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रक्षा बंधन स्पीच 2023 – Speech on Raksha Bandhan in Hindi, Marathi & English for Class 1-12 students

Speech on Raksha Bandhan in Hindi

रक्षा बंधन 2023 : रक्षाबंधन हिन्दू धर्मं का एक बहुत ही महत्वपूर्ण पर्व है| यह पर्व हर साल श्रावण माह के अंत में आता है| इस वर्ष 2023 में यह पर्व 31 अगस्त रविवार के समय पड़ रहा है| रक्षाबंधन का यह पर्व हिन्दू धर्म का एक बहुत ही महत्वपूर्ण पर्व है| एक भाई सबसे ज्यादा अपनी बहन से प्रेम करता है| भाई और बहन का रिश्ता पवित्र और अटूट रिश्ता होता है| रक्षा बंधन का शुभ त्यौहार का भारतीय पौराणिक कथाओं में बहुत महत्वपूर्ण है। रक्षा बंधन मूल रूप से एक दूसरे के लिए भाइयों और बहनों के बंधन, देखभाल और प्यार का प्रतीक है|

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Raksha Bandhan Speech in Hindi

रक्षा बंधन भाई बहन के प्रेम का त्योहार है । यह प्रत्येक वर्ष सावन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है । इस दिन बहन सुबह ही स्नान कर तैयार हो जाती है । इसके बाद वह थाली में आरती का सामान सजाकर भाई की आरती उतारती है और भाई के माथे पर तिलक लगाकर उसके दाहिने हाथ की कलाई पर राखी बांध देती है । साथ ही भाई का मुंह मिठाईयों से भर देती है । भाई भी बदले में बहन को रूपये एवं अन्य उपहार देता है । भाई को राखी बांधते समय बहन की यह कामना रहती है कि मेरा भाई सुखी और ऐश्वर्यशाली बने । और भाई बहन की रक्षा करने का वचन लेता है ।

प्राचीन समय मे राजपूत जब लड़ाई पर जाते थे तब महिलाएं उनको माथे पर कुमकुम तिलक लगाने के साथ साथ हाथ में रेशमी धागा भी बांधती थी । इस विश्वास के साथ कि यह धागा उन्हे विजयश्री के साथ वापस ले आएगा ।

राखी के साथ एक और ऐतिहासिक प्रसंग जुड़ा हुआ है । मुगल काल के दौर में जब मुगल बादशाह हुमायूँ चितौड़ पर आक्रमण करने बढ़ा तो राणा सांगा की विधवा कर्मवती ने हुमायूँ को राखी भेजकर रक्षा वचन ले लीआ । हुमायूँ ने इसे स्वीकार करके चितौड पर आक्रमण का ख्याल दिल से निकाल दिया और कालांतर में मुसलमान होते हुए भी राखी की लाज निभाने के लिए चितौड की रक्षा हेतु बहादुरेशोंहे के विरूद्ध मेवाड़ की ओर से लड़ते हुए कर्मावती और मेवाड़ राज्य की रक्षा की ।

रक्षा बंधन से संबंधित दूसरी घटना भी है, कि सिकंदर की पत्नी ने अपने पति के हिंदू शत्रु पुरूवास को राखी बांध कर अपना मुंहबोला भाई बनाया और युद्ध के समय सिकंदर को न मारने का वचन लिया । पुरूवास ने युद्ध के दौरान हाथ में बंधी राखी का और अपनी बहन को दिये हुए वचन का सम्मान करते हुए सिकंदर को जीवदान दिया ।

ऐतिहासिक युग में भी सिंकदर व पोरस ने युद्ध से पूर्व रक्षा-सूत्र की अदला-बदली की थी । युद्ध के दौरान पोरस ने जब सिकंदर पर घातक प्रहार हेतु अपना हाथ उठाया तो रक्षा-सूत्र को देखकर उसके हाथ रूक गए और वह बंदी बना लिया गया । सिकंदर ने भी पोरस के रक्षा-सूत्र की लाज रखते हुए और एक योद्धा की तरह व्यवहार करते हुए उसका राज्य वापस लौटा दिया । यह है रक्षा बंधन का पवित्र भाव ।

रक्षा बंधन मानवीय भावों का बंधन है । यह प्रेम, त्याग और कर्तव्य का बन्धन है । इस बंधन में एक बार भी बंध जाने पर इसे तोड़ना बड़ा कठिन है । इन धागों में इतनी शक्ति है, जितनी लोहे की जंजीर में भी नहीं । जिस प्रकार हुमायूँ ने इसी धागे से बंधे होने के कारण बहादुरशाह से लड़ाई की ठीक उसी प्रकार इस दिन हर भाई को यह प्रतिज्ञा करनी चाहिए कि वह अपने प्राणों की बाजी लगाकर भी बहन की रक्षा करेगा। यही रक्षा-बंधन पर्व का महान् संदेश है ।

