दशहरा पर निबंध 2022 -23 Dussehra Essay in Hindi for Class 1-12 – Dussehra par Nibandh – दशहरे पर छोटा निबंध

Dussehra Essay in Hindi

दशहरा पर निबंध 2022: दशहरा का पर्व एक ऐसा त्यौहार है जो की भारत के हर शहर में मनाया जाता है| यह दिन माँ गौरी को समर्पित किया जाता है| यह त्यौहार हिन्दू धर्म के लोगो के लिए एक बहुत ही अहा त्यौहार है| यह पर्व हर साल नवरात्रि के आखरी दिन के बाद आता है| इस दिन लंका नरेश रावण का पुतला जलाया जाता है| इस दिन का महत्व इसलिए भी है क्योकि इसी दिन मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के रावण का वद्ध किया था और माता सीता को उसकी कैद से मुक्त कर दिया था|

Dussehra Essay in hindi

आइये अब हम आपको dussehra essay in hindi for class 6, in 500 words, in hindi for class 3, in hindi for class 2, दशहरा एस्से इन हिंदी, dussehra par nibandh, Dussehra wishes in Hindi, दशहरा पर निबंध हिंदी, दशहरा पर कविता, दशहरा पूजा पर निबंध बच्चों के लिए, आदि की जानकारी 100 words, 150 words, 200 words, 400 words जिसे आप pdf download भी कर सकते हैं|

प्रस्तावना

दशहरा हिन्दू धर्म के लोगों का एक महत्वपूर्ण त्यौहार है। इसे पूरे उत्साह के साथ पूरे देश में हिन्दू धर्म के लोगों द्वारा लगातार दस दिन तक मनाया जाता है। इसलिये इसे दशहरा कहते है। पहले नौ दिन तक देवी दुर्गा की पूजा की जाती है , दसवें दिन लोग असुर राजा रावण का पुतला जला कर मनाते है। दशहरा का ये पर्व सितंबर और अक्तूबर के महीने में दीवाली के दो या तीन हफ्ते पहले पड़ता है।

हिन्दू देवी दुर्गा की पूजा के द्वारा इस त्यौहार को मनाया जाता है तथा इसमें प्रभु राम और देवी दुर्गा के भक्त पहले या आखिरी दिन या फिर पूरे नौ दिन तक पूजा-पाठ या व्रत रखते है। नवरात्र को दुर्गा पूजा के नाम से भी जाना जाता है जब देवी दुर्गा के नौ रुपों की पूजा की जाती है।

क्यों ना हम पहले आपने अन्दर के रावण को मारें।

“रावण पर विजय पाने के लिए पहले खुद राम बनना पड़ता है”

हम बाहर रावण का पुतला तो जलाते है लेकिन अंदर उसे पोषित करते है। वो तो सतयुग था जिसमें केवल एक रावण था जिसपर भगवान राम ने विजय प्राप्त की। यह तो कलयुग है जिसमे हर घर में रावण है। इतने रावण पर विजय प्राप्त करना मुश्किल है। विजयादशमी बहुत ही शुभ और ऐतिहासिक पर्व है। लोगो को इस दिन अपने अंदर के रावण पर विजय प्राप्त कर हर्षोल्लास के साथ यह पर्व मनाना चाहिए। जिस प्रकार एक अंधकार का नाश करने के लिए एक दीपक ही काफी होता है वैसे ही अपने अंदर के रावण नाश करने के लिए एक सोच ही काफी है।

ना जाने कई सालों सदियों से पूरे देश में रावण का पुतला हर साल जलाकर दशहरे का त्यौहार मनाया जाता है। अगर रावण की मृत्यु सालों पहले हो गयी थी तो फिर वो आज भी हमारे बीच जीवित कैसे है? आज तो कई रावण हैं। उस रावण के दस सिर थे लेकिन हर सिर का एक ही चेहरा था जबकि आज के रावण का सिर एक है पर चेहरे अनेक हैं, चेहरों पर चेहरे हैं जो नकाबों के पीछे छिपे हैं। इसलिए इनको ख़त्म करने के लिए साल में एक दिन काफी नहीं है इन्हें रोज मारना हमें अपनी दिनचर्या में शामिल करना होगा। उस रावण को प्रभु श्रीराम ने धनुष से मारा था, आज हम सभी को राम बनकर उसे संस्कारों से, ज्ञान से और अपनी इच्छा शक्ति से मारना होगा।

