अहमद फराज़ शायरी | Ahmad Faraz Shayari in Urdu

Ahmad Faraz Shayari in Urdu

देश में अनेकों शायर के द्वारा कही एवं लिखी गई Wafa Shayari, Famous Nazm को Suna Hai और उन सभी शायरों में से एक Pakistani Shayar है। जिन्होंने अनेकों शायरी जैसे की Ahmad Faraz Shayari Suna Hai Log और in Barishon Se Dosti Achi Nahi Faraz आदि लव्जों पर शायरियों को प्रस्तुत किया। इसलिए आज हम इस Article में सभी शायरी प्रेमियों के लिए कुछ Latest Shero Shayari का Collection लाये है।

आपको इस लेख में Faraz Shayari on Mohabbat और Ahmad Faraz Motivational Shayari मिल जाएँगी। जिन्हे आप Whatsapp और Facebook के जरिये अपने Friends एवं अपने Relatives के साथ Share कर सकते है। इसके साथ ही आप Romantic और Takabbur पर कही गयी। Faraz ki Shayri को Internet के माध्यम से Ahmad Faraz Shayari in English में देख और पढ़ सकते है तथा इन शायरियों को Pdf में भी Download कर सकते है।

Faraz Shayari in Hindi

कठिन है राहगुज़र थोड़ी दूर साथ चलो बहुत कड़ा है सफ़र थोड़ी दूर साथ चलो Share on X किसी बेवफ़ा की ख़ातिर ये जुनूँ ‘फ़राज़’ कब तक जो तुम्हें भुला चुका है उसे तुम भी भूल जाओ Share on X कौन ताक़ों पे रहा कौन सर-ए-राहगुज़र शहर के सारे चराग़ों को हवा जानती है Share on X कितना आसाँ था तिरे हिज्र में मरना जानाँ फिर भी इक उम्र लगी जान से जाते जाते Share on X अब तो ये आरज़ू है कि वो ज़ख़्म खाइए ता-ज़िंदगी ये दिल न कोई आरज़ू करे Share on X इक तो हम को अदब आदाब ने प्यासा रक्खा उस पे महफ़िल में सुराही ने भी गर्दिश नहीं की Share on X अभी कुछ और करिश्मे ग़ज़ल के देखते हैं ‘फ़राज़’ अब ज़रा लहजा बदल के देखते हैं Share on X अगरचे ज़ोर हवाओं ने डाल रक्खा है मगर चराग़ ने लौ को संभाल रक्खा है Share on X

Faraz Shayari in Urdu

اب زمین پر نہ گوتم ، نہ محمد اور نہ ہی مسیح نئے لوگوں کو توقع سے دور کریں Share on X تمہیں بھولنے کے لئے کتنے بیوقوف ہیں عمر بہت یاد ہے Share on X زندگی ایسی ہے ساری عمر کسی اور کے گھر رہتی تھی Share on X اس 'فراز' سے آگے ایک انیم ای مہارت کیا ہے اپنی زندگی میں ایک شخص بن Share on X کسی بھی دشمن کا کوئی تیر مجھ تک نہیں پہنچا ابھی دیکھیں میرا دوست پیسہ کماتا ہے Share on X اس طرح سے مسلمان الگ ہوگئے آج ، میں نے پہلی بار ، اس کے ساتھ غداری کی Share on X جس نے بیچنا تھا لیکن خوش ہے کہ اس ایڑی کے ساتھ آپ نے اپنے خریدار سے کیا کہا؟ Share on X بہت قربانیاں دیں اب بھی فاصلے میں ایک فاصلہ ہے Share on X

Faraz Shayari on Life

उजाड़ घर में ये ख़ुशबू कहाँ से आई है कोई तो है दर-ओ-दीवार के अलावा भी Share on X किसे ख़बर वो मोहब्बत थी या रक़ाबत थी बहुत से लोग तुझे देख कर हमारे हुए Share on X कुछ मुश्किलें ऐसी हैं कि आसाँ नहीं होतीं कुछ ऐसे मुअम्मे हैं कभी हल नहीं होते Share on X उस का क्या है तुम न सही तो चाहने वाले और बहुत तर्क-ए-मोहब्बत करने वालो तुम तन्हा रह जाओगे Share on X इक ये भी तो अंदाज़-ए-इलाज-ए-ग़म-ए-जाँ है ऐ चारागरो दर्द बढ़ा क्यूँ नहीं देते Share on X अभी तो जाग रहे हैं चराग़ राहों के अभी है दूर सहर थोड़ी दूर साथ चलो Share on X आशिक़ी में ‘मीर’ जैसे ख़्वाब मत देखा करो बावले हो जाओगे महताब मत देखा करो Share on X आज हम दार पे खींचे गए जिन बातों पर क्या अजब कल वो ज़माने को निसाबों में मिलें Share on X

