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गुरु पूर्णिमा पर निबंध 2023-24 Guru Purnima essay in Hindi & English – Guru Purnima Nibandh in Marathi Language

गुरु पूर्णिमा पर निबंध

Guru Purnima 2023 : गुरु पूर्णिमा हिन्दू धर्म के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण पर्व है| यह पर्व हर साल अषाढा पूर्णिमा के दिन पूर्ण चाँद वाले दिन मनाया जाता है| इस साल 2023 को यह पर्व 03 जुलाई शुक्रवार के दिन पड़ रहा है| यह पर्व भारत के पौराणिक इतिहास के महान संत ऋषि व्यास की याद में मनाया जाता है| ऋषि व्यास ने वेदो की रचना करि थी| इस दिन को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है| यह पर्व हिन्दू धर्म के साथं जैन और बौद्ध धर्म का भी त्योहार है| इस दिन को समूचे भारत के सभ गुरुओ और शिक्षकों के सम्मान में मनाया जाता है|आज के इस पोस्ट में हम आपको , गुरु पूर्णिमा का महत्व, गुरु पूर्णिमा क्यों मनाई जाती है, गुरु पूर्णिमा निबंध मराठी, गुरु पूर्णिमा कब है, गुरु पूर्णिमा 2017, Essay on Guru Purnima in Hindi, गुरु पूर्णिमा पर निबन्ध इन मराठी, हिंदी, इंग्लिश, बांग्ला, गुजराती, तमिल, तेलगु, आदि की जानकारी देंगे जिसे आप अपने स्कूल के निबंध प्रतियोगिता, कार्यक्रम या भाषण प्रतियोगिता में प्रयोग कर सकते है| ये निबंध खासकर कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए दिए गए है|

गुरु पूर्णिमा निबंध

गुरू पूर्णिमा का पर्व पूरे देश मनाया जाना स्वाभाविक है। भारतीय अध्यात्म में गुरु का अत्ंयंत महत्व है। सच बात तो यह है कि आदमी कितने भी अध्यात्मिक ग्रंथ पढ़ ले जब तक उसे गुरु का सानिध्य या नाम के अभाव में ज्ञान कभी नहीं मिलेगा वह कभी इस संसार का रहस्य समझ नहीं पायेगा। इसके लिये यह भी शर्त है कि गुरु को त्यागी और निष्कामी होना चाहिये। दूसरी बात यह कि गुरु भले ही कोई आश्रम वगैरह न चलाता हो पर अगर उसके पास ज्ञान है तो वही अपने शिष्य की सहायता कर सकता है। यह जरूरी नही है कि गुरु सन्यासी हो, अगर वह गृहस्थ भी हो तो उसमें अपने त्याग का भाव होना चाहिये। त्याग का अर्थ संसार का त्याग नहीं बल्कि अपने स्वाभाविक तथा नित्य कर्मों में लिप्त रहते हुए विषयों में आसक्ति रहित होने से है।

हमारे यहां गुरु शिष्य परंपरा का लाभ पेशेवर धार्मिक प्रवचनकर्ताओं ने खूब लाभ उठाया है। यह पेशेवर लोग अपने इर्दगिर्द भीड़ एकत्रित कर उसे तालियां बजवाने के लिये सांसरिक विषयों की बात खूब करते हैं। श्रीमद्भागवतगीता में वर्णित गुरु सेवा करने के संदेश वह इस तरह प्रयारित करते हैं जिससे उनके शिष्य उन पर दान दक्षिण अधिक से अधिक चढ़ायें। इतना ही नहीं माता पिता तथा भाई बहिन या रिश्तों को निभाने की कला भी सिखाते हैं जो कि शुद्ध रूप से सांसरिक विषय है। श्रीमद्भागवत गीता के अनुसार हर मनुष्य अपना गृहस्थ कर्तव्य निभाते हुए अधिक आसानी से योग में पारंगत हो सकता है। सन्यास अत्यंत कठिन विधा है क्योंकि मनुष्य का मन चंचल है इसलिये उसमें विषयों के विचार आते हैं। अगर सन्यास ले भी लिया तो मन पर नियंत्रण इतना सहज नहीं है। इसलिये सरलता इसी में है कि गृहस्थी में रत होने पर भी विषयों में आसक्ति न रखते हुए उनसे इतना ही जुड़ा रहना चाहिये जिससे अपनी देह का पोषण होता रहे। गृहस्थी में माता, पिता, भाई, बहिन तथा अन्य रिश्ते ही होते हैं जिन्हें तत्वज्ञान होने पर मनुष्य अधिक सहजता से निभाता है। हमारे कथित गुरु जब इस तरह के सांसरिक विषयों पर बोलते हैं तो महिलायें बहुत प्रसन्न होती हैं और पेशेवर गुरुओं को आजीविका उनके सद्भाव पर ही चलती है। समाज के परिवारों के अंदर की कल्पित कहानियां सुनाकर यह पेशेवक गुरु अपने लिये खूब साधन जुटाते हैं। शिष्यों का संग्रह करना ही उनका उद्देश्य ही होता है। यही कारण है कि हमारे देश में धर्म पर चलने की बात खूब होती है पर जब देश में व्याप्त भ्रष्टाचार, अपराध तथा शोषण की बढ़ती घातक प्रवृत्ति देखते हैं तब यह साफ लगता है कि पाखंडी लोग अधिक हैं।

