Poem on Women’s Day in Hindi | महिला दिवस पर कविताएँ

महिला दिवस पर कविता

पूरे विश्व में हर साल 8 February को Mahila Diwas मनाया जाता है। आज के युग में नारी (Naari) हमारे जीवन में माँ, बहन और दोस्त के रूप में अपनी भूमिका निभाती है और हमारी Life को Funny बनाती है।

आज हम अपने Article के द्वारा नारी सशक्तिकरण For Sister और सभी महिलाओं के nari shakti Women Power, Women Respect और Women Empowerment , respect a woman poem in hindi को बढ़ाने के लिए कुछ  Mahila Diwas ke liye Kavita, poem on female education प्रस्तुत कर रहे है।

जिन्हें आप अपने Best Friend के साथ Share कर सकते है। इन काव्य को आप for class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, 11, 12 के लिए इस्तेमाल कर सकते है|

Women’s Day Poem in Hindi

नारी तुम आस्था हो तुम प्यार, विश्वास हो,
टूटी हुयी उम्मीदों की एक मात्र आस हो,
अपने परिवार के हर जीवन का तू आधार हो,
इस बेमानी से भरी दुनिया में एक तुम ही एक मात्र प्यार हो,
चलो उठों इस दुनिया में अपने अस्तित्व को संभालो,
सिर्फ एक दिन ही नहीं, बल्कि हर दिन नारी दिवस मना लो।

क्योंकि नारी महान होती है।

मन ही मन में रोती फिर भी बाहर से हँसती है
बार-बार बिखरे बालों को सवारती है
शादी होते ही उसका सब कुछ पीछे छुट जाता है
सखी – सहेली,आजादी, मायका छुट जाता है
अपनी फटी हुई एड़ियों को साड़ी से ढँकती है
स्वयं से ज्यादा वो परिवार वालों का ख्याल रखती है
सब उस पर अपना अधिकार जमाते वो सबसे डरती है।

शादी होकर लड़की जब ससुराल में जाती है
भूलकर वो मायका घर अपना बसाती है
जब वो घर में आती है तब घर आँगन खुशियो से भर जाते हैं
सारे परिवार को खाना खिलाकर फिर खुद खाती है
जो नारी घर संभाले तो सबकी जिंदगी सम्भल जाती है
बिटिया शादी के बाद कितनी बदल जाती है।

आखिर नारी क्यों डर-डर के बोलती, गुलामी की आवाज में?
गुलामी में जागती हैं, गुलामी में सोती हैं
दहेज़ की वजह से हत्याएँ जिनकी होती हैं
जीना उसका चार दीवारो में उसी में वो मरती है।

जिस दिन सीख जायेगी वो हक़ की आवाज उठाना
उस दिन मिल जायेगा उसके सपनो का ठिकाना
खुद बदलो समाज बदलेगा वो दिन भी आएगा
जब पूरा ससुराल तुम्हारे साथ बैठकर खाना खायेगा
लेकिन आजादी का मतलब भी तुम भूल मत जाना
आजादी समानता है ना की शासन चलाना
रूढ़िवादी घर की नारी आज भी गुलाम है
दिन भर मशीन की तरह पड़ता उस पर काम है
दुःखों के पहाड़ से वो झरने की तरह झरती है
क्योंकि नारी महान होती है।

महिला दिवस पर विशेष कविता

महिला दिवस कविता 3

मैं अम्बर, में सितारा कविता

कौन कहता हैं

कौन कहता हैं की,
नारी कमज़ोर होती है।
आज भी उसके हाथ में,
अपने सारे घर को चलाने की डोर होती है।

वो तो दफ्तर भी जाती हैं,
और अपने घर परिवार को भी संभालती हैं।
एक बार नारी की ज़िंदगी जीके तो देखों,
अपने मर्द होने के घमंड यु उतर जायेंगा,
अब हौसला बन तू उस नारी का,
जिसने ज़ुल्म सहके भी तेरा साथ दिया।

तेरी ज़िम्मेदारियों का बोझ भी,
ख़ुशी से तेरे संग बाट लिया।
चाहती तो वो भी कह देती, मुझसे नहीं होता।
उसके ऐसे कहने पर,
फिर तू ही अपने बोझ के तले रोता।

नारी ईश्वर का चमत्कार

नारी सरस्वती का रूप हो तुम
नारी लक्ष्मी का स्वरुप हो तुम
बढ़ जाये जब अत्याचारी
नारी दुर्गा-काली का रूप हो तुम।

