Pongal 2023: According to Tamil calendar Pongal Festival is four day festival and each of the day has it’s own importance, which is celebrated from Jan 15 to Jan 18. Pongal is the harvest festival which is dedicated to Sun God. Thai Pongal is one the famous and most important festival celebrated by Tamil people.
This festival is celebrated to appreciate Sun God for the better and successful harvest of the crops. A special Pongal dish is prepared on this day, which is served on banana leaves.
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Essay on Pongal Festival in Hindi
Pongal 2023 date: From 15 January, Wednesday to 18 January Saturday.
भारत त्यौहारों और मेलों की भूमि है । भारत के प्रत्येक राज्य में भिन्न – भिन्न प्रकार के त्यौहार मनाये जाते हैं यदि केरला वासी ओणम मस्ती और जोश से मनाते हैं तो तमिलनाडु के लोग भी उसी जोश और मस्ती से मानते हैं । वास्तव में पोंगल तमिलनाडु का सबसे महत्वपूर्ण तियौहर है ।
यह जनवरी के महीने में मनाया जाता है और तीन दिन तक चलता है । इस त्यौहार का किसानों के लिए विशेष महत्त्व है । यह कृषि से जुड़ा हुआ त्यौहार है । तमिलनाडु में भरी सर्दियों में भी वारिश होती है । चावल यहाँ की मुख्य फसल है । चावल की फसल को अधिक वर्षा का पानी चाहिए । इन्द्रदेव वर्षा के देवता हैं इसलिए इन्द्रदेव की पूजा इस त्यौहार की प्रमुख विशेषता है ।
तमिलनाडु के लोग बड़ी बेसब्री से इस त्यौहार की प्रतीक्षा करते हैं, क्योंकि चावल की फसल कटाई के लिए दिसम्बर के अन्त या जनवरी के मध्य तक तैयार हो जाती है । किसान अपनी फसल काटने के बाद छुट्टी मनाने के मूड में होते हैं । बाद में किसान स्वतन्त्र रूप से पूरे जोश व खरोश के साथ इस त्यौहार को मनाते हैं । यह खुशी का त्यौहार होता है और बहुत धूम धड़ाके से मनाया जाता है । इस त्यौहार का पहला दिन भोगी पोंगल के नाम से जाना जाता है ।
भोगी पोंगल के दिन चावल का दलिया तमिलनाडु के हर घर में बनाया जाता है । चावल से तैयार यह दलिया बहुत स्वादिष्ट होता है । लोग सगे सम्बन्धियों और मित्रों को भोज पर आमन्त्रित करते हैं । यह भोजन वर्षा के देवता इन्द्रदेव के सम्मान में आयोजित किया जाता है।ऐसा विश्वास किया जाता है चावल की फसल इन्द्रदेव के आर्शीवाद से पर्याप्त वर्षा के रूप में हुई है । इस दिन इन्द्रदेव को धन्यवाद दिया जाता है । चावल को प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है और उस दिन चावल खाना शुभ माना जाता है । इसलिए लोग भिन्न-भिन्न प्रकार के चावल बनाकर खाते हैं ।
दूसरे दिन सूरज देवता की पूजा होती है । इसे सूर्य पोंगल कहते हैं । इस दिन उबले हुए चावल सूरज देवता को अर्पित किए जाते हैं । यह सूर्य देवता को धन्यवाद कहने वाला दिन होता है । ऐसा विश्वास किया जाता है की धान की फसल उगाने में सूर्य देवता की महत्वपूर्ण भूमिका रही है । महिलायें सूर्य की आकृति बनाती हैं ।
तीसरे दिन मत्तू पोंगल कहा जाता है । तमिलनाडू के किसान गाय को पवित्र माता का दर्जा देते हैं और उसकी पूजा करते हैं । इस दिन गाय की पूजा की जाती है क्योंकि गाय कृषि में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है । गाय को धुआ जाता है, नहलाया जाता है और उनके सिगों को भिन्न प्रकार के रंगो से रंगा जाता है । उनके माथे को सिंदूर से रंगा जाता है, फूलों के हार उनके गलों और सीगों में पहनाये जाते हैं । उन्हें बढ़िया-बढ़िया चीजें खिलाई जाती हैं । रात में लोग बेहतरीन खाना बनाते हैं और दोस्त सम्बन्धियों को भोज पर आमंत्रित करते हैं । पोंगल की अपनी पवित्रता है । यह त्यौहार देवता और पशुओं की सहायता के लिए उनके प्रति कृतज्ञता को दर्शाता है ।
Pongal Festival Essay in English
Pongal is a Tamil harvest festival. It is same as Thanksgiving Day. In an agriculture based civilization, harvest plays an important role. The farmer cultivating the land depends on his cattle, timely rain and the Sun. Once a year, he expresses his gratitude to everything which symbolizes the harvest celebration. With the end of the wet month of Margazhi (mid December to mid January) the new Tamil month of Thai heralds a series of festivals. The first day of this month is a festival day known as “Pongal Day”. Pongal means the “boiling over” of milk and rice during the month of Thai.
