Essay on Grandmother in Hindi | Pdf Download

Essay on Grandmother in Hindi

हमनारे सब की ज़िन्दगी में सबसे अहम् सदस्य दादी माँ होती है| दादी माँ हमें हमारे जीवन की सबसे महत्वपूर्ण सीख सिखाती है| इस पोस्ट के द्वारा हम आपको दादी माँ पर निबंध इन हिंदी की जानकारी देंगे जिनगी आप class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 और 12 के छात्र इस्तेमाल कर सकते है|

दादी माँ पर निबंध

ऊपर हमने आपको essay on dadi maa in hindi, about, for class 7, about dadi maa in hindi, essay on my grandmother in punjabi, paragraph on my dadi in hindi, 10 lines on meri dadi maa in hindi, आदि की जानकरी देंगे|

#1. Essay in 100 words

दादी माँ सभी को बहुत प्यारी होती है और बच्चे उनके दुलारे होते हैं। मेरी दादी माँ का नाम रोशनी देवी है और वर हमारे साथ हमारे घर में ही रहती है। उनकी आयु लगभग 70 वर्ष है लेकिन उनमें अभी भी बहुत हिम्मत है। वह माँ के साथ घर का काम भी करवा देती है। वह हम सबसे बहुत प्यार करती है और हमारे कहने पर हमारी पसंद के व्यंजन भी बना देती है। जब कभी वह कुछ दिनों के लिए चाचा के घर रहने चली जाती हैं तो घर सूना सूना लगने लगता है क्योंकि वह हमारे घर में सबसे वृद्ध है और बात पर हमें सही राह दिखाती हैं। वह हमें पापा से डाँट पड़ने से भी बचाती है। दादी माँ का स्वभाव बहुत ही विनम्र और खुशमिजाज हैं। उनके घरेलू नुस्खे हर बिमारी में असरदार होते हैं।

मेरी दादी माँ सुबह 5:30 बजे उठ जाती है और तैयार होकर मंदिर जाती है। उन्हें धर्म कर्म के कार्य में विशेष रूचि है। हर रोज शाम की चाय वहीं बनाती है और हमें उनके हाथ की चाय बहुत पसंद है। वह सुबह और शाम में घर में आरती करती है। वह हमें मेले लगने पर पैसे देती हैं और हमें घुमाने भी ले जाती है। वह शाम को अपनी महिला मंडली के साथ सैर करने भी जाती है और उनके साथ धार्मिक स्थलों पर भी भ्रमण करने जाती हैं।

#2. Essay in 300 words

मेरी दादी माँ एक अच्छी आदतों वाली महिला है। उसकी उम्र सत्तर साल है। मेरी दादी माँ सुबह बहुत जल्दी उठती है वह हमें जाग लेती है और हमें पढ़ने के लिए कहती है। वह हमें कुछ समय तक बैठती है और हमें अध्ययनों में देखती है। फिर वह अपनी सामान्य काम करने के लिए जाती है वह एक घंटे में सब कुछ खत्म कर देती है। वह एक धार्मिक महिला है वह हर दिन गीता से कुछ छंद पढ़ती है। वह अपनी प्रार्थना प्रस्तुत करती है और अपने दैनिक धार्मिक अनुष्ठान करती है वह दिन के उजाले से सबकुछ खत्म करता है मेरे दादा अपने सुबह की पैदल दूरी से वापस आते हैं।
दोनों ही सुबह सुबह चाय बैठते हैं और विभिन्न चीजों के बारे में बात करते हैं। वह प्रफुल्लित प्रकृति की एक महिला है एक बार जब आप मेरी दादी माँ से बात करना शुरू करते हैं, तो आप अपने आप को भूल जाएंगे। वह आपको अपने जीवन और अनुभव के बारे में बहुत सी बातें बताएगी। दृष्टिकोण के उसके तरीके इतने प्यारे हैं कि आप उसे ध्यान से नहीं सुन सकते हैं, लेकिन ध्यान के साथ उसकी बात का कोई अंत नहीं है लेकिन यह काफी जीवंत और मनभावन है।