निष्कर्ष

ये 10 दिन लंबा उत्सव होता है, जिसमें से नौ दिन देवी दुर्गा की पूजा के लिये और दसवाँ दिन विजयादशमी के रुप में मनाया जाता है ये असुर राजा रावण पर भगवान राम की जीत के अवसर के रुप में भी मनाया जाता है। इसके आने से पहले ही लोगों द्वारा बड़ी तैयारी शुरु हो जाती है। ये 10 दिनों का या एक महीने का उत्सव या मेले के रुप में होता है जिसमें एक क्षेत्र के लोग दूसरे क्षेत्रों में जाकर दुकान और स्टॉल लगाते है।

दशहरा पर निबंध हिंदी में

अक्सर class 1, class 2, class 3, class 4, class 5, class 6, class 7, class 8, class 9, class 10, class 11, class 12 के बच्चो को कहा जाता है दशहरा पर निबंध लिखे| जिसके लिए हम पेश कर रहे हैं दशहरा त्योहार पर निबंध.

दशहरा हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है । यह त्योहार अशिवन महीने के शुक्ल पक्ष में दस दिनों तक मनाया जाता है । इन दिनों माँ दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा-अर्चना की जाती है । त्योहार का अंतिम दिन विजयादशमी के रूप में मनाया जाता है । असत्य पर सत्य की जीत इस त्योहार का मुख्य संदेश है ।

माँ दुर्गा शक्ति की अधिष्ठात्री देवी हैं । जीवन में शक्ति का बहुत महत्त्व है, इसलिए भक्तगण माँ दुर्गा से शक्ति की याचना करते हैं । पं.बंगाल, बिहार, झारखंड आदि प्रांतों में महिषासुर मर्दिनी माँ दुर्गा की प्रतिमा स्थापित की जाती है । नौ दिनों तक दुर्गासप्तशती का पाठ चलता रहता है । शंख, घड़ियाल और नगाड़े बजते हैं । पूजा-स्थलों में धूम मची रहती है । तोरणद्वार सजाए जाते हैं । नवरात्र में व्रत एवं उपवास रखे जाते हैं । मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना होती है । प्रसाद बाँटने और लंगर चलाने के कार्यक्रम होते हैं ।

उत्तर भारत के विभिन्न प्रांतों में रामलीला का मंचन होता है । कहा जाता है कि विजयादशमी के दिन भगवान राम ने लंका नरेश अहंकारी रावण का वध किया था । रावण अत्याचारी और घमंडी राजा था । उसने राम की पत्नी सीता का छल से अपहरण कर लिया था । सीता को रावण के चंगुल से मुक्त कराने के लिए राम ने वानरराज सुग्रीव से मैत्री की । वे वानरी सेना के साथ समुद्र पार करके लंका गए और रावण पर चढाई कर दी । भयंकर युद्ध हुआ । इस युद्ध में मेघनाद, कुंभकर्ण, रावण आदि सभी वीर योद्धा मारे गए । राम ने अपने शरण आए रावण के भाई विभीषण को लंका का राजा बना दिया और पत्नी सीता को लेकर अयोध्या की ओर प्रस्थान किया । रामलीला में इन घटनाओं का विस्तृत दृश्य दिखाया जाता है । इसके द्वारा श्रीराम का मर्यादा पुरुषोत्तम रूप उजागर होता है ।

रामलीलाओं के साथ-साथ अन्य धार्मिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं । स्थान-स्थान पर मेलों का आयोजन किया जाता है । बच्चे मेले में उत्साह के साथ भाग लेते हैं । वे झूला झूलते हैं और खेल-तमाशे देखते हैं । हर तरफ उत्साह और उमंग मचा रहता है । विजयादशमी के दिन रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतलों के दहन का कार्यक्रम होता है । इसमें हजारों लोग भाग लेते हैं । पुतले जलाकर लोग बुराई पर अच्छाई की विजय का संदेश दोहराते हैं । इस अवसर पर आकर्षक आतिशबाजी भी होती है । फिर लोग मिठाइयाँ खाते और बाँटते हैं ।