Faraz Ahmed Sad Shayari

अब उसे लोग समझते हैं गिरफ़्तार मिरा सख़्त नादिम है मुझे दाम में लाने वाला Share on X अब और क्या किसी से मरासिम बढ़ाएँ हम ये भी बहुत है तुझ को अगर भूल जाएँ हम Share on X जब भी दिल खोल के रोए होंगे लोग आराम से सोए होंगे Share on X इस अहद-ए-ज़ुल्म में मैं भी शरीक हूँ जैसे मिरा सुकूत मुझे सख़्त मुजरिमाना लगा Share on X अब दिल की तमन्ना है तो ऐ काश यही हो आँसू की जगह आँख से हसरत निकल आए Share on X ऐसा है कि सब ख़्वाब मुसलसल नहीं होते जो आज तो होते हैं मगर कल नहीं होते Share on X ऐसी तारीकियाँ आँखों में बसी हैं कि ‘फ़राज़’ रात तो रात है हम दिन को जलाते हैं चराग़ Share on X जी में जो आती है कर गुज़रो कहीं ऐसा न हो कल पशेमाँ हों कि क्यूँ दिल का कहा माना नहीं Share on X

Faraz shayari on Love

Faraz Shayari in Hindi

क्या कहें कितने मरासिम थे हमारे उस से वो जो इक शख़्स है मुँह फेर के जाने वाला Share on X क़ासिदा हम फ़क़ीर लोगों का इक ठिकाना नहीं कि तुझ से कहें Share on X उम्र भर कौन निभाता है तअल्लुक़ इतना ऐ मिरी जान के दुश्मन तुझे अल्लाह रक्खे Share on X ढूँड उजड़े हुए लोगों में वफ़ा के मोती ये ख़ज़ाने तुझे मुमकिन है ख़राबों में मिलें Share on X उस को जुदा हुए भी ज़माना बहुत हुआ अब क्या कहें ये क़िस्सा पुराना बहुत हुआ Share on X चला था ज़िक्र ज़माने की बेवफ़ाई का सो आ गया है तुम्हारा ख़याल वैसे ही Share on X जाने किस आलम में तू बिछड़ा कि है तेरे बग़ैर आज तक हर नक़्श फ़रियादी मिरी तहरीर का Share on X चले थे यार बड़े ज़ोम में हवा की तरह पलट के देखा तो बैठे हैं नक़्श-ए-पा की तरह Share on X

Ahmad Faraz Best 2 Line Shayari

दिल को तिरी चाहत पे भरोसा भी बहुत है और तुझ से बिछड़ जाने का डर भी नहीं जाता Share on X अगर तुम्हारी अना ही का है सवाल तो फिर चलो मैं हाथ बढ़ाता हूँ दोस्ती के लिए Share on X किसी को घर से निकलते ही मिल गई मंज़िल कोई हमारी तरह उम्र भर सफ़र में रहा Share on X तुम तकल्लुफ़ को भी इख़्लास समझते हो 'फ़राज़' दोस्त होता नहीं हर हाथ मिलाने वाला Share on X इस ज़िंदगी में इतनी फ़राग़त किसे नसीब इतना न याद आ कि तुझे भूल जाएँ हम Share on X रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ Share on X ज़िंदगी से यही गिला है मुझे तू बहुत देर से मिला है मुझे Share on X हम को अच्छा नहीं लगता कोई हमनाम तिरा कोई तुझ सा हो तो फिर नाम भी तुझ सा रक्खे Share on X

Tareef Shayari by Faraz

अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलें जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिलें Share on X किस किस को बताएँगे जुदाई का सबब हम तू मुझ से ख़फ़ा है तो ज़माने के लिए आ Share on X और 'फ़राज़' चाहिएँ कितनी मोहब्बतें तुझे माओं ने तेरे नाम पर बच्चों का नाम रख दिया Share on X इस से पहले कि बे-वफ़ा हो जाएँ क्यूँ न ऐ दोस्त हम जुदा हो जाएँ Share on X आँख से दूर न हो दिल से उतर जाएगा वक़्त का क्या है गुज़रता है गुज़र जाएगा Share on X हुआ है तुझ से बिछड़ने के बा'द ये मा'लूम कि तू नहीं था तिरे साथ एक दुनिया थी Share on X आज इक और बरस बीत गया उस के बग़ैर जिस के होते हुए होते थे ज़माने मेरे Share on X

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