वसंत ऋतु के आगमन पर सब लोग वसंत पंचमी का त्यौहार बना खुशिया मनाते हैं| वसंत के आने पर सर्दियों का अंत होता है और सब जगह खुशाली छा जाती है| आज हम आपके सामने वसंत पर अनेक सुंदर कविताएँ पेश करने जा रहे हैं जिनसे हम सब व Class (कक्षा) 1,2,3,4,5,6,7,8,9,10,11 व 12 के विद्यार्थी सीख प्राप्त कर सकते हैं| आइये देखें कुछ वसंत ऋतु पर कविता, वसंत ऋतु पर कविताएं, वसंत ऋतु कविताएँ, वसंत ऋतु कविता इन हिंदी|
बसंत रितु पर कविता 2022
बसंत ऋतु है आयी
देखो बसंत ऋतु है आयी । अपने साथ खेतों में हरियाली लायी ॥ किसानों के मन में हैं खुशियाँ छाई । घर-घर में हैं हरियाली छाई ॥ हरियाली बसंत ऋतु में आती है । गर्मी में हरियाली चली जाती है ॥ हरे रंग का उजाला हमें दे जाती है । यही चक्र चलता रहता है ॥ नहीं किसी… Click To Tweetआया बसंत पोएम इन हिंदी
आया वसंत आया वसंत
छाई जग में शोभा अनंत।
सरसों खेतों में उठी फूल
बौरें आमों में उठीं झूल
बेलों में फूले नये फूल
पल में पतझड़ का हुआ अंत
आया वसंत आया वसंत।
लेकर सुगंध बह रहा पवन
हरियाली छाई है बन बन,
सुंदर लगता है घर आँगन
है आज मधुर सब दिग दिगंत
आया वसंत… Click To Tweet
Small Poem On Basant Ritu Hindi Language
आई बसंत
आई बसंत हर जुबा पे है छाई ये कहानी। आई बसंत की ये ऋतू मस्तानी।। दिल को छू जाये मस्त झोका पवन का। मीठी धूप में निखर जाए रंग बदन का।। गाये बुजुर्गो की टोली जुबानी। आई बसंत की ये ऋतू मस्तानी।। झूमें पंछी कोयल गाये। सूरज की किरणे हँसती जमी नहलाये।। लागे… Click To Tweetवसंत ऋतु पर कविता इन हिंदी
Vasant ritu par kavita in hindi
महके हर कली कली भंवरा मंडराए रे देखो सजनवा वसंत ऋतु आये रे नैनो में सपने सजे मन मुस्काए झरने की कल कल गीत कोई गाये खेतों में सरसों पीली धरती को सजाये रे देखो सजनवा वसंत ऋतु आये रे.......... ठण्ड की मार से सूखी हुई धरा को प्रकृति माँ हरियाला आँचल… Click To Tweetवसंत ऋतु पर छोटी कविता
आ गया बसंत
आ गया बसंत है, छा गया बसंत है खेल रही गौरैया सरसों की बाल से मधुमाती गन्ध उठी अमवा की डाल से अमृतरस घोल रही झुरमुट से बोल रही बोल रही कोयलिया ... आ गया बसंत है, छा गया बसंत है नया-नया रंग लिए आ गया मधुमास है आंखों से दूर है जो वह दिल के पास है फिर से… Click To Tweetbasant ritu par kavita hindi mein – वसंत ऋतु पर कविता हिंदी में
अलौकिक आनंद अनोखी छटा।
अब बसंत ऋतु आई है।
कलिया मुस्काती हंस-हंस गाती।
पुरवा पंख डोलाई है।
महक उड़ी है चहके चिड़िया।
भंवरे मतवाले मंडरा रहे हैं।
सोलह सिंगार से क्यारी सजी है।
रस पीने को आ रहे हैं।
लगता है इस चमन बाग में।
फिर से चांदी उग आई है।।
अलौकिक… Click To Tweet
Basant ritu par ek kavita – vasant ritu par ek kavita