नारी खुशियों का संसार हो तुम
नारी प्रेम का आगार हो तुम
जो घर आँगन को रोशन करती
नारी सूरज की सुनहरी किरण हो तुम।

नारी ममता का सम्मान हो तुम
नारी संस्कारों की जान हो तुम
स्नेह, प्यार और त्याग की
नारी इकलौती पहचान हो तुम।

नारी कभी कोमल फूल गुलाब हो तुम
नारी कभी शक्ति के अवतार हो तुम
तेरे रूप अनेक
नारी ईश्वर का चमत्कार हो तुम।

Women’s Day Special Kavita

महिला दिवस कविता 7

कविता दिलों में बस जाए वो

“क्योंकि आप महिलाएं हैं, इसलिए दुनिया आप पर अपनी सोच थोपेंगी।
वे आपको बताएंगे कि कैसे व्यवहार करें, कैसे कपडे पहने,
आप किससे मिल सकते हैं और आप कहां जा सकते हैं।
मेरा महिलाओं से यही कहना हैं की लोगों के फैसले की छाया में न रहें।
अपने खुद के ज्ञान के प्रकाश में अपनी पसंद और नापसंद तय करें।” – Amitabh Bachchan

जब हैं नारी में शक्ति सारी

जब हैं नारी में शक्ति सारी,
तो फिर क्यों नारी को कहे बेचारी…

बेटी-बहु कभी माँ बनकर
सबके ही सुख-दुख को सहकर
अपने सब फर्ज़ निभाती है
तभी तो नारी कहलाती है

नारी ही शक्ति है नर की
नारी ही है शोभा घर की
जो उसे उचित सम्मान मिले
घर में खुशियों के फूल खिलें

आंचल में ममता लिए हुए
नैनों से आंसु पिए हुए
सौंप दे जो पूरा जीवन
फिर क्यों आहत हो उसका मन

क्यों त्याग करे नारी केवल
क्यों नर दिखलाए झूठा बल
नारी जो जिद्द पर आ जाए
अबला से चण्डी बन जाए
उस पर न करो कोई अत्याचार
तो सुखी रहेगा घर-परिवार

मुस्कुराकर, दर्द भूलकर
रिश्तों में बंद थी दुनिया सारी
हर पग को रोशन करने वाली
वो शक्ति है एक नारी

जिसने बस त्याग ही त्याग किए
जो बस दूसरों के लिए जिए
फिर क्यों उसको धिक्कार दो
उसे जीने का अधिकार दो

दिन की रोशनी ख्वाबों को बनाने मे गुजर गई,
रात की नींद बच्चे को सुलाने मे गुजर गई,
जिस घर मे मेरे नाम की तखती भी नहीं,
सारी उमर उस घर को सजाने मे गुजर गई।

नारी दिवस बस एक दिवस
क्यों नारी के नाम मनाना है
हर दिन हर पल नारी उत्तम
मानो , यह न्या ज़माना है

नारी सीता नारी काली
नारी ही प्रेम करने वाली
नारी कोमल नारी कठोर
नारी बिन नर का कहां छोर

नर सम अधिकारिणी है नारी
वो भी जीने की अधिकारी
कुछ उसके भी अपने सपने
क्यों रौंदें उन्हें उसके अपने

‘राजा’ ने कहा-
‘जहर पियो’
……
……
वह ‘मीरा’ हो गई…

Poem for Womans Day in Hindi

नारी को नारी ही रह्ने दो

नारी सशक्तिकरण के नारों से,गूंज उठी है वसुंधरा,
संगोष्ठी, परिचर्चाएं सुन-सुन, अंतर्मन ये पूछ पड़ा।

वेद, पुराण, ग्रंथ सभी, नारी की महिमा दोहराते,
कोख में कन्या आ जाए, क्यूं उसकी हत्या करवाते?
कूड़े, करकट के ढेरों में, कुत्तों के मुंह से नुचवाते,
बेटे की आस में प्रतिवर्ष,बेटियां घरों में जनवाते ।

कोख जो सूनी रह जाए ,अनाथाश्रमों की फेरी लगाते,

गोद में बालक ले लेते,बालिका को हैं ठुकराते।

गुरुद्वारे, मंदिर, गिरजे, मस्जिद, जा-जा नित शीश नवाते,
पुत्र-रत्न पाने की चाहत,ईश्वर को भी भेंट चढ़ाते।

चांदी के सिक्कों के प्रलोभी, दहेज की बलि चढ़ा देते,
पदोन्नति की खातिर, सीढ़ी इसे बना लेते।

