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गणतंत्र दिवस पर कविता 2023 – 26 जनवरी पर कवितायें – Poem on Republic day in Hindi

गणतंत्र दिवस पर कविता 2018

26 january 2023| गणतंत्र दिवस पर कवितायें: भारत अपना गणतनत्र दिवस हर साल 26 जनवरी को मनाता है | यह दिन हमारे लिए अत्यंत गर्व का दिन है क्योंकि इस दिन हमारे भारत का संविधान लागु हुआ था| इस बार भारत का 73rd Republic Day है | आज हम आपके सामने रिपब्लिक डे पर कविता इन हिंदी पेश करने वाले हैं| यहाँ से आप 73rd republic day, Republic day poems in Hindi language & Hindi Font स्टूडेंट्स के लिए (शब्दों) में देख व pdf डाउनलोड कर सकते हैं| साथ ही class 1, class 2, class 3, class 4, class 5, class 6, class 7, class 8, class 9, class 10, class 11, class 12 के बच्चे इन्हे अपने स्कूल फंक्शन celebration व प्रोग्राम में सुना सकते हैं| गणतंत्र दिवस पर कविताएँ इन हिंदी – गणतंत्र दिवस परेड पर पोएम इस प्रकार हैं|

गणतंत्र दिवस पर कविता 2023

26 जनवरी क्यों मनाई जाती है: भारत में गणतंत्र और संविधान की स्थापना के उपलक्ष में यह दिन मनाया जाता है |

Gantantra Diwas पर बाल कविता 

‘कस ली है कमर’ :

कस ली है कमर अब तो, कुछ करके दिखाएंगे,
आजाद ही हो लेंगे, या सर ही कटा देंगे
हटने के नहीं पीछे, डरकर कभी जुल्मों से
तुम हाथ उठाओगे, हम पैर बढ़ा देंगे
बेशस्त्र नहीं हैं हम, बल है हमें चरख़े का,
चरख़े से ज़मीं को हम,ता चर्ख़ गुंजा देंगे
परवाह नहीं कुछ दम की, ग़म की नहीं,
मातम की, है जान हथेली पर, एक दम में गंवा देंगे
उफ़ तक भी जुबां से हम हरगिज़ न निकालेंगे
तलवार उठाओ तुम, हम सर को झुका देंगे
सीखा है नया हमने लड़ने का यह तरीका
चलवाओ गन मशीनें, हम सीना अड़ा देंगे
दिलवाओ हमें फांसी, ऐलान से कहते हैं
ख़ूं से ही हम शहीदों के, फ़ौज बना देंगे
मुसाफ़िर जो अंडमान के, तूने बनाए, ज़ालिम
आज़ाद ही होने पर, हम उनको बुला लेंगे

मोह निंद्रा में सोने वालों, अब भी वक्त है जाग जाओ,

मोह निंद्रा में सोने वालों, अब भी वक्त है जाग जाओ,
इससे पहले कि तुम्हारी यह नींद राष्ट्र को ले डूबे,
जाति-पाती में बंटकर देश का बन्टाधार करने वालों,
अपना हित चाहते हो, तो अब भी एक हो जाओ,
भाषा के नाम पर लड़ने वालों,
हिंदी को जग का सिरमौर बनाओ,
राष्ट्र हित में कुछ तो बलिदान करो तुम,
इससे पहले कि राष्ट्र फिर गुलाम बन जाए,
आधुनिकता केवल पहनावे से नहीं होती है,
ये बात अब भी समझ जाओ तुम,
फिर कभी कहीं कोई भूखा न सोए,
कोई ऐसी क्रांति ले आओ तुम,
भारत में हर कोई साक्षर हो,
देश को ऐसे पढ़ाओ तुम||

गणतंत्र दिवस 2023 पर कविता

जब सूरज संग हो जाए अंधियार के, तब दीये का टिमटिमाना जरूरी है|
जब प्यार की बोली लगने लगे बाजार में, तब प्रेमी का प्रेम को बचाना जरूरी है|
जब देश को खतरा हो गद्दारों से, तो गद्दारों को धरती से मिटाना जरूरी है|
जब गुमराह हो रहा हो युवा देश का, तो उसे सही राह दिखाना जरूरी है|
जब हर ओर फैल गई हो निराशा देश में, तो क्रांति का बिगुल बजाना जरूरी है|
जब नारी खुद को असहाय पाए, तो उसे लक्ष्मीबाई बनाना जरूरी है|
जब नेताओं के हाथ में सुरक्षित न रहे देश, तो फिर सुभाष का आना जरूरी है|
जब सीधे तरीकों से देश न बदले, तब विद्रोह जरूरी है||

