Akbar Birbal Short Stories In Hindi

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अगर आप मुगल शासन के सबसे प्रसिद्ध शासक अकबर को जानते है तो बीरबल को अवश्य ही जानते होंगे । बीरबल राजा अकबर के दरबार के नौ रत्नों में से एक थे । जब कभी अकबर किसी समस्या या या परेशानी में फंस जाते थे तो वे बीरबल की सहायता लेते थे ।

बीरबल बहुत ही बुद्धिमान थे और दूर – दूर तक उनकी बुद्धिमानी के चर्चे मशहूर थे । उनकी इसी बुद्धिमत्ता के कारण शाही दरबार में भी उनके कई शत्रु बन गए थे जो उनसे जलते थे और उनका अपमान करने का कोई अवसर नहीं छोड़ते थे लेकिन बीरबल अपनी चतुराई और बुद्धिमानी से हमेशा उन सभी को उनके ही जाल में फँसा देते थे । हम यह आपके लिए birbal ki chaturai ki kahani से मिलती – जुलती कुछ akbar birbal short stories in hindi written और short stories of akbar and birbal in hindi with moral and pictures जो की बहुत ही मनोरंजक एवं रोचक है ।

Akbar Birbal Short Story in Hindi

1.तुम्हारी कितनी माँ हैं ?

एक बार अकबर-बीरबल हमेशा की तरह टहलने जा रहे थे।
रास्ते में एक तुलसी का पौधा दिखा तो मंत्री बीरबल ने झुककर प्रणाम किया। अकबर ने पूछा- कौन है ये?
बीरबल- ये मेरी माता हैं।अकबर ने तुलसी के झाड़ को उखाड़कर फेंक दिया और बोला- कितनी माता हैं तुम लोगों की?बीरबल को उसका जवाब देने की एक तरकीब सूझी।
आगे एक बिच्छूपत्ती (खुजली वाला) झाड़ मिला। बीरबल ने उसे दंडवत् प्रणाम कर कहा- जय हो बाप मेरे।
अकबर को गुस्सा आया और दोनों हाथों से झाड़ को उखाड़ने लगा। इतने में अकबर को भयंकर खुजली होने लगी तो अकबर बोला- बीरबल ये क्या हो गया?
बीरबल ने कहा- आपने मेरी मां को मारा इसलिए ये गुस्सा हो गए।
अकबर जहां भी हाथ लगाता, खुजली होने लगती तथा बोला कि बीरबल जल्दी ही कोई उपाय बताओ।
बीरबल बोला- उपाय तो है लेकिन वो भी हमारी मां है तथा उससे ही विनती करनी पड़ेगी।अकबर बोला- जल्दी करो।
आगे गाय खड़ी थी। बीरबल ने कहा- गाय से विनती करो कि हे माता, दवाई दो।
गाय ने गोबर कर दिया और अकबर के शरीर पर उसका लेप करने से फौरन खुजली से राहत मिल गई।
अकबर बोला- बीरबल, अब क्या हम राजमहल में ऐसे ही जाएंगे?
बीरबल ने कहा- नहीं बादशाह, हमारी एक और मां है। सामने ही गंगा बह रही थी। आप बोलिए हर-हर गंगे, जय गंगा मइया की और कूद जाइए।
नहाकर अपने आप को तरोताजा महसूस करते हुए अकबर ने बीरबल से कहा कि ये तुलसी माता, गौमाता, गंगा माता तो जगतमाता हैं। इनको मानने वालों को ही ‘हिन्दू’ कहते हैं।

2.अब तो आन पड़ी है

अकबर बादशाह को मजाक करने की आदत थी। एक दिन उन्होंने नगर के सेठों से कहा-“आज से तुम लोगों को पहरेदारी करनी पड़ेगी।”
सुनकर सेठ घबरा गए और बीरबल के पास पहुँचकर अपनी फरियाद रखी।
बीरबल ने उन्हें हिम्मत बँधायी,”तुम सब अपनी पगड़ियों को पैर में और पायजामों को सिर पर लपेटकर रात्रि के समय में नगर में चिल्ला-चिल्लाकर कहते फिरो, अब तो आन पड़ी है।”