मनचले, वाणी के तीरों से, सीना छलनी कर देते,
वहशी, दरिंदे, पशु,असुर, क्यूं हवस अपनी बुझा लेते।

सरस्वती, लक्ष्मी, शीतला, नारी दुर्गा भी बन जाए,
मनमोहिनी, गणगौर सी,काली का रूप भी दिखलाए।

शक्ति को ना ललकारो, इसको नारी ही रहने दो,
करुणा, ममता की सरिता ये,कल-कल शीतल ही बहने दो ।

Aaj ki Nari Poem in Hindi

महिला दिवस कविता 1

कविता में बहन, पत्नी

नारी तो बस नारी है

नारी का गुणगान ना आँको भैया
नारी तो बस नारी है।

अनंत काल से आज तक
नारी ही रही है
जिसने हर
कठिन समय में भी
कंधे से कंधा मिला

दिया पुरुषों का साथ।

फिर भी पुरुषप्रधान
इस देश में ना
मिल सका
नारी को मान…
नारी तो बस नारी है।

प्यार और दुलार की मूर्ति नारी
ममता की मूर्ति है न्यारी
बच्चों से लेकर बूढ़ों तक
सभी को सँवारती है
यह नारी।

कभी सास तो कभी बहू
कभी बेटी तो कभी माँ
बनकर हर उम्मीद पर
खरी उतरती है नारी।

नारी तो बस नारी है
उसकी महिमा जो
समझ जाएँ
वह इस दुनिया से तर जाएँ

नारी का सम्मान करो
उसे भी उड़ने दो
गगन में अपनी स्वतंत्रता से
और फिर देखो
नारी का असली रूप

जो कभी दुर्गा, तो कभी सरस्वती
कभी लक्ष्मीबाई तो कभी कालका

का रूप दिखाकर
जग को न्याय का उचित
रास्ता दिखलाती है नारी

नारी तो बस नारी है
नारी तो बस नारी है।

महिला दिवस कविता 5

कविता अपमान मत करना

नारी का सम्मान ही, पौरूषता की आन

नारी का सम्मान ही, पौरूषता की आन,
नारी की अवहेलना, नारी का अपमान।

मां-बेटी-पत्नी-बहन, नारी रूप हजार,
नारी से रिश्ते सजे, नारी से परिवार।

नारी बीज उगात है, नारी धरती रूप,
नारी जग सृजित करे, धर-धर रूप अनूप।

नारी जीवन से भरी, नारी वृक्ष समान,
जीवन का पालन करे, नारी है भगवान।

नारी में जो निहित है, नारी शुद्ध विवेक,
नारी मन निर्मल करे, हर लेती अविवेक।

पिया संग अनुगामिनी, ले हाथों में हाथ,
सात जनम की कसम, ले सदा निभाती साथ।

हर युग में नारी बनी, बलिदानों की आन,
खुद को अर्पित कर दिया, कर सबका उत्थान।

नारी परिवर्तन करे, करती पशुता दूर,
जीवन को सुरभित करे, प्रेम करे भरपूर।

प्रेम लुटा तन-मन दिया, करती है बलिदान,
ममता की वर्षा करे, नारी घर का मान।

मीरा, सची, सुलोचना, राधा, सीता नाम,
दुर्गा, काली, द्रौपदी, अनसुइया सुख धाम।

मर्यादा गहना बने, सजती नारी देह,
संस्कार को पहनकर, स्वर्णिम बनता गेह।

पिया संग है कामनी, मातुल सुत के साथ,
सास-ससुर को सेवती, रुके कभी न हाथ।

वह कहता था

वह कहता था,
वह सुनती थी,

जारी था एक खेल
कहने-सुनने का।

खेल में थी दो पर्चियाँ।
एक में लिखा था ‘कहो’,
एक में लिखा था ‘सुनो’।

अब यह नियति थी
या महज़ संयोग?

