विश्व पोलियो दिवस पर निबंध – Essay on World Polio Day in Hindi Pdf download – पल्स पोलियो दिवस निबंध

Essay on World Polio Day in Hindi Pdf download

Polio Diwas 2018: पोलियो एक संक्रमण बिमारी होती है जो की ज्यादातर बच्चो को होती है| यह बीमारी से ज्यादातर देश प्रभावित थे पर अब वे सब देश मुक्त हो चुके है| यह एक प्रकार का वाइरस है जो की मुख के रास्ते ऑटो में जाता है| भारत भी इस बिमारी से 2012 में मुक्त हो चूका है पर आज के समय में भी बहुत से पोलियो के रोग के केस सामने आये है| विश्व पोलियो दिवस हर्ब साल 24 ओक्टुबर को मनाया जाता है| इस दिन का मुख्या उद्देश्य विश्व भर में पोलियो के बारे में लोगो को जागूक करना है| आप ये जानकारी हिंदी, इंग्लिश, मराठी, बांग्ला, गुजराती, तमिल, तेलगु, आदि की जानकारी देंगे जिसे आप अपने स्कूल के निबंध प्रतियोगिता, कार्यक्रम या निबंध प्रतियोगिता में प्रयोग कर सकते है| ये निबंध कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए दिए गए है|

विश्व पोलियो दिवस हिंदी निबंध

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प्रत्‍येक वर्ष 24 अक्‍टूबर के दिन विश्‍व पोलियो दिवस मनाया जाता है इस दिवस को मनाने का उद्देश्‍य पोलियो जैसी बीमारी के विषय में लोगों में जागरूकता फैलाना है।

पोलियो एक संक्रामक रोग है जो वायरस के द्वारा फैलता है पोलियो का वायरस मुख के द्वारा मानव शरीर में प्रवेश करता है और ऑतों को प्रभावित करता है इस बीमारी को पोलियोमाइलाइटिस भी कहा जाता है इस बीमारी का असर अधिकतर बच्‍चों पर होता है अधिकतर देश इस बीमारी से मुक्‍त हो चुके हैं भारत को भी इस बीमारी से 2012 में मुक्‍त घोषित कर दिया गया था लेकिन उसके बाद भी पोलियो के कुछ मामले सामने आये अगर भारत में वर्ष 2014 तक कोई मामला सामने नहीं आया तो भारत विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा आधिकारिक रूप से भारत को पोलियो मुक्त घोषित कर दिया जाएगा।

24 अक्‍टूबर के दिन को पोलियो दिवस इसलिये मनाया जाता है क्‍योंकि इस दिन पोलियो की वैक्सीन का आविष्कार करने वाली टीम के प्रमुख जोनास सॉक का जन्म हुआ था इस बैक्‍सीन की कुछ बुँदे ही रोगी के लिए काफी कारगर सावित होती हैं।

पोलियो मुक्‍त देश बनाने के लिए भारत में अनेकों स्‍कीम चलाई जा रही है हर बस स्‍टॉप, हर रेलवे स्‍टेशन आदि जगहों पर पोलियो की बैक्‍सीन पिलाने की व्‍यवस्‍था है “हर बच्चा हर बार” और ‘दो बूँद जिन्दगी की’ जैसे स्‍लोगन के द्वारा लोगों में पोलियो के प्रति जागरूकता फैलाई जा रही है भारतीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की पूरी कोशिश है कि प्रत्‍येक बच्‍चे को हर बार पोलियो की दवा अवश्‍य पिलायी जाए इसलिए घर-घर जाकर भी बच्‍चों को पोलियो की दवा पिलायी जा रही है।

Polio Diwas Kab Manaya Jata Hai

Polio Diwas Kab Manaya Jata Hai

विश्व पोलियो दिवस प्रत्येक वर्ष ’24 अक्टूबर’ को मनाया जाता है। इस दिवस को मनाये जाने का मुख्य उद्देश्य पोलियो जैसी बीमारी के विषय में लोगों में जागरूकता फैलाना है। पोलियो एक संक्रामक बीमारी है, जो पूरे शरीर को प्रभावित करती है। इस बीमारी का शिकार अधिकांशत: बच्चे होते हैं। पोलियो को ‘पोलियोमाइलाइटिस’ या ‘शिशु अंगघात’ भी कहा जाता है। यह ऐसी बीमारी है, जिससे कई राष्ट्र बुरी तरह से प्रभावित हो चुके हैं। हालांकि विश्व के अधिकतर देशों से पोलियो का खात्मा पूरी तरह से हो चुका है, लेकिन अभी भी विश्व के कई देशों से यह बीमारी जड़ से खत्म नहीं हो पायी है।

