Rath Yatra 2023 : रथ यात्रा को रथा यात्रा और जगरन्नाथ यात्रा भी कहा जाता है| यह पर्व हर साल भव्य अंदाज़ में मनाया जाता है| यह सालाना पर्व है जो की ज्यादातर ओरिसा, झारखंड और उत्तरी भारत में मनाया जाता है पर इस त्यौहार को सबसे भव्य तरीके से ओरिसा में मनाया जाता है| इस पर्व को भारत के साथ साथ विदेशो में भी मनाया जाता है| इस पर्व को प्रभु जगरनाथ को समर्पित किया जाता है| आज के इस पोस्ट में हम आपको ratha yatra essay in oriya language, odia essay ratha yatra, rath yatra essay in gujarati, rath yatra essays, रथ यात्रा एस्से, rath yatra essay for class 4, rath yatra essay in gujarati language,essay rath yatra, रथ यात्रा पर एस्से इन मराठी, हिंदी, इंग्लिश, बांग्ला, गुजराती, तमिल, तेलगु, आदि की जानकारी देंगे जिसे आप अपने स्कूल के स्पीच प्रतियोगिता, debate competition, कार्यक्रम या भाषण प्रतियोगिता में प्रयोग कर सकते है| ये निबंध कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए दिए गए है|
जगन्नाथ रथ यात्रा निबंध
रथ यात्रा 2023 : अक्सर class 1, class 2, class 3, class 4, class 5, class 6, class 7, class 8, class 9, class 10, class 11, class 12 के बच्चो को कहा जाता है रथ यात्रा पर निबंध लिखें| यहाँ हमने हर साल 2009, 2010, 2011, 2012, 2013, 2014, 2015, 2016, 2017 व 2019 के अनुसार ratha yatra essay in hindi, Rath Yatra Quotes, rath yatra bengali essay, rath yatra essay in oriya, रथ यात्रा पर कविता, rath yatra par nibandh, Speech on Rath Yatra, rath yatra nibandh in gujarati, Rath Yatra Drawing pictures, essay on rath yatra in hindi, essay on rath yatra in english, Paragraph on Rath Yatra दिए हैं जो की रथ यात्रा टॉपिक पर निश्चित रूप से आयोजन समारोह या बहस प्रतियोगिता (debate competition) यानी स्कूल कार्यक्रम में स्कूल या कॉलेज में निबंध में भाग लेने में छात्रों की सहायता करेंगे। इन रथ यात्रा पर हिंदी स्पीच हिंदी में 100 words, 150 words, 200 words, 400 words जिसे आप pdf download भी कर सकते हैं| आप सभी को रथ यात्रा की हार्दिक शुभकामनाएं
भगवान जगन्नाथ विष्णु भगवान के पूर्ण कला अवतार श्रीकृष्ण का ही एक रूप हैं। ओडिशा राज्य के पुरी शहर में भगवान जगन्नाथ अपनी बहन सुभद्रा और भाई बलराम के साथ साक्षात विराजते हैं। इस शहर का नाम जगन्नाथ पुरी से निकल कर पुरी बना है। यहां हर साल भगवान जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा का उत्सव बड़े धूम-धाम से मनाया जाता है। भगवान जगन्नाथ पुरी धाम की गिनती हिन्दू धर्म के चार धाम में होती है।
हिंदू धर्म के चार धामों बद्रीनाथ, द्वारिका और रामेश्वरम में भगवान जगन्नाथ पुरी धाम (Jagannath Puri) का बहुत महत्व है। जब गुरु आदि शंकराचार्य पुरी पधारे तो उन्होंने यहां गोवर्धन मठ की स्थापना की। तब से पुरी को सनातन धर्म के चार धामों में एक माने जाने लगा है। हिन्दू मान्यता के अनुसार भगवान विष्णु पुरी में भोजन करते हैं, रामेश्वरम में स्नान करते हैं, द्वारका में शयन करते हैं और बद्रीनाथ में ध्यान करते हैं। पुरी में भगवान जगन्नाथ के दर्शन के बिना चार धाम यात्रा अधूरी मानी जाती है। भगवान जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा का महत्व जानने के लिए दो कहानियां प्रसिद्द हैं, जिनको आप आगे की स्लाइड्स में जान पाएंगे…
