मतदान पर कविता|Voting Poem for Students|मतदाता दिवस

voting poem for students

लोकतंत्र में मतदान का बहुत महत्व होता है क्यूंकि मतदान से ही लोकतंत्र मजबूत होता है | मतदान के जरिये हम अच्छे सांसद, विधायक, पार्षद, जिला पंचायत सदस्य, जनपद सदस्य चुन सकते हैं जो की एक अच्छी सरकार के तौर पर काम कर देश को विकास के पथ पर ले जाए| यह तभी सम्भव हो सकता है जब देश का प्रत्येक नागरिक मतदान के महत्व को समझे और अपनी समझ और राय के अनुसार सही प्रतिनिधि का चुनाव कर उसको वोट दे | वोट करना देश के लिए हमारी जिम्मेदारी की तरह है | इसलिए हमें मतदान अवश्य करना चाहिए चाहे वो किसी के लिए भी हो |

मतदाता पर कविता

लोकतंत्र मजबूत बनाकर, भारत का उत्थान करें।
जाति-धर्म की तोड़ दीवारें, आओ हम मतदान करें॥
चोर-उचक्के-बाहुबली जो, उनसे हमें न डरना है।
शिक्षित जो सुख-दुःख में शामिल, ऐसे प्रतिनिधि चुनना है।
गाँव-गाँव अरु शहर-शहर में, घर-घर जन अभियान करें।
जाति-धर्म की तोड़ दीवारें, आओ हम मतदान करें॥
कोई हमको लालच दे गर, नहीं जाल में फँसना है।
अपनी बुद्धि-विवेक-ज्ञान से, उत्तम निर्णय करना है।
अमन-चैन के फूल खिलाकर, मनमोहक उद्यान करें।
जाति-धर्म की तोड़ दीवारें, आओ हम मतदान करें॥
मंदिर-मस्जिद वाला मुद्दा, पांच साल में उठता है।
भूत सियासी बड़ा भयंकर, शीश सभी के चढ़ता है।
विकट समस्या इसका कोई, सीधा सरल निदान करें।
जाति-धर्म की तोड़ दीवारें, आओ हम मतदान करें॥
संसद की महती गरिमा को, तार-तार जो करते हैं।
लोकतंत्र के मंदिर में जो, नंगा नर्तन करते हैं।
उन्हें नहीं हम जाने देंगे, शपथ सहित ऐलान करें।
जाति-धर्म की तोड़ दीवारें, आओ हम मतदान करें॥

Poem on voting

जो काम कराए कर्तव्यनिष्ठ हो,
उसी को देना वोट।

भ्रष्ट और निर्मोही को,
अंदर से मारो चोट।।

जो गांवों को चमन बनाए,
गलियों को महकाए।
कोई अशिक्षित रह न पाए।
सब बच्चों को पढ़वाए।।

ऐसे किसी विशेष व्यक्ति को,
दे देना यारों वोट।
भ्रष्ट और निर्मोही को,
अंदर से मारो चोट।।

सच से कभी नहीं डिगा हो,
न कोई किया हो घपला।
हो लोकप्रिय जन-जन का हितैषी,
दूर किया हो झगड़ा।।

ऐसे वीर व्यक्ति को यारा,
सारे देना वोट।
भ्रष्ट और निर्मोही को,
अंदर से मारो चोट।।

Voting poem in hindi

कैसे बीतेंगे आने वाले पाँच बरस,
यह तय करेगा आपका एक वोट,
फिर ना कोई सोए भूखा,
……. कि लोकतंत्र के डंके पे, मारो ऐसी चोट ।

अब ना हो ऐसे चीर हरण,
ना शीश कटें जवानों के,
हर खेत में लहके धानी चुनर,
ना लटके धड़ किसानों के ।
……. कि लोकतंत्र के डंके पे, मारो ऐसी चोट ।

अब ना कोई लूट सके,
इस धरा के खजानों को,
अब ना कोई बाँट सके,
भजनों को अजानों को।
…….. कि लोकतंत्र के डंके पे, मारो ऐसी चोट ।

तन, मन, धन संपन्न बने,
जीते हर इंसान के,
हो दृढ़ चरित्र हर युवा,
हो उद्यम बीज सुजान रे ।
…….. कि लोकतंत्र के डंके पे, मारो ऐसी चोट ।