Bringer of Good Luck
As one stand on the threshold of the harvest season, everyone exchange Pongal wishes, hoping that it brings the harbinger of good luck, good fortune and good cheer. People wish each other good times, happiness, peace and prosperity. They also greet each other saying “Pongalo Pongal” and “Pongum Mangalam Engum Thanguga” in Tamil.Tamils wish each other to start the New Year with mutual respect, understanding, trust and sincere cooperation.
The Idea behind Pongal Celebration
Pongal also referred to as “harvest festival”, is observed by the people of Tamil Nadu, located in the Southern part of India. The idea behind celebrating this day is the gratification of people towards God Sun, for bringing about the season of harvest, which is a boon for them! The festival is celebrated on 15th January every year by the Hindu community.
People show their gratitude by offering cooked rice to the Almighty!! All genres of people during this season become busy in reaping the harvest in the field. And on the particular day they cook rice in the courtyard of their houses as the food which is meant to be offered to God is considered to be inauspicious if cooked it is cooked in the kitchen.
The Tradition of Pongal celebration
Few day before the Pongal arrives, people particularly the lady of the home, cleans and decorates the whole house with flowers and strings of flowers. They use Swastik and kumkum to embellish big earthen vessels. The pit is filled with water and rice by either the youngest or the oldest member of the family. As per the traditions it is of paramount importance to add some milk to water in which rice is cooked which is to be offered to the God Sun. People who get involved in cooking rice for the God has to take utmost care of cleanliness. They are supposed not to step over the Rangoli which has been designed for decoration
पोंगल त्योहार पर निबंध
जिस प्रकार ओणम् केरलवासियों का महत्त्वपूर्ण त्योहार है । उसी प्रकार पोंगल तमिलनाडु के लोगों का महत्त्वपूर्ण पर्व है । उत्तरभारत में जिन दिनों मकर सक्रान्ति का पर्व मनाया जाता है, उन्हीं दिनों दक्षिण भारत में पोंगल का त्यौहार मनाया जाता है।
भारत एक कृषि प्रधान देश है । यहाँ की अधिकांश जनता कृषि के द्वारा आजीविका अर्जित करती है । आजकल तो उद्योगिकरण के साथ-साथ कृषि कार्य भी मशीनों से किया जाने लगा है । परन्तु पहले कृषि मुख्यत: बैलों पर आधारित थी । बैल और गाय इसी कारण हमारी संस्कृति में महत्त्वपूर्ण स्थान रखते हैं ।भगवान शिव का वाहन यदि बैल है तो भगवान श्रीकृष्ण गोपालक के नाम से जाने जाते हैं । गायों की हमारे देश में माता के समान पूज्य मानकर सेवा की जाती रही है । गाय केवल दूध ही नहीं देती बल्कि वो हमें बछड़े प्रदान करती है जो खेती करने के काम आते हैं । तमिलनाडुवासी तो पोंगल के अवसर पर विशेष रूप से गाय, बैलों की पूजा करते हैं ।
यह त्योहार प्रतिवर्ष मकर संक्रान्ति के आस-पास मनाया जाता है । यह उत्सव लगभग तीन दिन तक चलता है । लेकिन मुख्य पर्व पौषमास की प्रतिपदा को मनाया जाता है । अगहन मास में जब हरे-भरे खेत लहलहाते हैं तो कृषक स्त्रियाँ अपने खेतों में जाती हैं ।भगवान से अच्छी फसल होने की प्रार्थना करती है । इन्हीं दिनों घरों की लिपाई-पुताई प्रारम्भ हो जाती है । अमावस्या के दिन सब लोग एक स्थान पर एकत्र होते हैं । इस अवसर पर लोग अपनी समस्याओं का समाधान खोजते हैं । अपनी रीति-नीतियों पर विचार करते हैं और जो अनुपयोगी रीति-नीतियाँ हैं उनका परित्याग करने की प्रतिज्ञा की जाती है ।