जगन्नाथ से जुड़ी दो दिलचस्प कहानी हैं। पहली कहानी में श्रीकृष्ण अपने परम भक्त राज इन्द्रद्युम्न के सपने में आये और उन्हे आदेश दिया कि पुरी के दरिया किनारे पर पडे एक पेड़ के तने में से वे श्री कृष्ण का विग्रह बनायें।राज ने इस कार्य के लिये काबिल बढ़ई की तलाश शुरु की। कुछ दिनो बाद एक रहस्यमय बूढा ब्राह्मण आया और उसने कहा कि प्रभु का विग्रह बनाने की जिम्मेदारी वो लेना चाहता है।लकिन उसकी एक शर्त थी – कि वो विग्रह बन्द कमरे में बनायेगा और उसका काम खत्म होने तक कोई भी कमरे का दरवाजा नहीं खोलेगा, नहीं तो वो काम अधूरा छोड़ कर चला जायेगा।
Rath Yatra Nibandh in Hindi
Jagannath Rath Yatra 2023 date: वर्ष 2023 में रथ यात्रा 14 जुलाई 2023 की है जो की शनिवार को है| जगन्नाथ पुरी की रथ यात्रा 14/7/2023 को मनाई जाएगी| इस दिन शनिवार का दिन है| आइये अब जाने ratha yatra essay in english, rath yatra essay in odia language, rath yatra essay in oriya language, ratha yatra essay in odia language, essay on rath yatra in bengali language, short essay on rath yatra in hindi, essay on rath yatra in english for class 5, a speech on rath yatra, essay on rath yatra festival, essay on rath yatra for class 2, essay on rath yatra in sanskrit, आदि की जानकारी| इन निबंध को ओरिया, ओड़िया, बंगाली, गुजराती, Hindi font, hindi language, English, Urdu, Tamil, Telugu, Punjabi, English, Haryanvi, Gujarati, Bengali, Marathi, Malayalam, Kannada, Nepali के Language Font के 3D Image, Pictures, Pics, HD Wallpaper, Greetings, Photos, Free Download कर सकते हैं|
रथ यात्रा (Ratha Yatra), भारत का एक हिन्दू त्यौहार है जो प्रभु जगन्नाथ से जुडा हुआ है और (famous festivals of india)विश्व प्रसद्ध तरीके से पूरी, ओडिशा, भारत में मनाया जाता है। रथ यात्रा दर्शन भारत के साथ-साथ दुसरे देशों में भी मनाया जाता है। इस भव्य त्यौहार को भारत के दूरदर्शन चैनल पर सीधा प्रसारण दिखाया जाता है।
यहाँ यह त्यौहार सबसे साहित्यिक है और 10-11 सदियों से लोग इसे मानते चले आ रहे हैं। इसकी पूरी जानकारी मौजूद है ब्रह्म पुराण में, पद्म पुराण में, स्कन्दा पुराण में तथा कपिला समिथा में। हर साल रथ यात्रा अषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष द्वितीय के दिन मनाया जाता है।
इस भव्य त्यौहार को मनाने के लिए पुरे विश्व भर से लोग पूरी पहुँचते हैं जो बडदांड चौक, पूरी में है। रथ यात्रा त्यौहार के दिन भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भाई बलभद्र और छोटी बहन सुभद्रा के रथ को श्रद्धालु खिंच कर मुख्य मंदिर जगन्नाथ मंदिर से उनकी मौसी के घर गुंडीचा मदिर ले कर जाते हैं। वहाँ तीनो रथ 9 दिन तक रहते हैं। उसके बाद इन तीनो रथ की रथ यात्रा वापस अपने मुख्य जगन्नाथ मंदिर जाती है जिसे बहुडा जात्रा कहा जाता है।
Rath Yatra Par Nibandh in Gujarati
જગન્નાથપુરીની રથયાત્રા ભારતભરમાં ઉજવાતા સૌથી મહત્વપૂર્ણ તહેવારોમાંની એક છે. આ પરંપરાગત રથયાત્રા માત્ર હિન્દુસ્તાનના આકર્ષણનું કેન્દ્ર નથી પણ વિદેશી ભક્તો પણ છે. ભગવાન કૃષ્ણની રથયાત્રાના ગુણને સો યજ્ઞના સમાન ગણવામાં આવે છે.