मेरी दादी माँ हमारे लिए सभी शुभकामनाएं और आशीषें हैं। हमें लगता है कि उसके आशीर्वाद से हमें दुनिया की सभी बीमारियों के खिलाफ मिलना चाहिए। वह अक्सर हमारे साथ समय गुजरती हैं वह, कभी-कभी हमें मजेदार चुटकुले और कहानियों को बताती है। वह चाहते हैं कि हम अच्छी तरह से पढ़ सकें और हमारे जीवन में महान बनें। और हमें यकीन है कि उनकी शुभकामनाएं हमें आगे बढ़ेगी। वह मेरे पिता और मां के लिए हर प्यार है यदि मेरे पिता अपने कार्यालय से थोड़ी देर देर कर रहे हैं तो वह बहुत परेशान है। मेरे माता-पिता मेरी दादी माँ को बहुत प्यार करते हैं| वे उसकी देखभाल करते हैं| वह काफी दादाजी के लिए समर्पित है। वह उनसे घंटों तक बात करती है। वे अपनी उपलब्धियों और विफलताओं और परिवार के कल्याण पर चर्चा करने के लिए बैठते हैं। मैं अपनी दादी माँ को इतना प्यार करता हूँ।

#3. Essay in 400 words

प्रस्तावना:
हर किसी के जीवन माँ की तरह उसकी दादी माँ का ही जीवन में बहुत महत्व होता हैं | जिस तरह से माँ शीतल छाया का एहसास दिलाती हैं उसी तरह से दादी माँ एक प्यार भरी मिठास होती हैं | जिसके जीवन में दादी माँ का प्यार मिलता हैं वही बच्चा उसकी महत्वता को समझता हैं |

दादी माँ
मेरी दादी माँ का नाम सुनीता माथुर हैं | उसकी उम्र साठ साल हैं | वो एक बूढी औरत हैं | वो सब लोगों का अच्छे से देखभाल करती हैं | सभी को बहुत प्यार करती हैं | वो हर दिन सुबह जल्दी उठती हैं |

मेरी दादी माँ घर का काम भी करती हैं | मेरी दादी माँ में अभी भी बहुत हिम्मत हैं | मेरी दादी कई दिन के लिए चाचा के घर पर रहने के लिए जाती हैं तो, पूरा घर सुना – सुना लगता हैं |

धार्मिक महिला
मेरी दादी यह एक धार्मिक महिला हैं | मेरी दादी माँ हर दिन मंदिर जाके भगवान की पूजा करती हैं | वो कभी – कभी अपने साथ मुझे भी लेकर जाती हैं | वो अपनी प्रार्थना को प्रस्तुत करती हैं |

वो हमेशा मुझे यह कहती हैं की, जल्दी उठना बहुत अच्छा होता हैं | क्यों की सूर्य की किरणे शरीर पर पड़ने से हम बहुत सारी बिमारियों से बच सकते हैं |

मेरी दादी माँ हमेशा छोटी – छोटी बातों की चिंता करती हैं और परिवार की ख़ुशी के लिए दुवा करती हैं | हम सभी बच्चो को वो अच्छे और बुरे का फर्क समझाती हैं | मेरी दादी रात के समय हमें बहुत सारी कहानियां सुनाती हैं |

घर का खाना
मेरी दादी बहुत अच्छा खाना बनती हैं | उसके हाथ का खाना मुझे बहुत अच्छा लगता हैं | दादी हमें अपने हाथों से खाना खिलाती हैं | मैं अपने दादी माँ के साथ में खाना खाना बहुत पसंद करता हूँ |

वो हमेशा हमें यह कहती थी की, खाना खाते समय बात नहीं करनी चाहिए | मेरी दादी माँ मेरे हर एक बात का ख्याल रखती हैं | मैं जब बीमार पड़ता हूँ तो, मेरे साथ वो बैठी रहती हैं |

मेरे मम्मी – पापा अपने काम में व्यस्त रहते थे | उसकी वजह से मेरी दादी माँ को घर का काम करना पड़ता था | वो घर का काम करने के साथ – साथ हम लोगों की देखभाल भी करती थी |

अनुशासन का महत्व
मेरी दादी माँ हमेशा मुझे अनुशासन का महत्व समझाती थी | वो कहती थी की हर एक व्यक्ति को अपने जीवन में अनुशासन अपनाना चाहिए, क्यों की अनुशासन में रहने वाला व्यक्ति को हमेशा जीवन में सफलता प्राप्त होती हैं |

निष्कर्ष:
मेरी दादी माँ यह दुनिका की सबसे अच्छी दादी माँ हैं | मैं अपने दादी माँ से बहुत प्यार करता हूँ | मै यही चाहता हूँ की, हर जन्म में मुझे यही ही दादी माँ मिले |