गुरु पूर्णिमा निबंध मराठी

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गुरु पौर्णिमेचा उत्सव संपूर्ण देशाचा स्वाभाविक उत्सव आहे. भारतीय अध्यात्मवाद मध्ये गुरुला अतुलनीय महत्त्व आहे. सत्य हे आहे की एखाद्या व्यक्तीने कित्येक आध्यात्मिक पुस्तके वाचू शकतात, तो मास्टर किंवा नाव नसल्यामुळे त्याला कधीही ज्ञान मिळणार नाही, तो या जगाचा गुपित कधी समजणार नाही. त्यासाठी एक अट आहे की गुरू अकुशल आणि अकुशल असावा. दुसरे म्हणजे, गुरु जरी आश्रम किंवा इतर चालवत नसले तरी, पण जर ज्ञान असेल तर तो आपल्या शिष्यांना मदत करू शकतो. गुरु भिक्षु आहे, जरी तो एखादा घरमालक असेल तरी त्याच्यामध्ये बलिदान करण्याची गरज नाही. यज्ञ याचा अर्थ जगाचा त्याग करणे नाही तर त्याच्या नैसर्गिक व नियमित कृतींमध्ये सहभागी होणे, त्या विषयाशी निगडीत असणे.

येथे गुरु अनुयायी परंपरेचा लाभ हा आहे की अनेक व्यावसायिक धार्मिक समालोचकांना त्याचा फायदा झाला आहे. हे व्यावसायिक लोक गर्दीभोवती गोळा होतात आणि त्यांच्याशी सांस्कृतिक समस्यांविषयी बोलतात. श्रीमद भगवत गीता मध्ये वर्णन केल्याप्रमाणे त्याने गुरुची सेवा करण्याच्या संदेशाला उपदेश केला, जेणेकरून त्यांचे प्राणी दक्षिणाहून जास्त शक्य तितक्या भेट देतील. एवढेच नाही, तर आई-वडील आणि भावंडसुद्धा संबंध खेळण्याची कला शिकवतात, जी एक पूर्णपणे सांस्कृतिक विषय आहे. श्रीमदभागवत गीता मते, प्रत्येक मनुष्य आपल्या घरचे कर्तव्य पार पाडताना योगामध्ये अधिक कुशल होऊ शकतात. सलोखा हा फार कठीण अवस्था आहे कारण मानवी मन आनंदी आहे आणि म्हणूनच या विषयांचे विचार त्यात येतात. आपण संन्याश घेतल्यास मनावर नियंत्रण करणे सोपे नाही. म्हणूनच साधेपणा म्हणजे घरामध्ये गुंतवलेल्या असूनही त्यांनी त्यांच्या शरीरावर संलग्नता न ठेवता त्यांच्याशी इतका संलग्न असावे की ते त्यांच्या शरीराला पोषण द्यावे. घरगुती, माता, पिता, भाऊ, बहिणी आणि इतर नातेसंबंध आहेत, जे, जेव्हा तत्त्वज्ञान बनते तेव्हा मनुष्य अधिक सहजतेने खेळतात. जेव्हा आमचे कथित गुरू अशा सांस्कृतिक विषयांवर बोलतो तेव्हा स्त्रिया खूप आनंदी असतात आणि व्यावसायिक गुरुंचे कार्य केवळ त्यांच्या सदिच्छा वर चालते. समाजातील कुटुंबांतील कल्पित समाधी व्यक्त करून या व्यावसायिक गुरूंनी स्वत: साठी भरपूर संसाधने एकत्रित केल्या. शिष्यांना गोळा करण्याचा उद्देश एकच आहे. यही कारण है कि हमारे देश में धर्म पर चलने की बात खूब होती है पर जब देश में व्याप्त भ्रष्टाचार, अपराध तथा शोषण की बढ़ती घातक प्रवृत्ति देखते हैं तब यह साफ लगता है कि पाखंडी लोग अधिक हैं.

