बालश्रम निषेध दिवस पर कविता – Anti Child Labour Day Poem in Hindi

Short poem on anti child labour day

Anti Child Labour Day 2020: बाल श्रम दिवस के खिलाफ एंटी चाइल्ड लेबर डे या विश्व दिवस बच्चों को एक गरिमापूर्ण जीवन जीने और बाल श्रम से लड़ने के लिए पर्यावरण प्रदान करने का अवसर प्रदान करता है। गरीबी बाल श्रम का एक मुख्य कारण है, जिसके कारण बच्चों को अपने स्कूल छोड़ने के लिए मजबूर किया जाता है और अपनी आजीविका के लिए अपने माता-पिता का समर्थन करने के लिए नाबालिग नौकरियों का विकल्प चुनते हैं। कुछ, संगठित अपराध रैकेट द्वारा बाल श्रम में मजबूर होते हैं।

यह दिवस न केवल बच्चों के विकास और समृद्धि के लिए आवश्यक उपयुक्त वातावरण पर ध्यान केंद्रित करता है, बल्कि बाल श्रम के खिलाफ अभियान में भाग लेने के लिए सरकारों, नागरिक समाज, स्कूलों, युवाओं, महिलाओं के समूहों और मीडिया से समर्थन प्राप्त करने का अवसर प्रदान करता है।

child labour poems in hindi

लाचारी, गरीबी की मार से
मेरा नन्हा कोमल बचपन कहीं खो गया।

है नहीं रहने को ठिकाना
फुटपाथ ही अब मेरा घर हो गया।
चाहिए था होना कन्धो पर किताबो का झोला
दो वक्त की रोटी का जुगाङ ही तकदीर बन गया।

मुझे भी चाहिए थी कलम औरो की तरह
ये सपना तो बस एक सपना बनके रह गया।

क्या जमाने की मतलबी निगाहे नहीं पङती मुझ पर
या इंसान के अन्दर का जमीर ही मर गया।
मुझे भी चाहिए है ममता की घनी छांव
ईश्वर तो मुझे मेरा हक देना ही भूल गया।

World Day Against Child Labor  poem

मेरी आँखों में भी पलते है मासूम सपने
पेट की भूख तले सपनो का गला दब गया।
मुझे भी खेलना है खिलौनो के संग
किस्मत की लकीरे कुछ ऐसी गढी खुद एक खिलौना बन गया।

तरस खाते है लोग मेरी बेबसी पर
लेकिन स्वार्थ, मेरे लिए उनके हाथ बाँध गया।

कूङे के ढेरो में पलता है मेरा बचपन
मतलब परस्त जमाना मुझ पर हंसकर चैन से सो गया।
मेरे नन्हे हाथ लोगों की चाकरी कर रहे
मुकद्दर के अागे मेरी उम्मीदो पर भी अँधेरा घिर गया।
कहते हैं बच्चे भविष्य है इस देश का…..
और एक भ्रष्टाचारी मेरे भविष्य से ही राजनीति कर गया।
-आस्था गंगवार

poem in english

Tera beta tujhko sabse accha lagta hai
Teri beti tujhko sabse acchi lagti hai
Roz khilone roz chocolates tu unke liye laata hai
Har ghari tu unhe apne dil me basata hai
Jis bacchey se tu kaam karata, kya woh kisi ka beta nahi
Jis bacchi se tu ghar saaf karata, kya woh kisi ki beti nahi
Majboori ka fayda tu kyu unka uthata hai
Unhe do paise de kar, kyu unka bhagwaan ban jaata hai
Wey bhi bacchey hai, maan ke saachey hai
Takdeer se kacchey hai, par phir bhi acchey hai
Kabhi tu unki jagah apne baccho ko toh rakh ke dekh
Phir samajh aayega tujhko, un baccho ki badnasibi ka lekh
Padhna chahte, likhna chahte , khelna woh bhi chahte hai
Par kya kare ,tum jaise aamir unhe apna gulaam banate hai
Wey bhi bacchey hai , maan ke saachey hai
Takdeer se kacchey hai ,par phir bhi acchey hai