પૂરી જગન્નાથ મંદિર ભક્તો માટે વિશ્વાસનું કેન્દ્ર છે, જ્યાં સમગ્ર વર્ષ દરમિયાન ભક્તોની ભીડ હોય છે. તેના ઉત્તમ કોતરણી અને ભવ્યતા માટે પ્રખ્યાત. અહીં, રથયાત્રા દરમિયાન, તેની છાંયો અનન્ય છે, જ્યાં ભગવાન જગન્નાથ તેમના જન્મસ્થળ, બહેન સુભદ્રા અને તેમની માતાના આકર્ષણ તરફ આકર્ષાય છે. રથયાત્રા દરમિયાન, ભક્તોને મૂર્તિઓ સીધી સીધી પહોંચવાની તક મળે છે.
આ દસ દિવસનું તહેવાર છે. આ દસ દિવસની તહેવારની તૈયારી શ્રીકૃષ્ણ, બલરામ અને સુભદ્રના રથના નિર્માણથી કરવામાં આવે છે, અને સમગ્ર મહિના દરમિયાન કેટલાક ધાર્મિક સમારંભ પણ હાથ ધરવામાં આવે છે.
જગન્નાથજીના રથને ‘ગૃધવજ’ અથવા ‘કપિલવજ’ કહેવાય છે. 16 પૈડાવાળી રથ 13.5 મીટર ઊંચી છે, જેમાં લાલ અને પીળો રંગનો ઉપયોગ થાય છે. ગરુડ, વિષ્ણુના વાહક, તેનું રક્ષણ કરે છે. રથ પર ધ્વજને ‘તાલોકયમહિની’ કહેવામાં આવે છે. બલરામના રથને ‘તલભુજ’ તરીકે ઓળખવામાં આવે છે, જે 14 વ્હીલ્સ 13.2 મીટર ઊંચી છે. તે લાલ, લીલા કાપડ અને લાકડાનો 763 ટુકડા બને છે. રથ વાસુદેવ અને સારથી મુટલે દ્વારા સંરક્ષિત છે. રથ ધ્વજને અસાની કહેવામાં આવે છે. ત્રિભૂષણ, ઘોરા, લોંગશાર્મા અને સ્વર્ણવાજા તેના ઘોડા છે. દોરડું રથ દ્વારા ખેંચાય છે, તેને બેસુકી કહેવામાં આવે છે. ‘પદ્મધવ’ એટલે સુભદ્રાનું રથ. 12.9 મીટર ઊંચી 12-વ્હીલ રથ લાલ, કાળા કાપડ સાથેના 593 ટુકડા લાકડાનો ઉપયોગ કરે છે. રથના રક્ષક, જુંદુર્ગા અને સરાઠી અર્જુન છે. રથવાર્વને નાડમ્બીક કહેવામાં આવે છે. રોચિક, મોચિક, ઝિતા અને અપારજીતા તેના ઘોડા છે. ખેંચીને દોરને ગોલ્ડન ચુનાડા કહેવામાં આવે છે.
Rath Yatra Essay in Hindi
रथ यात्रा का महत्व इस बात से लगाया जा सकता है कि जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा दर्शन के लिए लाखों की संख्या में बच्चे, वृद्ध युवा, नारी देश के कोने-कोने से आते हैं।
उड़ीसा का पुरी जिसे पुरुषोत्तम पुरी के नाम से भी जाना जाता है, भगवान जगन्नाथ की लीला भूमि है। भगवान जगन्नाथ उड़ीसा प्रदेश के प्रधान देवता माने जाते हैं।
भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को जगन्नाथपुरी में शुरू होती है। जो की नौ दिनों तक चलती है। रथ यात्रा को पुरी का मुख्य त्यौहार माना जाता है। इस बार रथ यात्रा आषाढ़ शुक्ल द्वितीया यानि 14 जुलाई 2023 (शनिवार) को है।रथ यात्रा के बनाई गयी मूर्ति कला और समुद्र का मनोरम किनारा हर किसी को आकर्षित करता है। कोणार्क का अद्भुत सूर्य मंदिर, भगवान बुद्ध की अनुपम मूर्तियों से सजा धौल-गिरि और उदय-गिरि की गुफाएं जैन मुनियों की तपस्थली खंड-गिरि कीगुफाएं, लिंग-राज, साक्षी गोपाल और भगवान जगन्नाथ के मंदिर अत्यधिक रमणीय और दर्शनीय हैं।पुरी और चन्द्रभागा का मनोरम समुद्री किनारा, चन्दन तालाब, जनकपुर और नन्दन कानन अभयारण्य बड़ा ही मनोरम और दर्शनीय है। शास्त्रों और पुराणों में भी रथ यात्रा के महत्व को दर्शाया गया है।