विजयादशमी के दिन माँ दुर्गा की प्रतिमाओं के विसर्जन का कार्यक्रम होता है । ट्रकों और ट्रॉलियों पर प्रतिमाएँ लाद कर लोग गाजे-बाजे के साथ चलते हैं । लोग भारी संख्या में इस जलूस में शामिल होते हैं । प्रतिमाएं विभिन्न मार्गों से होते हुए किसी नदी या सरोवर के तट पर ले जायी जाती हैं । वहाँ इनका विसर्जन कर दिया जाता है । इस तरह दस दिनों तक चलनेवाला उत्सव समाप्त हो जाता है ।

दशहरा भक्ति और समर्पण का त्योहार है । भक्त भक्ति- भाव से दुर्गा माता की आराधना करते हैं । नवरात्र में दुर्गा के नौ विभिन्न रूपों की पूजा होती है । दुर्गा ही आवश्यकता के अनुसार काली, शैलपुत्री, ब्रह्‌मचारिणी ,कुष्मांडा आदि विभिन्न रूप धारण करती हैं और आसुरी शक्तियों का संहार करती हैं । वे आदि शक्ति हैं । वे ही शिव पत्नी पार्वती हैं । संसार उन्हें पूजकर अपने अंदर की आसुरी शक्ति को नष्ट होने की आकांक्षा रखता है । दुर्गा रूप जय यश देती हैं तथा द्वेष समाप्त करती हैं । वे मनुष्य को धन- धान्य से संपन्न कर देती हैं ।

भारत में हिमाचल प्रदेश में कुच्छू घाटी का दशहरा बहुत प्रसिद्ध है । यहाँ का दशहरा देखने देश-विदेश के लोग आते हैं । यहाँ श्रद्‌धा, भक्ति और उल्लास की त्रिवेणी देखने को मिलती है ।

इस तरह दशहरा हर वर्ष आता है और लोगों में भक्तिभाव भर जाता है । पर्व-त्योहारों के माध्यम से लोग अपनी ऊब मिटाते हैं और अपने भीतर कार्य करने का नया उत्साह उत्पन्न करते हैं ।

दशहरा पर छोटा निबंध

Essay on dussehra in hindi

दशहरा या विजयदशमी या आयुध-पूजा हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। आश्विन शुक्ल दशमी को विजयदशमी का त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्योहार भारतीय संस्कृति के वीरता का पूजक, शौर्य का उपासक है। व्यक्ति और समाज के रक्त में वीरता प्रकट हो इसलिए दशहरे का उत्सव रखा गया है।

भगवान राम ने इसी दिन रावण का वध किया था। इसे असत्य पर सत्य की विजय के रूप में मनाया जाता है। इसीलिए इस दशमी को विजयादशमी के नाम से जाना जाता है। दशहरा वर्ष की तीन अत्यन्त शुभ तिथियों में से एक है, अन्य दो हैं चैत्र शुक्ल की एवं कार्तिक शुक्ल की प्रतिपदा। इसी दिन लोग नया कार्य प्रारम्भ करते हैं, शस्त्र-पूजा की जाती है।

प्राचीन काल में राजा लोग इस दिन विजय की प्रार्थना कर रण-यात्रा के लिए प्रस्थान करते थे। दशहरा का पर्व दस प्रकार के पापों- काम, क्रोध, लोभ, मोह मद, मत्सर, अहंकार, आलस्य, हिंसा और चोरी जैसे अवगुणों को छोड़ने की प्रेरणा हमें देता है।

दशहरा या दसेरा शब्द ‘दश'(दस) एवं ‘अहन्‌‌’ से बना है। दशहरा उत्सव की उत्पत्ति के विषय में कई कल्पनाएं की गई हैं। कुछ लोगों का मत है कि यह कृषि का उत्सव है। दशहरे का सांस्कृतिक पहलू भी है। भारत कृषि प्रधान देश है।

जब किसान अपने खेत में सुनहरी फसल उगाकर अनाज रूपी संपत्ति घर लाता है तो उसके उल्लास और उमंग का ठिकाना हमें नहीं रहता। इस प्रसन्नता के अवसर पर वह भगवान की कृपा को मानता है और उसे प्रकट करने के लिए वह उसका पूजन करता है। तो कुछ लोगों के मत के अनुसार यह रणयात्रा का द्योतक है, क्योंकि दशहरा के समय वर्षा समाप्त हो जाते हैं, नदियों की बाढ़ थम जाती है, धान आदि सहेज कर में रखे जाने वाले हो जाते हैं।

