Guru Nanak Jayanti Speech 2022 -23 Guru Nanak Jayanti Day Speech in Hindi & English pdf Download

Guru nanak jayanti speech

Guru nanak birthday 2022: सिख समुदाय के 11 गुरुओं में से सबसे प्रथम गुरु नानक जी थे | गुरु नानक जयंती जिसे गुरपुरब/गुरुपर्व भी कहा जाता है सिख समुदाय द्वारा मनाया जाने वाले बहुत ही प्रमुख और सम्मानित दिन है | गुरु नानक जी का जन्म कार्तिक पूर्णिमा के दिन रावी नदी के पास स्थित तलवंडी गाँ हुआ था, तभी से इस दिन को गुरु नानक जयंती के रूप में मनाया जाता है | इस बार गुरु नानक जयंती 23 नवंबर शुक्रवार को पड़ रही है | यह दिन सिख समुदाय के लोगों द्वारा श्रद्धा और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है | इस दिन गुरु द्वारों को सजाया जाता है और भजन-कीर्तन के साथ-साथ लंगर का भी आयोजन होता है |

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Guru nanak birthday date: इस साल गुरुपर्व 11 नवंबर को है | अक्सर class 1, class 2, class 3, class 4, class 5, class 6, class 7, class 8, class 9, class 10, class 11, class 12 के बच्चो को कहा जाता है गुरुनानक जयंती पर भाषण लिखें | इस पोस्ट में हम आपको Guru Nanak Jayanti Quotes, guru nanak birthday speech, Guru Nanak Birthday Image, गुरु नानक जयंती पर भाषण, Guru Nanak Jayanti Shayari,  गुरुनानक बर्थडे स्पीच, Happy Guru Nanak Jayanti Wishes, आदि की जानकारी किसी भी भाषा जैसे Hindi, Urdu, उर्दू, Guru Nanak Jayanti Message, English, sanskrit, Guru Nanak Jayanti Essay , Tamil, Telugu, Marathi, Punjabi, Gujarati, Malayalam, Nepali, Kannada के Language Font , 100 words, 150 words, 200 words, 400 words में साल 2007, 2008, 2009, 2010, 2011, 2012, 2013, 2014, 2015, 2016, 2017 का full collection whatsapp, facebook (fb) व instagram पर share कर सकते हैं|

कार्तिक पूर्णिमा के दिन ‘सिख’ समुदाय के प्रथम धर्मगुरु नानक देव का जन्मोत्सव मनाया जाता हैं। सिखों के प्रथम गुरु नानक देव जी का जन्म रायभोय स्थान पर 15 अप्रैल 1469 को हुआ था लेकिन श्रद्धालु गुरु नानक जी का जन्मोत्सव कार्तिक पूर्णिमा को मनाते हैं।

वर्ष 2020 में गुरु नानक जयंती 23 नवंबर को मनाई जाएगी। गुरु नानक जयंती को सिख समुदाय बेहद हर्षोल्लास और श्रद्धा के साथ मनाता है। यह उनके लिए दिवाली जैसा ही पर्व होता है। इस दिन गुरुद्वारों में शबद-कीर्तन किए जाते हैं। जगह-जगह लंगरों का आयोजन होता है और गुरुवाणी का पाठ किया जाता है।

गुरु नानक जी बचपन से ही आध्यात्मिक व ज्ञानशील थे। गुरु नानक जी के बचपन की किस्से आज भी बेहद प्रासंगिक हैं। गुरु जी का मन तो बेशक सांसारिक जीवन में नहीं था लेकिन उन्होंने बिना संन्यास धारण किए हुए आध्यात्म की राह को चुना। उनका मानना था कि मनुष्य को संन्यासी बन अपने कर्तव्यों से मुंह मोड़ने का कोई अधिकार नहीं है।

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‘गुरू नानक देव’ का जन्म 15 अप्रैल, 1469 को तलवंडी नामक स्थान में हुआ था। इनके पिता कल्यानचंद एक किसान थे। 16 वर्ष की अवस्था में इनका विवाह हुआ। श्रीचंद और लक्ष्मीचंद नाम के दो पुत्र भी इन्हें हुए।

गुरू नानक सिखों के प्रथम गुरु (आदि गुरु) हैं। इनके अनुयायी इन्हें गुरु नानक, बाबा नानक और नानकशाह नामों से संबोधित करते हैं। तलवंडी का नाम आगे चलकर नानक के नाम पर ननकाना पड़ गया।

