Basant Panchami 2022 : इस वर्ष 05 फरवरी 2022 , मंगलवार को Vasant Panchami 2022 पूरे देश में धूम-धाम से मनाई जाएगी |ज़्यादातर लोगों को यही जानकारी है की बसंत पंचमी के दिन से वसंत ऋतु का आगमन होता है और इसी दिन से बसंत का मौसम शुरू होता है इसीलिए कई स्कूलों व कॉलेजों में कक्षाओं में क्लास 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 व 12 के बच्चो को वसंत पंचमी पर पोएम वसंत ऋतू पर कविताएँ के बारे में भी बताया जाता है | आज हम आपके सामने पेश करने वाले हैं बसंत पंचमी कविता यानी की बसंत पंचमी kavita. happy vasant panchami
बसंत पंचमी की कविता – basant panchami poem in hindi
Basant Panchami 2022 :हमारी दी हुई Basant Panchami par Kavita के अलावा आप शुभ वसंत की अन्य जानकारी भी प्राप्त कर सकते हैं जैसे की बसंत पंचमी क्यों मनाई जाती है| आयी देखें Hindi Poem on Spring season for class 2 & class 3 students, Hindi poetry for kids. 2022 सरस्वती पूजा व सरवती वंदन के साथ स्टूडेंट्स ये कविता भी स्कूल के प्रोग्राम में सुना सकते हैं |साथ ही आप चाहें तो Saraswati Vandana Kavita भी देख सकते हैं |
उड़-उड़कर अम्बर से।जब धरती पर आता है।देख के कंचन बाग को।अब भ्रमरा मुस्काता है।फूलों की सुगंधित।कलियों पर जा के।प्रेम का गीत सुनाता है।अपने दिल की बात कहने में।बिलकुल नहीं लजाता है।कभी-कभी कलियों में छुपकर।संग में सो रात बिताता है।गेंदा गमके महक बिखेरे।उपवन को आभास दिलाए।बहे बयारिया मधुरम्-मधुरम्।प्यारी कोयल गीत जो गाए।ऐसी बेला में उत्सव होता जब।वाग देवी भी तान लगाए।आयो बसंत बदल गई ऋतुएं।हंस यौवन श्रृंगार सजाए।
basant panchmi per kavita
देखो -देखो बसंत ऋतु है आयी ।
अपने साथ खेतों में हरियाली लायी ॥
किसानों के मन में हैं खुशियाँ छाई ।
घर-घर में हैं हरियाली छाई ॥
हरियाली बसंत ऋतु में आती है ।
गर्मी में हरियाली चली जाती है ॥
हरे रंग का उजाला हमें दे जाती है ।
यही चक्र चलता रहता है ॥
नहीं किसी को नुकसान होता है ।
देखो बसंत ऋतु है आयी ॥
Poem On Basant Panchami in Hindi|Basant panchami in hindi poem
बसंत आ गया!
अंग-अंग में उमंग आज तो पिया,
बसंत आ गया!दूर खेत मुसकरा रहे हरे-हरे,
डोलती बयार नव-सुगंध को धरे,
गा रहे विहग नवीन भावना भरे,
प्राण! आज तो विशुद्ध भाव प्यार का
हृदय समा गया!अंग-अंग में उमंग आज तो पिया,
बसंत आ गया!खिल गया अनेक फूल-पात से चमन,
झूम-झूम मौन गीत गा रहा गगन,
यह लजा रही उषा कि पर्व है मिलन,
आ गया समय बहार का, विहार का
नया नया नया!अंग-अंग में उमंग आज तो पिया,
बसंत आ गया!