मत घबराओ, वीर जवानों

मत घबराओ, वीर जवानों
वह दिन भी आ जाएगा।
जब भारत का बच्चा बच्चा देशभक्त बन जाएगा।।
कोई वीर अभिमन्यु बनकर ,
चक्रव्यू को तोड़ेगा
कोई वीर भगत सिंह बनकर अंग्रेजो के सिर फोढेगा।।
धीर धरो तुम वीर जवानों ,
मत घबराओ वीर जवानों
वह दिन भी आ जायेगा
जब भारत का बच्चा बच्चा देशभक्त बन जाएगा।।
कलकल करती गंगा यमुना ,
जिसके गुण ये गाती हैं
भारत की इस पुण्य धरा में,
अपना गुंजार सुनती हैं।।
आज तिरंगे के रंगों को फीका नहीं होने देगे
इस तिरंगे की शान के लिए ,
अपना सर्वस्व लूटा देगे।।
अब मत घबराओ वीर शहीदों ,
मत घबराओ वीर जवानों
वह दिन भी आ जायेगा ,
जब भारत का बच्चा बच्चा देशभक्त बन जाएगा।।
वीर अमर शहीदों की कुर्बानी को,
कोई भुला ना पाएगा
जब आत्याचार बढ़ेगा धरती पर,
एक महापुरुष आ जायेगा
मत घबराओ वीर जवानों
जब भारत का बच्चा बच्चा देशभक्त बन जाएगा।।

‘भारत देश हमारा है’

भारत देश हमारा है यह
हमको जान से प्यारा है
दुनिया में सबसे न्यारा यह
सबकी आंखों का तारा है
मोती हैं इसके कण- कण में
बूँद- बूँद में सागर है
प्रहरी बना हिमालय बैठा
धरा सोने की गागर है
भूमि ये अमर जवानों की है
वीरों के बलिदानों की
रत्नों के भंडार भरे हैं
गाथा स्वर्णिम खानों की
सत्य, अहिंसा, शांति बाँटता
इसकी शान तिरंग़ा है
गोद खेलती नटखट नदियाँ
पावन यमुना- गंगा है
चंदन की माटी से महके
मातृभूमि को वंदन है
कोटि-कोटि भारतवालों का
सुंदर सा यह नंदन है

गणतंत्र दिवस पर कविता इन हिंदी

आओ तिरंगा लहराये

आओ तिरंगा लहराये, आओ तिरंगा फहराये;
अपना गणतंत्र दिवस है आया, झूमे, नाचे, खुशी मनाये।
अपना 67वाँ गणतंत्र दिवस खुशी से मनायेगे;
देश पर कुर्बान हुये शहीदों पर श्रद्धा सुमन चढ़ायेंगे।
26 जनवरी 1950 को अपना गणतंत्र लागू हुआ था,
भारत के पहले राष्ट्रपति, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने झंड़ा फहराया था
, मुख्य अतिथि के रुप में सुकारनो को बुलाया था,
थे जो इंडोनेशियन राष्ट्रपति,
भारत के भी थे हितैषी,
था वो ऐतिहासिक पल हमारा,
जिससे गौरवान्वित था भारत सारा।
विश्व के सबसे बड़े संविधान का खिताब हमने पाया है,
पूरे विश्व में लोकतंत्र का डंका हमने बजाया है।
इसमें बताये नियमों को अपने जीवन में अपनाये,
थाम एक दूसरे का हाथ आगे-आगे कदम बढ़ाये,
आओ तिरंगा लहराये, आओ तिरंगा फहराये,
अपना गणतंत्र दिवस है आया, झूमे, नाचे, खुशी मनाये।|

26 जनवरी को आता हमारा गणतंत्र दिवस,
जिसे मिलकर मनाते हैं हम सब हर वर्ष।
इस विशेष दिन भारत बना था प्रजातंत्र,
इसके पहले तक लोग ना थे पूर्ण रूप से स्वतंत्र।
इसके लिए किये लोगो ने अनगिनत संघर्ष,
गणतंत्र प्राप्ति से लोगों को मिला नया उत्कर्ष।
गणतंत्र द्वारा मिला लोगों को मतदान का अधिकार,
जिससे बनी देशभर में जनता की सरकार।
इसलिए दोस्तों तुम गणतंत्र का महत्व समझो,
चंद पैसो की खातिर अपना मतदान ना बेचो।
क्योंकि यदि ना रहेगा हमारा यह गणतंत्र,
तो हमारा भारत देश फिर से हो जायेगा परतंत्र।
तो आओ हम सब मिलकर ले प्रतिज्ञा,
मानेंगे संविधान की हर बात ना करेंगे इसकी अवज्ञा।

Republic day poem| 26 जनवरी कवितायें -26 जनवरी के ऊपर कविता

26 जनवरी पर कविता इस प्रकार हैं:

‘पवन है गणतंत्र यह’ 

