Valmiki jayanti 2022 : वाल्मीकि जी रामायण जैसे पावन ग्रन्थ के रचियता थे | संस्कृत का पहला श्लोक इन्ही के द्वारा लिखा गए था | 24 अक्टूबर की आश्विन मॉस की पूर्णिमा को इनका जन्म हुआ था जिसे हिन्दू धर्म केलिन्डर के अनुसार वाल्मीकि जयंती कहा जाता है | वाल्मीकि जी को श्लोक का जन्मदाता भी कहा जाता है | इनके जीवन से हमे बहुत कुछ सीखने को मिलता है | यह जानकारी हिंदी में, संस, साहरी, स्टेटस, एसएमएस हिंदी फॉण्ट व मराठी आदि जिन्हे आप फेसबुक, व्हाट्सप्प पर अपने दोस्त व परिवार के लोगो के साथ साझा कर सकते हैं|
वाल्मीकि जयंती श्लोक
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उत्साह बड़ा बलवान होता है;उत्साह से बढ़कर कोई बल नहीं है । उत्साहीपुरुष के लिए संसार में कुछ भी दुर्लभ नहीं है । Share on X मनुष्य जैसा भी अच्छा या बुरा कर्म करता है,उसे वैसा ही फल मिलता है । कर्त्ता को अपने कर्म का फलअवश्य भोगना पड़ता है । Share on XValmiki Jayanti Shloka
सत्य ही संसार में ईश्वर है;धर्म भी सत्य के ही आश्रित है; सत्य ही समस्तभव - विभव का मूल है; सत्य से बढ़कर और कुछ नहीं है । Share on X उत्साह हीन, दीन और शोकाकुल मनुष्यके सभी काम बिगड़ जाते हैं , वह घोर विपत्ति में फंस जाता है । Share on XValmiki Jayanti Shlok
क्रोध की दशा में मनुष्य को कहने और न कहनेयोग्य बातों का विवेक नहीं रहता । क्रुद्ध मनुष्य कुछ भी कहसकता है और कुछ भी बक सकता है । उसके लिए कुछ भीअकार्य और अवाच्य नहीं है । Share on X पराया मनुष्य भले ही गुणवान् हो तथा स्वजन सर्वथागुणहीन ही क्यों न हो, लेकिन गुणी परजन से गुणहीन स्वजन हीभला होता है । अपना तो अपना है और पराया पराया ही रहता है । Share on XValmiki Jayanti Slokas
किसी को जब बहुत दिनों तक अत्यधिक दुःख भोगनेके बाद महान सुख मिलता है तो उसे विश्वामित्र मुनि की भांति समयका ज्ञान नहीं रहता - सुख का अधिक समय भी थोड़ा ही जान पड़ता है । Share on X धर्म से ही धन, सुख तथा सब कुछ प्राप्तहोता है । इस संसार में धर्म ही सार वस्तु है । Share on XValmiki Jayanti Shloka in Marathi
त्रासदायक डीन मित्राला समर्थन देणारा आणिचांगला खरा एकमात्र चांगला आहे जो कुमगगामी बंधूला मदत करतो. Share on X श्रीमंत असो किंवा गरीब, दुःखी किंवा आनंदी,निष्पाप किंवा निष्पाप - मित्रांमुळे मित्रांना सर्वात मोठा आधार असतो. Share on XValmiki Jayanti Slokas in Hindi
मित्रता करना सहज है लेकिन उसको निभाना कठिन है । Share on X स्वभाव का अतिक्रमण कठिन है । Share on XValmiki Jayanti Slokas in Sanskrit
धर्म-धर्मादर्थः प्रभवति धर्मात्प्रभवते सुखम् ।धर्मण लभते सर्वं धर्मप्रसारमिदं जगत् ॥ Share on X सत्य -सत्यमेवेश्वरो लोके सत्ये धर्मः सदाश्रितः ।सत्यमूलनि सर्वाणि सत्यान्नास्ति परं पदम् ॥ Share on XValmiki Jayanti Slokas in Tamil
துக்கம் மனிதனின் துணிச்சலை அழிக்கிறது. Share on X மகிழ்ச்சி எப்போதும் நீடிக்கும். Share on XValmiki Jayanti Slokas in English
Happiness does not increase happily. Share on X Happiness does not last forever. Share on XValmiki Jayanti Shloka in Sanskrit
अपना-पराया-गुणगान् व परजनः स्वजनो निर्गुणोऽपि वा ।निर्गणः स्वजनः श्रेयान् यः परः पर एव सः ॥ Share on X उत्साह-उत्साहो बलवानार्य नास्त्युत्साहात्परं बलम् ।सोत्साहस्य हि लोकेषु न किञ्चदपि दुर्लभम् ॥ Share on X2020 update