इस उत्सव का सम्बन्ध नवरात्रि से भी है क्योंकि नवरात्रि के उपरांत ही यह उत्सव होता है और इसमें महिषासुर के विरोध में देवी के साहसपूर्ण कार्यों का भी उल्लेख मिलता है।

Essay on dussehra in hindi

जाने dussehra essay in telugu language, for class 5, in english for class 3, dussehra 2020 essay in hindi, दशहरा फेस्टिवल लांग व शार्ट एस्से इन इंग्लिश, Essay on dussehra mela, dussehra par nibandh in hindi, english mein, एस्से ों दशहरा, किसी भी भाषा जैसे Hindi, Urdu, उर्दू, English, sanskrit, Tamil, Telugu, Marathi, Punjabi, Gujarati, Malayalam, Nepali, Kannada के Language Font में साल 2007, 2008, 2009, 2010, 2011, 2012, 2013, 2014, 2015, 2016, 2017 का full collection है जिसे आप whatsapp, facebook (fb) व instagram पर share कर सकते हैं जो की class 1, class 2, class 3, class 4, class 5, class 6, class 7, class 8, class 9, class 10, class 11, class 12 के लिए काफी आवश्यक हैं|

प्रस्तावना

पूरे देश में मनाया जाने वाला हिन्दू धर्म का महत्वपूर्ण पर्व है दशहरा। ये हर साल सितंबर या अक्टूबर के महीने में दीपावली के पर्व से 20 दिन पहले आता है। लंका के असुर राजा रावण पर भगवान राम की जीत को दिखाता है दशहरा। भगवान राम सच्चाई के प्रतीक है और रावण बुराई की शक्ति का। देवी दुर्गा के पूजा के साथ हिन्दू लोगों के द्वारा ये महान धार्मिक उत्सव और दस्तूर मनाया जाता है। इस पर्व को पूरे देश में मनाने की परंपरा और संस्कार क्षेत्र दर क्षेत्र अलग-अलग है। ये पर्व बच्चों के मन में काफी खुशियां लाता है।

दशहरा के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य:

  • कहा जाता है कि अगर रावण का वध भगवान राम ने नहीं किया होता तो सूर्य हमेशा के लिए अस्त हो जाता।
  • दशहरा का महत्व इस रूप में भी होता कि मां दुर्गा ने दसवें दिन महिषासुर राक्षस का वध किया था।
  • महिषासुर असुरों को राजा था, जो लोगों पर अत्याचार करता था, उसके अत्याचारों को देखकर भगवान ब्रह्मा, विष्‍णु और महेश ने शक्ति (माँ दुर्गा) का निर्माण किया, महिषासुर और शक्‍ति (माँ दुर्गा) के बीच 10 दिनों तक युद्ध हुआ और आखिरकार मां ने 10 वें दिन विजय हासिल कर ली।
  • ऐसी मान्यता है कि नवरात्र में देवी मां अपने मायके आती हैं और उनकी विदाई हेतु लोग नवरात्र के दसवें दिन उन्हें पानी में विसर्जित करते हैं।
  • एक मान्यता यह भी है कि श्री राम ने रावण के दसों सिर यानी दस बुराइयाँ को ख़त्म किया जो हमारे अंदर, पाप, काम, क्रोध, मोह, लोभ, घमंड, स्वार्थ, जलन, अहंकार, अमानवता और अन्‍याय के रूप में विराजमान है।
  • ऐसा लोगों का मानना है की मैसूर के राजा के द्वारा 17वीं शताब्दी में मैसूर में दशहरा मनाई गयी थी।
  • मलेशिया में दशहरा पर राष्ट्रीय अवकाश होता है, यह त्योहार सिर्फ भारत ही नहीं बांग्लादेश और नेपाल में भी मनाया जाता है।
  • दशहरा भगवान राम और माता दुर्गा दोनों का महत्व दर्शाता है. रावण को हराने के लिए श्री राम ने मां दुर्गा की पूजा की थी और आर्शीवाद के रूप में मां ने रावण को मारने का रहस्‍य बताया था।
    रामलीला मंचन