Poems on Child Labour in Hindi

Sarkar ne jo neeyam banaye , usey todne me tum maahir ho
Kuch paise de kar kaam karane waale tum unke dil ke kaatil ho
Mat chodo sarkar pe aur kadam badhao us gareeb parivaar ki aur
Kuch paise do unhe inki padhai ke liye, taaki woh bh keh sake yeh ki
Mera beta mujhko sabse accha lagta hai
Meri beti mujhko sabse acchi lagti hai
Main galat tha jo inse itna kaam karata tha
Aur inke khelne ki umar se hi khelta jaata tha
Yeh bhi bacchey hai , maan ke saachey hai
Doctor engineer banauga inhe , yeh mere bacchey hai

चाइल्ड लेबर पोएम इन हिंदी

child labour day poem in hindi

पढने की जब उम्र थी उसकी,पढ़ नहीं पाया
मात-पिता निज स्वार्थ ने उसको काम लगाया
रह गया अंगूठा छाप आज करता मजदूरी
नहीं पढाया उसको क्यूँ ,थी क्या मजबूरी
नन्ही अंगुली ने बीडी के धागे बांधे
भार उठाया उम्र से ज्यादा दूखे काँधे
मंद रोशनी में बुनता था रात गलीचा
सुबह उठा मालिक का सींचा बाग़ बगीचा
रंग रासायनिक से की हैउसने वस्त्र छपाई
झूठी प्लेट उठा कर जिसने भूख मिटाई
वर्कशॉप में मार वो, जब औजार से खाता
नन्हा दिल बस सुबक सुबकता रो नहीं पाता
सड़क पार करता ,ले जा कर चाय केतली
जान बचा ट्रेफिक से लड़ता सड़क हर गली
ढाबे में हम जब भी जाकर खाना खाते
‘छोटू ‘दे आवाज उसीसे जल मंगवाते
मेज पोंछता नन्हे हाथ जब रखते थाली
थोड़ी सी गलती पे ,खाता ढेरों गाली

child labour short poem in english

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फूल बेचता फिरता है
कभी पेन किताब दिखता है सड़कों पे,
यकीन उसका मन भी कुछ लिखने को
कर जाता होगा |
खेल का मैदान नहीं है,
भूखे जिस्म में जान नहीं है,
करवाते हो मजदूरी दिन भर,
ये बच्चा क्या इन्सान नहीं है |
मैं सोचती हूँ क्या इंसान? क्या भगवान,
कोई इसके लिए परेशान नहीं है,
कोई तो संभालो इसको |
मेरे देश की क्या ये पहचान नहीं है?
यूँ मत रोंदो बचपन इनका…
जीवन है जीवन… आसन नहीं है |

modern child labour poem

बाल मजदुर मजबूर हैं

कंधो पर जीवन का बोझ
किताबो की जगह हैं रद्दी का बोझ

जिस मैदान पर खेलना था
उसको साफ़ करना ही जीवन बचा

जिस जीवन में हँसना था]
वो आंसू पी कर मजबूत बना

पेट भरना होता क्या हैं
आज तक उसे मालुम नहीं
चैन की नींद सोना क्या हैं
आज तक उसने जाना नहीं

बच्पन कहाँ खो गया
वो मासूम क्या बताएगा

बाल श्रम निरोध दिवस कविता 

जीवन सड़क पर गुज़र गया
वो यादे क्या बताएगा

कभी तरस भरी आँखों से
वो दो वक़्त का खाता हैं

कभी धिक्कार के धक्के से
वो भूका ही सो जाता हैं

बाल मजदूरी पाप हैं
नियम तो बना दिया

ये उसके हित में हैं
या जीवन कठिन बना दिया

जब आज खतरे में हैं
वो क्या जीवन बनाएगा
जब पेट की भूक ही चिंता हैं
तो वो क्या पढने जाएगा

बाल मजबूर मजबूर हैं
नियम और सताता हैं
अगर देश को मजबूत बनाना हैं
तो इस मज़बूरी को हटाना हैं

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