गुरु चे महत्व निबंध

Guru Purnima essay in Hindi

गुरु पौर्णिमा हे भारतातील प्रसिद्ध सणांपैकी एक आहे. हिन्दू पंचांग के अनुसार आषाढ के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है इसे व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि ऐसा माना जाता है के इस दिन भगवान वेद व्यास ने महाभारत की रचना की थी यह त्यौहार पूरे भारत में हा मोठा उत्साह आणि आदराने साजरा केला जातो. गुरु पौर्णिमाचा हा उत्सव गुरुला आदर आणि समर्पण करण्याचा सण आहे. असे मानले जाते की या दिवशी गुरूंच्या हृदयाच्या उपासनेला गुरुची सुरुवात करण्याची कृपा होते. या दिवशी बरेच लोक त्यांच्या गुरुसाठी उपास करीत असतात.

असे मानले जाते की जेव्हा प्राचीन काळात प्राचीन काळापासून विद्वानांनी आपल्या गुरुकडून संपूर्ण शिक्षण घेतले, तेव्हा या उत्सवाच्या वेळी त्यांनी आपल्या उपासनेत दक्षिणा देऊन आपल्या गुरुची उपासना केली. आश्रमात, उपासनेची व सेवेची विशेष सेवा वापरली जात असे आणि अनेकांना आपल्या धन्याच्या नावात दान देण्याकरिता वापरले जात असे.

सिख धर्म में गुरु पूर्णिमा (गुरु पौर्णिमा) का विशेष महत्व है क्योंकि सिख धर्म में दस गुरुओं का अपना विशेष महत्व है शास्त्रों में गुरु का अर्थ है गु यानी के अंधकार और रु का अर्थ होता है प्रकाश मतलब के गुरु एक इंसान को अज्ञान रुपी अंधकार ज्ञान पासून प्रकाश रक्कम दिशेने ला.

गुरुला समर्पित केलेले हा सण म्हणजे आपल्या गुरुसाठी प्रेम आणि श्रद्धा बाळगून ठेवा.

Guru Purnima Essay in English

One of the most important festivals celebrated in India is the Guru Purnima. It is a festival for the Hindus as well as the Buddhists. Guru Purnima is basically a way by which students show their love and gratitude towards their Guru or the teacher. The festival is celebrated according to the Hindu calendar which is on the first full moon day of Asadh or according to the English calendar, the month of July.According to what Indian shastra says, the word Guru is derived from two Sanskrit words “Gu” and “Ru” of which the former means ignorance and darkness in a person and the latter means someone who removes that darkness from the person. So the word Guru means the person who removes the darkness and ignorance from someone. According to the Hindu shastra the festival of Guru Purnima is celebrated to mark the birth of Guru Vyas. Guru Vyas is the person who wrote the 4 vedas, 18 puranas and the Mahabharata.

Celebration of Guru Purnima is something that should be seen by people. There are many schools that celebrate this festival in the traditional way by washing the feet of the Gurus which in Hinu terms is called as “Padapuja”. After that there are many programs organized by the disciples which include classical songs, dance, havans, kirtans and the Giya recitation. Various gifts in the form of flowers and “Uttariya” (a kind of stole) is given to the Gurus.
The Buddhists on the other hand celebrate this day to honor their leader Lord Buddha who delivered his first Sermon on this day at Saranath after having migrated from Bodhgaya with 5 of his disciples. They meditate on this day and read the teachings of Lord Buddha. They also observe “upostha” which is a Buddhists tradition followed on this day.