हर तरफ जगमगाती रोशनी और पटाखों की शोर से गूँजता माहौल। बच्चे और बाकी सभी लोग रामलीला को पूरी रात देखते है। रामलीला मंचन के द्वारा वास्तविक लोग रामायण के पात्रों और उनके इतिहास को बताते है। हजारों की संख्या में आदमी, औरत और बच्चे रामलीला मैदान में अपने पास के क्षेत्रों से इस उत्सव का आनन्द उठाते है। राम, सीता और लक्ष्मण के किरदार के लिये वास्तविक कलाकार होते है वहीं रावण, मेघनाथ और कुम्भकर्ण के कागज के पुतले बनाये जाते है।

निष्कर्ष

विजयादशमी एक ऐसा पर्व है, जिसे लोगों के मन में नई ऊर्जा, बुराई पर अच्छाई की जित और लोगों के मन में नई चाह और सात्विक ऊर्जा भी ले आता है। भगवान राम ने कैसे बुराई का अंत कर रावण पर विजय प्राप्त की। और माँ दुर्गा ने महिषासुर को मारकर बुराई का अंत किया। 9 दिन देवी माँ के पूजा अर्चना के बाद यह विजयादशमी आती है। इस दिन पकवान आदि सबके घरों में बनाये जाते है।

Dussehra par nibandh hindi mein

दशहरा को दुर्गा पूजा के नाम से भी जाना जाता है। यह त्योहार वर्षा ऋतु के अंत में संपूर्ण भारत वर्ष में मनाया जाता है। नवरात्र में मूर्ति पूजा में पश्चिम बंगाल का कोई सानी नहीं है जबकि गुजरात में खेला जाने वाला डांडिया बेजोड़ है। पूरे दस दिनों तक त्योहार की धूम रहती है।
लोग भक्ति में रमे रहते हैं। मां दुर्गा की विशेष आराधनाएं देखने को मिलती हैं।

दशमी के दिन त्योहार की समाप्ति होती है। इस दिन को विजयादशमी कहते हैं। बुराई पर अच्छाई के प्रतीक रावण का पुतला इस दिन समूचे देश में जलाया जाता है।

इस दिन भगवान राम ने राक्षस रावण का वध कर माता सीता को उसकी कैद से छुड़ाया था। और सारा समाज भयमुक्त हुआ था। रावण को मारने से पूर्व राम ने दुर्गा की आराधना की थी। मां दुर्गा ने उनकी पूजा से प्रसन्न होकर उन्हें विजय का वरदान दिया था।
रावण दहन आज भी बहुत धूमधाम से किया जाता है। इसके साथ ही आतिशबाजियां छोड़ी जाती हैं। दुर्गा की मूर्ति की स्थापना कर पूजा करने वाले भक्त मूर्ति-विसर्जन का कार्यक्रम भी गाजे-बाजे के साथ करते हैं।

भक्तगण दशहरे में मां दुर्गा की पूजा करते हैं। कुछ लोग व्रत एवं उपवास करते हैं। पूजा की समाप्ति पर पुरोहितों को दान-दक्षिणा देकर संतुष्ट किया जाता है। कई स्थानों पर मेले लगते हैं। रामलीला का आयोजन भी किया जाता है।
श्रीराम का विजय पर्व
दशहरा अथवा विजयादशमी राम की विजय के रूप में मनाया जाए अथवा दुर्गा पूजा के रूप में, दोनों ही रूपों में यह शक्ति पूजा का पर्व है, शस्त्र पूजन की तिथि है। हर्ष, उल्लास तथा विजय का पर्व है। देश के कोने-कोने में यह विभिन्न रूपों से मनाया जाता है, बल्कि यह उतने ही जोश और उल्लास से दूसरे देशों में भी मनाया जाता जहां प्रवासी भारतीय रहते हैं।
मैसूर का दशहरा : मैसूर का दशहरा देशभर में विख्‍यात है। मैसूर में दशहरे के समय पूरे शहर की गलियों को रोशनी से सज्जित किया जाता है और हाथियों का श्रृंगार कर पूरे शहर में एक भव्य जुलूस निकाला जाता है।

इस समय प्रसिद्ध मैसूर महल को दीपमालिकाओं से दुल्हन की तरह सजाया जाता है। इसके साथ शहर में लोग टार्च लाइट के संग नृत्य और संगीत की शोभा यात्रा का आनंद लेते हैं। द्रविड़ प्रदेशों में रावण-दहन का आयोजन नहीं किया जाता है।