जिस प्रकार 31 दिसम्बर की रात को गत वर्ष को संघर्ष और बुराइयों का साल मानकर विदा किया जाता है, उसी प्रकार पोंगल को भी प्रतिपदा के दिन तमिलनाडुवासी बुरी रीतियों को छोड़ने की प्रतिज्ञा करते हैं ।यह कार्य ‘पोही’ कहलाता है । जिसका अर्थ है- ‘जाने वाली’ । इसके द्वारा वे लोग बुरी चीजों का त्याग करते हैं और अच्छी चीजों को ग्रहण करने की प्रतिज्ञा करते हैं ।
पोही के अगले दिन अर्थात् प्रतिपदा को पोंगल की धूम मच जाती है । इस अवसर पर सभी छोटे-बड़े लोग काम में आने वाली नई चीजे खरीदते हैं और पुरानी चीजों को बदल डालते हैं । नए वस्त्र और नए बर्तन खरीदे जाते हैं ।नए बर्तनों में दूध उबाला जाता है । खीर बनाई जाती है । लोग पकवानों को लेकर इकट्ठे होते हैं, और सूर्य भगवान की पूजा करते हैं । मकर सक्रान्ति से सूर्य उत्तरायण में चला जाता है दिन बड़े होने लगते हैं । सूर्य भगवान की कृपा होने पर ही फसलें पकती हैं । किसानों को उनकी वर्ष भर की मेहनत फल मिलता है ।
ये त्योहार तामिलनाडु का त्योहार अवश्य है पर इसके पीछे जो आध्यात्मिक संदेश छिपा है वह सम्पूर्ण भारतवासियों के लिए पवित्रता और नवोत्साह का संदेश देता है । इस त्योहार पर गाय के दूध के उफान को बहुत महत्व दिया जाता है ।
उनका विचार है कि जिस प्रकार दूध का उफान शुद्ध और शुभ है उसी प्रकार प्रत्येक प्राणी का मन भी शुद्ध संस्कारों से उज्ज्वल होना चाहिए । इसलिए वे अन्त:करण की शुद्धता के लिए सूर्यदेव से प्रार्थना करते हैं |
पोंगल फेस्टिवल निबंध तमिल
அறிமுகம்: பொங்கல் தமிழ்நாட்டின் மிகப்பெரிய அறுவடை திருவிழா ஆகும். இந்து மத நம்பிக்கை கொண்டவர்கள் இந்த திருவிழாவை கவனித்து வருகின்றனர்.
பொங்கல் திருவிழா ஒவ்வொரு ஆண்டும் ஜனவரி 14 ம் தேதி கொண்டாடப்படுகிறது. பொங்கல் நாளில் கடவுளுக்கு சமைத்த அரிசியை வழங்குவதற்காக மக்கள் ஆவலுடன் காத்திருக்கிறார்கள்.
அறுவடை விழா: பொங்கல் ஒரு அறுவடை விழா. இது தமிழ்நாட்டின் மிக முக்கியமான பண்டிகையாகும். இந்த பருவத்தில் கிராமப்புற தமிழ்நாட்டில் வேலையாட்கள் பணியாற்றினர். ஆண்கள், பெண்கள், பிள்ளைகள் ஆகியோர் அறுவடைக்கு அறுவடை செய்ய வயல்களுக்கு சென்றுவிடுவர். வீட்டுக்கு உள்ளே சமையலறையில் எப்படி சமைக்க முடியும் என்பதற்கு கடவுளுக்கு அரிசி வழங்கப்பட வேண்டும் என்பதால். மக்கள் அவரை உற்சாகப்படுத்துவதற்கு உற்சாகமளிக்கும் விதத்தை பார்க்கும்படி அனுமதிக்க, முற்றத்தில் அல்லது வேறு சில வெளிப்புற இடங்களில்.
நெல் வயல்கள் ஒரு பச்சை கடல் அலைகள் போல் தோன்றுகிறது. விவசாயியின் இதயம் மகிழ்ச்சியுடன் நிறைந்திருக்கிறது. இது தமிழ்நாட்டின் மக்களின் தாராள மனதுகளை மாற்றியுள்ளது. வடக்கில் சிறிது வளைந்து செல்லும் பாதையில் சற்று மாறுபட்ட மாற்றங்களைச் செய்ய சன் கடவுள் தயாராக உள்ளார். குளிர்காலத்தில் தான், அறுவடை பருவத்தில்
கொண்டாட்டம்: பண்டிகை நிகழ்ச்சிகளுக்கு சில நாட்களுக்கு முன்பே பெண்கள் முழு வீட்டையும் சுத்தம் செய்து அலங்கரிக்க வேண்டும். பெரிய களிமண் பாத்திரத்தை கும்கும் மற்றும் ஸ்வஸ்திகாவுடன் அலங்கரிக்க வேண்டும். குடும்பத்தின் மூத்த அல்லது இளைய உறுப்பினர் குழி நிரப்ப அரிசி மற்றும் தண்ணீருடன் அழைக்கப்படுகிறார். பொங்கல் (சமைக்கப்பட்ட அரிசி) கடவுளுக்கு தோன்றும் விதத்தில் தயார் செய்யப்பட வேண்டியது பாத்திரத்தில் தண்ணீருக்கு சில பால் சேர்க்கப்பட வேண்டும். ஆனால் சமையல் முறையில் பங்கேற்கிறவர்கள் கவனமாக இருக்க வேண்டும். அவர்கள் இதயத்தை சுற்றி வடிவமைக்கப்பட்ட அழகான ரங்கிகோலி மீது ஓட வேண்டியதில்லை.