Guru Purnima Essay in Hindi

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गुरु पूर्णिमा के पावन पर्व पर, विश्व के समस्त गुरुजनों को मेरा शत् शत् नमन। गुरु के महत्व को हमारे सभी संतो, ऋषियों एवं महान विभूतियों ने उच्च स्थान दिया है।संस्कृत में ‘गु’ का अर्थ होता है अंधकार (अज्ञान)एवं ‘रु’ का अर्थ होता है प्रकाश(ज्ञान)। गुरु हमें अज्ञान रूपी अंधकार से ज्ञान रूपी प्रकाश की ओर ले जाते हैं।

हमारे जीवन के प्रथम गुरु हमारे माता-पिता होते हैं। जो हमारा पालन-पोषण करते हैं, सांसारिक दुनिया में हमें प्रथम बार बोलना, चलना तथा शुरुवाती आवश्यकताओं को सिखाते हैं। अतः माता-पिता का स्थान सर्वोपरी है। जीवन का विकास सुचारू रूप से सतत् चलता रहे उसके लिये हमें गुरु की आवश्यकता होती है। भावी जीवन का निर्माण गुरू द्वारा ही होता है।

मानव मन में व्याप्त बुराई रूपी विष को दूर करने में गुरु का विषेश योगदान है। महर्षि वाल्मिकी जिनका पूर्व नाम ‘रत्नाकर’ था। वे अपने परिवार का पालन पोषण करने हेतु दस्युकर्म करते थे। महर्षि वाल्मिकी जी ने रामायण जैसे महाकाव्य की रचना की, ये तभी संभव हो सका जब गुरू रूपी नारद जी ने उनका ह्दय परिर्वतित किया। मित्रों, पंचतंत्र की कथाएं हम सब ने पढी या सुनी होगी। नीति कुशल गुरू विष्णु शर्मा ने किस तरह राजा अमरशक्ती के तीनों अज्ञानी पुत्रों को कहानियों एवं अन्य माध्यमों से उन्हें ज्ञानी बना दिया।

स्वामी विवेकानंद जी को बचपन से परमात्मा को पाने की चाह थी। उनकी ये इच्छा तभी पूरी हो सकी जब उनको गुरू परमहंस का आर्शिवाद मिला। गुरू की कृपा से ही आत्म साक्षात्कार हो सका।

गुरू द्वारा कहा एक शब्द या उनकी छवि मानव की कायापलट सकती है। मित्रों, कबीर दास जी का अपने गुरू के प्रति जो समर्पण था उसको स्पष्ट करना आवश्यक है क्योंकि गुरू के महत्व को सबसे ज्यादा कबीर दास जी के दोहों में देखा जा सकता है।

एक बार रामानंद जी गंगा स्नान को जा रहे थे, सीढी उतरते समय उनका पैर कबीर दास जी के शरीर पर पङ गया। रामानंद जी के मुख से ‘राम-राम’ शब्द निकल पङा। उसी शब्द को कबीर दास जी ने दिक्षा मंत्र मान लिया और रामानंद जी को अपने गुरू के रूप में स्वीकार कर लिया। कबीर दास जी के शब्दों में— ‘हम कासी में प्रकट हुए, रामानंद चेताए’। ये कहना अतिश्योक्ति न होगा कि जीवन में गुरू के महत्व का वर्णन कबीर दास जी ने अपने दोहों में पूरी आत्मियता से किया है।

