पापमोचनी एकादशी व्रत कथा इन हिंदी – Papmochani Ekadashi Vrat Katha in Hindi – पूजा महत्व व तिथि

पापमोचनी एकादशी व्रत कथा इन हिंदी

हिन्दू धर्म में वैसे तो कई व्रत विधि या पूजा होती हैं जिसको लोग सच्ची आस्था और विशवास से करते हैं| हर भगवान् या देवी देवताओ की पूजा अलग अलग विधि विधान से होती है| बहुत सी पुराणिक गाथाओ में भी यह वर्णन हैं की हर व्रत को करने के पीछे कोई कथा या कुछ कारण होता हैं| बहुत से ऐसे व्रत होते है जिसे लोग भगवान् को प्रसन्न करने के लिए करते है| आज हम हिन्दू धर्म के इन्ही में से एक व्रत या पूजन की जानकारी लाए हैं| आज के इस पोस्ट के द्वारा आपको पापमोचिनी व्रत कथा, एकादशी व्रत तिथि,Papmochani Ekadashi Significance, पापमोचिनी एकादशी व्रत विधि इन हिंदी, इंग्लिश, मराठी, उर्दू, गुजरती, तमिल और तेलगु, आदि की जानकारी देंगे हैं|

पापमोचिनी एकादशी व्रत तिथि

पापमोचिनी एकादशी व्रत की तारीख 13 मार्च 2018 है | पूजा करने के लिए सुबह नाहा धोकर पवित्र होकर इस कथा को पढ़ें|

Papmochani Ekadashi Mahatmya

पापमोचिनी एकादशी का यह व्रत का हिन्दू धर्म में बहुत महत्व हैं| इस व्रत को भगवान् विष्णु को प्रसन्न करने के लिए किया जाता हैं| पुराणिक कथाओ की माने तो अगर आपने भूतकाल में कोई पाप या कोई झूट बोलै हैं तो आपके इस व्रत को रखने से आपके सारे पाप माफ़ हो जाते हैं| कुछ लोगो का यह भी कहना हैं की इस व्रत का महवा इसलिए इतना ज्यादा हैं क्योकि इस व्रत या पूजा को करने से मन की शुध्दि होती हैं और लोगो के जीवन में खुशियों का संचार होता हैं| इस व्रत को रखना बहुत महत्वपूर्ण हैं क्योकि इससे आपके जीवन के सारे पाप माफ़ हो जाएंगे और आपके लिए मोक्ष का द्वार खुल जाता हैं|

Papmochani Ekadashi Story – पापमोचिनी एकादशी व्रत कथा

इस व्रत के पीछे एक प्रसिद्ध कथा हैं| बताया जाता हैं की प्राचीन काल में एक बार चैत्ररथ नामक स्थान पर मेधावी नामक एक ऋषि प्रभु की साधना में मगन थे| उनकी साधना भंग करने के लिए कामदेव ने एक मंजूघोषा नाम की एक अप्सरा को उनके पास भेजा| अपने सौंदर्य और अदाओ से उस अप्सरा ने ऋषि को अपने वश में कर लिया| मंजुघोषा और ऋषि मेधावी कई सालो तक एक दुसरे के साथ रहे|

Papmochani ekadashi vrat katha in hindi

कुछ वर्ष बाद मंजुघोषा ने वहा से जाने की इजाज़त मांगी| उस छड़ ऋषि को याद आया की उनकी शिव की साधना टूट गई और इसकी ज़िम्मेदार मंजुघोषा थी| क्रोध में आकर ऋषि ने उसे श्राप दे दिया| श्राप के भय से उसने ऋषि से छमा मांगी और श्राप वापस लेने को कहा| ऋषि ने उसे माफ़ करदिया और पापमोचिनी एकादशी का व्रत रखने की सलाह दी| व्रत रखने के बाद मंजूघोषा श्राप से मुक्त हो गई और इसके बाद इस व्रत को पापो को नस्ट करने वाला व्रत भी कहा जाता हैं|

पापमोचिनी एकादशी व्रत पूजा विधि

  • पापमोचनी एकादशी का यह व्रत इस साल 13 मार्च को होगी| यह व्रत का सही विधि से होना आवश्यक हैं| यह व्रत दो दिन चलता हैं|
  • जो भी व्यक्ति यह व्रत रखता हैं उसे दशमी वाले दिन सात्विक बूजन ग्रहण करना होता हैं और भगवान् विष्णु के नाम का जाप करना होता हैं|
  • इसके बाद एकादशी वाले दिन सुबह स्नान करने के बाद विष्णु भगवान् की पूजा और आराधना करनी होती हैं|
  • इसके बाद पूरे दिन व्रत रखना होता है और भगवत गीता को पढ़ना होता हैं|
  • भगवान् विष्णु के सामने घी क दीपक जलाएं और प्रभु से अपने किसी भी पुराने पाप के लिए क्षमा मांगे और आगे आपके ऊपर कृपा बनाये रखने का आशीर्वाद मांगे|
  • “ओम नमो भगवते वासुदेवाय” का जाप करें |

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