उसके हाथ लगती रही वही पर्ची
जिस पर लिखा था ‘सुनो’।

वह सुनती रही।
उसने सुने आदेश।
उसने सुने उपदेश।

बन्दिशें उसके लिए थीं।
उसके लिए थीं वर्जनाएँ।

वह जानती थी,
‘कहना-सुनना’
नहीं हैं केवल क्रियाएं।

राजा ने कहा,
‘ज़हर पियो’
वह मीरा हो गई।

ऋषि ने कहा,
‘पत्थर बनो’
वह अहल्या हो गई।

प्रभु ने कहा,
‘निकल जाओ’
वह सीता हो गई।

चिता से निकली चीख,
किन्हीं कानों ने नहीं सुनी।
वह सती हो गई।

घुटती रही उसकी फरियाद,
अटके रहे शब्द,

सिले रहे होंठ,
रुन्धा रहा गला।

उसके हाथ
कभी नहीं लगी वह पर्ची,
जिस पर लिखा था, ‘कहो’।

महिला दिवस कविता 4

कविता कुछ माँगा नहीं

हाँ गर्व है मुझे मैं नारी हूँ

तोड़ के हर पिंजरा
जाने कब मैं उड़ जाऊँगी
चाहे लाख बिछा लो बंदिशें
फिर भी दूर आसमान मैं अपनी जगह बनाउंगी मैं
हाँ गर्व है मुझे मैं नारी हूँ
भले परम्परावादी जंजीरों से बांधे है दुनिया के लोगों ने पैर मेरे
फिर भी उस जंजीरों को तोड़ जाऊँगी
मैं किसी से काम नहीं साड़ी दुनिया को दिखाउंगी
हाँ गर्व है मुझे मैं नारी हूँ

नारी का सम्मान

नारी का सम्मान, बचाना धर्म हमारा,
सफल वही इंसान, लगे नारी को प्यारा।
जीवन का आधार, हमेशा नारी होती,
खुद को कर बलिदान, घर-परिवार संजोती।

नारी का अभिमान, प्रेममय उसका घर है,
नारी का सम्मान, जगत में उसका वर है।
नारी का बलिदान, मिटाकर खुद की हस्ती,

कर देती आबाद, सभी रिश्तों की बस्ती।

नारी को खुश रखो, नहीं तो पछताओगे,
पा नारी का प्रेम, जगत से तर जाओगे।
नारी है अनमोल, प्रेम सब इनसे कर लो,
नारी सुख की खान, खुशी जीवन में भर लो।

नारी पर कविता

नारी तुम स्वतंत्र हो,
जीवन धन यंत्र हो।
काल के कपाल पर,
लिखा सुख मंत्र हो।

सुरभित बनमाल हो,
जीवन की ताल हो।
मधु से सिंचित-सी,
कविता कमाल हो।

जीवन की छाया हो,
मोहभरी माया हो।
हर पल जो साथ रहे,
प्रेमसिक्त साया हो।

माता का मान हो,
पिता का सम्मान हो।
पति की इज्जत हो,
रिश्तों की शान हो।

हर युग में पूजित हो,
पांच दिवस दूषित हो।
जीवन को अंकुर दे,
मां बनकर उर्जित हो।

घर की मर्यादा हो,
प्रेमपूर्ण वादा हो।
प्रेम के सान्निध्य में,
खुशी का इरादा हो।

रंगभरी होली हो,
फगुनाई टोली हो।
प्रेमरस पगी-सी,
कोयल की बोली हो।

मन का अनुबंध हो,
प्रेम का प्रबंध हो।
जीवन को परिभाषित,
करता निबंध हो।

नारी शक्ति का दिन है…

आज महिला दिवस है, नारी शक्ति का दिन है,

शक्ति जो दुनिया को आप में दिखाई देती है,
मेरी नजर से देखें तो मुझे आप में दिखाई देता है समर्पण,
समर्पण प्यार का, समर्पण दुलार का, समर्पण सेवा का,
करुणा, दया, संरक्षण, परवाह, सादगी दूजे नाम हैं आपके,
आपका स्पर्श जीवन में विश्वास जगाता है,
मन को चंदन और कर्म को पानी बनाता है,
आपका वेग तपते मन को ठंडी बौछारों से भिगोता है,

कठिन राह से थकी रगों में नया रक्त दौड़ने लगता है,
अंधेरों में सिमटी जिंदगियों को आप योद्धा बनाते हैं,
नई राहें दिखाते हैं, सींचते हैं, निखारते हैं,
हम ऋणी हैं आपके प्यार के,
हम कर्जदार हैं आपके दुलार के,
हम आभारी हैं आपके समर्पण के,
आज नारी शक्ति का दिन है,
धन्यवाद है हर नारी का इस संसार में,

हर रूप में मां, बहन, बेटी, पत्नी, सखा, प्रेमिका, शिक्षिका और कई-कई रूप,
नारी जो स्वच्छ बहता पानी है, जो हर रूप में, हर स्थिति में ढल जाती है,
जिसके बिना जीवन अधूरा है, प्यासा है,
नारी जिससे यह सृष्टि तृप्त होती है, जो जीवन आधार है,
संसार में भगवान का भेजा हुआ साक्षात रूप है नारी,
प्रकृति का दूजा नाम जिसे देवों ने भी सर्वस्व स्थान दिया है,
शक्ति का मान, नारी क्यों आज तरसे है अपने ही सम्मान को?

