वूमेन डे 2022: आज के समय में महिलाओ और पुरुष को एक सामान माना जाता हैं पर पहले ऐसा नहीं था| पुराने समय में महिलाओ को पुरुषो की पैरो की जूती समझा जाता था| आज के इस समय में हर छेत्र में महिलाओ का पुरुषो से सामान योगदान होता हैं|अक्सर यह पुछा जाता है की अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस कब मनाया जाता है व भारतीय महिला दिवस कब मनाया जाता है? तो हम आपको बता दें महिला दिन 8 मार्च 2022 को भारत में मनाया जाएगा| आज के इस आर्टिकल में हम आपके लिए महिला दिवस पर निबंध , महिला दिवस निबंध इन हिंदी, इंग्लिश, उर्दू, मराठी, तमिल, तेलगु, गुजरती, आदि और राष्ट्रीय स्त्री दिवस शार्ट निबंध, नारी शक्ति पर लेख, नारी संमान पर लेख फॉर कक्षा 5,6,7,8,9,10,11 और 12 आदि लाए हैं|
महिला दिवस पर निबंध इन हिंदी
एस्से ऑन वीमेन डे: अक्सर class 4, class 5, class 6, class 7, class 8, class 9, class 10, class 11, class 12 के बच्चो को कहा जाता है महिला दिवस पर निबंध लिखें जो हमने नीचे दे रखे हैं इन्हे आप 100 words, 150 words, 200 words, 400 words व speech में बोल सकते हैं| साथ ही आप महिला दिवस पर कविता भी देख सकते हैं |
रवीन्द्र गुप्ता संस्कृत में एक श्लोक है- ‘यस्य पूज्यंते नार्यस्तु तत्र रमन्ते देवता:। अर्थात्, जहां नारी की पूजा होती है, वहां देवता निवास करते हैं। भारतीय संस्कृति में नारी के सम्मान को बहुत महत्व दिया गया है। किंतु वर्तमान में जो हालात दिखाई देते हैं, उसमें नारी का हर जगह अपमान होता चला जा रहा है। उसे ‘भोग की वस्तु’ समझकर आदमी ‘अपने तरीके’ से ‘इस्तेमाल’ कर रहा है। यह बेहद चिंताजनक बात है। लेकिन हमारी संस्कृति को बनाए रखते हुए नारी का सम्मान कैसे किया जाए, इस पर विचार करना आवश्यक है।
माता का हमेशा सम्मान हो|मां अर्थात माता के रूप में नारी, धरती पर अपने सबसे पवित्रतम रूप में है। माता यानी जननी। मां को ईश्वर से भी बढ़कर माना गया है, क्योंकि ईश्वर की जन्मदात्री भी नारी ही रही है। मां देवकी (कृष्ण) तथा मां पार्वती (गणपति/ कार्तिकेय) के संदर्भ में हम देख सकते हैं इसे।
किंतु बदलते समय के हिसाब से संतानों ने अपनी मां को महत्व देना कम कर दिया है। यह चिंताजनक पहलू है। सब धन-लिप्सा व अपने स्वार्थ में डूबते जा रहे हैं। परंतु जन्म देने वाली माता के रूप में नारी का सम्मान अनिवार्य रूप से होना चाहिए, जो वर्तमान में कम हो गया है, यह सवाल आजकल यक्षप्रश्न की तरह चहुंओर पांव पसारता जा रहा है। इस बारे में नई पीढ़ी को आत्मावलोकन करना चाहिए।
बाजी मार रही हैं लड़कियां|अगर आजकल की लड़कियों पर नजर डालें तो हम पाते हैं कि ये लड़कियां आजकल बहुत बाजी मार रही हैं। इन्हें हर क्षेत्र में हम आगे बढ़ते हुए देखा जा सकता है । विभिन्न परीक्षाओं की मेरिट लिस्ट में लड़कियां तेजी से आगे बढ़ रही हैं। किसी समय इन्हें कमजोर समझा जाता था, किंतु इन्होंने अपनी मेहनत और मेधा शक्ति के बल पर हर क्षेत्र में प्रवीणता अर्जित कर ली है। इनकी इस प्रतिभा का सम्मान किया जाना चाहिए।
नारी का सारा जीवन पुरुष के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने में ही बीत जाता है। पहले पिता की छत्रछाया में उसका बचपन बीतता है। पिता के घर में भी उसे घर का कामकाज करना होता है तथा साथ ही अपनी पढ़ाई भी जारी रखनी होती है। उसका यह क्रम विवाह तक जारी रहता है।
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर निबंध 2022
1910 के अगस्त महीने में, अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के सालाना उत्सव को मनाने के लिये कोपेहेगन में द्वितीय अंतरराष्ट्रीय समाजवादी की एक मीटिंग (अंतरराष्ट्रीय महिला सम्मेलन के द्वारा आयोजित) रखी गया थी। अंतत: अमेरिकन समाजवादी और जर्मन समाजवादी लुईस जिएत्ज़ की सहायता के द्वारा अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का वार्षिक उत्सव की स्थापना हुई। हालाँकि, उस मीटिंग में कोई एक तारीख तय नही हुई थी। सभी महिलाओं के लिये समानता के अधिकार को बढ़ावा देने के लिये इस कार्यक्रम को मनाने की घोषणा हुई।
