Maa par Kavita Hindi mein: माँ से बड़ा इस दुनिया में कोई नहीं है| माँ ही हमें दुनिया में लाती है, यही कारण है की किसी ने सही कहा है की माँ बेटे से सुन्दर रिश्ता इस पूरी दुनिया में किसी का नहीं है| माँ है तो हमारा अस्तित्व है अगर माँ नहीं है तो हम भी कुछ नहीं है| वही हमको सीख देती है, खुद भूकी रहकर हम को खिलाती है| और यह तो माँ का दिल है जो की खुद कष्ट में रह सकती है पर अपने बच्चे को हर मुश्किल से बचाती है| यही कारण है की आज हम आपके लिए लाये हैं माँ पर हिंदी कविताएं 2017, माँ पर कविता हिंदी में यानी Mothers Day Poem in Hindi जो सब माताओ को समर्पित है|
“बचपन में माँ कहती थी बिल्ली रास्ता काटे, तो बुरा होता है रुक जाना चाहिए…
बचपन में माँ कहती थी बिल्ली रास्ता काटे, तो बुरा होता है रुक जाना चाहिए…
मैं आज भी रुक जाता हूँ कोई बात है जो डरा देती है मुझे..
यकीन मानो, मैं पुराने ख्याल वाला नहीं हूँ… मैं शगुन-अपशगुन को भी नहीं मानता…
मैं माँ को मानता हूँ| मैं माँ को मानता हूँ|
दही खाने की आदत मेरी गयी नहीं आज तक.. दही खाने की आदत मेरी गयी नहीं आज तक..
माँ कहती थी घर से दही खाकर निकलो तो शुभ होता है.. मैं आज भी हर सुबह दही खाकर निकलता हूँ… मैं शगुन-अपशगुन को भी नही मानता….
मैं माँ को मानता हूँ| मैं माँ को मानता हूँ|
आज भी मैं अँधेरा देखकर डर जाता हूँ, भूत-प्रेत के किस्से खोफा पैदा करते हैं मुझमें, जादू, टोने, टोटके पर मैं यकीन कर लेता हूँ|
बचपन में माँ कहती थी कुछ होते हैं बुरी नज़र लगाने वाले, कुछ होते हैं खुशियों में सताने वाले… यकीन मानों, मैं पुराने ख्याल वाला नहीं हूँ… मैं शगुन-अपशगुन को भी नहीं मानता….
मैं माँ को मानता हूँ| मैं माँ को मानता हूँ|
मैंने भगवान को भी नहीं देखा जमीं पर मैंने अल्लाह को भी नहीं देखा लोग कहते है, नास्तिक हूँ मैं मैं किसी भगवान को नहीं मानता
लेकिन माँ को मानता हूँ में माँ को मानता हूँ|
माँ पर कुछ पंक्तियाँ
“घुटनों से रेंगते-रेंगते, कब पैरों पर खड़ा हुआ, तेरी ममता की छाँव में, जाने कब बड़ा हुआ..
काला टीका दूध मलाई आज भी सब कुछ वैसा है, मैं ही मैं हूँ हर जगह, माँ प्यार ये तेरा कैसा है?
सीधा-साधा, भोला-भाला, मैं ही सबसे अच्छा हूँ, कितना भी हो जाऊ बड़ा, “माँ!” मैं आज भी तेरा बच्चा हूँ|”
Short hindi poem on Maa for class 1, 2, 3, 4, 5
“अपने आंचल की छाओं में, छिपा लेती है हर दुःख से वोह एक दुआ दे दे तो काम सारे पूरे हों…
अदृश्य है भगवान, ऐसा कहते है जो… कहीं ना कहीं एक सत्य से, अपरिचित होते है वोह… खुद रोकर भी हमें हसाती है वोह… हर सलीका हमें सिखलाती है वोह…
परेशानी हो चाहे जितनी भी, हमारे लिए मुस्कुराती है वोह… हमारी खुशियों की खातिर दुखो को भी गले लगाती है वो… हम निभाएं ना निभाएं अपना हर फ़र्ज़ निभाती है वोह… हमने देखा जो सपना सच उसे बनती है वो…
दुःख के बादल जो छाये हमपर तो धुप सी खिल जाती है वोह… ज़िन्दगी की हर रेस में हमारा होसला बढाती है वोह… हमारी आँखों से पढ़ लेती है तकलीफ और उसे मिटाती है वोह… पर अपनी तकलीफ कभी नही जताती है वोह…
शायद तभी भगवान से भी ऊपर आती है वोह… तब भी त्याग की मूरत नही माँ कहलाती है ‘वोह’….”
