पुलिस शहीद दिवस पर निबंध – Police Shahid Diwas par Nibandh – Essay in Hindi

Police Shahid Diwas Nibandh in Hindi

भारत पुलिस भारत के हर श्रेत्र के लोगो की दिन रात एक करके रक्षा करती है| किसी भी देश के लिए पुलिस एक अहम् ताकत है जो की देश के हर जगह को रक्षा करती है| पूरे देश भर में विश्व पुलिस शहीद 21 ओक्टुबर को मनाया जाता है| इस दिन का बहुत महत्व महत्व है| इस दिन भारत के उन शहीद पुलिस कर्मियों को श्रद्धांजली दी जाती है जिन्होंने देश की रक्षा के लिए अपने प्राण त्याग दिए थे| इस दिन बहुत से जगह शहीद पुलिसकर्मियों को श्रद्धांजलि अर्पण करके उनके बलिदान को याद किया जाता है|  आप ये जानकारी हिंदी, इंग्लिश, मराठी, बांग्ला, गुजराती, तमिल, तेलगु, आदि की जानकारी देंगे जिसे आप अपने स्कूल के निबंध प्रतियोगिता, कार्यक्रम या निबंध प्रतियोगिता में प्रयोग कर सकते है| ये निबंध कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए दिए गए है|

पुलिस स्मृति दिवस पर निबंध

पुलिस शहीद दिवस कब मनाया जाता है: राष्ट्रीय पुलिस शहीद दिवस हर साल भारत में 21 ओक्टुबर को मनाया जाता है| अक्सर class 1, class 2, class 3, class 4, class 5, class 6, class 7, class 8, class 9, class 10, class 11, class 12 के बच्चो को कहा जाता है पुलिस शहीद दिवस पर निबंध लिखें| आइये अब हम आपको पुलिस स्मृति दिवस निबंध, Police Shahid Diwas Quotes, पुलिस शहीद दिवस, पुलिस शहीद दिवस पर भाषण, police shaheed diwas essay, पुलिस स्मारक दिवस निबंध, आदि की जानकारी 100 words, 150 words, 200 words, 400 words, किसी भी भाषा जैसे Hindi, Urdu, उर्दू, English, sanskrit, Tamil, Telugu, Marathi, Punjabi, Gujarati, Malayalam, Nepali, Kannada के Language Font में साल 2007, 2008, 2009, 2010, 2011, 2012, 2013, 2014, 2015, 2016, 2017 का full collection whatsapp, facebook (fb) व instagram पर share कर सकते हैं|

पुलिस स्मृति दिवस हर वर्ष 21 अक्टूबर को मनाया जाता है। गृहमंत्री राजनाथ सिंह शनिवार को यहां पुलिस स्मारक मैदान पर पुलिस स्मृति दिवस परेड में शामिल होंगे। इस अवसर पर वे पुलिस स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित करेंगे और शहीदों को श्रद्धांजलि देंगे। इस दिन 10 पुलिस कर्मियों के बलिदान को याद किया जाता है, जिन्होंने 1959 में चीन से लगने वाली भारतीय सीमा की सुरक्षा में अपने प्राण न्योछावर किए थे। वर्ष 1959 के शरदकाल तक 2500 मील लंबी भारत-तिब्बत सीमा की निगरानी और सुरक्षा करने का दायित्व भारत के पुलिस कर्मियों पर ही था।

20 अक्टूबर, 1959 को उत्तर-पूर्वी लद्दाख में हॉट-स्प्रिंग्स से तीन टोही दलों को रवाना किया गया था, ताकि एक भारतीय अभियान को आगे बढ़ाने की तैयारी की जाए। यह अभियान लानक ला के रास्ते पर जा रहा था। दो दलों के सदस्य उस दिन दोपहर तक हॉट-स्प्रिंग्स पर लौट आए थे लेकिन तीसरा दल वापस नहीं आया था। इस दल में दो पुलिस हवालदार और एक पोर्टर शामिल थे। अगले दिन बड़े सवेरे खोए हुए पुलिस कर्मियों की तलाश में उपलब्ध कर्मियों को भेजा गया।