पोलियो क्या है?
पोलियोमाइलाइटिस अथवा पोलियो एक संक्रामक रोग है, जो वायरस के द्वारा फैलता है। यह लक्षण सामान्य से तीव्र हो सकते हैं और इसमें आम तौर पर टांगों में लकवा हो जाता है। पोलियो का वायरस मुँह के रास्ते शरीर में प्रविष्ठ‍ होता है और आंतों को प्रभावित करता है। वायरय के शरीर में प्रवेश करने के कुछ ही घंटों बाद इससे पक्षाघात तक हो सकता है। ऐसा भी हो सकता है कि यह लक्षण तीन से पाँच दिनों में प्रदर्शित हों।

विश्व पोलियो दिवस’ का उद्देश्य पोलियो उन्मूलन के लिए किए जा रहे प्रयासों के प्रति लोगों को जागरूक बनाना है। भारत में पोलियो का अंतिम मामला जनवरी, 2011 में सामने आया था। ‘विश्व स्वास्थ्य संगठन’ (डब्ल्यूएचओ) ने वर्ष 2012

पोलियो ड्राप पीता बच्चा
के प्रारम्भ में भारत को पोलियो ग्रसित देशों की सूची से हटा दिया, और वर्ष 2014 तक इस बीमारी का कोई नया मामला सामने नहीं आता है तो उसे आधिकारिक रूप से पोलियो मुक्त घोषित कर दिया जाएगा। दुनिया भर में वर्ष 2011 में पोलियो के 467 मामलों की तुलना में 24 अक्टूबर, 2012 तक केवल 170 मामले ही प्रकाश में आए हैं।
भारत में पोलियो के एकमात्र मामले की सूचना 13 जनवरी, 2011 को पश्चिम बंगाल के हावड़ा से प्राप्त हुई थी, जबकि 2010 में इसी अवधि के दौरान 39 मामले प्रकाश में आए थे। उत्तर प्रदेश (अप्रैल, 2010 के बाद) और बिहार (सितंबर, 2010 के बाद) से पहली बार पोलियो के किसी भी मामले की सूचना नहीं मिली है। एक वर्ष से टाइप-3 पोलियो का कोई भी मामला सामने नहीं आया है। पोलियो उन्मूलन के सर्वाधिक नजदीक पहुँच चुके भारत सरकार के ‘स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय’ ने पोलियो के किसी भी ताजा मामले को ‘जन स्वास्थ्य आपात स्थिति’ के रूप में इलाज करने का निर्णय लिया है ताकि भारत में जल्द से जल्द पोलियो उन्मूलन के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके। सभी उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में बच्चों के भीतर प्रतिरोधक का निर्माण करने और पोलियो के किसी भी मामले के सामने आने पर तत्काल गहन टीकाकरण अभियान चलाने के लिए आपात तत्परता और प्रतिक्रिया योजना तैयार की गई है।

पोलियो मुक्ति हेतु योजनाएँ

पोलियो से ग्रसित बच्चे
‘स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय’ ने एक आपात तत्परता और प्रतिक्रिया योजना (ईपीआरपी) तैयार की है। भारत में सभी राज्य अपनी ईपीआरपी तैयार कर रहे हैं। इस योजना के हिस्से के रूप में त्वरित प्रतिक्रिया दल का गठन पहले ही किया जा चुका है और नियमित टीकाकरण को और अधिक विस्तृत करने हेतु कदम उठाने के लिए उच्च जोखिम वाले ज़िलों, ब्लॉकों, गांवों की पहचान की जा रही है। पोलियो को रोकने से संबंधित उपायों, जैसे- साफ-सफाई, हाथ धोने और जिंक तथा ओआरएस के इस्तेमाल के ज़रिए डायरिया प्रबंधन को भी मजबूत किया जा रहा है। “हर बच्चा हर बार” से लेकर “मेरा बच्चा हर बार” संदेश के साथ नवीन पोलियो टीकाकरण अभियान को दिशा दी गई है। सभी अभिभावकों को यह नवीन अभियान अपने बच्चे को पोलियो से बचाव के लिए प्रोत्साहित करता है।