basant panchami poem in english
beginning, From the heart of autumn Rises the cooing of spring… At sweet sixteen, melody of a cuckoo within On whom showers romance, the flowers of spring? Appearing poor, but rich within… From the heart of autumn Rises the cooing of spring… Who’s getting wedded in woods? Each tree is lit in festive moods! Bestowed with divine blessing From the heart of autumn Rises the cooing of spring…
वसंत पंचमी पर हिंदी कविता
साथ ही आप चाहे तो बसंत पंचमी पर निबंध 2022 भी देख सकते हैं जो की हमने हिंदी लैंग्वेज में दिए हुए हैं |
बसंत आमंत्रण
कानन कुंडल घूँघर बाल
ताम्ब कपोल मदनी चाल
मन बसंत तन ज्वाला
नज़र डगर डोरे लाल।पनघट पथ ठाड़े पिया
अरण्य नाद धड़के जिया
तन तृण तरंगित हुआ
करतल मुख ओढ़ लिया।आनन सुर्ख मन हरा
उर में आनंद भरा
पलकों के पग कांपे
घूंघट पट रजत झरा।चितवन ने चोरी करी
चक्षु ने चुगली करी
पग अंगूठा मोड़ लिया
अधरों पर उंगली धरी।कंत कांता चिबुक छुई
पूछी जो बात नई
जिह्वा तो मूक भई
देह न्यौता बोल गई।
Short Poem on Basant Panchami – Small Poem
Basant panchami short hindi poem इस प्रकार हैं| साथ ही आप वसंत ऋतु मराठी कविता भी देख सकते हैं |
चलो मिल बटोर लाएँ
चलो मिल बटोर लाएँ
मौसम से वसंत
फिर मिल कर समय गुज़ारें
पीले फूलों सूर्योदय की परछाई
हवा की पदचापों में
चिडियों की चहचहाहटों के साथ
फागुनी संगीत में फिर
तितलियों से रंग और शब्द लेकर
हम गति बुनें
चलो मिल कर बटोर लाएँ
मौसम से वसंत
और देखें दुबकी धूप
कैसे खिलते गुलाबों के ऊपर
पसर कर रोशनियों की
तस्वीरें उकेरती है
उन्हीं उकेरी तस्वीरों से
ओस कण चुने
चलो मिल बटोर लाएँ||
सुमित्रानंदन पंत की वसंत पर कविता – ऋतुओं पर कविता
धरा पे छाई है हरियाली
धरा पे छाई है हरियाली
खिल गई हर इक डाली डाली
नव पल्लव नव कोपल फुटती
मानो कुदरत भी है हँस दी
छाई हरियाली उपवन मे
और छाई मस्ती भी पवन मे
उडते पक्षी नीलगगन मे
नई उमन्ग छाई हर मन मे
लाल गुलाबी पीले फूल
खिले शीतल नदिया के कूल
हँस दी है नन्ही सी कलियाँ
भर गई है बच्चो से गलियाँदेखो नभ मे उडते पतन्ग
भरते नीलगगन मे रन्ग
देखो यह बसन्त मसतानी
आ गई है ऋतुओ की रानी
आया बसंत पोएम इन हिंदी
varsha ऋतु पर कविता इस प्रकार हैं
वो आना वसंत का
ले के ख़ुदा का नूर वो आना वसंत का
गुलशन के हर कोने पे वो छाना वसंत कादो माह के इस वक्त में रंग जाए है कुदरत
सबसे अधिक मौसम है सुहाना वसंत का।मेला बसंत-पंचमी का गाँव-गाँव में
और गोरियों का सजना-सजाना वसंत कावो रंग का हुड़दंग वो जलते हुए अलाव
आता है याद फाग सुनाना वसंत काहोली का जब त्यौहार आये मस्तियों भरा
मिल जाए आशिकों को बहाना वसंत काकोई हसीन शय ख़लिश रहे न हमेशा
अफ़सोस, आ के फिर चले जाना वसंत का।वसंत आएगा
शीत ऋतु में इक दिन तुमने हाथ थाम कर कह डाला प्रिये वासंती कोई गीत सुनाओ! मुझ से कैसा आग्रह सुनो ये, झूले मधु रागों के डालो, मधुमास गीत खुद ही गाएगा! उष्मा पा जिन से वारि बन हिम धरती पर ढुलक आता है नीरद, नीरज, नील-नयन, नख में कांति बन घुल जाता है, वो कर्मठ बाहें फैलाओ, ऋतुराज झूमता आ जाएगा! केश घटा सम बाँधो या तुम लिखो सूर्य को नेह निमंत्रण आँचल ममता का लहराओ बिसरे पुरवा का सकल नियंत्रण प्रेम-सुधा, आग्रह, लाड़ पा बालक बन बसंत आएगा! अपने सुख से पहले रख दो औरों का हित प्रिये खिल जाएँगे पुष्पों के दल गाएगी कोकिला मीठी तान पा स्नेहिल स्पर्श, आलिंगन आम्र मंजरित हो जाएगा! मन की सुन्दरता छिड़काओ गंग धुला वसंत आएगा!!