पावन है गणतंत्र यह, करो खूब गुणगान।
भाषण-बरसाकर बनो, वक्ता चतुर सुजान॥
वक्ता चतुर सुजान, देश का गौरव गाओ।
श्रोताओं का मान करो नारे लगवाओ॥
इसी रीति से बनो सुनेता ‘रामसुहावन’।
कीर्ति-लाभ का समय सुहाना यह दिन पावन॥
भाई तुमको यदि लगा, जन सेवा का रोग।
प्रजातंत्र की ओट में, राजतंत्र को भोग॥
राजतंत्र को भोग, मजे से कूटनीति कर।
झण्डे-पण्डे देख, संभलकर राजनीति कर॥
लाभ जहां हो वहीं, करो परमार्थ भलाई।
चखो मलाई मस्त, देह के हित में भाई॥
कथनी-करनी भिन्नता, कूटनीति का अंग।
घोलो भाषण में चटक, देश-भक्ति का रंग॥
देश-भक्ति का रंग, उलीचो श्रोताओं पर।
स्वार्थ छिपाओ प्रबल, हृदय में संयम धरकर॥
अगले दिन से तुम्हें, वहीं फिर मन की करनी।
स्वार्थ-साधना सधे, भिन्न जब करनी-कथनी॥
बोलो भ्रष्टाचार का, होवे सत्यानाश।
भ्रष्टाचारी को मगर, सदा बिठाओ पास॥
सदा बिठाओ पास, आंच उस पर न आए।
करे ना कोई भूल, जांच उसकी करवाए॥
करे आपकी मदद, पोल उसकी मत खोलो।
है गणतंत्र महान, प्रेम से जय जय बोलो॥
कर लो भ्रष्टाचार का, सामाजिक सम्मान।
सुलभ कहां हैं आजकल, सदाचरण-ईमान॥
सदाचरण-ईमान मिले तो खोट उछालो।
बन जाओ विद्वान, बाल की खाल निकालो॥
रखो सोच में लोच, उगाही दौलत भर लो।
प्रजातंत्र को नोच, कामना पूरी कर लो॥

Republic day in hindi poem | Gantantra diwas par kavita

26 जनवरी पर कवितायें - Poem on Republic day in Hindi

Republic day Poem – गणतंत्र दिवस कविता

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देश का गौरव – गणतंत्रोत्सव”

हम आजादी के मतवाले,

झूमे सीना ताने।

हर साल मनाते उत्सव,

गणतंत्र का महजब़ जाने।

संविधान की भाषा बोले,

रग-रग में कर्तव्य घोले।

 

गुलामी की बेड़ियों को,

जब रावी-तट पर तोड़ा था।

उसी अवसर पर तो,

हमनें संविधान से नाता जोड़ा था।

हर साल हम उसी अवसर पर,

गणतंत्र उत्सव मनाते हैं।।

पूरा भारत झूमता रहता है,

और हम नाचते-गाते हैं।

राससीना की पहाड़ी से,

शेर-ए-भारत बिगुल बजाता है।

अपने शहीदों को करके याद,

पुनः शक्ति पा जाता है।।

26 जनवरी गणतंत्र दिवस पर कविता

गणतंत्र दिवस पर हास्य कविता – कविताकोश  इस प्रकार हैं:

“देखो 26 जनवरी आयी”

देखो 26 जनवरी है आयी, गणतंत्र की सौगात है लायी।

अधिकार दिये हैं इसने अनमोल, जीवन में बढ़ सके बिन अवरोध।

हर साल 26 जनवरी को होता है वार्षिक आयोजन,

लाला किले पर होता है जब प्रधानमंत्री का भाषन।

नयी उम्मीद और नये पैगाम से, करते है देश का अभिभादन,

अमर जवान ज्योति, इंडिया गेट पर अर्पित करते श्रद्धा सुमन,

2 मिनट के मौन धारण से होता शहीदों को शत-शत नमन।

सौगातो की सौगात है, गणतंत्र हमारा महान है,

आकार में विशाल है, हर सवाल का जवाब है,

संविधान इसका संचालक है, हम सब का वो पालक है,

लोकतंत्र जिसकी पहचान है, हम सबकी ये शान है,

गणतंत्र हमारा महान है, गणतंत्र हमारा महान है।

रिपब्लिक डे पोएम इन हिंदी

26 january ke liye kavita: साथ ही आप चाहे तो  गणतंत्र दिवस पर निबंध भी देख सकते हैं जो की हमने हिंदी लैंग्वेज में दिए हुए हैं |