माँ पर मार्मिक कविता
“होती है बड़ी प्यारी मां, होती है सबसे न्यारी मां।
सुख सारे देकर हमको, दुःख सारे ढोती है मां।
ममता का सागर है मां, अंबर-सा मां का विस्तार है।
त्याग मूर्ति है प्रकृति-सी, धरती-सा मां का प्यार है।
सदा प्यार हमको देती है मां, दयालु बहुत होती है मां।
दुःख जरा भी हो हमें तो, सुबक-सुबक रोती है मां।
मां-सा कोई न दूजा जग में, मां नदियों-सी बहती है।
मां की सेवा करने वालों को, कोई कमी नहीं रहती है।”
माँ पर श्लोक
“हालातों के आगे जब साथ न जुबाँ होती है, पहचान लेती है ख़ामोशी में हर दर्द वो सिर्फ “माँ” होती है।”
“तेरे ही आँचल में निकला बचपन, तुझ से ही तो जुड़ी हर धड़कन, कहने को तो माँ सब कहते पर मेरे लिए तो है तू भगवन।”
“न जाने क्यों आज अपना ही घर मुझे अनजान सा लगता है, तेरे जाने के बाद ये घर-घर नहीं खली मकान सा लगता है।”
“एक दुनिया है जो समझाने से भी नहीं समझती, एक माँ थी बिन बोले सब समझ जाती थी।”
“उसकी दुवाओं में ऐसा असर है कि सोये भाग्य जगा देती है, मिट जाते हैं दुःख दर्द सभी, माँ जीवन में चार चाँद लगा देती है।”
माँ की याद कविता
“माँ भगवान का दूसरा रूप उनके लिए दे देंगे जान
हमको मिलता जीवन उनसे कदमो में है स्वर्ग बसा
संस्कार वह हमे बतलाती अच्छा बुरा हमे बतलाती
हमारी गलतियों को सुधारती प्यार वह हमपर बरसती.
तबियत अगर हो जाए खराब रात-रात भर जागते रहना
माँ बिन जीवन है अधुरा खाली-खाली सुना-सुना
खाना पहले हमे खिलाती बादमे वह खुद खाती
हमारी ख़ुशी में खुश हो जाती दुःख में हमारी आँसू बहाती
कितने खुश नसीब है हम पास हमारे है माँ
होते बदनसीब वो कितने जिनके पास ना होती माँ….”
मातृ दिवस कविता
“माँ की ममता करुणा न्यारी, जैसे दया की चादर शक्ति देती नित हम सबको, बन अमृत की गागर
साया बन कर साथ निभाती, चोट न लगने देती पीड़ा अपने उपर ले लेती, सदा सदा सुख देती
माँ का आँचल सब खुशियों की, रंगा रंग फुलवारी इसके चरणों में जन्नत है, आनन्द की किलकारी
अदभुत माँ का रूप सलोना, बिलकुल रब के जैसा प्रेम के सागर सा लहराता, इसका अपनापन ऐसा….”
