अब्दुल रहीम खान ए खाना जिन्हे हम रहीम के नाम से भी जानते हैं एक माहिर प्रशासक, आश्रयदाता, दानवीर, कूटनीतिज्ञ, बहुभाषाविद, कलाप्रेमी, एवं कवी भी थे| वह मुगल सम्राट अकबर की अदालत में एक कवि थे और मुगल सम्राट अकबर के एक महान तुर्की राजनेता, योद्धा और देखभाल करने वाले बैराम खान के बेटे थे। वह अकबर के बेटे भी कहे जाते थे क्योकि अकबर ने बैराम खान की पत्नी से विवाह किया था। वह एक बहुत उदार व्यक्ति थे और गरीबों और जरूरतमंद लोगों की सहायता के लिए भी जाने जाते थे| यह दोहे खासकर कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए दिए गए है|
Rahim ke dohe
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कहि ‘रहीम’ संपति सगे, बनत बहुत बहु रीति। बिपति-कसौटी जे कसे, सोई सांचे मीत॥ Share on X जाल परे जल जात बहि, तजि मीनन को मोह। ‘रहिमन’ मछरी नीर को तऊ न छाँड़ति छोह॥ Share on X