स्वयं को पहचान, तुझ में शक्ति अपार है,
स्वयं को नमन कर और आगे बढ़ चल,
ठोकर मार उसे जो तेरा सम्मान करना न जाने,
बढ़ चल, बढ़ चल, नई राहें तेरा रस्ता तके हैं,
तेरे आंचल में हैं अपार खुशियां,
आज नारी शक्ति का दिन है।

Women’s Day Poem in English

महिला दिवस कविता 6

Poem who knows

A Woman’s Worth

She gave life. She is a wife.
She is a mother and she is a friend.
She is a sister a survivor to the end.

Appreciate her, we don’t dare.
Ask her worries, we don’t care.
Wipe away her tears, they are invisible as air.

She works cooks and clean.
She laughs, helps comfort, and hides her pain.
When you struggle she pulls you through

All this is she and what do we do?
Complain and create a mess.
Provide stress and leave her feeling depressed..
Push her away and ignore her advice.
Tell her she is nothing without thinking twice.

She was raped tortured and abused.
Told she was nothing and would always be used just for pleasure forget her pain.

She swallows her pride, put her feelings aside.
Does as you need in order for you to be free.
Ignores your ignorance and tolerates your flaws.
You call her Bitch, Slut, Hoe and Tramp
She answers with pride dignity and a complete loss of self.
You call her nothing.
I call her Strong, Smart, Sensual, Caring, Giving, Surviving, Tolerant and powerful
I call her WOMAN!

Happy Womans Day

It’s the day to celebrate
It’s the day to think
For all that the world have done
To the charming colour pink

They blocked off her way
They chased her that day
They stormed all her life
Her blurred eyes did say

An unarmed woman
With self arrested courage
They pulled down her confidence
With their harsh and sharp image
They found her so helpless
They made her to cry
They turned her life to hell
And forced her to die

But let me say a word
A word full of hope
She made her way out
And learned how to cope

A woman, a mother, a wife
With patience she strives
Caring, bearing and working
Still struggling with life…

Proud to be a Woman

Today is a celebration for women all around the world,
Ladies who’ve dared to dream big, ever since they were little girls.
For the diversity and talent that lie within a feminine heart,
For the courage and determination that prevents us falling apart.

We can raise families and build businesses and be proud of all we’ve achieved
Where once over, visions of that scale, could never have been believed.
Ladies, stand up and be counted, smile at how far we have come
And Cherish every single day, as daughter, wife, companions or mum.

Don’t let anybody tell you that there are set paths for you to follow
As a little girl with a passion, is an inspiring woman of tomorrow.
So celebrate all women, and acknowledge the great things they do
And tell a lady close to your heart, just how much she means to you.

Poem in Marathi

मादी मस्त-शांत समीर सी

मादी मस्त-शांत समीर सी
तप्त उष्णतेसारखे आहे
स्त्री संन्यास न संपणा .्या आकाशाप्रमाणे
तर तिथेही सहिष्णुता आहे
मादी अविचारी माउंटन नदी
म्हणून एक गंभीर खोल समुद्र आहे
मादी मऊ नाजूक लता
गार्ड ऑफ ऑनर आहे

महिला बुद्धिमत्ता आणि आत्मविश्वास
पुष्पगुच्छ सी
मग पत्नी पतीची अनुयायी बनते
मादी मुलांसाठी दुआ
छत्री छत्री
म्हणून मुलांकडे दुर्लक्ष करा आणि
प्रेम दरम्यान

अडकलेले पक्षी पक्ष्यांसारखे बनतात
जेव्हा जेव्हा एखादी स्त्री तिच्या मनावर असते
सुरकुत्या पाहतात
लेडी त्याला लोखंडी
सपाट दगड बनवते
आकांक्षा घेणारी स्त्री
धगधगत्या आग लागली
स्त्री विझवते आणि वळते …