स्कन्द पुराण में स्पष्ट कहा गया है कि रथ-यात्रा में जो व्यक्ति श्री जगन्नाथ जी के नाम का कीर्तन करता हुआ गुंडीचा नगर तक जाता है। वह पुनर्जन्म से मुक्त हो जाता है।साथ ही जो व्यक्ति श्री जगन्नाथ जी का दर्शन करते हुए, प्रणाम करते हुए मार्ग के धूल-कीचड़ आदि में लोट-लोट कर जाते हैं, वे सीधे भगवान श्री विष्णु के उत्तम धाम को जाते हैं।जो व्यक्ति गुंडिचा मंडप में रथ पर विराजमान श्री कृष्ण, बलराम और सुभद्रा देवी के दर्शन दक्षिण दिशा को आते हुए करते हैं वे मोक्ष को प्राप्त होते हैं। रथयात्रा एक ऐसा पर्व है जिसमें भगवान जगन्नाथ चलकर जनता के बीच आते हैं और उनके सुख दुख में सहभागी होते हैं। सब मनिसा मोर परजा (सब मनुष्य मेरी प्रजा है), ये उनके उद्गार है।
Rath Yatra Essay in Odia
भारत भर में मनाए जाने वाले महोत्सवों में जगन्नाथपुरी की रथयात्रा सबसे महत्वपूर्ण है। यह परंपरागत रथयात्रा न सिर्फ हिन्दुस्तान, बल्कि विदेशी श्रद्धालुओं के भी आकर्षण का केंद्र है। श्रीकृष्ण के अवतार जगन्नाथ की रथयात्रा का पुण्य सौ यज्ञों के बराबर माना गया है।
पुरी का जगन्नाथ मंदिर भक्तों की आस्था केंद्र है, जहां वर्षभर श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है। जो अपनी बेहतरीन नक्काशी व भव्यता लिए प्रसिद्ध है। यहां रथोत्सव के वक्त इसकी छटा निराली होती है, जहां प्रभु जगन्नाथ को अपनी जन्मभूमि, बहन सुभद्रा को मायके का मोह यहां खींच लाता है। रथयात्रा के दौरान भक्तों को सीधे प्रतिमाओं तक पहुंचने का मौका भी मिलता है।
यह दस दिवसीय महोत्सव होता है। इस दस दिवसीय महोत्सव की तैयारी का श्रीगणेश अक्षय तृतीया को श्रीकृष्ण, बलराम और सुभद्रा के रथों के निर्माण से होता है और कुछ धार्मिक अनुष्ठान भी महीने भर किए जाते हैं।
जगन्नाथजी का रथ ‘गरुड़ध्वज’ या ‘कपिलध्वज’ कहलाता है। 16 पहियों वाला रथ 13.5 मीटर ऊंचा होता है जिसमें लाल व पीले रंग के कप़ड़े का इस्तेमाल होता है। विष्णु का वाहक गरुड़ इसकी हिफाजत करता है। रथ पर जो ध्वज है, उसे ‘त्रैलोक्यमोहिनी’ कहते हैं। बलराम का रथ ‘तलध्वज’ के बतौर पहचाना जाता है, जो 13.2 मीटर ऊंचा 14 पहियों का होता है। यह लाल, हरे रंग के कपड़े व लकड़ी के 763 टुकड़ों से बना होता है। रथ के रक्षक वासुदेव और सारथी मताली होते हैं। रथ के ध्वज को उनानी कहते हैं। त्रिब्रा, घोरा, दीर्घशर्मा व स्वर्णनावा इसके अश्व हैं। जिस रस्से से रथ खींचा जाता है, वह बासुकी कहलाता है।’पद्मध्वज’ यानी सुभद्रा का रथ। 12.9 मीटर ऊंचे 12 पहिए के इस रथ में लाल, काले कपड़े के साथ लकड़ी के 593 टुकड़ों का इस्तेमाल होता है। रथ की रक्षक जयदुर्गा व सारथी अर्जुन होते हैं। रथध्वज नदंबिक कहलाता है। रोचिक, मोचिक, जिता व अपराजिता इसके अश्व होते हैं। इसे खींचने वाली रस्सी को स्वर्णचुडा कहते हैं।
Rath Yatra Essay in Bengali
জগন্নাথপুরির রথযাত্রা সমগ্র ভারতে পালিত সবচেয়ে গুরুত্বপূর্ণ উত্সবের অন্যতম। এই ঐতিহ্যবাহী রথযাত্রাটি শুধু হিন্দুস্তানের আকর্ষণের কেন্দ্র নয়, বিদেশী ভক্তদেরও। ভগবান শ্রীকৃষ্ণের রথযাত্রাটির সদৃশ শত শতকের সমান বলে বিবেচিত হয়।
