Ramanujacharya (रामानुजाचार्य)

Ramanujacharya - रामानुजाचार्य

हिन्दू धर्म शास्त्रज्ञ , वैष्णव वाद के सबसे प्रमुख व्यक्त रामानुजाचार्य एक ऐसे वैष्णव संत थे जिनका भक्ति वादी आंदोलनों पर गहरा प्रभाव था । रामानुजाचार्य का जन्म दक्षिण भारत के तमिलनाडु राज्य के श्री पेरूबंदर गाँव के एक तमिल ब्राह्मण परिवार में हुआ था । इनकी माँ का नाम था कान्ति मनि तथा पिता का नाम आसुरी केशव थे जो श्री केशवाचार्य के नाम से भी जाने जाते है।ये विशिष्ट द्वैत वेदान्त के प्रवर्तक थे जो की वेदान्त दर्शन पर आधारित थे । अगर आप ramanuja history in hindi, speech on ramanujan in hindi या ramanujacharya wikipedia की तलाश कर रहे है तो आप बिल्कुल सही जगह आए है ।

Ramanuja Charitra

श्री रामानुजाचार्य जी का जन्म आज से लगभग एक हजार साल पहले 1017 ई. में हुआ था । ये बचपन से ही बहुमुखी प्रतिभा के धनी एवं विलक्षण गुणों से परिपूर्ण थे । मात्र 16 साल की उम्र में इनका विवाह रक्षकम्बल से हो गया था । पिता के निधन के बाद वे अपने परिवार के साथ कांचीपुरम चले गए । जहाँ उन्होंने यादव प्रकाश गुरु से वेदों की शिक्षा प्राप्त की । रामानुजाचार्य के गुरु का नाम यमुनाचार्य था । अपने गुरु के आशीर्वाद से उन्होंने 3 संकल्प पूरा करने का नियम लिया । ये तीन संकल्प थे – ‘ब्रह्मसूत्र’, ‘विष्णुसहस्रनाम’ और ‘दिव्य प्रबंधनम’ का टीका ।

Ramanuja Gothram

कुछ लोगों का मानना है की Ramanuja का जन्म हरिता गोत्र (Harita gothram) में हुआ था जबकि कुछ लोगों के अनुसार शतमरषन (Shatamarshana ) गोत्र में उनका जन्म होना माना गया है ।

Ramanujacharya History

आचार्य रामानुज एक गृहस्थ थे । लेकिन जब उनको एहसास हुआ की गृहस्थ आश्रम में रहकर अपने लक्ष्य को पान संभव नहीं है तब ये अपने गृहस्थ जीवन को छोड़कर सन्यासी बन गए और श्री रंगम चले गए । बाद में उन्होंने गोष्ठी पूर्ण से दीक्षा ली जो की एक बड़े विद्वान थे । जब ये गोष्ठी पूर्ण के पास पहुँचे तो उन्होंने कहा ‘ यदि तुम किसी और दिन आओगे तब देखा जाएगा ।’ तब ramanujacharya manujacharya बहुत निराश हुए और कुछ दिन बाद फिर से उनके पास पहुँचे लेकिन तब भी उनको निराश ही प्राप्त हुई । इस प्रकार 18 बार प्रयास करने के बाद रामानुज को अष्टाकक्षर मंत्र (ॐ नमः नारायणाय ) का ज्ञान प्रात हुआ । इस मंत्र के बारे में उनके

उनके गुरु ने उपदेश दिया कि – वत्स ! ये मंत्र अत्यंत पावन है इस इसके सुनने मात्र से ही व्यक्ति को सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है । इसको सुनने वाला व्यक्ति मृत्यु के उपरांत सीधे बैकुंठ जाएगा । इस महा मंत्र को किसी अज्ञानी को मत सुनाना क्युकी वो उसका आदर नहीं करेगा । किन्तु जब रामानुज ने देखा की इस मंत्र को सुनकर लोगों को मुक्ति प्राप्त होती है तब वे छत पर चढ़ गए और चिल्ला – चिल्ला कर इस मंत्र का उच्चारण करने लगे । ये देखकर इनके गुरु बहुत क्रोधित हुए और उन्होंने ramanuj को नरक में जाने का श्राप दे डाला । इस पर रामानुज ने कहा यदि हजारों लोगों की मृत्यु के लिए मुझे नरक भी जाना पड़े तो मुझे मंजूर है । इस पर उनके गुरु बहुत प्रसन्न हुए ।

रामानुजाचार्य ने सम्पूर्ण भारत की यात्रा करके भक्ति मार्ग का प्रचार किया । भक्ति मार्ग के समर्थन हेतु इन्होंने गीता तथा ब्रह्मसूत्र पर भाष्य लिखा । उन्होंने अपनी सम्पूर्ण यात्रा पैदल चल कर की । इस यात्रा के दौरान उन्होंने कई वैष्णव मंदिरों को संरक्षकों के साथ शास्त्रार्थ किया । कितु कोई भी उनसे जीत नहीं पाया और बाद में वे सभी इनके शिष्य बन गए ।इस यात्रा के दौरान उन्होंने 7 ग्रंथों की रचना की ।