#4. Essay in 500 words

दादा-दादी, नाना-नानी घर से सबसे बड़े एवं सम्मानीय सदस्य होते हैं। इसलिए घर के सभी लोगों के मन में इनके लिए अलग भावना होती है और सब इनका आदर करते हैं। घर से हर काम को इनकी सलाह से पूरा किया जाता है, क्योंकि इनके घर के लिए गए हर फैसले अहम होते हैं, इन्हें दुनिया का काफी अच्छा तुर्जुबा होता है और लोगों की बेहतर पहचान होती है।

इसलिए वे अपने अनुभव और तर्जुबे को अपने बच्चों को पोता – पोता से सांझा करते हैं और उन्हें दुनिया के बारे में मुखातिब करवाते हैं और उन्हें सही सलाह देकर सही मार्ग पर चलने की शिक्षा देते हैं।

इसके साथ ही घर में अनुशासन को बनाए रखने के लिए प्रेरणा देते हैं और अनुशासन के महत्व को अपने पोता-पोती को बताते हैं।

वहीं जब माता-पिता अपने कामों में व्यस्त रहते हैं तो दादा-दादी ही होते हैं जो पोता-पोती को भरपूर समय देते हैं और उनके अंदर अच्छे संस्कारों का विकास करते हैं साथ ही उन्हें भारतीय संस्कृति एवं परंपरा के महत्व को बताते हैं और उनके अंदर नैतिक मूल्यों एवं कर्तव्यों की भावना का विकास करने में उनकी मद्द करते हैं।

जो बच्चे अपने दादा-दादी के संपर्क में रहते हैं उनके अंदर रिश्तों की अहमियत और प्रेम, सम्मान की भावना कूट-कूट कर भरी होती है, क्योंकि दादा-दादी बच्चों को सभी से प्रेम करने और रिश्तों के महत्व को बेहद अच्छे तरह से समझाते हैं।

दादा-दादी, घर की रौनक होते हैं और अपने पोता – पोती को उनके माता-पिता से भी ज्यादा प्यार करते हैं और उन्हें अच्छी कहानियां सुनाकर उनके बचपन को और भी ज्यादा बेहतर बनाते हैं।

वहीं आज की युवा पीढ़ी सुंयुक्त परिवार में रहना नहीं पसंद करती है, सेपरेट परिवार में रहना एक ट्रेंड सा बनता जा रहा है। जिसके चलते आज के बच्चों को दादा-दादी और नाना – नानी का प्यार नहीं मिल पाता है।

वहीं इस बात को हर माता-पिता को जरूर समझना चाहिए और अपने बच्चों को दादा-दादी के पास रहने का मौका देना चाहिए ताकि उन्हें दादा-दादी का भरपूक प्यार मिल सके, क्योंकि दादा-दादी के प्यार के बिना बचपन अधूरा होता है।

प्रस्तावना

दादा-दादी और पोता-पोती का अटूट रिश्ता होता है। इस रिश्ते से कई भावनात्मक भावनाएं जुड़ीं रहती हैं। इनके बीच का प्रेम और बंधन काफी मजबूत होता है। वहीं जिस घर में दादा-दादी होते हैं, उस घर का अलग ही माहौल होता है, ऐसे घरों के रिश्तों में प्यार और सम्मान की भावना होती है और आपसी रिश्ते काफी मजबूत होते हैं साथ ही बच्चों के अंदर संस्कार भरे होते हैं।

दादा-दादी के प्यार और स्नेह के बिना हर बच्चे का बचपन अधूरा है, क्योंकि उनका प्यार और स्नेह बेमिसाल होता है।

दादा-दादी और पोता-पोती के बीच प्यार और रिश्ता:

दादा-दादी और पोती-पोते के बीचे एक अलग बॉन्ड होता है। जिसमें सिर्फ प्यार ही प्यार होता है। जो बच्चे संयुक्त परिवार में रहते हैं, दादा-दादी, नाना-नानी के साथ उनके बचपन की मीठी कहानियां और मीठी यादें जुड़ी होती हैं।

वहीं जब उनके माता-पिता अपने-अपने दैनिक कार्यों में व्यस्त रहते हैं, उस दौरान दादा-दादी ही होते हैं जो माता-पिता से ज्यादा अपने पोता-पोती का ख्याल रखते हैं और उनके बेहतर विकास के लिए उनका पालन-पोषण करते हैं। वहीं दादा-दादी के साथ रहने से बच्चों के अंदर कई ऐसे गुणों का विकास होता है, जिनके बारे में हम आपको नीचे बता रहे हैं –