घूमंतू बच्चों, जैसे- प्रवासी, खानाबदोश, निर्माण स्थलों और ईटों के भट्टों में काम करने वाले लोगों तथा होली, दीवाली और छठ जैसे त्योहारों पर अपने बच्चों के साथ अपने प्रांत लौटने वाले लोगों के बच्चों को पोलियो से बचाव के लिए विशेष अभियान चलाए जा रहे है । राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों और संस्थाओं द्वारा भारत की प्रगति और प्रयासों की सराहना की गई है। पोलियो उन्मूलन के लिए भारत में विशेषज्ञ सलाहकार समूह ने जुलाई में कार्यक्रम की समीक्षा की थी और इस बात का उल्लेख किया था कि पोलियो उन्मूलन की दिशा में भारत सही राह पर है। वैश्विक पोलियो उन्मूलन के ‘अंतर्राष्ट्रीय निगरानी बोर्ड’ (आईएमबी) ने अपनी अक्टूबर की रिपोर्ट में कहा है कि 2011 में पोलियो के प्रसार को रोकने में भारत सही दिशा में कार्यरत है

पल्स पोलियो दिवस पर निबंध

विश्व पोलियो दिवस 24 अक्टूबर 2014 पर दुनिया भर में मनाया गया. यह दिवस गंभीर बीमारी के खतरों के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए मनाया गया. इस दिन, रोटरी ने पोलियो को समाप्त करने के लिए लड़ाई पर एक लाइव-स्ट्रीम वैश्विक स्थिति अपडेट की व्यवस्था की, जहां स्वास्थ्य विशेषज्ञों और प्रसिद्ध गायकों ने भाग लिया और वैश्विक पोलियो उन्मूलन पहल (जीपीईआई) की प्रगति का स्वागत किया. इसके अलावा, संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) ने दुनिया भर के बच्चो को पोलियो से बचाव के लिए अभियान का आयोजन किया.

यूनिसेफ के आंकड़ों के मुताबिक, पोलियो के मामलों की सालाना संख्या वर्ष 1988 में 350000 थी जो गिरकर वर्ष 2013 में 416 और वर्ष 2014 में 243 हो गई. वर्तमान में, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और नाइजीरिया दुनिया में ऐसे तीन देश है जहां पोलियो के मामले सर्वाधिक पाए गए हैं.

विश्व पोलियो दिवस के बारे में
विश्व पोलियो दिवस पोलियो के टीके का विकास करने वाले जोनास सॉल्क के जन्म के उपलक्ष्य में एक दशक पहले रोटरी इंटरनेशनल द्वारा स्थापित किया गया था.

डॉक्टर जोनास सॉल्क के बारे में
डॉक्टर जोनास सॉल्क का जन्म 28 अक्टूबर 1914 में अमेरिका की न्यूयॉर्क सिटी में हुआ था. वे एक महान शोधकर्ता के रूप से जाने जाते है. डॉ. सॉल्क द्वारा बनाई गई पोलियो दवा के उपलब्ध होने के ठीक 2 वर्ष पहले तक अमेरिका में 45,000 से भी ज्यादा लोग पोलियो के शिकार हो चुके थे लेकिन उनकी इस महान खोज के बाद यह संख्या 1962 में घटकर मात्र 910 ही रह गई.

डॉ. सॉल्क ने न्यूयॉर्क के विश्वविद्यालय से वर्ष 1939 में दवा क्षेत्र में एम.डी की डिग्री हासिल की थी जिसके बाद जल्द ही वे माउंट सिनाई अस्पताल में चिकित्सक के रूप में काम करने लगे. विभिन्न तरीके के शोध में उनकी बढ़ती हुई दिलचस्पी ने उन्हें मिशिगन के विश्वविद्यालय में एक खास तरह के शोध पर काम करने का मौका दिया. तत्पश्चात डॉ. साल्क ने पिट्सबर्ग के औषधि विद्यालय में भी काम किया जहां उन्होंने पोलियो की दवा बनाने की तकनीकों को सीखा. आखिरकार विभिन्न संगठनों में काम करने के बाद जब डॉ. सॉल्क ने पोलियो दवा का आविष्कार कर लिया तो पहली बार इसे बंदरों पर आजमाया गया. इसके बाद इसे कुछ मरीजों पर आजमाया गया जिन्हें पहले से ही पोलियो था. जब पोलियो ग्रसित लोगों को लाभ मिला तो डॉ. सॉल्क की इस खोज की खबर पूरे विश्व में फैल गई और इसे वर्ष 1954 में लाखों बच्चों पर आजमाया गया. अंत में वर्ष 1955 में पोलियो दवा को सुरक्षित व लाभकारी करार दिया गया. पोलियो की दवा का आविष्कर करने वाले महान डॉ. जोनास सॉल्क का 23 जून 1995 को 80 वर्ष की उम्र में निधन हो गया.