रामानुजाचार्य पुस्तकें नीचे दी गई है ।

  1. श्री भाष्यम् – ये ब्रह्म सूत्रों पर भाषयात्मक ग्रंथ है जिसमे ब्रह्म सूत्रों की समीक्षा एवं टिप्पणी की गई ।
  2. वेदार्थ संग्रह – इसमें वेदों के सारांश के साथ साथ उपनिषदों का वास्तविक अर्थ का वर्णन किया गया ।
  3. गीता भाष्यम् – इसमें भगवत गीता का व्याख्यान किया गया । इसकी pdf download यहाँ कर सकते है ।
  4. वेदान्त द्वीप – यह श्री रामानुज भाष्य का लघु एवं सरल रूप है ।
  5. वेदान्तसार – ये विशिष्टा द्वैत के लिए प्रारम्भिक ग्रंथ माना गया जो की श्री भाष्य का लघूत्तम रूप था।
  6. आराधना ग्रंथ – ये भागवत आराधना के विषय मे लिखा गया ग्रंथ है ।
  7. गद्यत्रय – इसमें बैकुंठ गद्य और श्री रंगगद्य का समावेश है ।

रामानुज के शिष्य – रामानुज के शिष्यों में प्रमुख शिष्य है –

  • किदंबी आचरण
  • थिरुकुरुगाई प्रियन पिल्लान
  • दाधुर अझवान
  • मुदलीयानंदन
  • कुराथाझवान

मृत्यु

करीब 120 वर्ष की आयु तक ramanuja श्री रंगम् में रहे । भगवान श्री रंगनाथ जी की आज्ञा से उन्होंने अपने शिष्यों के समक्ष देह त्याग देने की इच्छा बात दी । इस बात को सुनकर उनके सभी शिष्य बहुत दुखी हो गए और उनके चरण पकड़कर अपना निर्णय बदलने की प्रार्थना करने लगे । इसके तीन दिन के बाद सन 1137 में इनका पर लोकगमन हो गया ।

Ramanuja Liberation(मुक्ति )

जिस प्रकार शरीर और आत्मा दोनों अलग ना होकर एक ही है उसी प्रकार ब्रह्म के बिना किसी भी तत्व का कोई अस्तित्व ही नहीं है । ये तत्व ब्रह्म या ईश्वर का शरीर है जबकि ब्रह्म उसकी आत्मा है ।

Ramanujacharya Teachings

Ramanujacharya शिक्षाओं को जानने के लिए नीचे पढ़िये ।रामानुजाचार्य के द्वारा अपने शिष्यों को दी गई शिक्षाएँ इस प्रकार है –

  • ईश्वर की भक्ति करने वाले भक्तगनों की पूरी मन से सेवा करो क्युकी उनकी सेवा का फल बहुत ही जल्दी मिलेगा ।
  • अपनी इंद्रियों के वश में ना होकर उनको अपने वश में करो ।
  • क्रोध , मान , माया , लोभ ये आपके शत्रु है इनसे दूर रहो ।
  • हरी नाम जाप ही हमारा एक मात्र सहारा है उसमे ही अपना पूरा जीवन समर्पित कर दो ।
  • भगवान नारायण की पूजा करो और वैष्णवों के कथन पर विश्वास करो ।

Explain the philosophy advocated by Ramanujachary

रामानुजाचार्य के दर्शन के अनुसार किसी भी वेद के एक भाग को पसंद करना और दूसरे को ना पसंद करना ये अकारण है क्युकी वेद एक सममूल्यित ग्रंथ है । और कोई भी उसके भिन्न – भिन्न भागों का वर्णन अलग – अलग नहीं कर सकता है । वैदिक साहित्य जो की बहुलता एवं एकता दोनों का वर्णन करते थे उन्होंने रामानुजाचार्य का समर्थन किया ।

शंकर और रामानुज के ब्रह्म विचार के बीच भेद बताइए?

भगवान शंकराचार्य ने निर्विकल्पक ब्रह्म को ही एकमात्र परम सत्य माना है ।जहाँ शंकराचार्य ने ब्रह्म के अलावा सब कुछ का निषेध माना है। वहीं रामानुज ने ब्रह्म में ही सब कुछ माना है । यही कारण था की शंकर और रामानुज के ब्रह्म विचार में भेद मिलता है । वह भी शंकराचार्य की भांति ब्रह्म को ही सर्वस मानते थे ।

Ramanujacharya Statue

रामानुजाचार्य की सहस्त्राब्दी वर्ष गांठ  पर उनकी 216 फीट ऊंची प्रतिमा का निर्माण किया गया । इसे Statue Of Equality (समानता की मूर्ति ) के नाम से भी जाना जाता है । हैदराबाद के श्रीराम आश्रम के पास बनी इस मूर्ति का निर्माण पंच धातु से किया गया । हदू हेरिटेज फाउंडेशन के संत चिन्ना जीयर स्वामी मेरिडियन होटल में हुई एक प्रेस वार्ता के दौरान कहा की समानता के लिए काम करने वाले वाले पहले संत के जन्म के एक हजार वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में statue का निर्माण कराया जा रहा है जो उनके लिए एक सच्ची श्रद्धांजलि है ।

रामानुजाचार्य जयंती

1 May 2017 को रामानुजाचार्य के जन्मदिन की 1000 वीं वर्षगांठ बनाई गई । ramanuja jayanthi 2020 में 9 May , गुरुवार के दिन मनाई गई ।

इनके जीवन पर आधारित कई video आपको देखने को मिल जाएगी जिन्हे आप रामानुज वीडियो के नाम से सर्च कर सकते है । साथ ही साथ आपको उनका जीवन परिचय अन्य भाषयों में भी प्राप्त हो सकता है जैसे कि ramanujacharya in kannada या ramanujacharya in marathi और quotes of ramanujacharya आदि

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