वसंत पंचमी पर हिंदी कविता जानने के लिए आप वसंत पंचमी पर कविता पढ़ सकते हैं जिसमे वसंत पंचमी par kavita, big poem of basant ritu in hindi शामिल है|
यारों का बसन्ता
जब फूल का सरसों के हुआ आके खिलन्ता। और ऐश की नज़रों से निगाहों का लड़न्ता। हमने भी दिल अपने के तईं करके पुखन्ता। और हंस के कहा यार से ऐ लकड़ भवन्ता। सबकी तो बसन्तें हैं पै यारों का बसन्ता॥1॥ एक फूल का गेंदों के मंगा यार से बजरा। दस मन का लिया हार… Click To TweetPoems on Vasant – Basant Ritu – Season – वसंत/बसंत/बहार पर कविताएँ
Aaee basant
har juba pe hai chhaee ye kahaanee. aaee basant kee ye rtoo mastaanee.. dil ko chhoo jaaye mast jhoka pavan ka. meethee dhoop mein nikhar jae rang badan ka.. gaaye bujurgo kee tolee jubaanee. aaee basant kee ye rtoo mastaanee.. jhoomen panchhee koyal… Click To Tweetसुमित्रानंदन पंत की वसंत पर कविता – Basant par kavita in hindi
मिटे प्रतीक्षा के दुर्वह क्षण, अभिवादन करता भू का मन ! दीप्त दिशाओं के वातायन, प्रीति सांस-सा मलय समीरण, चंचल नील, नवल भू यौवन, फिर वसंत की आत्मा आई, आम्र मौर में गूंथ स्वर्ण कण, किंशुक को कर ज्वाल वसन तन ! देख चुका मन कितने पतझर,ग्रीष्म शरद, हिम पावस… Click To Tweetबसंत के मौसम पर कविता
वसन्त की परी के प्रति
आओ, आओ फिर, मेरे बसन्त की परी-- छवि-विभावरी; सिहरो, स्वर से भर भर, अम्बर की सुन्दरी- छबि-विभावरी; बहे फिर चपल ध्वनि-कलकल तरंग, तरल मुक्त नव नव छल के प्रसंग, पूरित-परिमल निर्मल सजल-अंग, शीतल-मुख मेरे तट की निस्तल निझरी-- छबि-विभावरी; निर्जन… Click To Tweetवसंत ऋतु कविता मराठी – basant ritu kavita in marathi
आइये देखें Marathi Poem on Spring season for class 2 & class 3 students, Marathi poetry for kids. 2018 सरस्वती पूजा व सरवती वंदना के साथ स्टूडेंट्स ये कविता भी स्कूल के प्रोग्राम में सुना सकते हैं |वसंत ऋतु मराठी कविता – vasant rutu kavita in marathi इस प्रकार है:
‘आला वसंत, वसंत आला। तनामनाचा झाला हिंदोळा हिरवे सारे रंग दुलारे। कोकिळ गाणे, निळयांत भरे रंगा नहाळी, गंधा जिव्हाळी। कोऱ्या फांदीला धुंद कोवळी आला वसंत, वसंत आला। तनामनाचा झाला हिंदोळा॥’ Click To Tweetवसंत ऋतु पर कविता चित्र सहित
वसंत ऋतु कविता
जोशे निशातो ऐश है हर जा बसंत का
जोशे निशातो ऐश है हर जा बसंत का।
हर तरफ़ा रोज़गारे तरब जा बसंत का॥
बाग़ो में तुल्फ़ नश्बोनुमा की है कसरतें।
बज़्मों में नग़मा खु़श दिली अफ़्ज़ा बसंत का॥
फिरते हैं कर लिबास बसंती वह दिलबरां।
है जिनसे ज़र निगार सरापा बसंत का॥
जा दर पै यार के यह कहा हमने… Click To Tweet
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