उधर बादशाह भी भेष बदलकर नगर में गश्त लगाने निकले। सेठों का यह निराला स्वांग देखकर बादशाह पहले तो हँसे, फिर बोले-“यह सब क्या है ?”
सेठों के मुखिया ने कहा-“जहाँपनाह, हम सेठ जन्म से गुड़ और तेल बेचने का काम सीखकर आए हैं, भला पहरेदीर क्या कर पाएँगे, अगर इतना ही जानते होते तो लोग हमें बनिया कहकर क्यों पुकारते?”
बादशाह अकबर बीरबल की चाल समझ गए और अपना हुक्म वापस ले लिया।

Akbar Birbal Short Stories in Hindi with Moral

3.राज्य के कौवों की गिनती

एक दिन राजा अकबर और बीरबल राज महल के बगीचे में टहल/घूम रहे थे। बहुत ही सुन्दर सुबह थी, बहुत सारे कौवे तालाब के आस पास उड़ रहे थे। कौवों को देखते ही बादशाह अकबर के मन में एक प्रश्न उत्पन्न हुआ। उनके मन में यह प्रश्न उत्पन्न हुआ कि उनके राज्य में कुल कितने कौवे होंगे?
बीरबल तो उनके साथ ही बगीचे में टहल रह थे तो राजा अकबर नें बीरबल से ही यह प्रश्न कर डाला और पुछा ! बीरबल, आखिर हमारे राज्य में कितने कौवे हैं? यह सुनते ही चालक बीरबल ने तुरंत उत्तर दिया – महाराज, पुरे 95,463 कौवे हैं हमारे राज्य में।
महाराज अकबर इतने तेजी से दिए हुए उत्तर को सुन कर हक्का-बक्का रह गए और उन्होंने बीरबल की परीक्षा लेने का सोचा। महाराज नें बीरबल से दोबारा प्रश्न किया ! अगर तुम्हारे गणना किये गए अनुसार कौवे ज्यादा हुए?
बिना किसी संकोच के बीरबल बोले हो सकता है किसी पड़ोसी राज्य के कौवे घूमने आये हों। और कम हुए तो! बीरबल नें उत्तर दिया, ” हो सकता है हमारे राज्य के कुछ कौवे अपने किसी अन्य राज्यों के रिश्तेदारों के यहाँ घूमने गए हों।

नैतिक शिक्षा

इस कहानी से हमे यह शिक्षा मिलती है की जीवन में शांत मन से विचारों को सुनने और सोचने से, जीवन के हर प्रश्न का उत्तर निकल सकता है।

4.बीरबल और अंगूठी चोर

एक दिन भरे दरबार में राजा अकबर नें अपना अंगूठी खो दिया। जैसे ही राजा को यह बात पता चली उन्होंने सिपाहियों से ढूँढने को कहा पर वह नहीं मिला।
राजा अकबर नें बीरबल से दुखी मन से बताया कि वह अंगूठी उनके पिता की अमानत थी जिससे वह बहुत ही प्यार करते थे। बीरबल नें जवाब में कहा! आप चिंता ना करें महाराज, मैं अंगूठी ढून्ढ लूँगा।
बीरबल नें दरबार में बैठे लोगों की तरफ देखा और राजा अकबर से कहा ! महाराज चोरी इन्हीं दर्बर्यों में से ही किसी ने किया है। जिसके दाढ़ी में तिनका फसा है उसी के पास आपका अंगूठी हैा।
जिस दरबारी के पास महाराज का अंगूठी था वह चौंक गया और अचानक से घबराहट के मारे अपनी दाढ़ी को धयान से देखने लगा। बीरबल नें उसकी हरकत को देख लिया और उसी वक्त सैनिकों को आदेश दिया और कहा! इस आदमी की जांच किया जाए।
बीरबल सही था अंगूठी उसी के पास थी। उसको पकड़ लिया गया और कारागार में कैद कर लिया गया। राजा अकबर बहुत खुश हुए।

शिक्षा(Moral)