Famous poems

हे अगं जाऊ द्या

हे अगं जाऊ द्या
हे अगं जाऊ द्या
किती काळ तू त्यांना डोळ्यांमध्ये गझल करायची
कालही तुमच्या गुन्ह्यांची चर्चा होती
मित्रांनो, या सुंदर प्रेमाने का थांबू नये
हे अगं जाऊ द्या
श्वसन बंद घड्याळाच्या सुईंनी अडकले आहेत
भेटण्याची आशा
प्रेमात इतका वेळ का असावा?
हे अगं जाऊ द्या
तुझ्या नावाने आकाशात चंद्र तारे लिहिले आहेत
गली चौबरे तुमच्या डोळ्यांनी उजळले आहेत
आपल्याला काय वाटते की आपले रंग काय आहेत?
मित्रांनो, ते होऊ द्या मित्रांनो

Kavita in Tamil

महिला दिवस कविता 2

kavita in tamil

உங்களிடமிருந்து

உங்களிடமிருந்து
உங்களுடன் விஷயங்கள் தொடங்கிய நாள்
உங்களில் வித்தியாசமான ஒன்றை உணர்ந்தேன்
உங்களில் புதிதாக ஒன்றை உணர்ந்தேன்
பின்னர் அன்றாட விஷயங்கள் நடந்தன
இதுபோன்று நான் யோசிக்காமல் உருகிக்கொண்டே இருந்தேன்
இதைப் போலவே, அவர் அந்த பாதையில் நழுவிக்கொண்டே இருந்தார்
ஆமாம், நிறைய துக்கம் இருக்கும் இடத்தில் நான் மீண்டும் அதே வழியில் செல்கிறேன் என்று எனக்குத் தெரியும்
ஆனால் இங்கே உங்களுடன் துக்கத்தின் பிரச்சினை என்ன?
நீங்கள் முதலில் சந்தித்த நாள்
நான் என்னைக் கண்டுபிடித்தது போல் உணர்ந்தேன்
வில்ட் மொட்டு என்னுள் பூத்தது
பிறகு நீங்கள் என்னைத் தொடவும்
என்னை அணைத்துக்கொள் முத்தமிடு
எனக்குள் ஆச்சரியமான ஒன்று நடந்தது என்று சத்தியம் செய்கிறேன்
அமைதி பல நாட்களாக என் மனதில் இருக்கிறது
உங்களை மீண்டும் பார்க்க வேண்டும்
நீங்கள் உங்கள் கண்களால் படித்தீர்கள்
உங்களைக் கண்டுபிடித்த பிறகு உன்னை இழந்தேன்
உண்மையில், இந்த ஒரு காதல் உங்களுக்கு ஆயிரக்கணக்கான முறை நடந்தது
மீண்டும் ஏதோ மோசமாக நடந்தது
ஒருவேளை மேற்கண்டவற்றின் விருப்பம்
நான் உங்களுடன் பல சிக்கல்களை சந்தித்தேன்
நான் உங்களை எல்லா நேரத்திலும் சமாதானப்படுத்துகிறேன்
ஒவ்வொரு கண்ணீருக்குப் பிறகும்
ஜெபத்தில் கைகள் உயர்த்தப்படுகின்றன
உங்கள் நல்வாழ்வு கண்களில் வந்தது

யார் சொன்னது,

யார் சொன்னது,
பெண் பலவீனமாக இருக்கிறாள்.
இன்னும் அவரது கையில்,
உங்கள் வீட்டை நடத்துவதற்கு ஒரு கதவு உள்ளது.
அவர் அலுவலகத்திற்கு கூட செல்கிறார்
வீட்டையும் கவனித்துக் கொள்ளுங்கள்.
அத்தகைய சூழ்நிலையில் கூட,
கணவரும் தனது குழந்தைகளை அவரிடம் ஒப்படைத்தார்.
நீங்கள் அந்த பெண்ணின் வாழ்க்கையை வாழ்ந்தவுடன், பாருங்கள்
உங்கள் மனிதனாக பெருமை,
நான் உன்னை பெரிதாக எறியவில்லை.
இப்போது அந்த பெண்ணால் ஊக்குவிக்கப்படுங்கள்,
உங்களை துன்புறுத்தலுடன் ஆதரித்தவர் யார்.
உங்கள் பொறுப்புகளின் சுமை,
மகிழ்ச்சியுடன் உங்களுடன் பகிர்ந்து கொண்டேன்.
அவள் விரும்பினால், அவளும் சொல்வாள்,
நான் இல்லை
அவர் அவ்வாறு கூறும்போது,
நீங்கள் உங்கள் சுமையின் கீழ் அழுதீர்கள்.
இன்று பெண்கள் அதிகாரத்தின் நாள்.

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