डीसीआईओ करम सिंह के नेतृत्व में लगभग 20 पुलिस कर्मियों के एक दल को आगे भेजा गया। करम सिंह घोड़े पर सवार आगे चल रहे थे, जबकि बाकी लोग तीन टुकड़ियों में बंटकर पैदल चल रहे थे।

दोपहर के करीब चीनी सैन्य कर्मियों को एक पहाड़ी पर देखा गया। उन लोगों ने करम सिंह के दल पर फायरिंग की और हथगोले फेंके। हमारे 10 बहादुर पुलिसकर्मी शहीद हो गए और सात घायल हो गए। सात घायलों को चीनी फौज ने पकड़ लिया, जबकि अन्य भागने में सफल हो गए। घटना के पूरे तीन हफ्ते बाद (13 नवंबर, 1959) कहीं जाकर चीनियों ने हमारे 10 शहीदों के शवों को वापस किया। हॉट-स्प्रिंग्स पर पूरे पुलिस सम्मान के साथ इन शवों का अंतिम संस्कार किया गया।

जनवरी, 1960 में आयोजित राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के पुलिस महानिरीक्षकों के वार्षिक सम्मेलन में फैसला किया गया कि लद्दाख में शहीद होने वाले बहादुर पुलिसकर्मियों और कर्तव्य निर्वहन के दौरान शहीद होने वाले अन्य पुलिस कर्मियों की स्मृति में हर वर्ष 21 अक्टूबर को ‘स्मृति दिवस’ मनाया जाएगा। हॉट-स्प्रिंग्स पर एक स्मारक बनाने का भी फैसला किया गया। हर वर्ष देश के विभिन्न भागों के पुलिस बल शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए हॉट-स्प्रिंग्स पर जाते हैं। वर्ष 2012 से पुलिस स्मारक, चाणक्यपुरी में राष्ट्रीय स्तर पर पुलिस स्मृति दिवस परेड का आयोजन किया जाता है।

आजादी के बाद से अब तक राष्ट्र की अखंडता और देशवासियों की सुरक्षा में 34,418 पुलिस कर्मियों ने अपना बलिदान दिया है। पिछले एक वर्ष के दौरान, सितंबर, 2016 से अगस्त, 2017 तक, 383 पुलिस कर्मियों ने अपने प्राण न्योछावर किए हैं।

Police Shahid Diwas Nibandh in Hindi

Police Shahid Diwas par Nibandh

पुलिस स्मृति दिवस प्रत्येक वर्ष 21 अक्टूबर को मनाया जाता है। पुलिस स्मरण दिवस के महत्व के बारे में सीआरपीएफ की बहादुरी का एक किस्सा है, गौरतलब है कि आज से 55 वर्ष पहले 21 अक्टूबर 1959 में लद्दाख में तीसरी बटालियन की एक कम्पनी को भारत – तिब्बत सीमा की सुरक्षा के लिए लद्दाख में ‘हाट-स्प्रिंग‘ में तैनात किया गया था। कम्पनी को टुकड़ियों में बांटकर चौकसी करने को कहा गया। जब बल के 21 जवानों का गश्ती दल ‘हाट-स्प्रिंग‘ में गश्त कर रहा था। तभी चीनी फौज के एक बहुत बड़े दस्ते ने इस गश्ती टुकड़ी पर घात लगाकर आक्रमण कर दिया। तब बल के मात्र 21 जवानों ने चीनी आक्रमणकारियों का डटकर मुकाबला किया। मातृभूमि की रक्षा के लिए लड़ते हुए 10 शूरवीर जवानों ने अपने प्राणों का बलिदान दिया। हमारे बल के लिए व हम सबके लिए यह गौरव की बात है कि केन्द्रीय रिजर्व पुलिउस बल के इन बहादुर जवानों के बलिदान को देश के सभी केन्द्रीय पुलिस संगठनों व सभी राज्यों की सिविल पुलिस द्वारा ‘‘पुलिस स्मरण दिवस‘‘ के रूप में मनाया जाता है।[1]