माह जनवरी छब्बीस को हम सब गणतंत्र मनाते |
और तिरंगे को फहरा कर, गीत ख़ुशी के गाते ||
संविधान आजादी वाला, बच्चो ! इस दिन आया |
इसने दुनिया में भारत को, नव गणतंत्र बनाया ||
क्या करना है और नही क्या ? संविधान बतलाता |
भारत में रहने वालों का, इससे गहरा नाता ||
यह अधिकार हमें देता है, उन्नति करने वाला |
ऊँच-नीच का भेद न करता, पण्डित हो या लाला ||
हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, सब हैं भाई-भाई |
सबसे पहले संविधान ने, बात यही बतलाई ||
इसके बाद बतायी बातें, जन-जन के हित वाली |
पढ़ने में ये सब लगती हैं, बातें बड़ी निराली ||
लेकर शिक्षा कहीं, कभी भी, ऊँचे पद पा सकते |
और बढ़ा व्यापार नियम से, दुनिया में छा सकते ||
देश हमारा, रहें कहीं हम, काम सभी कर सकते |
पंचायत से एम.पी. तक का, हम चुनाव लड़ सकते ||
लेकर सत्ता संविधान से, शक्तिमान हो सकते |
और देश की इस धरती पर, जो चाहे कर सकते ||
लेकिन संविधान को पढ़कर, मानवता को जाने |
अधिकारों के साथ जुड़ें, कर्तव्यों को पहचानो ||

गणतंत्र दिवस पर छोटी कविता – Short Poem on Republic Day in Hindi

साथ ही आप गणतंत्र दिवस पर शेर भी देख सकते हैं |

‘हम गणतंत्र भारत के निवासी’ 

हम गणतंत्र भारत के निवासी,
करते अपनी मनमानी दुनिया की कोई फिक्र नहीं,
संविधान है करता पहरेदारी !!
है इतिहास इसका बहुत पुराना,
संघर्षों का था वो जमाना;
न थी कुछ करने की आजादी,
चारों तरफ हो रही थी बस देश की बर्बादी !!
एक तरफ विदेशी हमलों की मार,
दूसरी तरफ दे रहे थे कुछ अपने ही अपनो को घात !!
पर आजादी के परवानों ने हार नहीं मानी थी,
विदेशियों से देश को आजाद कराने की जिद्द ठानी थी !!
एक के एक बाद किये विदेशी शासकों पर घात,
छोड़ दी अपनी जान की परवाह,
बस आजाद होने की थी आखिरी आस !!
1857 की क्रान्ति आजादी के संघर्ष की पहली कहानी थी,
जो मेरठ, कानपुर, बरेली, झांसी, दिल्ली और अवध में लगी चिंगारी थी !!

gantantra diwas ki kavita in hindi

गणतंत्र दिवस कविताकोश  इस प्रकार हैं:

‘गणतंत्र दिवस फिर आया है’

आज नई सज-धज से गणतंत्र दिवस फिर आया है।
नव परिधान बसंती रंग का माता ने पहनाया है।
भीड़ बढ़ी स्वागत करने को बादल झड़ी लगाते हैं।
रंग-बिरंगे फूलों में ऋतुराज खड़े मुस्काते हैं।
धरती मां ने धानी साड़ी पहन श्रृंगार सजाया है।
गणतंत्र दिवस फिर आया है।
भारत की इस अखंडता को तिलभर आंच न आने पाए।
हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई मिलजुल इसकी शान बढ़ाएं।
युवा वर्ग सक्षम हाथों से आगे इसको सदा बढ़ाएं।
इसकी रक्षा में वीरों ने अपना रक्त बहाया है।
गणतंत्र दिवस फिर आया है।

kavita on gantantra divas in marathi

केवळ ध्वज फडफडत नाही,
आठवणी विसरून विसरू नका,
आठवणी विसरू नका,
त्यांच्या चूक पुढे जाण्यासाठी,
जीवनासाठी नाही,
आयुष्यासाठी लूटण्याकरिता,
आम्ही वादळ पासून कसं काय बाहेर आणले आहे,
माझ्या मुलांवर नियंत्रण ठेवण्यासाठी हा देश ठेवा ….

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पहली बार 1950 में गणतंत्र दिवस के अवसर पर मुख्य अतिथि कौन थे?

वर्ष 1950 मे गडतंत्र दिवस के उपलक्ष मे लाजपत पर सबसे पहले अतिथि जनरल मलिक गुलाम मुहम्मद थे जो की तबके पाकिस्तान के गवर्नर थे|  

कौन सा गणतंत्र दिवस है यह?

इस वर्ष 2022 मे भारत 26 जनवरी को 73वां गणतंत्र दिवस माना रहा है|

छब्बीस जनवरी की विशेषता क्या है?

भारतीय गणतंत्र दिवस हर साल 26 जनवरी पर मनाया जाता है | यह दिन हमारे देश और हम सब भारतीय नागरिकों के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण है क्योंकि इस दिन हमारे देश का सविंधान जारी किया गया था|

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