Bulleh Shah Shayari in Hindi – बुल्ले शाह शायरी हिंदी

Sufi Ishq Shayari

सय्यद अबुल शाह क़ादरी एक पंजाबी दार्शनिक एवं संत थे जिन्हें बुल्ले शाह के नाम से भी जाना जाता था। उनका जन्म 1680 में पंजाब के एक छोटे से शहर उच, बहावलपुर में हुआ था। बुल्ले शाह शायरी विश्व प्रसिद्ध है और अपने गहरे गीतों के लिए जानी जाती है। बुल्ले शाह ने अपनी प्राथमिक शिक्षा पांडोक से और उच्च शिक्षा कसूर से पूरी की है। Bulleh shah Shayari in Hindi status, Bulleh Shah Ke Dohe, baba bulleh shah shayari in english सूफी इश्क शायरी, बुल्ले शाह रेख़्ता, सूफी शायरी के लिए पूरा लेख पढ़ें|

Baba Bulleh Shah Shayri

बुल्ले शाह अपनी करिश्माई शक्तियों के लिए जाने जाते थे और मुर्शिद से आध्यात्मिक ज्ञान का खजाना प्राप्त करते थे। दूसरी ओर, बुल्ले शाह का परिवार, पैगंबर मुहम्मद (PBUH) का प्रत्यक्ष वंशज था। बुल्ले शाह जी अपनी गहरी कविताओं के लिए जाने जाते थे। हम उनके कुछ बेहतरीन Baba Bulleh Shah Shayari in Hindi and Bulleh Shah Shayari in Punjabi, Bulleh Shah Ke Dohe शेयर करने जा रहे हैं|

Baba Bulleh Shah Shayri

 

कोई हिर कोई 'रांझा' बना है, इश्क़ वे विच, बुल्लेशाह हर कोई फरीर क्यों बना है. Share on X गरूर ना कर शाह ए शरीर का तेरा भी खाक होगा मेरा भी खाक होगा. Share on X

Bulleh Shah Shayari in Hindi Status

अगर आप स्टेटस पर अपलोड करने के लिए बुल्ले शाह शायरी Bulleh shah shayari in Hindi font, bulleh shah shayari in hindi, in urdu, on love, in english, in hindi status, lyrics, shayari punjabi download, in urdu, sai baba bulleh shah shayari download ढूंढ रहे हैं, तो हमने उनकी कुछ बेहतरीन शायरी का जिक्र किया है। आप इन शायरी को Whatsapp, Facebook Status पर अपलोड कर सकते हैं। यहाँ कुछ बेहतरीन हैं  Baba Bulleh shah shayari in Hindi.

जहर देख के पिता ते की किता, इश्क शोच के किता ते की किता दिल दे के 'दिल' लेण दी आस रखी, वे बुल्ल्या प्यार वी लालच नाल किता, ते की किता Share on X

Bulleh Shah Shayari in Hindi

Bulleh Shah Shayari in Hindi – बुल्ले शाह शायरी हिंदी Share on X बुल्ले नूं समझावण आइयां भैणां ते भरजाइयां मन लै बुल्लया, साडा कहना छड़ दे पल्ला राइयां आल नबी, 'औलाद' अली नूं तूं क्यों लीकां लाइयां Share on X

Bulleh Shah Shayari in Punjabi

बाबा बुल्ले शाह की विभिन्न पंजाबी शायरी भी हैं। ये शायरी बहुत मशहूर हैं. आप नीचे Baba Bulleh Shah Shayari Punjabi देख सकते हैं|

ਕਿੱਥੇ ਹੈ ਸੁਲਤਾਨ ਸਿਕੰਦਰ, ਮੌਤ ਨਾ ਛੱਡੇ ਪੀਰ ਪੈਗੰਬਰ, ਸੱਭੇ ਛੱਡ ਗਏ ਅਡੰਬਰ, ਕੋਈ ਏਥੇ ਪਾਇਦਾਰ ਨਹੀਂ, ਉੱਠ ਜਾਗ ਘੁਰਾੜੇ ਮਾਰ ਨਹੀਂ Share on X ਇਸ਼ਕ ਡੇਰਾ ਮੇਰੇ ਅੰਦਰ ਕੀਤਾ, ਭਰ ਕੇ ਜ਼ਹਿਰ ਪਿਆਲਾ ਮੈਂ ਪੀਤਾ, ਝਬਦੇ ਆਵੀਂ ਵੇ ਤਬੀਬਾ ਨਹੀਂ ਤੇ ਮੈਂ ਮਰ ਗਈਆਂ ਤੇਰੇ ਇਸ਼ਕ ਨਚਾਇਆ ਕਰ ਥਈਆ ਥਈਆ Share on X

shayari in punjabi pdf – shayari in punjabi status

ਮੇਰਾ ਇਕ ਅਨੋਖਾ ਯਾਰ ਹੈ, ਮੇਰਾ ਓਸੇ ਨਾਲ ਪਿਆਰ ਹੈ, ਕਿਵੇਂ ਸਮਝੇਂ ਵਡ ਪਰਵਾਇਆ, ਸਾਨੂੰ ਆ ਮਿਲ ਯਾਰ ਪਿਆਰਿਆ Share on X