Short Speech on Raksha Bandhan

भारत त्यौहारों का देश है यहाँ पर अलग-अलग तरह के त्यौहार मनाये जाते हैं। रक्षाबंधन भारत के प्रमुख त्यौहारों में से एक है। रक्षाबंधन को राखी भी कहते हैं। पहले गुरु पूर्णिमा आती है जो गुरु और शिक्षकों को समर्पित होती है। गुरु पूर्णिमा के बाद बुद्ध पूर्णिमा आती है और बुद्ध पूर्णिमा के बाद चैत्र पूर्णिमा आती है।

चैत्र पूर्णिमा के बाद जो चौथी पूर्णिमा आती है वह श्रावण पूर्णिमा होती है। हर साल श्रावण पूर्णिमा के दिन रक्षाबंधन का त्यौहार मनाया जाता है। रक्षाबंधन भाई-बहन का त्यौहार होता है। यह हिन्दुओं का मुख्य त्यौहार होता है लेकिन सभी धर्मों के लोग बहुत उत्साह से मनाते हैं।

श्रावण पूर्णिमा का पूरा चाँद भाई-बहन के प्रेम और कर्तव्य को समर्पित होता है। रक्षाबंधन जुलाई या फिर अगस्त के महीने में आता है। इस त्यौहार में राखी का सबसे अधिक महत्व होता है। रक्षाबंधन एक सामाजिक , पौराणिक , धार्मिक , और ऐतिहासिक भावना के धागे से बना एक ऐसा पावन बंधन है जिसे जनसमाज में रक्षाबंधन के नाम से श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन केवल भारत में ही नहीं बल्कि नेपाल और मॉरेशिस में भी बहुत धूम-धाम से मनाया जाता है।

भाई-बहन का प्यार : रक्षाबंधन का त्यौहार भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक होता है। इस त्यौहार से भाई-बहन के बीच का प्रेम बढ़ता है और एक-दूसरे के लिए ख्याल रखने का भी भाव दृढ होता है। इस दिन बहन अपने भाई को राखी बांधते समय अपने भाई के सुखमय जीवन की कामना करती है।

इस दिन भाई अपनी बहन को हर प्रकार की मुसीबत से बचाने का वचन देता है। इस दिन राखी बाँधने की परम्परा की वजह से भाई-बहन के बीच के सभी मनमुटाव दूर होते हैं और उनके बीच प्रेम बढ़ जाता है। वैसे तो भाई-बहन का प्यार एक दिन का मोहताज नहीं होता है।

लेकिन रक्षाबंधन के ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व की वजह से ही यह दिन इतना महत्वपूर्ण बन गया है। सालों से चला आ रहा यह त्यौहार आज भी बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। आज के समय में राखी सिर्फ भाई-बहन के बीच का कार्यकलाप नहीं रह गया है यह राखी देश की रक्षा , पर्यावरण की रक्षा , हितों की रक्षा के लिए भी बांधी जाने लगी है।

रक्षाबंधन का त्यौहार अनेक रूपों में दिखाई देता है। जो पुरुष राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के होते हैं वो भाई-चारे के लिए भगवा रंग की राखी बांधते हैं। राजस्तान में ननंद अपनी भाभियों को एक विशेष प्रकार की राखी बांधती हैं जिसे लुम्बी कहते हैं। कई जगह पर बहने भी अपनी बहनों को राखी बांधती हैं। ऐसा करने से लोगों के बीच प्रेम और अधिक बढ़ता है।

Raksha Bandhan Speech for Students

Short Speech on Raksha Bandhan

भारत त्योहारों का देश है । यहाँ विभिन्न प्रकार के त्योहार मनाए जाते हैं । हर त्योहार अपना विशेष महत्त्व रखता है । रक्षाबंधन भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक त्योहार है । यह भारत की गुरु-शिष्य परंपरा का प्रतीक त्योहार भी है । यह दान के महत्त्व को प्रतिष्ठित करने वाला पावन त्योहार है ।

रक्षाबंधन का त्योहार श्रावण पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है । श्रावण मास में ऋषिगण आश्रम में रहकर अध्ययन और यज्ञ करते थे । श्रावण-पूर्णिमा को मासिक यज्ञ की पूर्णाहुति होती थी । यज्ञ की समाप्ति पर यजमानों और शिष्यों को रक्षा-सूत्र बाँधने की प्रथा थी । इसलिए इसका नाम रक्षा-बंधन प्रचलित हुआ । इसी परंपरा का निर्वाह करते हुए ब्राह्मण आज भी अपने यजमानों को रक्षा-सूत्र बाँधते हैं । बाद में इसी रक्षा-सूत्र को राखी कहा जाने लगा । कलाई पर रक्षा-सूत्र बाँधते हुए ब्राह्मण निम्न मंत्र का उच्चारण करते हैं-

