जल संरक्षण पर कविता इन हिंदी – Jal Sanrakshan Kavita in Hindi – Poems on water conservation in Hindi

जल संरक्षण पर कविता इन हिंदी

आज के समय में जल मनुष्य के शरीर के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं| बिना पानी के इंसान इस धरती पर जिन्दा नहीं रह सकता| इस समय में पूरी दुनिया में पानी के कमी का संकट छा रहा हैं| बढ़ती गर्मी और बदलते वातावरण के कारण पूरे विश्व में दिन प्रति दिन नदियाँ, समुन्दर और झीले सुख रही हैं जिसकी वजह से पानी की मात्रा कम हो रही हैं| इस संकट से हम सब भली भाँती अवगत हैं| आज के इस आर्टिकल में हम पानी पर दोहे, जल बचाओ, पानी पर कविताएं, जल प्रदूषण पर कविता, पानी के ऊपर कविता आदि के बारे में जानकारी देंगे जिसे आप अपनी स्पीच या अपने भाषण में इस्तमाल कर सकते हैं|

जल पर कविता हिंदी में

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मत करो मुझको बर्बाद, इतना तो तुम रखो याद,
प्यासे ही तुम रह जाओगे, मेरे बिना न जी पाओगे।
कब तक बर्बादी का मेरे, तुम तमाशा देखोगे,
संकट आएगा जब तुम पर, तब मेरे बारे में सोचोगे।
संसार में रहने वालों को, मेरी जरूरत पड़ती है,
मेरी बर्बादी के कारण, मेरी उम्र भी घटती है।
ऐसा न हो इक दिन मैं, इस दुनिया से चला जाऊं,
खत्म हो जाए खेल मेरा, लौट के फिर न वापस आऊं।
पछताओगे-रोओगे तुम, नहीं बनेगी कोई बात,
सोचो-समझो करो फैसला, अब तो ये है तुम्हारे हाथ।
मेरे बिना इस दुनिया में, जीना सबका मुश्किल है,
अपनी नहीं भविष्य की सोचो, भविष्य भी इसमें शामिल है।
मुझे ग्रहण कर सभी जीव, अपनी प्यास बुझाते हैं,
कमी मेरी पड़ गई अगर तो, हर तरफ सूखे पड़ जाते हैं।
सतर्क हो जाओ बात मान लो, मेरी यही कहानी है।
करो फैसला मिलकर आज, मत करो मुझको बर्बाद,
इतना तो तुम रखो याद।

Jal Sanrakshan Par Kavita In Hindi

जल ही जीवन जल सा जीवन, जल्दी ही जल जाओगे,
अगर न बची जल की बूंदें, कैसे प्यास बुझाओगे।
नाती-पोते खड़े रहेंगे जल, राशन की कतारों में,
पानी पर से बिछेंगी लाशें, लाखों और हजारों में।
रिश्ते-नाते पीछे होंगे, जल की होगी मारामारी,
रुपयों में भी जल न मिलेगा, जल की होगी पहरेदारी।
हनन करेंगे शक्तिशाली, नदियों के अधिकारों का,
सारे जल पर कब्जा होगा, बाहुबली मक्कारों का।

जल संरक्षण पर कविताएं

नदी को बोलने दो
शब्द स्वरों के खोलने दो
उसकी नीरव निस्तब्धता
एक खतरे का संकेत है
यह इस बात की प‍ुष्टि है
कि नदी हुई समाप्त
शेष रह गई रेत है
बहती हुई नदी
जीवन का प्रमाण है
राष्ट्र का है गौरव
जीवंतता की पहचान है
यह उर्वरता और जीवन
प्रदान करती है
खुद कष्ट सहकर
दूसरों का कष्ट हरती है
यह जीवनदायिनी है
इसे अपने दुष्कर्मों से
न भयभीत करो
यह नीर नहीं संचती है
इसे नाले में न तब्दील करो
तुम्हारे पाप को ढोते-ढोते
वह कुछ थक-सी गई है
ऐसा लग रहा है कि
वह कुछ सहम-सिमट-सी गई है।

जल बना इतिहास पर कविता

जल पर कविता हिंदी में

जल ही जीवन है
जल से हुआ सृष्टि का उद्भव जल ही प्रलय घन है
जल पीकर जीते सब प्राणी जल ही जीवन है।।
शीत स्पर्शी शुचि सुख सर्वस
गन्ध रहित युत शब्द रूप रस
निराकार जल ठोस गैस द्रव
त्रिगुणात्मक है सत्व रज तमस
सुखद स्पर्श सुस्वाद मधुर ध्वनि दिव्य सुदर्शन है ।
जल पीकर जीते सब प्राणी जल ही जीवन है ।।
भूतल में जल सागर गहरा
पर्वत पर हिम बनकर ठहरा
बन कर मेघ वायु मण्डल में
घूम घूम कर देता पहरा
पानी बिन सब सून जगत में ,यह अनुपम धन है ।
जल पीकर जीते सब प्राणी जल ही जीवन है ।।
नदी नहर नल झील सरोवर
वापी कूप कुण्ड नद निर्झर
सर्वोत्तम सौन्दर्य प्रकृति का
कल-कल ध्वनि संगीत मनोहर
जल से अन्न पत्र फल पुष्पित सुन्दर उपवन है ।
जल पीकर जीते सब प्राणी जल ही जीवन है ।।
बादल अमृत-सा जल लाता
अपने घर आँगन बरसाता
करते नहीं संग्रहण उसका
तब बह॰बहकर प्रलय मचाता
त्राहि-त्राहि करता फिरता, कितना मूरख मन है ।
जल पीकर जीते सब प्राणी जल ही जीवन है ।।

जल संकट कविता

कितना निर्मल-तरल मन चाहिए
लिखने के लिए पानी पर कविता
कवि के भीतर
पानी भी होना चाहिए पूरम्पूर
पानी पर कविता लिखने के लिए
पानी की हर हलचल पर
लगाना होता है पूरा आँख-कान
जुबान को पथरा (ने) नहीं देना
कवि के लिए सतत चुनौती है
प्यास के भूगोल से तय होती है
पानी की कविता की गहराई
पानी से ही पता चलता है
कि पानी की कविता
कहाँ महीन-तरल है
और कहाँ है पानी की ही तरह
दुर्धर्ष!
पानी की कविता
एक ख़ास तरह के
जबान-ए-आब से बनती है!

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