(सविनय अवज्ञा आंदोलन) Civil Disobedience Movement in Hindi

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सन 1947 को भारत देश आजाद हुआ । लेकिन ये आजादी अचानक से प्राप्त नहीं हुई । हजारों लाखों लोगों के बलिदान उनके संघर्ष का फल है ये आजादी । इस आजादी को प्राप्त करने के लिए देश में कई आंदोलन चलाए गए । इन प्रतिवाद में से एक था ब्रिटिश शासन के विरुद्ध Bapu Mahatma gandhi के संचलन में चलाया गया सविनय अवज्ञा आंदोलन। जिसकी शुरुआत 1930 में गाँधी जी द्वारा किए जा रहे दांडी मार्च से हुई । savinay avagya andolan in hindi , in english , In marathi, in tamil, in PDF, में पूरी जानकारी या upsc और class 10 से related कोई information या meaning in hindi जानना चाहते है , तो ये सब जानकारी हम आपको नीचे लिखे आर्टिकल में देंगे ।

Date 12 मार्च 1930 को महात्मा गांधी जी एवं उनके साथ 78 उनके साथियों ने ब्रिटिश सरकार ले खिलाफ एक उग्र मार्च आरंभ हुआ।ये मार्च साबरमती आश्रम से लेकर अहमदाबाद से 385 कि मी की दूरी पर भारत के पश्चिमी तट पर स्तिथ एक गाँव तक पैदल चल कर पूरा किया गया।

सविनय अवज्ञा आंदोलन कब हुआ था ?-Information About Civil Disobedience Movement

अंग्रेजी सरकार द्वारा भारतीयों पर नामक इकट्ठा करने और उसको बेचने पर प्रतिबंध लगा दिया गया । साथ साथ नमक पर बहुत अधिक कर लगा दिया गया जबकि नमक भोजन का आवश्यक तत्व होता है जिस कारण नागरिकों में असंतोष और बढ़ गया ।

सविनय अवज्ञा आंदोलन का आरंभ

  • गाँधी जी के नेतृत्व में 6 अप्रैल in 1930 को Civil Disobedience Movement की औपचारिक शुरुआत हुई । इस आंदोलन का मुख्य उद्देश्य अंग्रेजों के द्वारा बनाए गए कानून को तोड़ना तथा उनके नियमों को ना मानना था ।
  • इस आंदोलन की शुरुआत गाँधी जी द्वारा किए गए मार्च से हुए । ये यात्रा date 12 मार्च से शुरू होकर 6 अप्रैल को 24 दिन में पूरी  हुए । उस समय अंग्रेजी हुकुमत ने हिंदुस्तानियों पर नमक बनाने की रोक लगा दी । समुद्र के किनारे पहुंचकर गांधी जी ने नमक बनाया और कानून तोड़ दिया ।
  • अंग्रेजों द्वारा बनाया गया ये कानून उतना ही बेबुनियाद था जितना की उनके दूसरे कानून थी ।
  • सरकार विदेश से नमक माँगा कर भारत में बेचना चाहती थी । जिससे उनके देश को आर्थिक लाभ हो सके । लेकिन गांधी जी मानते थे की namak बनाना भारतीयों का अधिकार है इसलिए वे स्वयं समुद्री किनारे पर जाकर नमक बनाने लगे ।
  • यही से सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू हुआ और पूरे देश में फैल गया ।
  • In Peshawar, खान अब्दुल गफ्फार खान ने इस protest का नेतृत्व किया ।
  • North West Part से shuru होकर ये विरोध in north east india तक फैल गया ।
  • साल 1922 के चौरा चौरी कांड के कारण असहयोग आंदोलन को खतम कर दिया गया जिस कारण लोगों में आक्रोश फैल गया । तभी से इस protest की शुरुआत हो गई थी ।

Causes of Civil Disobedience Movement in India

  • सन 1929 में लाहौर में भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस की बैठक हुई जहाँ देश के बड़े नेता शामिल थे । इस बैठक में पूर्ण स्वराज्य का प्रस्ताव पारित किया गया । और अंग्रेजों से purna swaraj  मांग की गई । धीरे – धीरे ये नारा पूरे देश में फैल गया जिससे इस campaign  को और हवा मिली ।
  • असहयोग आंदोलन उस समय का सबसे सफल आंदोलन था लेकिन जब असहयोग आंदोलन को बंद कर दिया गया तो लोगों में बहुत आक्रोश फैल गया । इस आक्रोश को शांत करने के लिए इस campaign को शुरू किया गया ।
  • Simon Comission के खिलाफ चलाए गए विरोध में लोगों ने अपना पूरा साथ दिया इसी कारण जब इस आंदोलन को शुरू किया गया तो  लोगों एकजुट होकर सामने आए ।
  • 1929 में देश की बिगड़ी हुई अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए इस आंदोलन को लाने का सुझाव दिया गया ।

Features of Civil Disobedience Movement

ग्यारह सूत्रीय मांगे

लाहौर में हुई बैठक में देश के बड़े नेताओ द्वारा कुछ मांगे बनाई गई जिन्हे “young  india ” के लेख में गाँधी जी द्वारा प्रकाशित कर अंग्रेजों के सामने रखा गया जिन्हे मानने के लिए 31 जनवरी 1930 तक का समय दिया गया । ये मांगे इस प्रकार थी