येन बद्धो बली राजा, दानवेन्द्रो महाबल: ।
तेन त्वां प्रति बच्चामि, रक्षे! मा चल, मा चल ।।

अर्थात् रक्षा के जिस साधन (राखी) से अतिबली राक्षसराज बली को बाँधा गया था, उसी से मैं तुम्हें बाँधता हूँ । हे रक्षासूत्र! तू भी अपने कर्त्तव्यपथ से न डिगना अर्थात् इसकी सब प्रकार से रक्षा करना ।

आजकल राखी प्रमुख रूप से भाई-बहन का पर्व माना जाता है । बहिनों को महीने पूर्व से ही इस पर्व की प्रतीक्षा रहती है । इस अवसर पर विवाहित बहिनें ससुराल से मायके जाती हैं और भाइयों की कलाई पर राखी बाँधने का आयोजन करती हैं । वे भाई के माथे पर तिलक लगाती हैं तथा राखी बाँधकर उनका मुँह मीठा कराती हैं । भाई प्रसन्न होकर बहन को कुछ उपहार देता है । प्रेमवश नया वस्त्र और धन देता है । परिवार में खुशी का दृश्य होता है । बड़े बच्चों के हाथों में रक्षा-सूत्र बाँधते हैं । घर में विशेष पकवान बनाए जाते हैं ।

रक्षाबंधन के अवसर पर बाजार में विशेष चहल-पहल होती है । रंग-बिरंगी राखियों से दुकानों की रौनक बढ़ जाती है । लोग तरह-तरह की राखी खरीदते हैं । हलवाई की दुकान पर बहुत भीड़ होती है । लोग उपहार देने तथा घर में प्रयोग के लिए मिठाइयों के पैकेट खरीदकर ले जाते हैं ।

श्रावण पूर्णिमा के दिन मंदिरों में विशेष पूजा- अर्चना की जाती है । लोग गंगाजल लेकर मीलों चलते हुए शिवजी को जल चढ़ाने आते हैं । काँधे पर काँवर लेकर चलने का दृश्य बड़ा ही अनुपम होता है । इस यात्रा में बहुत आनंद आता है । कई तीर्थस्थलों पर श्रावणी मेला लगता है । घर में पूजा-पाठ और हवन के कार्यक्रम होते हैं । रक्षाबंधन के दिन दान का विशेष महत्त्व माना गया है । इससे प्रभूत पुण्य की प्राप्ति होती है, ऐसा कहा जाता है । लोग कंगलों को खाना खिलाते हैं तथा उन्हें नए वस्त्र देते हैं । पंडित पुराहितों को भोजन कराया जाता है तथा दान-दक्षिणा दी जाती है ।

रक्षाबंधन पारिवारिक समागम और मेल-मिलाप बढ़ाने वाला त्योहार है । इस अवसर पर परिवार के सभी सदस्य इकट्‌ठे होते हैं । विवाहित बहनें मायके वालों से मिल-जुल आती हैं । उनके मन में बचपन की यादें सजीव हो जाती हैं । बालक-बालिकाएँ नए वस्त्र पहने घर-आँगन में खेल-कूद करते हैं । बहन भाई की कलाई में राखी बाँधकर उससे अपनी रक्षा का वचन लेती है । भाई इस वचन का पालन करता है । इस तरह पारिवारिक संबंधों में प्रगाढ़ता आती है । लोग पिछली कडुवाहटों को भूलकर आपसी प्रेम को महत्त्व देने लगते हैं ।

इस तरह रक्षाबंधन का त्योहार समाज में प्रेम और भाईचारा बढ़ाने का कार्य करता है । संसार भर में यह अनूठा पर्व है । इसमें हमें देश की प्राचीन संस्कृति की झलक देखने को मिलती है ।

Raksha Bandhan Speech in Marathi

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भारत हा सणांचा एक उत्सव आहे. येथे विविध प्रकारचे उत्सव साजरे केले जातात. रक्षाबंधन भारतातील मुख्य उत्सवांपैकी एक आहे. रक्षाबंधनाने राखी म्हणूनही ओळखले जाते. प्रथम गुरु पूर्ण चंद्र येतो, जे शिक्षक आणि शिक्षकांना समर्पित आहे पूर्ण चंद्र मास्टर बुद्ध पौर्णिमा बुद्ध पौर्णिमा नंतर चैत्र पौर्णिमा येतो येतो आहे.

चैत्र पौर्णिमेच्या चौथ्या पूर्ण चंद्राने श्रावण पौर्णिमा आहे. प्रत्येक वर्षी रक्षाबंधनचा उत्सव श्रावण पौर्णिमेला साजरा केला जातो. रक्षाबंधन हा भाऊ आणि बहीणचा सण आहे. हा हिंदूंचा मुख्य सण आहे परंतु सर्व धर्मांतील लोक मोठ्या उत्साहाने साजरा करतात.