दशहरा पर निबंध संस्कृत में

विजयादशमी भारतीयानां पवित्रं पर्व भवति। एतत् पर्व आश्विनमासस्य शुक्लपक्षस्य दशम्यां तिथौ सम्पाद्यते। इयं तिथिः विजयसूचिका मन्यते। अस्मिन् दिवसे श्रीरामः रावणस्य निधनं कृत्वा विजयं प्राप्तवान्। अस्मिन्नेव दिवसे दुर्गा शुम्भं निशुम्भं च अमारयत्। एतत् दिनं विजयेन सम्बन्धितमस्ति। अतः एतत् दिनं विजयादशमी नाम्ना प्रसिद्धम्।

यद्यपि अयमुत्सवः आश्विनमासस्य शुक्लपक्षस्य दशम्यां तिथौ मन्यते, तथापि उत्सवात् दशदिनपूर्वमेव रामकथायाः रामलीलायाः संकीर्त्तनादीनां च आयोजनं भवति। जनाः उत्साहेन रामलीलां पश्यन्ति। दशम्यां तिथौ रावणकुम्भकर्ण-मेघनादानां च अग्निसंयोगः क्रियते। सायंकाले रामलीलाक्षेत्रे लोकानां विपुलः समागमः भवति।

तस्मिन् समये रामस्य लक्ष्मणस्य हनुमतः च वेशेन कलाकाराः तत्र आगच्छन्ति। हनुमान् च दशहरास्थानमागच्छति। हनुमता कृत्रिमा लंका दह्यते। उपस्थिताः जनाः श्रीरामस्य जयध्वनिं कुर्वन्ति। अयमुत्सवः अधर्मस्य उपरी धर्मस्य, असत्यस्य उपरि सत्यस्य, दुर्जनतायाः उपरि सज्जनतायाः विजयस्य प्रतीकमस्ति। वस्तुतः एषः उत्सवः परमपावनः अस्ति।

Dussehra essay in english

Dussehra is the most significant festival of the Hindu religion celebrated all across the country. It falls every year in the month of September or October twenty days earlier to the Diwali festival. The celebration of Dussehra indicates the victory of Lord Rama over demon king Ravana. Lord Rama symbolizes truth and Ravana represents evil power. It is a great ceremonial and religious festival celebrated by the Hindu people with the worship of goddess Durga. The tradition and culture of celebrating this festival varies from region to region in the country.

It is a ten days long festival, nine days of which is celebrated by worshipping the goddess Durga and tenth day as Vijay Dashmi when people celebrate the victory of Lord Rama over the demon King, Ravana. A huge preparation for this festival takes place which starts few days earlier to the exact date. A big fair is held for whole ten days or a whole month where people from far regions come to make shops and stalls of all things necessary for the people. It takes place in the Ram-Lila ground in every society or community where a huge fair is held with the dramatic show of legends of Dussehra for all days. Paper models of the Ravana, Kumbhkaran and Meghnath are prepared in the Ram Lila ground and real people play the role of Rama, Seta and Lakshman.

Everywhere lights are on and whole environment becomes full of sound of firecrackers. People and kids used to see the fair including ram-lila whole night. Various important events of the life of Lord Rama are demonstrated by the real people in the Ram Lila. Thousands of men, women and children of the nearby regions get together in the Ram Lila ground to enjoy the show.

