भारत को सभ्यताओं का देश कहा जाता है । इसके उत्तर से दक्षिण तक अलग – अलग भाषाएँ , संस्कृति मिलती है । इन संस्कृतियों के आधार पर देश के हर राज्य की अपनी नृत्य कला है । इन नृत्य कलाओं में से एक का नाम है भरतनाट्यम । भरतनाट्यम भारत के सबसे प्राचीन नृत्य शैलियों में से एक है । इस शैली को चधिर अट्टम के नाम से भी जाना जाता है । ये विशेष कर महिलाओं द्वारा किया जाने वाला नृत्य है ।
Short Note on Bharatanatyam Dance
इस आर्टिकल में हम भरतनाट्यम से जुड़े सभी महत्व पूर्ण तथ्यों पर प्रकाश डालेंगे
Meaning of Bharatanatyam in Hindi
Bhartiya Natyam का नाम दो शब्दों से मिलकर बना हुआ है जिसमे पहला है ” भरत मुनि ” का नाम और दूसरा है नाट्यम जिसका की अर्थ होता है नृत्य । इसके अर्थ को हम इस प्रकार से भी समझ सकते है ।
- भा – भाव जिसका की अर्थ है भावना
- र – राग जिसका अर्थ है संगीत
- त – ताल जिसका अर्थ है लय
- नाट्यम – नृत्य
इस प्रकार हम कह सकते है की ये एक ऐसा नृत्य है जिसमे भावों को संगीत और लय के साथ अभिव्यक्त किया जाता है ।
भरतनाट्यम किस राज्य का नृत्य है ?
Bharatnatyam Dance Which State’s dance form
सबसे पहले हम जानते है की Bharat natyam kis rajya ka nritya hai ये दक्षिण भारत के तमिलनाडु राज्य का प्रमुख नृत्य है । वहाँ पहले इसे देवदासियों द्वारा किया जाता है । इसकी उत्पत्ति तमिलनाडु के मंदिरों से हुई है ।
Bharatnatyam ka Itihas
इस नृत्य का आरंभ तमिलनाडु के मंदिरों के नर्तकों एवं देवदासियों द्वारा की गई एकल प्रस्तुति से हुआ । भरतनाट्यम इस नृत्य शैली का आधुनिक नाम है इससे पहले इसे सादिर, दासी अट्टम और तन्जावूरनाट्यम आदि नामों से जाना जाता था । देवदासियों से जुड़ा होने के कारण इसे दस्सी अट्टम और शाही दरबारों में में इसे सद्र के नाम से जाना गय ।
शुरुआत में इस नृत्य को सम्मान की दृष्टि से नहीं देखा जाता था । लेकिन 20 वीं शताब्दी में कृष्ण अय्यर एवं रुक्मणी देवी के प्रयास से इसे पुनर्जीवित किया गया और इसे सम्मान प्राप्त हुआ । Bharata natyam को दो भागों में बांटा गया है – नृत्य एवं अभिनय ।
Bharatanatyam Theory Notes in Hindi
भारत नाट्यम की कुछ प्रमुख विशेषताएँ है । इस शैली को कुछ अवयवों में बांटा गया है आइए जानते है इसके इन्ही अंशों के बारे में और पढ़ते है –
- आलारिप्पू – अलारिप्पू का अर्थ होता है ‘ फूलों की सजावट ‘ । इसमें करताल एवं मृदंग का उपयोग किया जाता है इसमें कविता का उपयोग ईश्वर का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए किया जाता है ।
- जाति स्वरम – इसके द्वारा कला ज्ञान के बारे में बताया जाता है । जिसमे विभिन्न मुद्राओं एवं हरकतों को शामिल किया जाता है । इसके साथ ही साथ इसमें स्वर मालिक एवं नर्तक कला से संबंधित ज्ञान भी दिया जाता है ।
- शब्दम् – यह सबसे ज्यादा आकर्षक एवं सुन्दर तत्व है । इसमें नाट्य भावों को लावण्य के माध्यम से प्रस्तुत किया जाता है । इसका उपयोग विशेषकर ईश्वर की प्रशंसा करने के लिए किया जाता है ।
- वर्णम् – इसमें भाव , ताल एवं राग के माध्यम से कहानियों को प्रदर्शित किया जाता है । ये एक नृत्य घटक होने के साथ साथ सबसे चुनौतीपूर्ण अंश भी है । इसे रंगपटल की सबसे महत्व पूर्ण रचना मन गया है ।
- पद्म – इसमें सात लाइनों की आराधना की जाती है । इसमें संगीत हल्का हो जाता है और dance भावात्मक हो जाता है ।
- जावली – इसमें तेज गति वाले संगीत के साथ एक छोटे से प्रेम गीत को प्रस्तुत किया जाता है ।
- थिल्लन – ये सबसे अंतिम पढ़ाव है जिसके द्वारा इसका समापन किया जाता है । इसमें नृत्य कलाओं के माध्यम से नारी की सुंदरता को चित्रित किया जाता है । ये पूरे प्रदर्शन का सबसे आकर्षक अंग है ।
About Bharatanatyam in Hindi
इसके अलावा इस शैली से जुड़े कुछ और भी तथ्य जिन्हे जानना आपके लिए बहुत आवश्यक है । जिसमे सबसे खास है
मुद्राएं
इस डांस को विभिन्न मुद्राओं के माध्यम से प्रस्तुत किया जाता है । ये विशेषकर महिलाओं द्वारा किया जाता है जिसमे वे मूर्ति के समान मुद्राएँ ग्रहण करती है और प्रायः घुटनों को मोड़कर नृत्य करती है । इसमें नृत्यकार को बहुत कठिन मेहनत करनी होती है । इसमें शरीर त्रिभुज के रूप में दिखाई देता है । इसमें अपने शरीर के भार को नियंत्रित किया जाता है ।
Bharatanatyam Dance Dress
इस डांस के लिए अपनी एक खास तरह की bharatanatyam costumes का इस्तेमाल किया जाता है ये बहुत ही सुन्दर एवं आकर्षित होती है । bharatnatyam ki veshbhusha में आँखों को बहुत ही अच्छे प्रकार से सजाया जाता है और बालों को सजाने के लिए फूलों का इस्तेमाल किया जाता है । साथ ही साथ इसके लिए घुँघरूओं का उपयोग अनिवार्य है ।
Bharatanatyam Music
इसका संगीत बहुत ही मधुर होता है । ये एक लयबद्ध एवं संगीतमय नृत्यशैली है जिसमे classical music का इस्तेमाल किया जाता है। इसका संगीत एक चुनिंदा नाट्य मंडली द्वारा दिया जाता है जिसमे करताल वादक , वीणा वादक , बाँसुरी वादक मृदंग वादक एवं गायक आदि होते है । नाट्य मंडली में इन सभी कलाकारों की अपनी अपनी अहम भूमिका होती है ।
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