गुरु नानक में बचपन से प्रखर बुद्धि के लक्षण दिखाई देने लगे थे। पढ़ने लिखने में इनका मन नहीं लगा। 7- 8 साल की उम्र में स्कूल छूट गया और सारा समय वे आध्यात्मिक चिंतन और सत्संग में व्यतीत करने लगे। उनका देहांत 70 वर्ष की उम्र में 22 सितम्बर, 1539 ई० में हुआ।

गुरु नानक देव जी का जन्मदिन ‘गुरुपरब’ के नाम से प्रति वर्ष मनाया जाता है। उनकी जयंती हिन्दू कैलेण्डर के अनुसार कार्तिक माह की पूर्णिमा को मनाई जाती है जिसे ‘कार्तिक पूर्णिमा’ भी कहते हैं। यह सिखों का प्रमुख त्यौहार है।

Guru nanak birthday speech in punjabi

ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਜਯੰਤੀ ‘ਨੂੰ ਗੁਰਪੁਰਬ ਵੀ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ. ਇਹ ਸਿੱਖਾਂ ਦਾ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਡਾ ਤਿਓਹਾਰ ਹੈ. ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਜੀ ਦਾ ਜਨਮ ਦਿਨ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਜਯੰਤੀ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿਚ ਮਨਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ. ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਜਯੰਤੀ ਨੂੰ ਕਾਰਤਿਕ ਦੇ ਮਹੀਨੇ ਵਿੱਚ ਪੂਰਾ ਚੰਨ ਦੇ ਦਿਨ ਮਨਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਜਿਸਨੂੰ ਕਾਰਤਿਕ ਪੂਰਨੀਮਾ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ.

ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦਾ ਬਾਨੀ ਸੀ. ਉਹ ਪਹਿਲਾ ਸਿੱਖ ਗੁਰੂ ਸੀ. ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਜੀ ਦਾ ਜਨਮ 15 ਅਪ੍ਰੈਲ 1469 ਨੂੰ ਪਾਕਿਸਤਾਨ ਦੇ ਮੌਜੂਦਾ ਸ਼ੇਖੂਪੁਰਾ ਜ਼ਿਲੇ ਵਿਚ ਰਾਏ-ਭੋਈ-ਦੀ ਤਲਵੰਡੀ ਵਿਚ ਹੋਇਆ ਸੀ, ਜਿਸ ਨੂੰ ਹੁਣ ਨਨਕਾਣਾ ਸਾਹਬ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ.

Article on guru nanak jayanti

ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਜਯੰਤੀ ਤੇ, ਸਿੱਖ ਨਵੇਂ ਕੱਪੜੇ ਪਹਿਨਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਗੁਰਦੁਆਰਿਆਂ ਵਿਚ ਜਾਂਦੇ ਹਨ. ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਜਯੰਤੀ ਦੀ ਸਵੇਰ ਗੁਰੂਦੁਆਰੇ ਵਿਚ ਪ੍ਰਭਾਤ ਫੇਰਿਸ ਦੇ ਨਾਲ ਸ਼ੁਰੂ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਉਸਤਤ ਦੇ ਗਾਇਨ ਕਰਦੇ ਇਲਾਕਿਆਂ ਵਿਚ ਸਲਾਰ. ਸਿੱਖਾਂ ਨੇ ਆਪਣੀਆਂ ਪ੍ਰਾਰਥਨਾਵਾਂ ਪੇਸ਼ ਕੀਤੀਆਂ ਅਤੇ ਗੁਰੂ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਨੂੰ ਸ਼ਰਧਾਂਜਲੀ ਦਿੱਤੀ. ਇਸ ਦਿਨ, ਸਿੱਖਾਂ ਦੀ ਪਵਿੱਤਰ ਗ੍ਰੰਥ ਗੁਰੂ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਨੂੰ ਗੁਰੂਦੁਆਰਿਆਂ ਵਿਚ ਲਗਾਤਾਰ ਪੜ੍ਹ ਅਤੇ ਜਾਪ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ. ਲੈਂਪ ਬੁਝੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ, ਜਲੂਸ ਕੱਢੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ, ਮੁਫ਼ਤ ਲੰਗਰਾਂ (ਭੋਜਨ) ਦਾ ਪ੍ਰਬੰਧ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਇਕ ਮਿੱਠੀ ਪ੍ਰਸਾਦ ਨੂੰ ਪੂਰੇ ਦੇਸ਼ ਵਿਚ ਵੰਡਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ. ਨਾਨਕਪੰਤੀ ਹਿੰਦੂ ਅਤੇ ਸਿੱਖਾਂ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਦੇ ਦਰਸ਼ਨ ਦੇ ਹੋਰ ਅਨੁਯਾਈਆਂ ਵੀ ਇਸ ਪਵਿੱਤਰ ਤਿਉਹਾਰ ਦਾ ਨਿਰੀਖਣ ਕਰਦੇ ਹਨ.

