हिंदी धर्म में माँ दुर्गा का बहुत महत्व है| उन्हें आदि शक्ति के नाम से भी जाना जाता है| कहा जाता है की जो भी उनकी सच्चे मन से आराधना करता है उसकी सारी इच्छा पूरी होती है| दुर्गा अष्टमी का त्यौहार बहुत ही पावन और पवित्र त्यौहार है| इस पर्व का एक अलग महत्व है| यह पर्व चैत्र नवरात्रि के आठवे दिन पर आता है| इस दिन पर माता पारवती की पूजा होती है| इस पर्व के उपलक्ष में आज हम इस पोस्ट में माँ दुर्गा पर हिंदी कविता, माँ दुर्गा कविता, दुर्गा पोएम इन हिंदी आदि की जानकारी देंगे|
माँ दुर्गा पर हिंदी कविता 2023
बहुत से श्रद्धालु जानना चाहते हैं की दुर्गा अष्टमी कब है? इसी दिन राम नवमी यानी की महानवमी भी मनाई जाएगी| आप सभी को नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं|
अश्रुधार भरी आंखों से, किस विधि दर्शन पाऊं मां,
मन मेरे संताप भरा है, मैं कैसे मुस्काऊं मां।
कदम-कदम पर भरे हैं कांटे, ऊंची-नीची खाई है,
दुःखों की बेड़ी पड़ी पांव में, किस विधि चलकर आऊं मां।
अश्रुधार भरी आंखों से, किस विधि दर्शन पाऊं मां।
सुख और दुःख के भंवरजाल में, फंसी हुई है मेरी नैया,
कभी डूबती, कभी उबरती, आज नहीं है कोई खिवैया।
छूट गई पतवार हाथ से, किस विधि पार लगाऊं मां,
अश्रुधार भरी आंखों से, किस विधि दर्शन पाऊं मां।
पाप-पुण्य के फेर में फंसा हूं, मैंने सुध-बुध खोई मां,
अंदर बैठी मेरी आत्मा, फूट-फूटकर रोई मां।
बोल भी अब तो फंसे गले में, आरती किस विधि गाऊं मां,
अश्रुधार भरी आंखों से, किस विधि दर्शन पाऊं मां।
पाप-पुण्य में भेद बता दे, धर्म-कर्म का ज्ञान दे,
मेरे अंदर तू बैठी है, इतना मुझको भान दे।
फिर से मुझमें शक्ति भर दे, फिर से मुझमें जान दे,
नवजात शिशु-सा गोद में खेलूं, फिर बालक बन जाऊं मां।
तू ही बता दे, किन शब्दों में, तुझको आज मनाऊं मां,
अश्रुधार भरी आंखों से, किस विधि दर्शन पाऊं मां।
Maa Durga Par Kavita
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तू ही कर्म कराती मैय्या, तू ही भाग्य बनाती है,
सारी दुनिया तेरी महिमा, तू ही खेल रचाती है।
ब्रह्मा, विष्णु और सदाशिव, सब में तेरी शक्ति मां,
कभी तू गौरी, कभी कालिमा, नित नए रूप बनाती मां।
तू ही शक्ति, तू ही भक्ति, विद्या और अविद्या है,
राम भी तू, रावण भी तू ही, तू ही युद्ध रचाती है।
सूरज-चंदा तेरे सहारे, सप्तऋषि और सारे तारे,
सारी सृष्टि उधर घूमती, तू करती जिस ओर इशारे।
आग में बाग लगाती मैय्या, सागर पीती बन ज्वाला,
पूजा-पाठ की अग्नि तू ही, मधुशाला की तू हाला।
तूने जन्मा सारे जग को, तू ही गोद खिलाती है,
कालचक्र का घुमा के पहिया, वापस हमें बुलाती है।
सारी दुनिया तेरी महिमा, तू ही खेल रचाती है।।
Maa Durga Kavita In Hindi
चली आ रही शक्ति नवरात्रि में जब
जला ज्योति की अब मनाही नहीं थी
करे वंदना उसी दुर्गे की सदा जो
मनोकामना पूर्ण ढिलाई नहीं थी
चले जो सही राह पर अब हमेशा
उसी की चंडी से जुदाई नहीं थी
कपट, छल पले मन किसी के कभी तो
मृत्यु बाद कोई गवाही नहीं थी
सताया दुखी को किसी को धरा पर
कभी द्वार मां से सिधाई नहीं थी
चली मां दुखी सब जनों के हरन दुख
दया के बिना अब कमाई नहीं थी
भवानी दिवस नौ मनाओ खुशी से
बिना साधना के रिहाई नहीं थी
माँ दुर्गा की कविता
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मां मस्तक का चंदन,
मां फूलों की है बगिया।
मां धरा-सी विस्तारित,
मां ही मेरी दुनिया।
मां चांद जैसी शीतल,
मां मखमल-सी नर्म।
मां सृष्टि का सरोकार,
सबसे बड़ा धर्म।
सीता-सी सहनशील,
मां दुर्गा अवतरणी।
माता के श्रीचरणों में,
मेरी है वैतरणी।
नवरात्रे पर दुर्गाष्टमी कविता
आइये देखें कुछ दुर्गा अष्टमी पर कविता यानी की बेस्ट दुर्गा अष्टमी कविताएं फॉर किड्स|
सिंह की सवार बनकर
रंगों की फुहार बनकर
पुष्पों की बहार बनकर
सुहागन का श्रंगार बनकर
तुम्हारा स्वागत है माँ तुम आओ
खुशियाँ अपार बनकर
रिश्तों में प्यार बनकर
बच्चों का दुलार बनकर
समाज में संस्कार बनकर
तुम्हारा स्वागत है माँ तुम आओ
रसोई में प्रसाद बनकर
व्यापार में लाभ बनकर
घर में आशीर्वाद बनकर
मुँह मांगी मुराद बनकर
तुम्हारा स्वागत है माँ तुम आओ
संसार में उजाला बनकर
अमृत रस का प्याला बनकर
पारिजात की माला बनकर
भूखों का निवाला बनकर
तुम्हारा स्वागत है माँ तुम आओ
शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी बनकर
चंद्रघंटा, कूष्माण्डा बनकर
स्कंदमाता, कात्यायनी बनकर
कालरात्रि, महागौरी बनकर
माता सिद्धिदात्री बनकर
तुम्हारा स्वागत है माँ तुम आओ
तुम्हारे आने से नव-निधियां
स्वयं ही चली आएंगी
तुम्हारी दास बनकर
तुम्हारा स्वागत है माँ तुम आओ
Maa Durga Ki Kavita
शक्ति के उपासक हैं ये लोग
यहाँ स्कंदमाता की पूजा होती है
गणेश कार्तिक को भोग लगता है
और अशोक सुंदरी फुट फुट रोती है
चंदन नही, रक्त भरे हाथों से
देवी का शृंगार करते हैं
गर्भ की कन्याओं का जो
वंश के नाम संहार करते हैं
अचरज होता है क्यूँ शक्ति के नाम पर
नौ दिनो का उपवास होता है
कहाँ मिलेंगी कंजके लोगों को
जहाँ गर्भ उनका अंतिम निवास होता है
कभी मन्त्र से, कभी जाप से
नर तुमको छल रहा है
मत आओ इस धरती पर देवी
यहाँ तो चिरस्थाई
भद्रकाल चल रहा है