Dussehra essay in punjabi

ਦੁਸਰਾ ਸਭ ਤੋਂ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਤਿਉਹਾਰ ਹੈ ਜੋ ਸਾਰੇ ਦੇਸ਼ ਵਿਚ ਮਨਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ. ਇਹ ਦਿਵਾਲੀ ਤਿਉਹਾਰ ਤੋਂ 20 ਦਿਨ ਪਹਿਲਾਂ ਸਤੰਬਰ ਜਾਂ ਅਕਤੂਬਰ ਦੇ ਮਹੀਨੇ ਵਿੱਚ ਡਿੱਗਦਾ ਹੈ. ਦੁਸਹਿਰੇ ਦਾ ਤਿਉਹਾਰ ਦਰਸਾਏ ਰਾਜਾ ਰਾਵਣ ਤੇ ਭਗਵਾਨ ਰਾਮ ਦੀ ਜਿੱਤ ਨੂੰ ਦਰਸਾਉਂਦਾ ਹੈ. ਭਗਵਾਨ ਰਾਮ ਸੱਚ ਨੂੰ ਦਰਸਾਉਂਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਰਾਵਣ ਸ਼ਕਤੀ ਨੂੰ ਦਰਸਾਉਂਦਾ ਹੈ. ਇਹ ਇਕ ਮਹਾਨ ਰਸਮੀ ਅਤੇ ਧਾਰਮਿਕ ਤਿਉਹਾਰ ਹੈ ਜੋ ਹਿੰਦੂ ਲੋਕਾਂ ਦੁਆਰਾ ਭਗਵਾਨ ਦੁਰਗਾ ਦੀ ਪੂਜਾ ਨਾਲ ਮਨਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ. ਇਸ ਤਿਉਹਾਰ ਨੂੰ ਮਨਾਉਣ ਦੀ ਪਰੰਪਰਾ ਅਤੇ ਸਭਿਆਚਾਰ ਦੇਸ਼ ਦੇ ਖਿੱਤੇ ਤੋਂ ਵੱਖਰੇ ਖੇਤਰਾਂ ਵਿੱਚ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਹੁੰਦਾ ਹੈ.

ਇਹ ਦਸ ਦਿਨ ਲੰਮੀ ਤਿਉਹਾਰ ਹੈ, ਜਿਸ ਦੇ ਨੌਂ ਦਿਨ ਦੇਵੀ ਦੇਵੜਾ ਦੀ ਪੂਜਾ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਦਸਵੇਂ ਦਿਨ ਵਿਜੈ ਦਸਮੀ ਦੇ ਤੌਰ ਤੇ ਜਦੋਂ ਲੋਕ ਰਾਜਾ ਰਾਮ, ਰਾਜਾ ਰਾਮ ਦੀ ਜਿੱਤ ਨੂੰ ਮਨਾਉਂਦੇ ਹਨ, ਰਾਵਣ ਇਸ ਤਿਉਹਾਰ ਲਈ ਇੱਕ ਵੱਡੀ ਤਿਆਰੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਜੋ ਕੁਝ ਦਿਨ ਪਹਿਲਾਂ ਸਹੀ ਤਾਰੀਖ ਤੋਂ ਸ਼ੁਰੂ ਹੁੰਦੀ ਹੈ. ਇੱਕ ਵੱਡਾ ਮੇਲਾ ਪੂਰੇ ਦਸ ਦਿਨ ਜਾਂ ਪੂਰੇ ਮਹੀਨੇ ਲਈ ਰੱਖਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਜਿੱਥੇ ਦੂਰ ਦਿਆਂ ਤੋਂ ਲੋਕ ਲੋਕਾਂ ਲਈ ਸਾਰੀਆਂ ਚੀਜ਼ਾਂ ਦੀ ਦੁਕਾਨਾਂ ਅਤੇ ਸਟਾਲਾਂ ਕਰਨ ਲਈ ਆਉਂਦੇ ਹਨ. ਇਹ ਹਰੇਕ ਸਮਾਜ ਜਾਂ ਸਮਾਜ ਵਿਚ ਰਾਮ-ਲੀਲਾ ਮੈਦਾਨ ਵਿਚ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਜਿੱਥੇ ਸਾਰੇ ਦਿਨ ਲਈ ਦੁਸਹਿਰੇ ਦੀਆਂ ਕਥਾ-ਕਹਾਣੀਆਂ ਦੇ ਨਾਟਕੀ ਪ੍ਰਦਰਸ਼ਨ ਨਾਲ ਇਕ ਵਿਸ਼ਾਲ ਮੇਲਾ ਲਗਦਾ ਹੈ. ਰਾਵਣ, ਕੁੰਭਰ ਅਤੇ ਮੇਘਨਾਥ ਦੇ ਪੇਪਰ ਮਾਡਲ ਤਿਆਰ ਹਨ ਰਾਮਲੀਲਾ ਮੈਦਾਨ ਵਿਚ ਅਤੇ ਅਸਲ ਲੋਕ ਰਾਮ, ਸੈਤਾ ਅਤੇ ਲਕਸ਼ਮਣ ਦੀ ਭੂਮਿਕਾ ਨਿਭਾਉਂਦੇ ਹਨ.