Article on guru nanak jayanti

Gurpurab or Guru Nanak Jayanti is the most important and sacred festival of the Sikh community and is observed by them across the world. It is also known as the also known as Guru Nanak’s Prakash Utsav, that also connotes to the Sikh guru’s birth anniversary. The festival is celebrated every year on a full moon day in the month of Kartik, according to the Hindu lunar calendar – Kartik Purnima, falling mostly during October-November.

Guru Nanak, who is the first among the 10 Sikh gurus, was born in Talwandi, a village in the Sheikhupura district, near Lahore, Pakistan, on April 15, 1469. However, his birthday is celebrated during the month of Kartik in autumn. It is believed that in 1496 he received enlightenment and preached the world about peace and religious harmony.

The festival is observed over a period of three days. The celebrations of the holy festival begin with ‘Akhand Path’ prior to Gurpurab. The 48-hour long non-stop reiterations of verses from the Guru Granth Sahib – the holy book of Sikhs — are held in gurdwaras. The day before Guru Prakash Utsav, ‘Nagarkirtan’ is organised. The religious processions by followers of the faith singing and dancing is a medium to spread the guru’s message. The followers carry Sikh flag, known as the Nishan Sahib and the Palki (Palanquin) of Guru Granth Sahib, while marching through streets barefeet. This procession is led by the Panj Pyaras (Five Beloved Ones).

Speech on guru nanak jayanti in hindi

गुरु नानक देवजी का प्रकाश पर्व सिख समुदाय का सबसे बड़ा पर्व है। सिखों के पहले गुरु नानक देव जी की जयंती देशभर में प्रकाश पर्व के रूप में मनाई जाती है। यह पर्व समाज के हर व्यक्ति को साथ में रहने, खाने और मेहनत से कमाई करने का संदेश देता है। इस बार गुरु नानक देव की जयंती 23 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाई जा रही है।

सिखों के प्रथम गुरु, गुरु नानक देव जी के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में विशाल नगर कीर्तन निकाला जाता है। इस दौरान पंज (पांच) प्यारे नगर कीर्तन की अगुवाई करते हैं। श्री गुरुग्रंथ साहिब को फूलों की पालकी से सजे वाहन पर सुशोभित करके कीर्तन विभिन्न जगहों से होता हुआ गुरुद्वारे पहुंचता है। प्रकाश उत्सव के उपलक्ष्य में प्रभातफेरी निकाली जाती है जिसमें भारी संख्या में संगतें भाग लेती हैं। प्रभातफेरी के दौरान कीर्तनी जत्थे कीर्तन कर संगत को निहाल करते हैं।

इस अवसर पर गुरुद्वारे के सेवादार संगत को गुरु नानक देवजी के बताए रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं। कहते हैं कि श्री गुरु नानक देव महाराज महान युगपुरुष थे। नानक देव जी ने अपना पूरा जीवन समाज में व्याप्त बुराइयों को दूर करने में समर्पित कर दिया। ऐसे महान युगपुरुष की आज के समय में बहुत जरूरत है।

भगवान एक है। एक ही गुरु है और कोई नहीं। जहां गुरु जाते हैं, वह स्थान पवित्र हो जाता है। भगवान को याद करने, मेहनत से कमाई करने और उसके बाद बांट के खाने का संदेश दुनियाभर में देने वाले ऐसे ही गुरु को सिख समुदाय उनकी जयंती पर याद करता है।

एक ओर जहां गुरुद्वारों में भव्य सजावट की जाती है, वहीं गुरु का प्रसाद लंगर भी बांटा जाता है। साथ ही गुरु नानक देव जी पर आधारित पोस्टर जारी किए जाते हैं। अपनी परंपरानुसार प्रभातफेरी में शामिल स्त्री-पुरुष सफेद वस्त्र एवं केसरिया चुन्नी धारण कर गुरुवाणी का गायन करते हुए चलते हैं। सभी जत्थों का जगह-जगह पर हार-फूल से स्वागत किया जाता है। शाम को दीवान सजाकर शबद कीर्तन का कार्यक्रम भी किया जाता है।

प्रकाश पर्व के दिन सुबह से ही गुरुद्वारों में धार्मिक अनुष्ठानों का सिलसिला शुरू हो जाता है, जो देर रात तक चलता है। प्रकाश पर्व यानी मन की बुराइयों को दूर कर उसे सत्य, ईमानदारी और सेवाभाव से प्रकाशित करना है|

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