भारत में कई तारीखों पर शहीद दिवस(Shahid Diwas) मनाया जाती हैं जिनमे से कुछ प्रमुख हैं :- 30 जनवरी(January),23rd march, 21 अक्टूबर(October), 17 नवम्बर, 19 नवम्बर(November) तथा 27 मई(May)।इस दिन Prime Minister of India(प्रधान मंत्री ), President of India(राष्ट्र पति) दिल्ली के राजघाट पर बापू की समाधि पर फूलों की माला चढ़ाकर उन्हे श्रद्धांजलि देते है ओर 2 मिनट का मौन व्रत धरण करते हैं।इस आर्टिकल में आपको सहिद दिवस से जुड़ी जानकारी प्राप्त होगी जेसे की shahid diwas date in india कब मनाया जाएगा,shahid diwas of india और Martyr’s Day india 2022 कब हैं आदि। शहीद दिवस के मौके पर स्कूल-कॉलेज और दफ्तरों में निबंध लेखन, भाषण, वाद-विवाद, कविता-पाठ व अन्य प्रतियोगिता जैसे कार्यक्रमों का आयोजन होता है। उनके लिए देखें ये ख़ास पेशकश
Facts on Martyrs Day
- Martyrs Day भारत के इतिहास का बहुत बड़ा दिन हैं क्योंकि इसदिन “Father of Nation” Mahatma Gandhi को गोली मारकर उनकी हत्या कर दी थी।
- उनकी पुण्यतिथि को हर वर्ष हम सब शहीदी दिवस के रूप मे मानते हैं। यह दिवस हम 30 January को मनाते हैं।
- सन 1948 में Nathuram Godse ने राष्ट्रीय पिता को गोली से मार दिया था।
- यह हत्याकांड बिड़ला हाउस में शाम के समय हुआ था,वे उस समय 78 वर्ष के थे।गोडसे राष्ट्र पिता के विचारों से संतुष्ट नहीं थे और इसी कारण उन्होने महात्मा गांधी पर (Fire )किया।
- shaheed diwas को हम 23 मार्च 1931 को भी सेलब्रैट करते हैं है क्योंकि इस दिन Bhagat Singh(भगत सिंह), Rajguru,(राजगुरु )Sukhdev (सुखदेव )को capital punishment (फाँसी) दी थी।
भगत सिंह युवाओं के लिया प्रेरणास्त्रोत है इसलिए आज भी उनके शहीद दिवस पर शयरियाँ, और कविता जैसे कार्यक्रम होते हैं ।
प्रस्तावना
shaheed diwas 2022 हम अपने शहीदों (Martyr’s) की याद मे बनाते हैं। यह हर एक राष्ट्र(every country) में मनाया जाता है और सभी का मनाने का अपना अलग दिन होता हैं। यह एक वार्षिक दिन है जो शहीद हुए सैनिक(sainik) को सलामी देने (salute)के लिए मनाया जाता हैं जिन सैनिकों ने बिना अपनी और अपने घर वालों की परवाह किए देश की रक्षा के लिए अपनी जान गवा दी।
शहीद दिवस कैसे मनातें हैं?
इसको हम सर्वोदय दिवस के नाम से भी जानते हैं।जिन सैनिकों ने अपने देश के कल्याण के लिए, प्रगति के लिए और देश को आजाद करनी के लिए अपने प्राण संकट में डाले,अपने परिवार वालों से दूर रहे और लड़ते लड़ते अपने प्राण गवा दिए यह दिवस उन सैनिकों की याद में उन्हे श्रद्धांजलि के तौर पर मनाते हैं।यह दिवस 15 देशों में मनाया जाने वाला दिन है ओर हमारा भारत उन देशों मे से एक हैं।
इस दिवस पर भारत वर्ष में 2 मिनट (2 minute )का मौन धरण किया जाता है और महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi )और अन्य शहीदों (Martyr’s)को याद किया जाता हैं। सभी रीलिजन(Religion) के लोग प्रार्थना करते हैं।
शहीद दिवस पर विशेष जानकारी
- Bhagat Singh(भगत सिंह) पर 12 साल(12years) की उम्र में जलियाँवाला बाग हत्याकांड(Jallianwala Bagh Tragedy) का बहुत घर असर हुआ और उन्होंने लाहौर(Lahore) में नैशनल कॉलेज(National College) की पढ़ाई को छोड़कर bharat की आजादी के लिए “नोजवान भारत सभा “(Naujawan Bharat Sabha)का आयोजन किया।
- सन 1931 को भागत सिंह, सुखदेव गुरु, राजगुरु ने हस्ते-हस्ते बलिदान दिया था।
- इन्होंने देश की आजादी के लिए अंग्रेजों से डटकर सामना किया।
- उनका नारा ‘इंकलाब जिंदाबाद’ (iनकिलब zindabad )का नारा (slogan)काफी प्रसिद्ध हुआ।
भगत सिंह का आखिरी पत्र
भगत सिंह ने अपने अंतिम समय में अपने पिता को पत्र लिखा जिसमे उन्होंने अपने दादाजी और अपने देशभक्ति की चर्चा की।उन्होंने कहा की अपनी ज़िंदगी उन्होंने भारत के महान संकल्प के लिए न्योछावर कर दी हैं ,अपने जीवन से जुड़े सभी सुख सुविधाएँ, चेयन ओर आराम,दुख ,सुख त्याग दिए हैं क्योंकि उनके बाल्यकाल के समय दादाजी ने जनेऊ प्रतिज्ञा संस्कार में वतन की सेवा के लिए उन्हे दान कर दिया था और वे उसी कर्तव्य को पूरा करने के लिए वतन को आत्मसमर्पण कर रहे हैं।
उपसंहार
हमे अपने स्वतंत्रता सेनानियों का सम्मान करना चाहिए , उनके बलिदान और त्याग को याद रखना चाहिए क्योंकि उन्ही सैनिकों के कारण आज हम स्वतंत्र हुए है और अंग्रेजों के शासन से मुक्त कराया।हमे अपने सैनिकों और उनके परिवार जनों पर गर्व करना चाहिए की उनके घर के सदस्य देश के काम आए।
शहीद दिवस निबंध
शहीद दिवस क्यों मनाया जाता हैं ? Why do We Celebrate Martyrs Day
इसके पीछे का कारण है 23 मार्च 1931 को भगत सिंह राजगुरु और सुखदेव को फाँसी की सजा दी गयी थी । इस वजह से ही शहीद दिवस मनाया जाता हैं ।
भगत सिंह ने सांडर्स की गोली मारकर हत्या कर दी और असेम्बली में बम विस्फोट भी किया। जिस कारण इन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। और फांसी की सजा सुना दी गयी।
फांसी की सजा 24 मार्च को सुनाई गई थी।
परन्तु उससे एक दिन पहले ही उनको और उनके साथियों को रात में ही फाँसी में चढ़ा दिया गया । और उनके शवो को उनको घर वालो को ना सौप कर सतलज नदी के किनारे जला दिया गया था । तभी से 23 मार्च को हम सभी शहीद दिवस मानते हैं ।