निश्चल, निर्भय, शिक्षण हो,
हर बेटी बेटे का अधिकार,
कोई ना छीने अपने हक़,
कांपे थर-थर भ्रष्टाचार ।
…….. कि लोकतंत्र के डंके पे, मारो ऐसी चोट ।

हो अश्वमेध फिर विश्व पटल पर,
भारत के अरमानों का,
मिटे जाल सूद, ऋणों का,
डरने और धमकाने का,
……. कि लोकतंत्र के डंके पे, मारो ऐसी चोट ।

देख संभलकर चलना रे,
ओ लोकतंत्र की सेना रे,
पग-पग बैठे लूटने वाले,
बनकर तोता मैना रे,
…… कि लोकतंत्र के डंके पे, मारो ऐसी चोट ।

ना हो बेकार, तेरी मोहर,
तू दिखला दे ऐसा जौहर,
बन पारखी चुन ऐसा राजा रे,
हो न्याय, खुशियों के नौबत बाजा रे,
…… कि लोकतंत्र के डंके पे, मारो ऐसी चोट ।

Matdan par kavita

वोट डालने चलो रे साथी,
लोकतंत्र के बनो बाराती
एक वोट से करो बदलाव
नेताजी के बदलो हाव-भाव

सही उम्मीदवार का करो चुनाव,
बेईमानों को मत दो भाव
आपका वोट है आपकी ताकत
लोकतंत्र की है ये लागत

सुबह सवेरे वोट दे आओ
वोटर ID संग ले जाओ
उस इंसान का करो चुनाव,
जो पार लगाये देश कि नाव

मतदान के दिन घर में मत रहना
वर्ना पांच साल पड़ेगा सहना
भैया, दीदी, चाचा-चाची
वोट दे के आ जाओ जी

झारू, कमल, हाथ या हाथी
वोट दे के बने लोकतंत्र के साथी
लोकतंत्र का आनंद उठाते हो
फिर वोट क्यों नहीं दे आते हो ?

आपके वोट से आएगा बदलाव
समाज सुधरेगा, कम होगा तनाव|

voting poem

Importance of voting poem

मिला मौका है इस बार, कि इतिहास अब बदल दो.
न करनी पड़े फिर से शिकायत, ये हालात अब बदल दो..
मिली आजादी विरासत में हमें, इसे स्वराज में अब बदल दो,
क्यूंकि बहरी, भ्रष्ट है सरकार, अब सरकार ये बदल दो..

अपने नहीं ये हमारे,
ना इनको देश का ही है ख्याल..
ये तो तुर्कों से है लुटेरे,
बुनते हर घडी लूट की चाल..

जनमानस की छोड़ ही दो आप,
इनको माँ भारती का भी ख्याल नहीं..
पकरे गए खरबों की चोरी में,
फिर भी आँखों में है इनके शर्म नहीं..

बख्शी थोड़ी इज्जत है,
जो कह दीया हमने सरकार,
जो दिल से पूछो तो कहूँ,
है यही असली गद्दार..

कभी हमें रंगों में बाँटते,
कभी दीन, दिशा के नाम पर,
देश का दुर्दशा कर दिया,
वोट पाते गाँधी के नाम पर..

इनको नहीं दीखते सपने स्वराज के,
इनको नहीं करनी अब चर्चा, लोकपाल की.
ये तो गूंगे, बहरे लोग है,
क्यूँ इनसे उम्मीदें बेकार की..

यही समय है सोच लो अब आप,
किसको जीते हो,
दिल से हो हिंदुस्तानी,
या अधिकार बस वोटों का रखते हो..

है जमीर जागा हुआ,
या आप भी उनसे हो,
जो नहीं तो फिर क्यूँ,
आप विज्ञापनों पे मरते हो?

आँखे खोलो देखों,
किस हाल में माँ भारती,
जो कर सके सुपरिवर्तन,
अब उसी का साथ दो..

है मुझें उम्मीद खुद से,
ऐतबार आप पे करता हूँ..
इसीलिए अपनी मन की बात,
आप तक सीधे रखता हूँ..