इसे पहली बार 19 मार्च 1911 में ऑस्ट्रीया, जर्मनी, डेनमार्क और स्वीट्ज़रलैंड के लाखों लोगों द्वारा मनाया गया था। विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम जैसे प्रदर्शनी, महिला परेड, बैनर आदि रखे गये थे। महिलाओं के द्वारा वोटिंग की माँग, सार्वजनिक कार्यालय पर स्वामित्व और रोजगार में लैंगिक भेद-भाव को समाप्त करना जैसे मुद्दे सामने रखे गये थे। हर वर्ष फरवरी के अंतिम रविवार को राष्ट्रीय महिला दिवस के रुप में अमेरिका में इसे मनाया जाता था। फरवरी महीने के अंतिम रविवार को 1913 में रशियन (रुस की) महिलाओं के द्वारा इसे पहली बार मनाया गया था। 1975 में सिडनी में महिलाओं (ऑस्ट्रेलियन बिल्डर्स लेबरर्स फेडरेशन) के द्वारा एक रैली रखी गयी थी।
1914 का अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस उत्सव 8 मार्च को रखा गया था। तब से, 8 मार्च को सभी जगह इसे मनाने की शुरुआत हुई। वोट करने के महिला अधिकार के लिये जर्मनी में 1914 का कार्यक्रम खासतौर से रखा गया था। वर्ष 1917 के उत्सव को मनाने के दौरान सेंट पीटर्सबर्ग की महिलाओं के द्वारा “रोटी और शांति”, रशियन खाद्य कमी के साथ ही प्रथम विश्व युद्ध के अंत की माँग रखी। धीरे-धीरे ये कई कम्युनिस्ट और समाजवादी देशों में मनाना शुरु हुआ जैसे 1922 में चीन में, 1936 से स्पैनिश कम्युनिस्ट आदि में।
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस कैसे मनाया जाता है
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस एक खास कार्यक्रम है जिसे लोगों के साथ ही व्यापार, राजनीतिक, समुदायिक, शिक्षण संस्थानों, आविष्कारक, टीवी व्यक्तित्व आदि महिला नेतृत्व के द्वारा 8 मार्च को पूरे विश्व भर में मनाया जाता है। अन्य महिला अधिकारों को बढ़ावा देने वाली क्रिया-कलाप सहित नाश्ता, रात का भोजन, महिलाओं के मुद्दे, लंच, प्रतियोगी गतिविधि, भाषण, प्रस्तुतिकरण, चर्चा, बैनर, सम्मेलन, महिला परेड तथा सेमिनार जैसे विभिन्न प्रकार कार्यक्रम के आयोजन के द्वारा इसे मनाया जाता है। इसे पूरे विश्व भर में उनके अधिकार, योगदान, शिक्षा की महत्ता, आजीविका आदि के मौके के लिये महिलाओं के बारे में जागरुकता बढ़ाने के लिये मनाया जाता है।महिला शिक्षिका को उनके विद्यार्थियों द्वारा, अपने बच्चों के द्वारा माता-पिता को, बहनों को भाईयों के द्वारा, पुत्री को अपने पिता के द्वारा, उपहार दिया जाता है। ज्यादातर व्ययसायिक संस्थाएँ, सरकारी और गैर-सरकारी कार्यालय, शिक्षण संस्थान, इस दिन बंद रहते हैं। आमतौर पर इस उत्सव को मनाने के दौरान लोग बैंगनी रंग का रिबन पहने रहते हैं।
नारी का सम्मान पर निबंध
महिला सशक्तिकरण के इस महान दिवस पर mahila diwas par shayari आप भी देख सकते हैं|
इतिहास उठाकर देखें तो मां पुतलीबाई ने गांधीजी व जीजाबाई ने शिवाजी महाराज में श्रेष्ठ संस्कारों का बीजारोपण किया था। जिसका ही परिणाम है कि शिवाजी महाराज व गांधीजी को हम आज भी उनके श्रेष्ठ कर्मों के कारण आज भी जानते हैं। इनका व्यक्तित्व विराट व अनुपम है। बेहतर संस्कार देकर बच्चे को समाज में उदाहरण बनाना, नारी ही कर सकती है। अत: नारी सम्माननीय है।
अभद्रता की पराकाष्ठा
आजकल महिलाओं के साथ अभद्रता की पराकाष्ठा हो रही है। हम रोज ही अखबारों और न्यूज चैनलों में पढ़ते व देखते हैं, कि महिलाओं के साथ छेड़छाड़ की गई या सामूहिक बलात्कार किया गया। इसे नैतिक पतन ही कहा जाएगा। शायद ही कोई दिन जाता हो, जब महिलाओं के साथ की गई अभद्रता पर समाचार न हो।
