राधा अष्टमी २०२1 : राधा अष्टमी का दिन हम राधा रानी के जन्मदिवस की तरह मनाते है इस दिन राधा रानी का जन्म हुआ था राधा अष्टमी का दिन पुरे त्योहार की तरह और जोश के साथ मनाया जाता है मधुरा मै इस जन्माष्टमी की तरह मनाते है धूम धाम से मनाया जाता है राधाअष्टमी 26 अगस्त 2020 को मनाई जाएगी | आइये जानें राधा अष्टमी कब की है यानी कितनी तारीख की है, व्रत कथा, राधा अष्टमी की कहानी व इसे कैसे मनाते हैं |
राधा अष्टमी कब है 2021
Radha Ashtami 2020 date: भारत में विभिन्न प्रकार के व्रत होते है जैसे की प्रदोष व्रत| राधा रानी का जन्मोत्सव हर वर्ष भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है| हिन्दू धर्म के अनुसार राधा अष्टमी इस बार 26 अगस्त की है जो की बुधवार के शुभ दिन पर है| आप सभी को राधा अष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं
राधा अष्टमी तिथि और शुभ मुहूर्त
श्री कृष्ण जी की की प्यार राधा रानी का जन्मोत्सव भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को प्रारंभ होता है| आइये जानें इस दिन का शुभ मुहूर्त क्या है| 25 अगस्त (मंगलवार) को दोपहर 12 बजकर 21 मिनट पर से शुभ मुहूर्त शुरू हो रहा है, जो की अगले दिन 26 अगस्त (बुधवार) को सुबह 10 बजकर 39 मिनट को समाप्त होगा। मान्यता के अनुसार राधारानी का दोपहर में जन्म हुआ था यही कारण है की आपको दोपहर में ही राधा जी का पूजन करना चाहिए| आप साथ ही जानकी जयंती अष्टमी के सम्बंद में जानकारी जाना सकते है|
राधा अष्टमी मुहूर्त 2020
25 अगस्त दोपहर 12 बजकर 21 मिनट से 26 अगस्त सुबह 10 बजकर 39 मिनट
राधा अष्टमी क्यों मनाई जाती है
राधाष्टमी को राधा रानी के जन्म दिवस के रूप में पूरे विश्व भर में हिन्दुओ द्वारा मनाया जाता है| ऐसा माना जाता है की जो भी श्रद्धालु इस दिन राधा रानी का स्मरण कर के सच्चे दिल से उनकी आराधना करता है, उसके जीवन से सारे कष्ट राधारानी हर लेती हैं और जीवन में सुख की प्राप्ति होती है|
राधा अष्टमी की कथा
Radha Ashtami Vrat Katha: राधा अष्टमी की कहानी यानी की कथा राधा जी के जन्म से संबंधित है। राधाजी, वृषभानु गोप की पुत्री थी। राधाजी की माता का नाम कीर्ति था। पद्मपुराण में राधाजी को राजा वृषभानु की पुत्री बताया गया है।
इस ग्रंथ के अनुसार जब राजा यज्ञ के लिए भूमि साफ कर रहे थे तब भूमि कन्या के रुप में इन्हें राधाजी मिली थी। राजा ने इस कन्या को अपनी पुत्री मानकर इसका लालन-पालन किया।
इसके साथ ही यह कथा भी मिलती है कि भगवान विष्णु ने कृष्ण अवतार में जन्म लेते समय अपने परिवार के अन्य सदस्यों से पृथ्वी पर अवतार लेने के लिए कहा था, तब विष्णु जी की पत्नी लक्ष्मी जी, राधा के रुप में पृथ्वी पर आई थी।
Radha Ashtami Vrat Vidhi
आइये जानें की राधा अष्टमी की पूजा कैसे करें, व्रत विधि यानी की व्रत कैसे करें:
- सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर स्नानादि से निवृत्त हो जाएं।
- इसके बाद मंडप के नीचे मंडल बनाकर उसके मध्यभाग यानि बीच में मिट्टी या तांबे का कलश स्थापित करें।
- कलश पर तांबे का पात्र रखें।
- अब इस पात्र पर वस्त्राभूषण से सुसज्जित राधाजी की सोने (संभव हो तो) की प्रतिमा स्थापित करें।
- फिर राधा जी का षोडशोपचार से पूजन करें।
- ध्यान रहे कि पूजा का समय ठीक मध्याह्न का होना चाहिए।
- पूजन के बाद पूरा दिन उपवास करें और एक समय भोजन करें।
- दूसरे दिन श्रद्धानुसार सुहागिन स्त्रियों और ब्राह्मणों को भोजन कराएं और उन्हें दक्षिणा दें।
How to Celebrate Radhastami
राधा अष्टमी का महत्व: श्री कृष्ण जन्माष्टमी की तरह ही राधा अष्टमी मनाई जाती है राधा अष्टमी के दिन सब लोग ये यू त्योहार के तरह धूम धाम से मनाते है राधा जी के जनम के बाद उनका श्रृंगार होता ये त्योहार जन्माष्टमी के 15 दिन बाद आती है राधा अष्टमी के दिन सब मंदिरों मे सजावट की जाती है क्योंकि इससे दिन 5 राधा रानी का जन्म हुआ था मधुरा,बरसाने ओर वृंदावन मे राधा अष्टमी बड़े ही जोश के साथ मनाईं जाती है|
2020 update