हिन्दू धर्मो के अनुसार गणेश जी का जन्म भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को हुआ था| इसलिए इससे बार गणेश चतुर्थी इससे बार 22 अगस्त को मनाई जाएगी हर साल इस दिन गणेश चतुर्थी धूमधाम से मनाई जाती है| गणेश चतुर्थी का दिन श्री गणेश जी के जन्म के रूप में मनाई जाती है| गणेश चतुर्थी के दिन सब उनसे अपने अच्छे जीवन की मनोकामना मांगते है व विधि विधान के साथ उनकी पूजा करते है| आइये आपको बताते है गणेश पूजन में कौन-कौन सी सामग्री की जरूरत होगी |
Ganesh Chaturthi puja samagri List
गणेश जी की की स्थापना करने के लिए हउमै सभी सामग्री जरूरत होती है वो इससे प्रकार है फूल माला, बेलपत्र दूब, शमीपत्र, गुलाल, शुद्ध जल, दूध, दही, शहद, घी, चीनी,धूपबत्ती, दीपक, प्रसाद, फल, गंगाजल,पंचामृत, वस्त्र, जनेऊ, मधुपर्क, पान, सुपारी, रूई, कपूर. सुगंध, चन्दन, रोली सिन्दूर, अक्षत (चावल). आइये जानें गणेश पूजा सामग्री, गणेश चतुर्थी पूजन सामग्री, गणेश पूजन सामग्री व ganesh chaturthi puja samagri list in marathi & hindi की जानकारी
श्री गणेश चतुर्थी पूजा विधि और व्रत कथा
आइये अब हम आपको बताए हैं की घर पर गणेश जी की पूजा कैसे करें:
गणेश चतुर्थी पर मूर्ति की स्थापना करने सी पहले हमे नहा कर साफ़ कपडे पहनने के बाद उनकी स्थापना करनी चाहिए| 10 दिन उनकी पूजा पाठ का विशेष रुप से ध्यान रखा जाता है| आइये जानते है पूजा विधि के कुछ नियम:
- गणेश जी की स्थापना करने के लिए एक कलश ले उससे कोरे कपडे से लपेटक उससे के अंदर सुपारी डालें दे उसे के बाद एक चौकी ले स्थापना करे |उस पर गणपति जी की स्थापना करे और उस के साथ कलश रख दे.
- गणपति प्रतिमा पर सिंदूर, केसर, हल्दी, चन्दन,मौली आदि चढाकर षोडशोपचार के साथ उनका पूजन करे. और उनके लोए 21 लड्डू का भोग लगाए रखे कर गरीबो मैं बाट दे ध्यान रखे ये पूजा दोपहर के समय होनी चाहिए.
- इस के बाद पश्चात ब्राह्मणों को भोजन करवाकर उन्हें दक्षिणा भी देनी चाहिए.
- रोज शाम के समय गणेश जी किन पूजा करे उससे के बाद कथा करे उससे के बाद गणेश जी की आरती करें.
गणेश चतुर्थी व्रत कथा
प्राचीन समय में भादौ मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर गणेशजी का जन्म हुआ था। इस वजह से चतुर्थी तिथि पर गणेशजी के लिए विशेष पूजा-पाठ किया जाता है। एक अन्य मान्यता के अनुसार गणेशजी ने शिवजी को पार्वती से मिलने से रोका था। वे अपनी माता पार्वती की आज्ञा का पालन कर रहे थे। पार्वती ने कहा था कि किसी को भी मेरे कक्ष में आने मत देना। जब शिवजी को गणेशजी ने रोका तो शिवजी क्रोधित हो गए और अपने त्रिशूल से गणेशजी का सिर धड़ से अलग कर दिया।
जब पार्वती को ये बात मालूम हुई तो उन्होंने शिवजी से गणेशजी को पुन: जीवित करने के लिए कहा। तब शिवजी ने गणेशजी के धड़ पर हाथी का सिर लगा दिया और उन्हें जीवित कर दिया। इसके बाद एक दिन चंद्र गणेशजी का ये स्वरूप देखकर हंस रहे थे। गणेशजी ने चंद्र को देख लिया। चंद्रदेव को अपने सुंदर स्वरूप का घमंड था। तब गणेशजी ने चंद्र को शाप दिया कि अब तुम धीरे-धीरे क्षीण होने लगोगे।
ये शाप सुनकर चंद्र ने गणेशजी से क्षमा मांगी। तब गणपति ने कहा कि ये शाप निष्फल तो नहीं सकता, लेकिन इसका प्रभाव कम हो सकता है। तुम चतुर्थी का व्रत करो। इसके पुण्य से तुम फिर से बढ़ने लगोगे। चंद्रदेव ने ये व्रत किया। इसी घटना के बाद से चंद्र कृष्ण पक्ष में घटता है और फिर शुक्ल पक्ष में बढ़ने लगता है। पूर्णिमा तिथि पर चंद्र अपना पूर्ण स्वरूप प्राप्त कर लेता है। गणेशजी के वरदान से ही चतुर्थी तिथि पर चंद्र दर्शन करने का विशेष महत्व है। इस दिन व्रत करने वाले भक्त चंद्र दर्शन के बाद ही भोजन ग्रहण करते हैं।
गणेश मंत्र हिंदी
गणेश जी को विनायक चतुर्थी पर प्रसन्न करने के लिए निचे दिए हुए मंत्र का जाप अवश्य करें:
।। ऊँ एकदन्ताय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्तिः प्रचोदयात् ।।