Guru Purnima Nibandh in Gujarati

Guru Purnima 2023 date: आइये जाने की गुरु पूर्णिमा कब है? गुरु पूर्णिमा इस वर्ष 16 जुलाई 2023 को पूरे भारत में मनाया जाएगा| इस दिन शुक्रवार यानी friday का दिन है| अक्सर class 1, class 2, class 3, class 4, class 5, class 6, class 7, class 8, class 9, class 10, class 11, class 12 के बच्चो को कहा जाता है गुरु पूर्णिमा पर निबंध लिखें| आइये देखें Essay on guru purnima, Guru Purnima Quotes in Hindi, गुरु पूर्णिमा एस्से , Guru Purnima WhatsApp Status,गुरु पोर्णिमा च्या निबंध , Guru Purnima Speech in Hindi, guru poornima Essay in hindi, गुरु पूर्णिमा इमेजेज, guru purnima par nibandh, गुरु पूर्णिमा पर भाषण guru purnima essay in gujarati, गुरु पूर्णिमा पर कविता, किसी भी भाषा जैसे Hindi, हिंदी फॉण्ट, मराठी, गुजराती, Urdu, उर्दू, English, sanskrit, Tamil, Telugu, Marathi, Punjabi, Gujarati, Malayalam, Nepali, Kannada के Language Font में साल 2007, 2008, 2009, 2010, 2011, 2012, 2013, 2014, 2015, 2016, 2017 का full collection जिसे आप अपने अध्यापक, मैडम, mam, सर, बॉस, माता, पिता, आई, बाबा, sir, madam, teachers, boss, principal, parents, master, relative, friends & family whatsapp, facebook (fb) व instagram पर share कर सकते हैं हिंदी में 100 words, 150 words, 200 words, 400 words जिसे आप pdf download भी कर सकते हैं| आप सभी को गुरु पूर्णिमा की शुभकामनाएं

ભારતમાં યોજાયેલી સૌથી મહત્વપૂર્ણ તહેવારોમાં ગુરૂ પૂર્ણિમા છે. તે બૌદ્ધ માટે એક તહેવાર છે. ગુરુ પૂર્ણિમા મૂળભૂત રીતે એક રસ્તો છે જેના દ્વારા વિદ્યાર્થીઓ તેમના ગુરુ અથવા શિક્ષક પ્રત્યેના પ્રેમ અને કૃતજ્ઞતા દર્શાવે છે. આ તહેવાર હિન્દૂ કૅલેન્ડર મુજબ ઉજવાય છે, જે અશાદના પ્રથમ પૂર્ણ ચંદ્ર દિવસ પર છે અથવા અંગ્રેજી કૅલેન્ડર મુજબ જુલાઈનો મહિનો છે. ભારતીય વિજ્ઞાન મુજબ, ગુરુ શબ્દ બે સંસ્કૃત શબ્દો “ગુ” અને “રૂ” જેનો અર્થ ભૂતપૂર્વ અર્થ અજ્ઞાનતા અને એક વ્યક્તિમાં અંધકાર અને પછીનો અર્થ છે જે દૂર કરે છે એટલે ગુરુનો અર્થ એ વ્યક્તિ છે હિન્દુ ધર્મ અનુસાર, ગુરુ પૂર્ણિમાનો તહેવાર ગુરુ વ્યાસને ઉજવવામાં આવે છે. ગુરુ વ્યાસ એ વ્યક્તિ છે જેમણે 4 વેદ, 18 પુરાણ અને મહાભારત લખ્યા છે.

ગુરુ પૂર્ણિમાની ઉજવણી લોકો દ્વારા જોઈ શકાય તે કંઈક છે. ત્યાં ઘણી શાળાઓ છે જે પરંપરાગત રીતે આ તહેવારને ગુરુના પગ ધોવાથી ઉજવે છે, જેમાં હિનુ શબ્દને “પદપુજા” કહેવામાં આવે છે. તે પછી શિષ્યો દ્વારા આયોજીત ઘણા કાર્યક્રમો છે જેમાં શાસ્ત્રીય ગીતો, નૃત્ય, હવાન, કીર્તન અને ગિઆના પઠનનો સમાવેશ થાય છે. ફૂલોના સ્વરૂપમાં વિવિધ ભેટો અને ગુરુને આપવામાં આવેલા “ઉતરિયા” (એક પ્રકારનું ચોરી)
બીજી તરફ બૌદ્ધ લોકો તેમના આગેવાન ભગવાન બુદ્ધના માનમાં આ દિવસે ઉજવે છે. તેઓ આ દિવસે ચિંતન કરે છે અને ભગવાન બુદ્ધની ઉપદેશો વાંચે છે. તેઓ “ઉપોસ્તા” નું પણ પાલન કરે છે, જે આ દિવસે એક બૌદ્ધ સંપ્રદાય છે.

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