World Polio Day Essay in Hindi

विश्व पोलियो दिवस को एक दशक पहले रोटरी इंटरनेशनल ने जोनास साल्क के जन्म के अवसर पर शुरू किया था, जिन्होंने पोलियोमाइलाइटिस के खिलाफ़ टीका विकसित किया।

निष्क्रिय पोलियोवायरस वैक्सीन और लाइव मौखिक पोलियोवायरस वैक्सीन का उपयोग करने के लिए वर्ष 1988 में ग्लोबल पोलियो उन्मूलन पहल (जीपीईआई) की स्थापना की गयी। यह सार्वजनिक-निजी साझेदारी है, जिसमें रोटरी, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ), रोग नियंत्रण और रोकथाम के लिए यू.एस. केंद्र, यूनिसेफ, बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन और अन्य देशों की सरकारें शामिल हैं।

पोलियो मुक्त भारत: भारत में आख़िरी पोलियो के मामले से छह वर्षों के दौरान पोलियों के मामले नहीं पाये गये

भारत ने 27 मार्च 2014, डब्ल्यूएचओ द्वारा पूरे दक्षिण-पूर्वी एशिया क्षेत्र के साथ-साथ पोलियो मुक्त प्रमाण पत्र प्राप्त किया। भारत में पोलियो के आखिरी मामले की रिपोर्ट के बाद से जनवरी 2017 तक पिछले छः वर्षों में पोलियों के मामले दर्ज नहीं किए गए। देश में पोलियो रोकने को सबसे कठिन माना जाता था, लेकिन पोलियों के मामले दर्ज़ न होना, मील का पत्थर हैं, जो कि मज़बूत निगरानी प्रणाली, गहन टीकाकरण अभियान और लक्षित सामाजिक गतिशीलता प्रयासों के महत्व को दर्शाता है, लेकिन जब तक रोग समाप्त नहीं हो जाता, तब तक भारत को सतर्क रहना चाहिए। यही कारण है, कि पूरे देश में राष्ट्रीय प्रतिरक्षण दिवस के अवसर पर बच्चों को टीका लगाया जाता है, ताकि बाल्यावस्था में प्रतिरक्षा के उच्च स्तर को बनाए रखा जा सकें।

विश्व पोलियो की स्थिति

आज, केवल तीन देश अफगानिस्तान, नाइजीरिया और पाकिस्तान हैं, ‘जहां जंगली पोलियोवायरस का संचारण दिखाई दे रहा है’। वर्ष 1988 के बाद अनुमानित 3,50,000 मामले से वर्ष 2016 तक सिर्फ़ 37 मामले पाये गये है, इनमें 99.9% की कमी हुयी है।

पोलियो के बारे में

पोलियोमाइलाइटिस (पोलियो) अत्यधिक संक्रामक वायरल रोग है, जो कि मुख्यत: छोटे बच्चों (पांच वर्ष से कम आयु) को प्रभावित करता है। विषाणु मुख्यत: मल-मौखिक मार्ग के माध्यम या किसी सामान्य वाहन (उदाहरण के लिए दूषित पानी या भोजन) द्वारा व्यक्ति-से-व्यक्ति में फैलता है, और आंत में दोगुना हो जाता है, वहां से यह तंत्रिका तंत्र में पहुँच जाता है तथा पक्षाघात पैदा करता है।
लक्षण
प्रारंभिक लक्षण बुखार, थकान, सिरदर्द, उल्टी, गर्दन की अकड़न और अंगों में दर्द है। दो सौ में से एक संक्रमण अपरिवर्तनीय पक्षाघात (आमतौर पर पैरों में) उत्पन्न करता है। जिन्हें पक्षाघात हो चुका हैं, जब उनकी श्वास की मांसपेशियों को अप्रभावी/ठीक से कार्य नहीं करती हैं तब उनमें से पांच से दस प्रतिशत की मृत्यु हो जाती है।