हिंदी कविता माँ पर
“शीर्षक: ‘माँ तेरी याद आती है’
मेरी माँ है ममता की मूरत, मेरी माँ है ममता की मूरत, इस भीड़ भरी दुनिया में एक अलग सी सूरत, एक अलग सी सूरत |
माँ तुम हो मेरी हर जरुरत की जरुरत, जिसे मैं आज भी नहीं भूल पाती हूँ, नहीं भूल पाती हूँ |
मैं तो थी अकेली, असहाय और नन्ही सी बच्ची, जिसे मिली इस दुनिया में एक माँ तुम जैसी सच्ची, एक माँ तुम जैसी सच्ची |
माँ आज भी तेरी याद आती है, बहुत याद आती है |
माँ वो तुम्ही थी जिसने मुझे ऊँगली पकड़ कर चलना सिखाया, माँ वो तुम्ही थी जिसने मुझे हर मुसीबत से बचाया |
आज मै खुद एक माँ हूँ, और मेरे दो बच्चे है, फिर भी मुझे माँ सिर्फ तेरी ममता याद आती है, सिर्फ तेरी ममता याद आती है |
माँ तू मुझे बहुत याद आती है, बहुत याद आती है |
मैं तो थी बिलकुल नादान, और जब सबकुछ नहीं था इतना आसान, माँ तब भी तुमने दिखाई इतनी हिम्मत, माँ तब भी तुमने दिखाई इतनी हिम्मत, की आज भी पूरी होती है मेरी हर मेहनत, मेरी हर मेहनत |
माँ तू ही मेरे लिए दुर्गा है, तू ही मेरे लिए गोविंदा, माँ तू कभी नहीं मरेगी, क्योंकि तू आज भी मेरे में जिन्दा है, तू आज भी मेरे में जिन्दा है |
———अर्चना त्यागी”
बहुत याद आती है माँ
जब भी होती थी मैं परेशान
रात रात भर जग कर
तुम्हारा ये कहना कि
कुछ नहीं… सब ठीक हो जाएगा ।
याद आता है…. मेरे सफल होने पर
तेरा दौड़ कर खुशी से गले लगाना ।
याद आता है, माँ तेरा शिक्षक बनकर
नई-नई बातें सिखाना
अपना अनोखा ज्ञान देना ।
याद आता है माँ
हँसी मजाक कर
मेरी खामोशी को समझ लेना ।
याद आता है माँ
कभी गुस्से से डाँट कर
चुपके से पुकारना
फिर सिर पर अपना
स्नेह भरा हाथ फेरना ।
याद आता है माँ
बहुत अकेली हूँ
दुनिया की भीड़ में
फिर से अपना
ममता का साया दे दो माँ
तुम्हारा स्नेह भरा प्रेम
बहुत याद आता है माँ
मेरी माँ पर कविता
“माँ तुम्हारी लोरी नहीं सुनी मैंने, कभी गाई होगी याद नहीं फिर भी जाने कैसे मेरे कंठ से तुम झरती हो। तुम्हारी बंद आँखों के सपने क्या रहे होंगे नहीं पता किंतु मैं खुली आँखों उन्हें देखता हूँ । मेरा मस्तक सूँघा अवश्य होगा तुमने मेरी माँ ! ध्यान नहीं पड़ता परंतु मेरे रोम-रोम से तुम्हारी कस्तूरी फूटती है । तुम्हारा ममत्व भरा होगा लबालब मोह से, मेरी जीवनासक्ति यही बताती है । और माँ ! तुमने कई बार छुपा-छुपी में ढूंढ निकाला होगा मुझे पर मुझे सदा की तुम्हारी छुपा-छुपी बहुत रुलाती है; बहुत-बहुत रुलाती है;”
“मुझको हर हाल में बख़्शेगा उजाला अपना चाँद रिश्ते में तो लगता नहीं मामा अपना
मैंने रोते हुएपोंछे थे किसी दिन आँसू मुद्दतों माँ ने नहीं धोया दुपट्टा अपना
हम परिन्दों कीतरह उड़ के तो जाने से रहे इस जनम में तो न बदलेंगे ठिकाना अपना
धूप से मिल गए हैं पेड़ हमारेघर के हम समझते थे कि काम आएगा बेटा अपना
सच बता दूँ तो ये बाज़ार-ए-मुहब्बत गिर जाए मैंने जिस दाम में बेचा है ये मलबा अपना
आइनाख़ाने में रहने का ये इनआम मिला एक मुद्दत से नहीं देखा है चेहरा अपना
तेज़ आँधी में बदल जाते हैं सारे मंज़र भूल जाते हैं परिन्दे भी ठिकाना अपना”
Meri Pyari Maa Kavita for Kids
“मेरी प्यारी माँ तू कितनी प्यारी है जग है अंधियारा तू उजियारी है शहद से मीठी हैं तेरी बातें आशीष तेरा जैसे हो बरसातें डांट तेरी है मिर्ची से तीखी तुझ बिन ज़िंदगी है कुछ फीकी तेरी आंखो में छलकते प्यार के आंसू अब मैं तुझसे मिलने को भी तरसूं माँ होती है भोरी भारी सबसे सुन्दर प्यारी प्यारी”
Short poem on mother in Hindi Fonts
“जन्म दात्री ममता की पवित्र मूर्ति रक्त कणो से अभिसिंचित कर नव पुष्प खिलाती स्नेह निर्झर झरता माँ की मृदु लोरी से हर पल अंक से चिपटाए उर्जा भरती प्राणो में विकसित होती पंखुडिया ममता की छावो में सब कुछ न्यौछावर उस ममता की वेदी पर जिसके आँचल की साया में हर सुख का सागर! -बृजेशकुमार शुक्ला”