Valmiki jayanti 2020 : वाल्मीकि जी रामायण जैसे पावन ग्रन्थ के रचियता थे | संस्कृत का पहला श्लोक इन्ही के द्वारा लिखा गए था | 24 अक्टूबर की आश्विन मॉस की पूर्णिमा को इनका जन्म हुआ था जिसे हिन्दू धर्म केलिन्डर के अनुसार वाल्मीकि जयंती कहा जाता है | वाल्मीकि जी को श्लोक का जन्मदाता भी कहा जाता है | इनके जीवन से हमे बहुत कुछ सीखने को मिलता है | यह जानकारी हिंदी में, संस, साहरी, स्टेटस, एसएमएस हिंदी फॉण्ट व मराठी आदि जिन्हे आप फेसबुक, व्हाट्सप्प पर अपने दोस्त व परिवार के लोगो के साथ साझा कर सकते हैं|
वाल्मीकि जयंती श्लोक
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उत्साह बड़ा बलवान होता है;
उत्साह से बढ़कर कोई बल नहीं है । उत्साही
पुरुष के लिए संसार में कुछ भी दुर्लभ नहीं है ।
क्रोध की दशा में मनुष्य को कहने और न कहने
योग्य बातों का विवेक नहीं रहता । क्रुद्ध मनुष्य कुछ भी कह
सकता है और कुछ भी बक सकता है । उसके लिए कुछ भी
अकार्य और अवाच्य नहीं है ।
पराया मनुष्य भले ही गुणवान् हो तथा स्वजन सर्वथा
गुणहीन ही क्यों न हो, लेकिन गुणी परजन से गुणहीन स्वजन ही
भला होता है । अपना तो अपना है और पराया पराया ही रहता है ।
किसी को जब बहुत दिनों तक अत्यधिक दुःख भोगने
के बाद महान सुख मिलता है तो उसे विश्वामित्र मुनि की भांति समय
का ज्ञान नहीं रहता - सुख का अधिक समय भी थोड़ा ही जान पड़ता है ।