हर साल 7 दिसंबर को पूरे भारत में सशस्त्र बल ध्वज दिवस मनाया जाता है | यह दिन देश को उन जवानों के प्रति सम्मान प्रकट करने का दिन है, जिन्होंने देश की रक्षा करते हुए अपने प्राणों को न्योछावर कर दिया | यह दिन उन वीर सैनिकों के प्रति सम्मान का नागरिक एकजुटता दिखाने का दिन है |
इस दिन उन शहीद वीर जवानों व उनके परिजनों के लिए सम्मान प्रकट करने व कल्याण के लिए धनराशि इक्कट्ठी की जाती है, जिसमे हर कोई अपना योगदान दे सकता है |
यह धनराशि लोगों को राष्ट्रीय ध्वज का एक स्टीकर देकर एकत्रित की जाती है, जिस स्टीकर को लोग अपने सीने पर पिन द्वारा लगाकर देश के जवानो के प्रति सम्मान प्रकट करते हैं | इस दिन देश के हर नागरिक को अपना योगदान देना चाहिए |
इस दिन आप नेवी डे के स्टेटस और quotes अपने व्हाट्सप्प स्टेटस पर लगा सकते है| या व्हाट्सप्प पर wishes सेंड कर सकते है|
Bhartiya sashakt bal dhwaj divas ke upar Kavita
आइये अब हम आपको bhartiya sashakt bal dhwaj divas in kavita, speech, भारतीय ध्वज दिवस पर छोटी कविता, in hindi pdf, poetry, indian armed force flag day poem for class १, भारतीय सशस्त्र बल ध्वज दिवस पोयम्स आदि की जानकारी class 1, class 2, class 3, class 4, class 5, class 6, class 7, class 8, class 9, class 10, class 11, class 12 के बच्चे इन्हे अपने स्कूल फंक्शन celebration व प्रोग्राम में सुना सकते हैं|
हे ध्वजा! राष्ट्र की, नील-गगन पर फहरो,
उन्मुक्त पवन में, लहर-लहर तुम लहरो।तेरा केशरिया रंग, वीर का बाना,
सीखा है इससे, सबने प्राण लुटाना।और श्वेत रंग, जो धवल चांदनी सा है,
वह विश्व-शांति का, सबको संदेशा है।और हरित रंग जो, फैला हरियाली सा,
वह उन्नति ऋद्धि-सिद्धि का, संदेशा है।वह नील चक्र, चौबीस तीलियों वाला,
आगे बढ़ने की, बात करे मतवाला।बस बढ़े देश का मान, न हो कुछ बांका,
हमको प्राणों से बढ़कर राष्ट्र-पताका।हे ध्वजा! राष्ट्र की, नील-गगन पर फहरो,
उन्मुक्त पवन में, लहर-लहर तुम लहरो।
भारतीय सशस्त्र बल ध्वज दिवस पर हास्य कविता
इस दिन पर बहुत से स्कूल एवं विश्विद्यालय में essay और speech compatition होता है|
अब सोया जन तंत्र जगा लें,
जन-जन को विश्वास दिला लें।
निर्भय होकर हम अम्बर में,
चलो तिरंगे को लहरा लें॥
चौराहों पैर चीखें क्यों हैं, अर्थ-व्यवस्था मौन दिखती,
मजदूरों की बस्ती में तो, अब रोटी क्यूँ गौण दिखती।
रोटी के बदले में बोटी, छीन रहें हैं ये धन वाले –गिरगिट जैसे जमाखोर हैं,
आओ इनको नाच-नचा लें।
अब सोया जन तंत्र जगा लें,
जन-जन को विश्वास दिला लें॥राम राज्य की चढी पताका, इस हिलते से सिंघासन पर,
मोहित, देश के सब नेता हैं, अपने अपने ही आसन पर।
हरियाणा ने रोक लिया है, अब दिल्ली के ही पानी को –आँखों में जो बचा है पानी,
उसमे डुबकी चलो लगा लें।
अब सोया जन तंत्र जगा लें,
जन-जन को विश्वास दिला लें॥आतंकी हमले से संसद गदला कर डाला है हमने,
बाहुबली बन अपना चेहरा, उजला कर डाला है हमने।
बाजारों की सारी पूँजी, अब गिरवी है घोटालों में –घोटाला करने वालों को,
आओ चलकर धुल चटा लें।
अब सोया जन तंत्र जगा लें,
जन-जन को विश्वास दिला लें॥लाशों पे वोटों की रोटी, खूब सिकी है अब न सिकेगी,
दारू की बोतल पर जनता खूब बिकी है अब न बिकेगी।
अब तो बैल-बकरियों जैसे, संसद के सदस्य बिकते हैं –देश को कोई बेच न पाये,
आओ मिलकर शोर मचा लें।
अब सोया जन तंत्र जगा लें,
जन-जन को विश्वास दिला लें॥
Poem on indian armed forces flag day
मेरे देश का झंडा ‘तिरंगा’, सबसे अनोखा सबसे निराला,
तीन रंग इसमें हैं समाहित, बीच में नीला चक्र है डाला।सबसे प्रथम रंग केसरिया, बलिदानों की कथा सुनाता,
शहीदों की याद दिलाता, देशप्रेम का भाव जगाता।दूजा रंग सफेद है बच्चा, सबसे सादा सबसे सच्चा,
सदाचार, शांति की भावना, निर्मल, पावन मनोकामना।तीजा रंग हरा हरियाला, प्रगति का रथ इसने संभाला,
मेहनतकश बन जाएं सारे, माटी देश की रूप निखारे।सबके बीच इक चक्र है भैया, चौबीस कांटी समय का पहिया,
कहता सदा है चलते जाना, धर्म और सत्य की राह अपनाना।
Indian flag day special kavita
Dekho bachhoyeh jhanda pyara
Teen Rangoon ka mail hai saara
Sada rahe yeh jhanda ooncha
Aakash ko rahe yeh chuta
Sada karo tum iska maan
Kabhi na karma iska apmaan
Jhanda hai desh ki shaan
Bana rahe yeh sada mahan
JAI HIND
Indian armed force flag day poem in hindi
त्यागकर अपना घर-परिवार और सुख चैन
एक पल भी नहीं रिश्ते जिसके नैन
कड़ी धूप,बारिश और
कंपकंपाति सर्दी में
सजग खड़ा है सैनिक
देश की सुरक्षा में
इसीलिये देश में मनती है
होली, दिवाली और रमजान है
बेफिक्र खेलता बचपन और
खुशियाँ मनती जवानी है
उपवन में मंडराते भँवरे और
खेतों में खुशहाली है
क्योंकि दुशमन के इरादों को
उसने नेस्तनाबूत कर रखा है
जाओ चैन से सो जाओ
यारों सरहद पर देश का जवान
सिर पर कफन बाँधकर खड़ा है
सिर पर कफ़न बाँधकर कर खड़ा है ।
2020 update