मिला मौका है इस बार, कि इतिहास अब बदल दो.
न करनी परे फिर से शिकायत, ये हालात अब बदल दो..
मिली आजादी विरासत में हमें, इसे स्वराज में अब बदल दो,
क्यूंकि बहरी, भ्रष्ट है सरकार, अब सरकार ये बदल दो..

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Short voting poems

हवा चलने लगी है फिर बदलाव की
घंटी बज चुकी है आने वाले चुनाव की
आओ मिलकर सब एक अभियान करेंगे
आओ मिलकर हम सब मतदान करेंगे।

अम्मा बहना काकी चाची
सुन लो तुम भी भैया भाभी
है चुनाव अब जल्दी आने वाले
घर घर पहुँचेंगे नेताजी
करके सवाल सच झूठ की पहचान करेंगे
आओ मिलकर हम सब मतदान करेंगे।

सरकार को कोसने के दिन भाग गये
अगर अबकी बार तुम जाग गये
किया उपयोग मत का अगर होशियारी से
वोट दिया जो अपना पूरी तैयारी से
खुशहाली के फिर से नये आयाम बनेंगे
आओ मिलकर हम सब मतदान करेंगे।

कुछ लोग तुमको झूठे सपने दिखाएंगे
पैसा का लालच देकर शराब पिलाएंगे
इन सबसे तुम बचकर रहना मेरे दोस्त
ये तुमको जाति धर्म के नाम पर भटकाएंगे
मजहब से ऊपर उठकर लोकतंत्र का सम्मान करेंगे
आओ मिलकर हम सब मतदान करेंगे।

जैसे फूल फूल चुनकर ही चमन बनता है
वैसे वोट वोट जुड़कर प्रजातंत्र का भवन बनता है
हर एक मत कीमती है देश की नज़र में
खबर ये पहुंचा दो सारे शहर में
हम सब मिलकर गणतंत्र का गुणगान करेंगे
आओ मिलकर हम सब मतदान करेंगे।

I vote poem

चुनाव नहीं मतदान करें,
नए भारत का निर्माण करें.

मत दो वोट गिरगिटों को,
न जयचंद की औलादों को,
है जिनका खुद स्पस्ट मत नहीं,
उन गद्दारों को अब वोट न दो।

दो ऐसा मत, सेना का मान बढे,
बेदी हो हर घर, न दूसरी दुर्भाग्यिनि बनें.
फिर कभी कश्मीर में तिरंगा लुटे न,
मुज़फ्फरनगर, कोकराझार में देश टूटे ना.

था विश्वगुरु यह भारत, फिर से वही गौरवमयी इतिहास बनें,
न बटें आपस में पाखंडो के नाम पर,
आदेश हो सर्वधर्म रक्षा की,
आओ ऐसे हम मतदान करें.

चुनते आ रहे पिछले ६५ सालो से,
इस बार, कुछ नया करना है,
अब और ना उलझे रोटी की जद में,
की इस बार मतदान हमें अब करना है.

मत दो ऐसे मतवाले को,
जो हो मतवाला, देश समर्पित,
न करो मतभेद जो भेष न बदले,
होगा काफी वो देश के हालत जो बदले.

भारत जग में और महान बने,
गौ, गंगा, गायत्री का भी सम्मान रहे,
कोई रोके न हिंदुस्तानी को हिंदुस्तान में,
सारे वतन में तिरंगा आन रहे.

की अब और नहीं घोटाला हो,
न कलमाड़ी न कोई राजा हो,
न ही लड़ाई छोड़ने वाला बेचारा हो,
जो दम्भ भरे और जग मूक हो जाए,
ऐसे हाथो में तुम कमान को दो.

जो सेवक हो, सेवा का अनुभव भी हो,
ऐसे सक्षम बेटे को बल अब दो,
क्या हुआ जो गांधी सा नाम नहीं,
कम है क्या बारह सालों में कोई दाग नहीं?

आप मत उलझो मेरे शब्दों में,
बस खुद से कुछ सवाल करो,
क्यों घेर रहे सब मिलके, उसको अभिमन्यु सा,
क्यों नहीं उससे कोई तरक्की की बात करें?

जो मिले जवाब उस को बुलंद करो,
जीते कोई जीत हो भारत की,
बस इतना ही तुम ख्याल रखो,
इस बार से वोट नहीं,
अपने मत का तुम दान करों,
की आओ इस बार मतदान करो|

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