 

ਆਪੇ ਲਾਈਆਂ ਕੁੰਡੀਆਂ ਤੈਂ, ਤੇ ਆਪੇ ਖਿੱਚਦਾ ਹੈਂ ਡੋਰ ਸਾਡੇ ਵੱਲ ਮੁੱਖੜਾ ਮੋੜ Share on X

 

Bulleh Shah Ke Dohe

इकना आस मुड़न दी आहे, इक सीख कबाब चढ़ाइयां ।। बुल्लेशाह की वस्स ओनां, जो मार तकदीर फसाइयां ।। Share on X

 

Bulleh Shah Ke Dohe

आई रुत्त शगूफ़यां वाली, चिड़ियां चुगण आइयां । इकना नूं जुर्रयां फड़ खाधा, इकना फाहीआं लाइयां ।। Share on X

bulleh shah shayari on life

बुल्लया वारे जाइए ओहनां तों, जेहड़े मारन गप-शड़प्प । कौड़ी लब्भी देण चा, ते बुगचा घाऊं-घप्प ।। Share on X

 

बुल्लया मैं मिट्टी घुमयार दी, गल्ल आख न सकदी एक ।। तत्तड़ मेरा क्यों घड़या, मत जाए अलेक-सलेक।। Share on X

 

सूफी इश्क शायरी- सूफी शायरी

भगवा भी है रंग उसका सूफी भी, इश्क की होती है ऐसी खूबी ही। Share on X

 

Sufi Ishq Shayari

 

उनकी वज़ाहत क्या लिखूँ, जो भी है बे-मिसाल है वो, एक सूफ़ी का तसव्वुर, एक आशिक़ का ख़्याल है वो। Share on X

और मोहब्बत शायरी के लिए आप पढ़ सकते हैं- मोहब्बत शायरी in Hindi for Whatsapp & Facebook

बेस्ट लाइन्स- Baba Bulleh Shah Shayari

आओ फकीरो मेले चलीए, आरफ का सुण वाजा रे। अनहद शब्द सुणो बहु रंगी, तजीए भेख प्याज़ा रे। अनहद वाजा सरब मिलापी, नित्त वैरी सिरनाजा रे। मेरे बाज्झों मेला औतर, रूढ़ ग्या मूल व्याजा रे। करन फकीरी रस्ता आशक, कायम करो मन बाजा रे। बन्दा रब्ब भ्यों इक्क मगर… Share on X

bulleh shah shayari urdu

अब हम ग़ुम हुए प्रेम नगर के शहर अपने आप को जाँच रहा हूँ ना सर हाथ ना पैर हम धुत्कारे पहले घर के कौन करे निरवैर! खोई ख़ुदी मनसब पहचाना जब देखी है ख़ैर दोनों जहाँ में है बुल्ला शाह कोई नहीं है ग़ैर अब हम ग़ुम हुए प्रेम नगर के शहर Share on X

shayari on love

अब क्या करता वह क्या करता? तुम्हीं कहो, दिलबर क्या करता? एक ही घर में रहतीं बसतीं फिर पर्दा क्या अच्छा, मस्जिद में पढ़ता नमाज़ वो, पर मन्दिर भी जाता, एक है वह पर घर लाख अनेक, मालिक वह हर घर का, चारों ओर प्रभु ही सबके संग नज़र है आता, मूसा और फरौह को रच… Share on X मैंने पाया है, हाँ तुम्हें पाया है, तुमने अपना रूप बदल लिया है। कहीं तो तुम तुर्क़ बनकर ग्रन्थ पढ़ते हो और कहीं हिन्दू बनकर भक्ति में डूबे हो कहीं लम्बे घूँघट में स्वयं को छुपाए रहते हो। तुम घर-घर जाकर लाड़ लड़ाते हो। Share on X

bulleh shah shayari zehar vekh ke peeta

क्या करता है, वह क्या करता है। पूछो दिलबर से वह क्या करता है – विराम जब एक ही घर में रहता है, फिर पर्दा क्या करता है? ।।१।। वेगवान‍ अद्वैत नदी में, कोई डूबता कोई तरता है।।२।। प्रभु, बुल्ले शाह से आन मिलो, भेदी है इस घर का वो।।३। Share on X

 

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