाति गरीबी की कोई भी , नही मित्रवर होती है ,”
“वह अधिकारी है जिसके घर , भूखी मुनिया सोती है

आरक्षण पर शायरी

Aarakshan Virodhi Shayar

“भूखे माता-पिता , दवाई बिना तडपते रहते है ,”
“जातिवाद के कारण , कितने लोग वेदना सहते है………”
“उन्हे न वंचित करो मित्र , संरक्षण के अधिकार से ,”
“प्रतिभाओं को मत काटो , आरक्षण की तलवार से………”

दलित आरक्षण वाले हंसाने वाली शायरी

बारिश में भी “आरक्षण” होना चाहिए।
जनरल के घर 9 इंच,
OBC के घर 18 इंच,
SC ST के यहाँ 36 इंच,
नेता के घर बादल फट जाये!!

आरक्षण हटाओं सायरी

आरक्षण से बने डाक्टर ने खुद के बारे मे कहा…
हमारी शख्शियत का अंदाज़ा तुम क्या लगाओगे ग़ालिब,,
जब गुज़रते है क़ब्रिस्तान सेतो मुर्दे भी उठ के पूछ लेते हैं…
कि डाॅक्टर साहब !! अब तो बता दो मुझे तकलीफ क्या थी…!!

aarakshan shayari in hindi

जितनी मेहनत जाट आंदोलन तोड फोड़ और रेल की पटरियो को
उखाड़ने मे कर रहे है अगर इतनी ही मेहनत वो पढने मे कर ले तो
आरक्षण की जरुरत ही ना पड़े!!

मैं सामान्य श्रेणी का दलित हूँ साहब मुझे आरक्षण चाहिए।
तेजाब की फैक्टरी में काम करते हुए खुद को जला कर मुझे पाला,
आज उस पिता की बीमारी के इलाज के लिए धन चाहिए,
मैं सामान्य श्रेणी का दलित हूँ साहब मुझे आरक्षण चाहिए।

कमजोर हो रही हैं निगाहें माँ की मुझे आगे बढ़ता देखने की चाह में,
उसकी उम्मीदों को पूरा कर सकूँ उसे मेरा जीवन रोशन चाहिए,
मैं सामान्य श्रेणी का दलित हूँ साहब मुझे आरक्षण चाहिए।

आरक्षण की शायरी

आरक्षण पर कविता – सामान्य श्रेणी का दलित

मैं सामान्य श्रेणी का दलित हूँ साहब मुझे आरक्षण चाहिए।
तेजाब की फैक्टरी में काम करते हुए खुद को जला कर मुझे पाला,
आज उस पिता की बीमारी के इलाज के लिए धन चाहिए,
मैं सामान्य श्रेणी का दलित हूँ साहब मुझे आरक्षण चाहिए।

कमजोर हो रही हैं निगाहें माँ की मुझे आगे बढ़ता देखने की चाह में,
उसकी उम्मीदों को पूरा कर सकूँ उसे मेरा जीवन रोशन चाहिए,
मैं सामान्य श्रेणी का दलित हूँ साहब मुझे आरक्षण चाहिए।

आधी नींद में बचपन से भटक रहा हूँ किराये के घरों में,
चैन की नींद आ जाये मुझे रहने को अपना मकान चाहिए,
मैं सामान्य श्रेणी का दलित हूँ साहब मुझे आरक्षण चाहिये,

भाई मजदूरी कर पढ़ाई करता है थकावट से चूर होकर,
मजबूरियों को भुला उसे सिर्फ पढ़ने में लगन चाहिए,
मैं सामान्य श्रेणी का दलित हूँ साहब मुझे आरक्षण चाहिए।

राखी बंधने वाली बहन जो शादी के लायक हो रही है,
उसके हाथ पीले करने के लिए थोड़ा सा शगुन चाहिए,
मैं सामान्य श्रेणी का दलित हूँ साहब मुझे आरक्षण चाहिए।

कर्ज ले-ले कर दे रहा हूँ परीक्षाएं सरकारी विभागों की,
लुट चुकी है आज जो कर्जदारी में मुझे वो आन चाहिए,
मैं सामान्य श्रेणी का दलित हूँ साहब मुझे आरक्षण चाहिए।

भूखे पेट सो जाता है परिवार कई रातों को मेरा,
पेट भरने को मिल जाये मुझे दो वक़्त का अन्न चाहिए,
मैं सामान्य श्रेणी का दलित हूँ साहब मुझे आरक्षण चाहिए।

जहाँ जाता हूँ निगाहें नीचे रहती हैं मेरी मुझमें गुण होने के बावजूद,
घृणा होती है जिंदगी से अब तो मुझे मेरा आत्मसम्मान चाहिए,
मैं सामान्य श्रेणी का दलित हूँ साहब मुझे आरक्षण चाहिए।

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