बसंत पंचमी पर कविताएं – बसंत पंचमी कविताएँ
बसंत panchami पर कविता इस प्रकार हैं:
वसंती हवा आ गई
देखो फिर से वसंती हवा आ गई।
तान कोयल की कानों में यों छा गई।
कामिनी मिल खोजेंगे रंगीनियाँ।।इस कदर डूबी क्यों बाहरी रंग में।
रंग फागुन का गहरा पिया संग मे।
हो छटा फागुनी और घटा जुल्फ की,
है मिलन की तड़प मेरे अंग अंग में।
दामिनी कुछ कर देंगे नादानियाँ।।
कामिनी मिल खोजेंगे रंगीनियाँ।।बन गया हूँ मैं चातक तेरी चाह में।
चुन लूँ काँटे पड़े जो तेरी राह में।
दूर हो तन भले मन तेरे पास है,
मन है व्याकुल मेरा तेरी परवाह में।
भामिनी हम न देंगे कुर्बानियाँ।।
कामिनी मिल खोजेंगे रंगीनियाँ।।मैं भ्रमर बन सुमन पे मचलता रहा।
तेरी बाँहों में गिर गिर सँभलता रहा।
बिना प्रीतम के फागुन का क्या मोल है,
मेरा मन भी प्रतिपल बदलता रहा।
मानिनी हम फिर लिखेंगे कहानियाँ।
कामिनी मिल खोजेंगे रंगीनियाँ।।
वसंत पर 5 कविता
आया है फागुन
मेंहदी के रंग लिए
आया है फागुन
शहरों और गाँवों में
छाया है फागुनजीवन में रस को
टटोल रहा फागुन
पनघट चौपालों में
डोल रहा फागुनरंगों में डूबे हैं
संगी और साथी
भांग कोई साँसों में
घोल रहा फागुनतितली के रंग लिए
आया है फागुन
टेसू के रंगों से
बोल रहा फागुनहोली के खिले रंग
अबरक गुलाल संग
छाया है सभी अंग
फागुन ही फागुन
Basant panchami ki kavita – vasant panchami in poem hindi
वसन तन
मिटे प्रतीक्षा के दुर्वह क्षण, अभिवादन करता भू का मन !
दीप्त दिशाओं के वातायन,
प्रीति सांस-सा मलय समीरण,
चंचल नील, नवल भू यौवन,
फिर वसंत की आत्मा आई,
आम्र मौर में गूंथ स्वर्ण कण,
किंशुक को कर ज्वाल वसन तन !
देख चुका मन कितने पतझर,ग्रीष्म शरद, हिम पावस सुंदर,
ऋतुओं की ऋतु यह कुसुमाकर,
फिर वसंत की आत्मा आई,
विरह मिलन के खुले प्रीति व्रण,
स्वप्नों से शोभा प्ररोह मन !
सब युग सब ऋतु थीं आयोजन,
तुम आओगी वे थीं साधन,
तुम्हें भूल कटते ही कब क्षण?
फिर वसंत की आत्मा आई,देव, हुआ फिर नवल युगागम,
स्वर्ग धरा का सफल समागम !Vasant panchami kavita in hindi
आए हैं पाहुन वसंत के
– यतीन्द्र राही
आए हैं,
पाहुन वसंत के
बगिया महकी है
बौराए हैं आम कुंज में कोयल कुहकी है।
बातों ही बातों में तुमने-
पृष्ठ पलट डाले
खुले चित्र-वातायन कितने
विविध रंग वाले
जिनमें हमने कभी लिखी थीं-
शहदीली रातें
कचनारों से पंख खोलकर
उड़ने की बातें
यादों के अंगार डाल टेसू भी दहकी है।फूले सुर्ख सेमली दिन थे
महुआ भुनसारे
ऋतुपर्णा के अंग-अंग,
छवि-निखरे अनियारे
सरसों लाती मदनोत्सव के
जब पीले चावल
हो उठती वाचाल चूड़ियाँ
उद्दीपित पायल
कागा आया,
फिर मुंडेर पर चिड़िया चहकी है।अंग-अंग निचुड़े रंगों से,
रस-धारों के दिन
उलझन-रीझ-खीझ-तकरारें
मनुहारों के दिन
अब कगार के वृक्ष
और ये-
लहरें मदमाती
टाँग खींचने दौड़ पड़ी है
नदिया उफनाती
दिन, हिरना हो गए निठुर पुरवैया बहकी है
सखी बसंत आयासखी बसंत आया
कोयल की कूक तान
व्याकुल से हुए प्राण
बैरन भई नींद आज
हवा में मद छाया
सखी बसंत आया
लागी प्रीत अंग-अंग
टेसू फूले लाल रंग
बिखरे महुआ के गंध
साजन संग भाया
सखी बसंत आयापाँव थिरके देह डोले
सरसों की बाली झूमे
धवल धूप आज छिटके
जग सोन से नहाया
सखी बसंत आयाअमुवा की डारी डारी
पवन संग खेल हारी
उड़े गुलाल रंग मारी
सुख आनंद लाया
सखी बसंत आया
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