एक दोषी व्यक्ति हमेशा डरता रहता है।

Very Short Story of Akbar and Birbal in Hindi with Moral

5. तीन सवाल

एक बार अकबर के दरवार के कुछ लोगो ने बीरबल से जलकर कहा की अगर बीरबल हमारे ३ सवालो के जवाव दे देंगे, तो हम मान लेंगे बीरबल बहुत होशियार हैं।
और सवाल थे – १. आकाश में कितने तारे हैं ? २. धरती का केंद्र कहाँ है ? और ३. दुनिया में कितनी औरतें और कितने आदमी हैं ?
दरवारियों ने कहा अगर बीरबल इन सवालो के जवाब नहीं दे पाए तो उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना होगा ।
बीरबल ने कहा मंज़ूर है।
पहले सवाल के जवाब में बीरबल एक भेड़ ले आये और दरवारियों से कहा इस भेड़ के शरीर पर जितने बाल है उनते ही आकाश में तारे हैं ।आप चाहे तो गिन सकते है ।
दूसरे सवाल के जवाब में बीरबल ने २ लाइन खिंची और उसमे लोहे की छड़ी डाल दी और कहा की यही धरती का केंद्र है, जिसे यकीन न हो वह नाप सकता है ।
और तीसरे सवाल के जवाब में बीरबल ने कहा यह  सवाल थोड़ा मुश्किल है क्यों की मेरे कुछ दरवारी मित्रो के बारे में कहना मुश्किल है की वह औरत है या आदमी।अगर उनको मार दिया जाए तो इसका जवाब दिया जा सकता है ।

Moral Education:

हर समस्या का समाधान निकाला जा सकता है ।

6.ऊंट की गर्दन

अकबर बीरबल की हाज़िर जवाबी के बडे कायल थे। एक दिन दरबार में खुश होकर उन्होंने बीरबल को कुछ पुरस्कार देने की घोषणा की। लेकिन बहुत दिन गुजरने के बाद भी बीरबल को पुरस्कार की प्राप्त नहीं हुई। बीरबल बडी ही उलझन में थे कि महाराज को याद दिलायें तो कैसे?

एक दिन महारजा अकबर यमुना नदी के किनारे शाम की सैर पर निकले। बीरबल उनके साथ था। अकबर ने वहाँ एक ऊँट को घुमते देखा। अकबर ने बीरबल से पूछा, “बीरबल बताओ, ऊँट की गर्दन मुडी क्यों होती है”?बीरबल ने सोचा महाराज को उनका वादा याद दिलाने का यह सही समय है। उन्होंने जवाब दिया – “महाराज यह ऊँट किसी से वादा करके भूल गया है, जिसके कारण ऊँट की गर्दन मुड गयी है। महाराज, कहते हैं कि जो भी अपना वादा भूल जाता है तो भगवान उनकी गर्दन ऊँट की तरह मोड देता है। यह एक तरह की सजा है।”

तभी अकबर को ध्यान आता है कि वो भी तो बीरबल से किया अपना एक वादा भूल गये हैं। उन्होंने बीरबल से जल्दी से महल में चलने के लिये कहा। और महल में पहुँचते ही सबसे पहले बीरबल को पुरस्कार की धनराशी उसे सौंप दी, और बोले मेरी गर्दन तो ऊँट की तरह नहीं मुडेगी बीरबल। और यह कहकर अकबर अपनी हँसी नहीं रोक पाए।

इस तरह बीरबल ने अपनी चतुराई से बिना माँगे अपना पुरस्कार राजा से प्राप्त किया।

शिक्षा(Moral)

अपने किए गए वादों को याद रखना और समय से पूरा करना चाहिए ।

Akbar and Birbal Story

7. सबसे तेज कौन दौडता है ?

अकबर ने दरबार में सवाल उठाया, “सबसे तेज कौन चलता है ?” किसी ने चाँद तो किसी ने सुरज को सबसे तेज चलने वाला बताया। फिर बीरबल से पूछा गया, “महाराज ! महाजन का सूद सबसे तेज दौडता है, दिन दूनी रात चौगुनी रफ्तार से ये बढता ही जाता है, इससे तेज कोई नहीं दौड सकता। ” बीरबल का जवाब सुनकर अकबर खुश हुए।

8.दो गधों का बोझ

एक बार अकबर अपने शहजादे और बीरबल के साथ नदी पर नहाने गए। अकबर ने अपनी पोशाक उतारकर बीरबल को दे दी।
शहजादे ने भी वैसा ही किया। अकबर को मजाक सूझा, “क्यों बीरबल, अब तो तुम पर एक गधे का बोझ हो गया होगा।”
“नहीं महाराज ! एक गधे का नहीं बल्कि दो गधों का बोझ हो गया है।” बीरबल की बात सुनकर अकबर झेप गए।

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