क्या कारण है इसका? प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में दिन-पर-दिन अश्लीलता बढ़ती जा रही है। इसका नवयुवकों के मन-मस्तिष्क पर बहुत ही खराब असर पड़ता है। वे इसके क्रियान्वयन पर विचार करने लगते हैं। परिणाम होता है दिल्ली गैंगरेप जैसा जघन्य व घृणित अपराध। नारी के सम्मान और उसकी अस्मिता की रक्षा के लिए इस पर विचार करना बेहद जरूरी है, साथ ही उसके सम्मान और अस्मिता की रक्षा करना भी जरूरी है।
अशालीन वस्त्र भी एक कारण
कतिपय ‘आधुनिक’ महिलाओं का पहनावा भी शालीन नहीं हुआ करता है। इन वस्त्रों के कारण भी यौन-अपराध बढ़ते जा रहे हैं। इन महिलाओं का सोचना कुछ अलग ढंग का हुआ करता हैं। वे सोचती हैं कि हम आधुनिक हैं। यह विचार उचित नहीं कहा जा सकता है। अपराध होने यह बात उभरकर सामने नहीं आ पाती है कि उनके वस्त्रों के कारण भी यह अपराध प्रेरित हुआ है।इतिहास से
देवी अहिल्याबाई होलकर, मदर टेरेसा, इला भट्ट, महादेवी वर्मा, राजकुमारी अमृत कौर, अरुणा आसफ अली, सुचेता कृपलानी और कस्तूरबा गांधी आदि जैसी कुछ प्रसिद्ध महिलाओं ने अपने मन-वचन व कर्म से सारे जग-संसार में अपना नाम रोशन किया है। कस्तूरबा गांधी ने महात्मा गांधी का बायां हाथ बनकर उनके कंधे से कंधा मिलाकर देश को आजाद करवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।इंदिरा गांधी ने अपने दृढ़-संकल्प के बल पर भारत व विश्व राजनीति को प्रभावित किया है। उन्हें लौह-महिला यूं ही नहीं कहा जाता है। इंदिरा गांधी ने पिता, पति व एक पुत्र के निधन के बावजूद हौसला नहीं खोया। दृढ़ चट्टान की तरह वे अपने कर्मक्षेत्र में कार्यरत रहीं। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति रोनाल्ड रेगन तो उन्हें ‘चतुर महिला’ तक कहते थे, क्योंकि इंदिराजी राजनीति के साथ वाक्-चातुर्य में भी माहिर थीं।
अंत में हम यही कहना ठीक रहेगा कि हम हर महिला का सम्मान करें। अवहेलना, भ्रूण हत्या और नारी की अहमियत न समझने के परिणाम स्वरूप महिलाओं की संख्या, पुरुषों के मुकाबले आधी भी नहीं बची है। इंसान को यह नहीं भूलना चाहिए, कि नारी द्वारा जन्म दिए जाने पर ही वह दुनिया में अस्तित्व बना पाया है और यहां तक पहुंचा है। उसे ठुकराना या अपमान करना सही नहीं है। भारतीय संस्कृति में महिलाओं को देवी, दुर्गा व लक्ष्मी आदि का यथोचित सम्मान दिया गया है अत: उसे उचित सम्मान दिया ही जाना चाहिए।
महिला दिन लेख – महिला दिवस पर विशेष लेख
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस “आईडबल्यूडी” को अंतरराष्ट्रीय क्रियाशील महिला दिवस या महिलाओं के अधिकार और अंतरराष्ट्रीय शांति के लिये संयुक्त बुतपरस्त दिवस भी कहा जाता है जो समाज में महिलाओं के योगदान और उपलब्धियों पर ध्यान केन्द्रित करने के लिये देश के विभिन्न क्षेत्रों में पूरे विश्व भर में 8 मार्च को हर वर्ष मनाया जाता है। इस उत्सव का कार्यक्रम क्षेत्र दर क्षेत्र बदलता रहता है। सामान्यत: इसे पूरी महिला बिरादरी को सम्मान देने, उनके कार्यों की सराहना करके और उनके लिये प्यार व सम्मान जताने के लिये मनाया जाता है। चूँकि महिलाएँ समाज का मुख्य हिस्सा होती हैं तथा आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक क्रियाओं में एक बड़ी भूमिका निभाती हैं, महिलाओं की सभी उपलब्धियों की सराहना करने और याद करने के लिये अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का उत्सव मनाते हैं।
एक समाजिक राजनैतिक कार्यक्रम के रुप में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस उत्सव को मनाने की शुरुआत हुई जिसके दौरान कई देशों में अवकाश की घोषणा की गयी। इस उत्सव को मनाने के दौरान मातृ दिवस और वैलेंटाईन दिवस के उत्सव की तरह महिलाओं की ओर पुरुष अपना प्यार, देख-भाल, सराहना और लगाव को ज़ाहिर करते हैं। अपने अनमोल योगदान के लिये महिला संघर्ष की ओर राजनीतिक और सामाजिक जागरुकता को मजबूत करने के लिये वर्ष के खास विषय और पूर्व योजना के साथ हर वर्ष इसे मनाया जाता है।