महत्व
पुलिस के सम्मान के प्रतीक इस दिवस को मीडिया ने एकदम महत्त्वहीन करार दिया वाकई यह दुःख की बात है। हर राज्य का पुलिस बल उन बहादुर पुलिस वालों की याद में इस दिवस का आयोजन करता है, जिन्होंने जनता एवं शांति की रक्षा के लिए अपना जीवन कुर्बान कर दिया। ज्यादातर यही होता है कि इन परेडों में लोगों की उपस्थिति बहुत कम होती है। किरन बेदी के अनुसार दिल्ली पुलिस द्वारा आयोजित परेडों की वह गवाह है। उन्होंने इस परेड की कवरेज के लिए एक-दो मीडिया कर्मियों को ज़रूर देखा है, परंतु शाम की खबरों हेतु ‘टेलीविजन कवरेज’ के लिए वहां कोई भी मीडिया कर्मी उपस्थित नहीं था। यहां तक कि अगले दिन अधिकतर समाचार पत्रों ने भी इस दिवस के बारे में कोई खबर नहीं छापी। अतः उन्होंने मीडिया से पूछा ऐसा क्यों हुआ ? इस, देश के 13 लाख से ज्यादा कर्मचारियों (पुलिस कर्मियों) के इस महत्त्वपूर्ण दिन को मीडिया कैसे नकार सकता है ? प्रतिवर्ष लगभग 1000 पुलिसकर्मी अपना फर्ज निभाते हुए शहीद होते हैं, लेकिन इनमें से किसी को भी अपने कार्यों और फर्ज को अंजाम देते हुए शहीद हो जाने पर मीडिया की ओर से सराहना नहीं मिलती, न ही उनके बलिदानों की कहानी लोगों तक पहुँचती है। दरअसल फर्ज की बेदी पर अपनी जान कुर्बान करने वाले ये सिपाही छिपे हुए नायक होते हैं।[2]

5 नवम्बर 1963 को जयपुर में पुलिस स्मारक का उद्घा़टन करते हुए पंडित नेहरू जी ने कहा था—‘हम प्रायः पुलिसकर्मी को अपना फर्ज पूरा करते देखते रहते हैं और अक्सर हम उनकी आलोचना करते हैं। उन पर आरोप भी लगाते हैं जिनमें से कुछ सच भी साबित हो जाते हैं, कुछ गलत, पर हम भूल जाते हैं कि ये लोग कितना कठिन कार्य करते हैं। आज हमें उनकी सेवा के उस नजरिए को देखना है जिसमें वो दूसरों की जान व माल की रक्षाके बदले अपनी जिन्दगी से समझौता कर लेते हैं।’’ देश के प्रथम प्रधानमंत्री के 1963 में पुलिस कर्मियों के बारे में यही उद्गार थे।

पुलिस शहीद स्मृति दिवस पर निबंध

देश की रक्षा हेतु अपने कर्तव्य का निर्वाह करते हुए अपने प्राणों की आहूति देने वाले पुलिस के अमर शहीदों को शुक्रवार 21 अक्टूबर को प्रातः 8 बजे राजस्थान पुलिस अकादमी, नेहरू नगर, जयपुर स्थित शहीद स्मारक पर आयोजित समारोह में पुलिस अधिकारियों और जयपुर स्थित विभिन्न केन्द्रीय सुरक्षा एजेन्सियों के अधिकारियों के द्वारा भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की जाएगी।

अतिरिक्त महानिदेशक पुलिस, प्रशासन,कानून एवं व्यवस्था श्री एन.आर.के. रेड्डी ने बताया कि इस अवसर पर पुलिस आयुक्तालय जयपुर एवं आरएसी चतुर्थ एवं पंचम बटालियन की टुकड़ी द्वारा गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाएगा,जिसकी सलामी महानिदेशक पुलिस श्री मनोज भट्ट लेंगे। सलामी के पश्चात्त श्री भट्ट शहीदों के नाम का स्मरण करेंगे।