आम नागरिक से जुड़े मुद्दे
  1. Civil Services & सेना पर होने वाले खर्च को 50 % तक कम किया जाए।
  2. मादक पदार्थों की बिक्री पूरी तरह बंद कर दी जाए ।
  3. Post Reservation Bill लगाया जाए ।
  4. सभी राजनैतिक बंदियों को जेल से मुक्त कर दिया जाए ।
  5. अपनी सुरक्षा करने के लिए भारतीयों को हथियार रखने का लाइसेंस दिया जाए ।
  6. C. I .D  को नियात्रित किया जाए ।
बुनकरों के लिए मांगे
  1. विदेशी वस्त्रों के आयात पर रोक लगा दी जाए ।
  2. समुद्री रास्तों से सामान लाने ले जाने के लिए एक सुरक्षा विधेयक लागू किया जाना चाहिए ।
  3. रुपए की विनिमय डर घटाई जाए
किसानों के लिए मांगे
  1. नमक पर सरकार का एकाधिकार खतम होना चाहिए और namak कानून को पूरी तरह समाप्त कर देना चाहिए ।
  2. किसानों पर लगाई जाने वाली लगान को आधा कर देना चाहिए ।

Role of Women in Civil Disobedience Movement

  • दांडी यात्रा में किसी भी महिला को सम्मिलित ना किया जाने पर उनमे रोष था । इसलिए कमला देवी चटोपाध्याय की अपील पर इस आंदोलन में महिलाओं को शामिल किया गया है ।
  • सरोजिनी नायडू इस आंदोलन में गिरफ्तार होने वाली पहली महिला थी ।
  • तदुपरांत कमला नेहरू,रानी जुत्शी, सत्यवती, अवंतिका बाई गोखले, हंसा मेहता, पार्वती बाई, लक्ष्मीपति, लीलावती मुंशी, दुर्गाबाई देशमुख सहित लगभग 1500 महिलायें इस स्वतंत्र ता संग्राम में कूद गई ।
  • हथियारों की जगह उन्होंने मिट्टी तांबे और पीतल के बर्तनों तथा वर्दी की जगह साड़ी का उपयोग किया ।

Impact of  सविनय अवज्ञा आंदोलन | Success and failure

  1. British , भारतीयों को हमेशा छोटा समझते थे , लेकिन इस आंदोलन का उनपर बहुत गहरा प्रभाव पड़ा । उन्होंने मांगों का हाल निकालने के लिए Indian national Congress के बड़े नेताओं को London के गोलमेज़ सम्मेलन में शामिल होना का न्योता दिया ।
  2. अब देश का नागरिक स्वतंत्रता के लिए सचेत हो चुका था इसलिए पूरे देश में लोगों ने एक जुट होकर इस Movement में हिस्सा लिया ।
  3. इस आन्दोलन के सहारे लोगों में एक उम्मीद की लहर दौड़ पड़ी और हर वर्ग का व्यक्ति इसमें शामिल होगया। चाहे वह अमीर हो गरीब हो , किसान हो , मजदूर हो , बालक हो या बुजुर्ग हो । सभी में अपने अधिकारों के प्रति जागरूकता आ गई थी ।
  4. लोग समझ गए थे की उन्हे उनके अधिकारों के लिए लड़ना होगा और angreji sarkaar की बातों में नहीं फँसना है ।
  5. इस दौरान पूरे देश के हजारों लोगों को जेल में डाल कर बंदी बना दिया गया था ।

Limitations of Civil Disobedience Movement

  • आरंभ में लोगों ने सरकारी कामों को करने से माना कर दिया और उनका बहिष्कार किया किन्तु धीरे – धीरे ये कम होता गया ।
  • मुस्लिम समुदाय का इस आंदोलन में भाग ना लेना इस आंदोलन की बहुत बड़ी कमी रही । देश के कुछ ही गांवों के मुस्लिम ही इसमें शामिल हुए और अधिकतर इससे दूर ही रहे ।
  • दूसरे चरण में व्यापारी वर्ग भी इस आंदोलन से पीछे हट गया ।
  • INC द्वारा आंदोलन की शुरुआत तो कर दी गई । लेकिन एक अच्छे नेतृत्व एवं और मार्गदर्शन के अभाव में देश की उत्साहित जनता को सही दिशा नहीं मिल पाई जिससे धीरे – धीरे Movement शांत हो गया ।

सविनय अवज्ञा आंदोलन का अंत | work of sarojini naidu

  • ये आंदोलन 2 चरणों में चलाया गया । जब पहली बार 1930 में वाइसराय Lord Irvin द्वारा Golmez आंदोलन का न्योता दिया गया तब gandhi जी ने इसमें जाने से माना कर दिया ।
  • इसके बाद 1931 में Lord Irvin ने एक meeting रखी । 5 मार्च 1931 को इस इस मीटिंग में Irvin और gandhi जी के बीच कुछ समझोतें किये गए । इस समझोते में सविनय अवज्ञा आंदोलन की समाप्ति का भी पहलू था इस तरह date 5 मार्च 1951 को civil disobedience movement का अंत हो गया ।
  • सरोजिनी नायडू ने इस आंदोलन में बहुत योगदान दिया था|

Difference Between Non Cooperation and Civil Disobedience

Non Co-operation Movement

  1. इसका मुख्य उद्देश्य हिन्दू और मुस्लिम को एक करना था ।
  2. इसमें सरकार के साथ किसी भी प्रकार का सहयोग नहीं किया जाएगा।
  3. इसकी शुरुआत 1921 में की गई ।
  4. इस आंदोलन में महिलाओं की कोई भागीदारी नहीं थी ।

Civil Disobedience Movement

  1. इसका मुख्य उद्देश्य पूर्ण स्वराज का अधिकार था ।
  2. इसके सरकार द्वारा बनाए गए अधिनियमों की अवहेलना की गई ।
  3. ये 1930 में प्रारभ हुआ ।
  4. इस आंदोलन में महिलाओं ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया ।

 

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