பொதுவாக பொங்கல் ஒரு விவசாய பண்டிகை. கிராமப்புற பகுதிகளில் உள்ள மக்கள் மிகவும் ஆர்வமாக உள்ளனர். ஆனால் பல நகரங்களுக்கு நகர்ந்துள்ளன. தமிழ்நாட்டில் நகரமயமாக்கல் வேகமாக பரவி வருகிறது. கிராமப்புற மற்றும் நகர்ப்புற மக்களுக்கு இடையிலான இடைவெளி கிட்டத்தட்ட மறைந்துவிட்டது. இயற்கையாக பொங்கல் மாநிலத்தில் எல்லா இடங்களிலும் ஒரே சந்தோஷம், இன்பம் மற்றும் உற்சாகம் கொண்டாடப்படுகிறது. எல்லை மாவட்டங்களில், கர்நாடகா மற்றும் ஆந்திராவின் மக்கள் கூட மகிழ்ச்சியை பகிர்ந்து கொள்வார்கள்.
பொங்கல் காலை, இளையோர் மற்றும் வயதானவர்கள் இருவரும் ஆறுகள் ஏரிகளையும், கிராமங்களில் உள்ள கிணறுகளையும் கூட எடுத்துக் கொண்டனர். குழந்தைகளுக்கான மகிழ்ச்சியான நாள். அவர்கள் செய்தி துணிகளை வைத்திருக்கிறார்கள்.
மாலை நெருங்குகையில், மக்கள் ஒன்றாக அரிசி சாப்பிட சந்திக்கிறார்கள். இந்த அரிசி பணக்காரர்களிடமும், ஏழைகளிலுமே விநியோகிக்கப்படுகிறது. ஒரு சிறிய சோர்வாக அவர்கள் நாள் விழாக்களில் கனவு கண்டார்கள்.
அடுத்த நாள் Muttu Pongol எனப்படுகிறது. நெல் பயிரை வளர்க்கவும், நெல் அறுவடை செய்யவும் உதவுகிற கால்நடை உலகத்தை கௌரவிக்கும் நாள் இது. பசுக்கள், எருதுகள் மற்றும் அவற்றின் வகைகள் வேறுபட்ட வண்ணங்களில் அலங்கரிக்கப்பட்டுள்ளன.
ஆனால் அவர்கள் தங்கள் தோழர்களை மறக்க முடியாது எப்படி படுக்கைக்கு செல்லும் முன். செல்வந்தர்கள் தங்கள் பணியாளர்களிடையே உள்ள பணத்தை முழுவதுமாக விநியோகிப்பதன் மூலம் தங்கள் தாராள மனப்பான்மையை காட்டுவார்கள். திருமணமான பெண்கள் மறக்கப்பட மாட்டார்கள். உறவினர்களிடமிருந்து அழகான ஆடைகளையும் ஒப்பனைகளையும் அவர்கள் பெறுகிறார்கள். சன் தேவன் அதன் வழியை மாற்றுவதற்கு முன் அனைவரும் ஆசீர்வதிக்கப்படுகிறார்கள், மேலும் மாதங்களுக்கு இரண்டு நாட்களில் மீண்டும் பூமிக்கு வருவதற்கு இந்திரா, மழைக்கால தேதியைத் தயாரிக்கிறார்.
மண்டல மாறுபாடுகள்: குஜராத்தி, மாநில முழுவதும், அதே நாளில் சூரிய அஸ்தமனத்திற்கு காதுகள் அனுப்பப்படும். குஜராத்தில், இந்த ஃபெடாய்டால் உத்தரப்பான் என்று அழைக்கப்படுகிறது. வடக்கிலும் மஹாராவிலும் சூரியன் மகரத்தின் கோள மண்டலத்தில் நுழைகையில் மகர சங்கராந்தி என்பதாகும். அவர்கள் சன் கடவுளின் கதிர்கள் போல் வெள்ளை போன்ற மற்ற தேங்காய் மற்றும் சர்க்கரை பிரகாசமான வெள்ளை விஷயங்களை பகிர்ந்து மற்றும் பகிர்ந்து. ஒரு நாள் முன்பு பஞ்சாலை ஹோலி போன்ற ஒரு நெருப்பு சுற்றி பசுமையான நடனத்துடன் லோரி கொண்டாட வேண்டும்.
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