रोकथाम

कोई उपचार नहीं है, लेकिन सुरक्षित एवं प्रभावी टीके उपलब्ध हैं। प्रतिरक्षण के माध्यम से पोलियो को रोका जा सकता है। पोलियो का टीका कई बार दिया जाता है। यह हमेशा बच्चे के जीवन की सुरक्षा करता है। पोलियो खत्म करने की रणनीति, जब तक कि रोग का संचारण समाप्त न हो जाएं, तब तक हर बच्चे के टीकाकरण द्वारा संक्रमण रोकने पर आधारित है तथा विश्व पोलियो मुक्त है। संक्रमण रोकने के लिए दो प्रकार के टीकें हैं।
ओपीवी (ओरल पोलियो वैक्सीन): संस्थागत प्रसव के दौरान इसे जन्म के समय मुख से दिया जाता है, फिर प्राथमिक तीन खुराकों को छह, दस और चौदह सप्ताह और एक बूस्टर खुराक सौलह से चौबीस महीने की आयु में दी जाती है।
इंजेक्टेबल पोलियो वैक्सीन (आईपीवी): इसे डीपीटी की तीसरी खुराक के साथ-साथ सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम (यूआईपी) के तहत अतिरिक्त खुराक के रूप में दिया जाता है।
राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस

भारत से पोलियो समाप्त हो चुका है, लेकिन रोग के आयात का ज़ोखिम अभी भी तीन देशों (पाकिस्तान, अफगानिस्तान और नाइजीरिया) से बना हुआ हैं, जहां पोलियोवायरस अभी भी संचारित है, देश की ज़रूरत वैश्विक पोलियो उन्मूलन तक जनसंख्या प्रतिरक्षा और संवेदनशील निगरानी बनाए रखना है। जिसे निरंतर उच्च गुणवत्ता वाली पोलियो निगरानी के साथ- साथ राष्ट्रीय और उप राष्ट्रीय पोलियो राउंड के माध्यम से बनाए रखा गया है।

Vishwa polio divas par Nibandh

पोलियो एक संक्रामक रोग है जो वायरस के द्वारा फैलता है पोलियो का वायरस मुख के द्वारा मानव शरीर में प्रवेश करता है और ऑतों काेे प्रभावित करता है इस बीमारी को पोलियोमाइलाइटिस भी कहा जाता है इस बीमारी का असर अधिकतर बच्‍चों पर होता है अधिकतर देश इस बीमारी से मुक्‍त हो चुके हैं भारत को भी इस बीमारी से 2012 में मुक्‍त घोषित कर दिया गया था लेकिन उसके बाद भी पोलियो के कुछ मामलेे सामने आये अगर भारत में वर्ष 2014 तक कोई मामला सामने नहींं आया तो भारत विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा आधिकारिक रूप से भारत को पोलियो मुक्त घोषित कर दिया जाएगा
24 अक्‍टूबर के दिन को पोलियो दिवस इसलिये मनाया जाता है क्‍योंकि इस दिन पोलियो की वैक्सीन का आविष्कार करने वाली टीम के प्रमुख जोनास सॉक का जन्म हुआ था इस बैक्‍सीन की कुछ बूॅदें ही रोगी के लिए काफी कारगर सावित होती हैंं
पोलियो मुक्‍त देश बनाने के लिए भारत में अनेकों स्‍कीम चलाई जा रही है हर बस स्‍टॉप, हर रेलवे स्‍टेशन आदि जगहों पर पोलियो की बैक्‍सीन पिलाने की व्‍यवस्‍था है “हर बच्चा हर बार” और ‘दो बूँद जिन्दगी की’ जैसेे स्‍लोगन के द्वारा लोगों में पोलियो के प्रति जागरूकता फैलाई जा रही है भारतीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की पूरी कोशिश है कि प्रत्‍येक बच्‍चे को हर बार पोलियो की दवा अवश्‍य पिलायी जाए इसलिए घर-घर जाकर भी बच्‍चों को पोलियो की दवा पिलायी जा रही है

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