পুরি জগন্নাথ মন্দিরটি ভক্তদের জন্য বিশ্বাসের একটি কেন্দ্র, যেখানে সারাবছর ভক্তদের ভিড় রয়েছে। তার চমৎকার carvings এবং মহত্ত্ব জন্য বিখ্যাত। এখানে, রথযাত্রার সময়, তার ছায়া অনন্য, যেখানে লর্ড জগন্নাথ তার জন্মস্থান, বোন সুভূদ্রা এবং তার মা এর আকর্ষণে আকৃষ্ট হয়। রথযাত্রার সময় ভক্তরা সরাসরি মূর্তিগুলিতে সরাসরি পৌঁছানোর সুযোগ পায়।
এটি একটি দশ দিন উৎসব। এই দশ দিনের উৎসব প্রস্তুতি শ্রীকৃষ্ণ, বাল্রম ও সুভূর রথ নির্মাণ দ্বারা সম্পন্ন হয়, এবং কিছু ধর্মীয় অনুষ্ঠানও সারা মাস ধরে পরিচালিত হয়।
জগন্নাথের রথটিকে ‘গুরত্বভজ’ বা ‘কাপিলভভ’ বলা হয়। 16-চক্রের রথ 13.5 মিটার উচ্চ, লাল এবং হলুদ কাপড় ব্যবহৃত হয়। বিষ্ণুর বাহক গরুড়, এটি রক্ষা করে। রথের পতাকাটি ‘ট্রলকয়মোহিনী’ নামে পরিচিত। বালামের রথটি ‘তালুহুজ’ নামে পরিচিত, যা 14 টি চাকা 13.2 মিটার উচ্চ। এটি 763 টুকরো লাল, সবুজ কাপড় এবং কাঠের তৈরি। রথগুলি বাগানে বাজীদ এবং সারথি মুথালে দ্বারা সংরক্ষিত। রথের পতাকাটি আসানী বলা হয়। ত্রিরা, ঘোড়া, লঙ্গশার্মা এবং স্বর্ণাভায় তার ঘোড়া। রথটি দ্বারা রশিটি টানা হয়, এটি বসুকি নামে পরিচিত। পদ্মভূষণ অর্থ সুধাদর রথ। 12.9 মিটার উচ্চ 1২-চক্র রথ লাল, কালো কাপড় দিয়ে 593 টুকরা কাঠ ব্যবহার করে। রথের রক্ষিবাহিনী, জ্যন্ডুর্গ ও সারথি অর্জুন। র্যাভভভকে নাদাম্বিক বলা হয়। রচিক, মোচিক, জিতা এবং অপরাজিটি তার ঘোড়া। টানা দৌড়কে গোল্ডেন চুনডা বলা হয়।
Rath Yatra Essay in English
Ratha Yatra also referred to as Rathayatra, Rathjatra or Chariot festival is any public procession in a chariot.The term particularly refers to the annual Rathayatra in Odisha, Jharkhand and other East Indian states , particularly the Odia festival. that involve a public procession with a chariot with deities Jagannath (Vishnu avatar), Balabhadra (his brother), Subhadra (his sister) and Sudarshana Chakra (his weapon) on a ratha, a wooden deula-shaped chariot. It attracts over a million Hindu pilgrims who join the procession each year.
Rathayatra processions have been historically common in Vishnu-related (Jagannath, Rama, Krishna) traditions in Hinduism across India,[6] in Shiva-related traditions, saints and goddesses in Nepal, with Tirthankaras in Jainism, as well as tribal folk religions found in the eastern states of India. Notable ratha yatras in India include the Ratha yatra of Puri, the Dhamrai Ratha Yatra and the Ratha Yatra of Mahesh. Hindu communities outside India, such as in Singapore, celebrate Rathayatra such as those associated with Jagannath, Krishna, Shiva and Mariamman. According to Knut Jacobsen, a Rathayatra has religious origins and meaning, but the events have a major community heritage, social sharing and cultural significance to the organizers and participants.
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