ਹਰ ਜਗ੍ਹਾ ਲਾਈਟਾਂ ਚੱਲ ਰਹੀਆਂ ਹਨ ਅਤੇ ਸਾਰਾ ਵਾਤਾਵਰਨ ਪਟਾਖਿਆਂ ਦੀ ਆਵਾਜ਼ ਨਾਲ ਭਰ ਜਾਂਦਾ ਹੈ. ਲੋਕ ਅਤੇ ਬੱਚੇ ਰਾਮ-ਲੀਲਾ ਸਾਰੀ ਰਾਤ ਸਮੇਤ ਮੇਲੇ ਨੂੰ ਵੇਖਦੇ ਹੁੰਦੇ ਸਨ ਭਗਵਾਨ ਰਾਮ ਦੇ ਜੀਵਨ ਦੀਆਂ ਕਈ ਮਹੱਤਵਪੂਰਣ ਘਟਨਾਵਾਂ ਰਾਮਲੀਲਾ ਦੇ ਅਸਲ ਲੋਕਾਂ ਦੁਆਰਾ ਦਿਖਾਈਆਂ ਗਈਆਂ ਹਨ. ਪ੍ਰਦਰਸ਼ਨ ਦਾ ਅਨੰਦ ਲੈਣ ਲਈ ਹਜ਼ਾਰਾਂ ਪੁਰਸ਼, ਔਰਤਾਂ ਅਤੇ ਨੇੜਲੇ ਖੇਤਰਾਂ ਦੇ ਬੱਚੇ ਰਾਮਲੀਲਾ ਮੈਦਾਨ ਵਿਚ ਇਕੱਠੇ ਹੋ ਗਏ ਹਨ.

Dussehra essay in marathi

दशहरा हा हिंदू धर्माचा सर्वात महत्वाचा उत्सव देशभरात साजरा केला जातो. दरवर्षी सप्टेंबर किंवा ऑक्टोबर महिन्यात दिवाळीच्या उत्सवात ते दरवर्षी येते. दुश्हराचा उत्सव राक्षस राजा रावणवर भगवान रामचा विजय दर्शवितो. भगवान राम सत्याचे प्रतीक आहेत आणि रावण दुष्ट शक्तीचे प्रतिनिधित्व करतात. हा दुर्गा देवीच्या उपासनेत हिंदू लोकांचा उत्सव साजरा केला जातो. हा उत्सव साजरा करण्याची परंपरा आणि संस्कृती देशाच्या क्षेत्रामध्ये बदलली जाते.

दहा दिवसांचा मोठा उत्सव आहे, त्यापैकी नऊ दिवस देवी दुर्गाची पूजा करून आणि दहाव्या दिवशी विजय दशमी म्हणून राक्षस राजा रावण या दिवशी भगवान रामचा विजय साजरा करतात. या उत्सवासाठी एक मोठी तयारी होती जी काही दिवसांपूर्वीच अचूक तारखेपासून सुरू होते. संपूर्ण दहा दिवस किंवा संपूर्ण महिनाभर एक मोठा मेळा आयोजित केला जातो जेथे दूरच्या प्रदेशांतील लोक लोक आणि लोकांच्या आवश्यक गोष्टींच्या दुकाने आणतात. हे प्रत्येक समाजातील किंवा समाजातील राम-लीला मैदानावर होते जेथे सर्व दिवस दशेराच्या नाट्यपूर्ण नाट्यपूर्ण नाट्यपूर्ण नाट्यपूर्ण नाट्यपूर्ण समारंभाचे आयोजन केले जाते. रावण, कुंभकर्ण आणि मेघनाथ यांचे पेपर मॉडेल राम लीला मैदानात तयार आहेत आणि वास्तविक लोक राम, सेता आणि लक्ष्मण यांची भूमिका बजावतात.

सर्वत्र दिवे चालू आहेत आणि संपूर्ण वातावरण फटाकेच्या आवाजाने भरलेले आहे. संपूर्ण रात्री राम-लीलासह मेळावा पाहण्यासाठी लोक आणि मुले वापरत असत. राम लीलातील खर्या लोकांद्वारे भगवान रामच्या जीवनातील महत्वाच्या घटना दर्शविल्या जातात. जवळील प्रदेशातील हजारो पुरुष, महिला आणि मुले राम लीला ग्राउंडमध्ये शोचा आनंद घेण्यासाठी एकत्र येतात.

2020 update

About the author

admin