दादा-दादी के पास रहने से इन गुणों का होता है विकास:

  • अच्छे संस्कारों का विकास होता है।
  • अनुशासन की भावना विकसित होती है।
  • रिश्तों का महत्व समझने में मद्द मिलती है।
  • प्रेम – सम्मान की भावना का विकास होता है।
  • रिश्तों में मजबूती आती है।
  • जीवन में आगे बढ़ने का प्रोत्साहन मिलता है।
  • बचपन को सही तरीके से जीने का मौका मिलता है।
  • शारीरिक और मानसिक दोनों रुप से विकास होता है।
  • सही पालन-पोषण में मद्द मिलती है।

सेपरेट फैमिली में रहकर भी दादा-दादी से इन तरीकों से रख सकते हैं अपने रिश्ते मजबूत:

कई फैमिली ऐसी होती हैं जिन्हें अपने करियर के चलते अपने माता – पिता से दूर जाकर किसी अन्य शहर में बसना पड़ता है। ऐसे में उनके बच्चों को दादा-दादी का प्यार नहीं मिल पाता है।

वहीं व्यस्ततता के चलते हर हफ्ते जाकर अपने बच्चों को उनके दादा-दादी से मिलवाना मुमकिन नहीं है, लेकिन इन आासान तरीकों की मद्द से अपने बच्चों को दादा-दादी के प्यार, स्नेह में बांधने और उनके आपसी रिश्तों को मजबूत जरूर किया जा सकता है –

  • सैपरेट फैमिली में रहने वाले समय-समय पर बच्चों के दादा-दादी को घर में रहने के लिए बुलाएं।
  • वीडियो कॉल अथवा वॉइस कॉल के माध्यम से दादा-दादी से बच्चों को रोजाना बात करवाना न भूलें।
  • ऑनलाइन शॉपिंग साइट्स अथवा पोस्ट के जरिए दादा-दादी के लिए बच्चों से गिफ्ट भिजवाएं, इससे रिश्तें और भी ज्यादा मजबूत होते हैं।
  • बच्चों को दादा-दादी के प्रति उनकी भावनाओं को उकेरने का मौका दें और उसमें अपना सहयोग करें।

दादा-दादी के कर्तव्य:

  • अपने पोता-पोती की सही देखभाल करने में सहयोग करें।
  • पोता-पोती से दूर रहकर भी संपर्क बनाए रखें।
  • बड़प्पन न दिखाएं, बच्चों की तरह पेश आएं।
  • सख्ती से पेश न आएं।
  • हमेशा अच्छी सलाह दें।
  • अच्छे संस्कार डालने में मद्द करें।

पोता-पोती के कर्तव्य:

  • दादा-दादी के सेवा में तत्पर रहें।
  • दादा-दादी की भावनाओं का रखें ख्याल।
  • दादा-दादी का आदर-सम्मान करें।
  • दादा-दादी, नाना-नानी से संपर्क बनाए रखें।
  • दादा-दादी की जरूरतों को पूरा करने में उनकी मद्द करें।
  • दादा-दादी के बताए गए मार्गों का अनुसरण करें और उनकी बात को गहराई से समझने की कोशिश करें।
  • समय-समय पर दादा-दादी के साथ आउटिंग पर जाएं।
  • दादा-दादी के साथ ज्यादा से ज्यादा समय व्यतीत करने की कोशिश करें।
  • दादा-दादी को समय-समय पर उनके खास दिनों पर गिफ्ट देना नहीं भूलें।

उपसंहार

दादा-दादी और पोता-पोती के बीच एक बेहद प्यार भरा रिश्ता होता है। इसलिए आज की युवा पीढ़ी को इस तरफ ध्यान देना चाहिए और अपने बच्चों को संयुक्त परिवार प्रणाली से अलग कर उन्हें दादी-दादा के प्यार से वंचित नहीं करना चाहिए, बल्कि यह कोशिश करनी चाहिए की उनके बच्चों को दादा-दादी का अपार प्यार और स्नेह मिल सके क्योंकि दादी-दादा और नाना-नानी का प्यार और स्नेह बेमिसाल होता है, उनके प्यार के बिना हर बच्चे का बचपन अधूरा होता है।

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