श्रवण पौर्णिमाचे संपूर्ण चन्द्र भाऊ व बहिणीच्या प्रेम व कर्तव्यांचे समर्पित आहे. रक्षाबंधन जुलै किंवा ऑगस्ट महिन्यात येतो. या उत्सवात राखीचा सर्वोच्च महत्व आहे. रक्षा बंधन सामाजिक, पौराणिक, धार्मिक, ऐतिहासिक अर्थ एक पवित्र बंधन नाही अगदी पूर्ण चंद्र फक्त भारतात Jnsmaj रक्षा बंधन नावाने श्रावण महिन्याचा दिवस पण नेपाळ आणि Moreshis जास्त थाटामाटात साजरा की थ्रेड आहे जाता

भाऊ-बहिणीचा प्रेम: रक्षाबंधनचा उत्सव भाऊ-बहिणीच्या प्रेमाचे प्रतीक आहे. हा सण भाऊ आणि बहीण यांच्यातील प्रेम वाढवते आणि एकमेकांची काळजी घेण्याची भावना ठाम आहे. आज बहीण आपल्या भावाला बांधणी वेळ राखी रोजी आपला भाऊ आनंदी जीवन इच्छा.

या दिवशी भाऊ आपली बहीण सर्व प्रकारच्या संकटातून वाचवण्याचा आश्वासन देतो. या दिवशी राखी मात सर्व भाऊ आणि कारण ट्रायचे व.का.धा. रुप फरक परंपरा बहिणी आहे आणि वाढते त्यांना दरम्यान प्रेम. भाऊ आणि बहीण प्रेम एक दिवस प्रेम नाही

परंतु रक्षा बंधनच्या ऐतिहासिक आणि धार्मिक महत्त्वामुळे हे दिवस इतके महत्त्वाचे बनले आहे. आजही हा उत्सव मोठ्या आनंदाने साजरा केला जातो. आजच्या काळात धागा फक्त खूप धागा दरम्यान दीर्घ प्रतिबद्धता, देश बचाव आहे पर्यावरण संरक्षण, आवडी भाऊ संरक्षण बद्ध झाले आहे.

रक्षाबंधनचा उत्सव अनेक रूपांत आढळतो. राष्ट्रीय स्व-मदत संघटना असलेले पुरुष, ते भाऊ-खाद्यांसाठी केशरचे रंग ठेवतात. राजस्थान मध्ये बहीण धागा एक विशेष प्रकार तिच्या बहिणींना लुम्बी म्हणतात ठेवते आहेत. अनेक ठिकाणी वाहते तसेच आपल्या बहिणींनाही मारतो. हे प्रेम करून लोकांमध्ये अधिकाधिक वाढ होते.

Speech on Raksha Bandhan in English

Raksha Bandhan, one of the main Hindu festivals, is celebrated to strengthen the brother sister bond. On this day, the sisters tie a sacred thread, rakhi on their brothers’ wrist wishing good health and long life for them. The bothers, on the other hand, bless their sisters and pledge to take care of them all through their lives.

Symbol of Brother-Sister Love

The brother-sister relationship is extremely special. The way they care for each other is beyond compare. One can never love or care for their friends as much as they love their siblings. The connection and bond one shares with brothers and sisters is simply matchless. No matter how much they fight with each other over trivial things when the time comes they stand by one another and extend their support.

The bond grows stronger as they age and go through various stages of life. They are there for each other in thick and thin. Elder brothers are highly protective of their sisters and the younger ones look up to their elder sisters for guidance. Likewise, elder sisters are extremely caring for their younger brothers and the younger ones seek their elder brother’s help and advice on various matters. A day to celebrate this beautiful bond has thus rightly been established. Raksha Bandhan is special for every brother and sister in the country. It is a symbol of their love, togetherness and faith in each other.

Raksha Bandhan – A Time for Pampering

Raksha Bandhan is a time for the ladies to pamper themselves. They also receive a lot of love and pampering from their brothers. Since it is time for family gatherings the ladies especially want to look their best. Ethnic clothing is preferred by most as it adds to the fervour of the Hindu festivals. The markets are filled with beautiful kurtis, suits and other ethic wear. Women are seen hoping from shop to shop to buy a piece that matches their taste. They also go on to purchase matching accessories and footwear.

On the day of the festival, girls take a good amount of time dressing up. Besides the dress and accessories, they also go for special hair-dos to look different on this day. Their brothers also pamper them by showering their love and blessings and also by giving gifts.

Conclusion

Raksha Bandhan is known by different names in different parts of the country however the essence of the festival remains the same and that is to celebrate the sacred brother-sister bond.

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