इसके बाद ’’लास्ट पोस्ट’’ की धुन बजाई जाएगी। इस अवसर पर एक सेवानिवृत राजपत्रित एवं एक अराजपत्रित पुलिस अधिकारी शहीद स्मारक पर पुष्पचक्र अर्पित करेंगे। इस अवसर पर पुलिस मुख्यालय एवं आयुक्तालय में पदस्थापित वरिष्ठ पुलिस अधिकारी, कर्मचारी, उनके परिजन, आरपीए में प्रशिक्षणाधीन पुलिसकर्मी एवं उनके परिजन उपस्थित रहेंगे।

श्री रेड्डी ने बताया कि राजस्थान पुलिस अकादमी परिसर में कार्यक्रम सम्पन्न होने के पश्चात लगभग 9.15 बजे जवाहर लाल नेहरू मार्ग स्थित त्रिमूर्ति शहीद स्मारक पर भी महानिदेशक पुलिस श्री भट्ट सहित अन्य अधिकारियों द्वारा शहीद पुलिसकर्मियों को श्रद्धांजलि दी जाएगी।

उन्होंने बताया कि पुलिस शहीद दिवस परेड प्रदेश में प्रत्येक जिला मुख्यालय सहित पुलिस की सभी शाखाओं, आरएसी, प्रशिक्षण केन्द्रों, जोन कार्यालयों एवं रेंज प्रकोष्ठों पर भी आयोजित कर शहीद पुलिसकर्मियों को श्रद्धांजलि दी जाएगी।

इस अवसर पर शहीदों की याद में स्वैच्छिक रक्तदान, वृक्षारोपण एवं स्वच्छ भारत अभियान के तहत भी कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे। इस अवसर पर उन्होंने बताया कि प्रदेश की सभी पुलिस लाईन एवं जिलों के अन्य प्रतिष्ठित स्थलों पर ड्यूटी के दौरान शहीद हुए पुलिसकर्मियों के नाम प्रदर्शित किये जायेंगे।

श्री रेड्डी ने बताया कि 2015 में आयोजित पुलिस महानिदेशकों एवं पुलिस महानिरीक्षकों के सम्मेलन में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने निर्देश दिये थे कि पुलिस एवं अद्र्ध सैन्य बलों के ड्यूटी के दौरान देश सेवा हेतु अपने प्राणों की आहूति देने वालों अधिकारियों एवं कर्मचारियों के त्याग एवं समर्पण को पूर्ण सम्मान के साथ याद किया जाये।

उन्होंने बताया कि राज्य के समस्त पुलिस अधीक्षकों को निर्देश दिये गये हैं कि वे उन विद्यालयों एवं महाविद्यालयों का पता लगायें जहां शहीद अधिकारी व कर्मचारी अध्ययन कर चुके हैं। उन विद्यालयों एवं महाविद्यालयों में स्थानीय थानाधिकारी और वृत्ताधिकारी शहीदों के बलिदान की गाथा विद्यार्थियों को बताने हेतु कार्यक्रम आयोजित करेंगे ताकि विद्यार्थियों एवं अध्यापकों में राष्ट्रभक्ति की भावना का भाव जागृत हो सके व अधिक से अधिक युवा देश की सेवा हेतु आगे आ सकें ।

पुलिस शहीद दिवस मनाने की शुरूआत
आज से 56 वर्ष पूर्व अक्टूबर,1959 में लद्दाख के दुर्गम क्षेत्र में भारतीय पुलिस की एक छोटी टुकड़ी के जवानों ने मातृभूमि की रक्षा करते हुए अपने प्राण न्यौछावर कर दिये थे तभी से प्रति वर्ष 21 अक्टूबर को देश के कोने-कोने में दिवंगत शूरवीरों की स्मृति में पुलिस शहीद दिवस पर परेड़ का आयोजन किया जाता है। इन वीरों का बलिदान भारतीय पुलिस के कार्यों की उच्चतम परम्पराओं का प्रतीक है तथा कर्तव्यनिष्ठा का अनुपम आदर्श प्रस्तुत करता है।

About the author

admin