आज के समय में हर कोई अपने धर्म को दुसरे के धर्म से श्रेष्ट मानता है| बहुत से लोग ऐसे होते है जो अपने धर्म की रक्षा करने के लिए दुसरे धर्म की हानि करने को भी तैयार हो जाते है| भारत में बहुत बार ऐसा देखा गया है की धर्म के नाम पर आतंकवाद को बढ़ावा दिया जाता है| चाहे हिन्दू हो या मुस्लिम या सिख या ईसाई सब एक ही है और भगवान् ने उनकी एक ही प्रकार से रचना करि है| हिन्दू और मुस्लिम सब भाई भाई है| इनकी एकता के कारण ही हमारा देश आजाद हुआ था| आज के इस पोस्ट में हम आपको hindu muslim unity shayri in hindi , hindu muslim ekta par शायरी, हिंदू मुस्लिम एकता शायरी, hindu muslim unity शायरी, hindu muslim ekta shayari hindi, आदि की जानकारी देंगे|
हिन्दू मुस्लिम एकता शायरी
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कोई पूजे पत्थर को, कोई सजदे में अपना सर झुकाते है
ये एक ही है बस कुछ इसे पूजा, तो कुछ इसे अपना ईमान कहते है
एक ही रिवाज़, एक ही रसम, बस कुछ अंदाज़ बदल जाते है
वरना एक ही है जिसे कुछ उपवास, तो कुछ रमज़ान कहते है
Hindu muslim ekta shayari
तुम राम कहो, वो रहीम कहें,
दोनों की ग़रज़ अल्लाह से है।
तुम दीन कहो, वो धर्म कहें,
मंशा तो उसी की राह से है।
तुम इश्क कहो, वो प्रेम कहें,
मतलब तो उसकी चाह से है।
वह जोगी हो, तुम सालिक हो,
मक़सूद दिले आगाह से है।
Hindu muslim ekta status
जाती पाती के नाम पर इंसान ने बेच दिया इस जहान को
कुछ इसे कृपा कहते है, कुछ इसे खुदा का फरमान कहते है
हम तो सोच समझकर भी कुछ समझ नहीं पाते यारो
कुछ ऐसी बाते ये नादान परिंदे, बेजुबान कहते है
hindu muslim unity shayari
अजीब मखलूक है यारो जिसे लोग इंसान कहते है
आज फिर हम अपने दिल का एक सच बयान कहते है
न ही फर्क एक तिनके का भी न ही खून का रंग कुछ और है
बस फर्क ये की किसी को लोग हिन्दू, तो किसी को मुसलमान कहते है
हिन्दू मुस्लिम एकता पर शायरी
‘मालिक मेरे नमाज की चादर सँवार दो,
मदीने अपने बुला लो हमें गरीब नवाज,
बहुत उठाए अलम, रंजो सहे, गम भी सहे,
अपनी कमाली में छुपा लो हमें गरीब नवाज
हिन्दू मुस्लिम एकता शायरी इन हिंदी
बड़े अनमोल हे ये खून के रिश्ते
इनको तू बेकार न कर,
मेरा हिस्सा भी तू ले ले मेरे भाई
घर के आँगन में दीवार ना कर।
याद तेरी दीदार बरस में पाऊँ।
छूटे नहीं लागी तेरी, प्रीतिमा को पाऊँ।
रोजा सजाऊँ, पाऊँ रमजान महीना।’
Hindu muslim unity shayari in hindi
आज मुझे फिर इस बात का गुमान हो,
मस्जिद में भजन मंदिरों में अज़ान हो,
खून का रंग फिर एक जैसा हो,
तुम मनाओ दिवाली मेरे घर रमजान हो।
दोस्ताना इतना बरकरार रखो कि,
मजहब बीच में न आये कभी,
तुम उसे मंदिर तक छोड़ दो ,
वो तुम्हें मस्जिद छोड़ आये कभी।
Hindu muslim ekta shayari hindi
मैं मुस्लिम हूँ, तू हिन्दू है, हैं दोनों इंसान,
ला मैं तेरी गीता पढ़ लूँ, तू पढ ले कुरान,
अपने तो दिल में है दोस्त, बस एक ही अरमान,
एक थाली में खाना खाये सारा हिन्दुस्तान।
संस्कार और संस्कृति की शान मिले ऐसे,
हिन्दू मुस्लिम और हिंदुस्तान मिले ऐसे
हम मिलजुल के रहे ऐसे कि
मंदिर में अल्लाह और मस्जिद में राम बसे जैसे।
हिन्दू मुस्लिम एकता की शायरी
क्या क़त्ल व ग़ारत ख़ूंरेज़ी,
तारीफ़ यही ईमान की है।
क्या आपस में लड़कर मरना,
तालीम यही कुरआन की है!
इंसाफ़ करो, तफ़सीर यही
क्या वेदों के फ़रमन की है।
क्या सचमुच यह ख़ूंख़ारी है,
आला ख़सलत इंसान की है?
Hindu muslim ekta shayari image
तकबीर का जो कुछ मतलब है,
नाकस की भी मंशा है वही।
तुम जिनको नमाजे़ कहते हो,
हिंदू के लिए पूजा है वही।
फिर लड़ने से क्या हासिल है?
ज़ईफ़ हम, हो तुम नादान नहीं।
भाई पर दौड़े गुर्रा कर,
वो हो सकते इंसान नहीं।
Hindu muslim ekta ki shayari
एक ही है सबकी मंजिल बस लफ़्ज़ों के तराने बदल जाते है दोस्तों
वो एक ही मुकाम है, जिसे कुछ स्वर्ग तो कुछ जन्नत का दरबार कहते है
कुछ जाते है मंदिरो में, कुछ मस्जिदों की राह अपनाते है
पर मक़सद तो सबका एक ही, जिसे लोग ख़ुशी की फ़रियाद कहते है
हिन्दू मुस्लिम एकता शायरी हिंदी
कुछ जाते है मंदिरो में, कुछ मस्जिदों की राह अपनाते है
पर मक़सद तो सबका एक ही, जिसे लोग ख़ुशी की फ़रियाद कहते है
वो एक ही हस्ती, एक ही वजूद है. जिसने ये सारा जहान बनाया है
फर्क इतना की कुछ उसे “खुदा” तो कुछ उसे “भगवान्” कहते है
तुम ऐसे बुरे आमाल पर,
कुछ भी तो ख़ुदा से शर्म करो।
पत्थर जो बना रक्खा है ‘शहीद’,
इस दिल को ज़रा तो नर्म करो।
Hindu muslim ekta par शायरी
क्यों लड़ता है, मूरख बंदे,
यह तेरी ख़ामख़याली है।
है पेड़ की जड़ तो एक वही,
हर मज़हब एक-एक डाली है।
बनवाओ शिवाला, या मस्जिद,
है ईंट वही, चूना है वही।
मेमार वही, मज़दूर वही,
मिट्टी है वही, चूना है वही।