Essay on Patriotism in Hindi | देश प्रेम पर निबंध | Desh Bhakti Essay In Hindi

Essay on Patriotism in Hindi

आज भी देशभक्ति के अनेकों उदाहरण देखते को मिल जाते हैं | आज भी हर रोज न जाने कितने जवान देश के लिए अपनी जान न्योछावर कर देते हैं | यह कोई नयी बात नहीं हैं क्यूंकि जब हमारा देश अंग्रेजों का गुलाम था और देश को अंग्रेज़ों से आजादी दिलाने के लिए कितने देशभक्तों ने अपनी जान गवा दी थी और तभी आज हमारा भारत एक स्वतंत्र देश कहलाता है | हम उन सभी देशभक्तों को दिल से सलाम करते हैं | आज हम आपको उन्ही देशभक्तों के लिए लिखे गए कुछ निबंध के बारे में जानकारी देंगे |

Desh bhakti nibandh in hindi

देशभक्ति का तात्पर्य अपने देश के साथ प्रेम करना है । यह मानव के हृदय में जलने वाली ईश्वरीय ज्वाला है जो अपनी जन्म भूमि को अन्य सभी से अधिक प्यार करने की शिक्षा देती है।

देशभक्त अपने देश के लिए बड़े से बड़े त्याग करने के लिए आतुर रहते हैं और अपनी मातृभूमि के लिए बलिदान होने के लिए सदा तैयार रहते हैं । कूपर ने कहा है ” इंगलैंड में कितनी भी कमियाँ क्यों न हो, मैं फिर भी इससे प्यार करता हूँ । ”

देशभक्ति एक श्रेष्ठ गुण है । एक संस्कृत उक्ति में कहा गया है कि मां और मातृभूमि तो स्वर्ग से भी महान है । अपने देश के दु:खों और खतरों में हमें इसके साथ खड़ा होने, इसके लिए कार्य करने और यदि आवश्यकता पड़े तो इसके लिए अपना जीवन अर्पण करने के लिए तैयार रहना चाहिए । क्या इसी देश ने अपनी गोदी में हमें खिलाया नही, अपनी विपुलता से हमारा पोषण और अपनी हार्दिकता से हमें सुरक्षा प्रदान नहीं की? अपने देश से प्यार न करना अकृतज्ञता के सिवाय कुछ नही ।

पुरन्तु इसका तात्पर्य यह नही है कि देशभक्ति ही सब कुछ है – यह हमेशा ही मनुष्य के लिए श्रेष्ठतम कर्तव्य नही होता । संकीर्ण विचार से परिपूर्ण देशभक्ति निश्चित रूप से खतरनाक है । ”मेरा देश, चाहे ठीक हो या गलत” अंग्रेजी के एक कवि की यह उक्ति मूर्खतापूर्ण और मानवता के प्रति अपराध है ।

इसी प्रकार की कुछ मूर्खतापूर्ण बाते है जिनकी अंग्रेज अपने संबंध में तो बड़ी-बड़ी डींगे मारते है और दूसरों के बारे में निन्दा करते है । एच.जी.वेल्स ने कहा है कि “देशभक्ति केवल अपने बारे में दावे करने, झण्डे का भावुकतापूर्ण जय-जयकार करना मात्र ही रह गया है और रचनात्मक कर्तव्यों पर कोई ध्यान नही दिया जाता ।’’ देशभक्ति का यही वह स्वरूप है जिसकी रवीन्द्र नाथ ने राष्ट्रवाद के अपने भाषणों मैं निन्दा की थी ।

कट्‌टरतापूर्ण देशभक्ति निरन्तर ही युद्ध का कारण बनता रहा है ऐसी देशभक्ति का विकास तभी होता है जब युद्ध होता है । इसीलिए विद्वान चीनी दार्शनिक लाओत्से ने इसे ”एक निकृष्ट और हानिकारक भावना” और ”एक मूर्खतापूर्ण सिद्धान्त” कहा था । दूसरे विश्व युद्ध का कारण हिटलर की शेखीपूर्ण और आक्रामक देशभक्ति ही थी । सभी युद्ध इसी प्रकार की भावनाओं से पैदा होते है ।

देशभक्त जार्ज वाशिंगटन ने एक बार एक मित्र को लिखा था “एक महान और लम्बी अवधि तक चलने वाल युद्ध केवल देश- भक्ति के सिद्धान्त के भरोसे नही लड़ा जा सकता ।’’ बर्नाड शॉ ने कहा था ”तब तक विश्व में शान्ति स्थापित नही हो सकती जब तक मानवजाति से इस देश-भक्ति को मिटा नही दिया जाता ।”

दूसरे लोगो के बारे मे अनुमान लगाते समय देशभक्ति हमें अविवेकपूर्ण, पक्षपाती और अनुदार बना देती है । प्रत्येक देश, प्रत्येक जाति में कोई न कोई खास विशेषता होती है जो विश्व की सांस्कृतिक परम्परा में योगदान दे सकती है । यह कहना मूर्खता है कि किसी एक राष्ट्र को सभी ईश्वरीय गुणों का एकाधिकार प्राप्त है ।

किसी समय हमारे नेता विश्व को आध्यात्म का ज्ञान देने के भारत के महान् श्रेय की बाते करते थे, क्योंकि इससे हम सभी के अन्दर बैठे देशभक्ति की भावना को तुष्टि मिलती है । परन्तु राष्ट्रप्रेम की भावना से प्रेरणा लेने वाले ऐसे सभी जोश गलत हैं । किसी भी राष्ट्र के पास सद्‌गुणों का एकाधिकार नही है । देशभक्ति को दूसरे लोगों की संस्कृति के यथोचित सम्मान द्वारा मर्यादित किया जाना चाहिए ।

जब भी हम अपने राष्ट्र के बारे में शेखी मारने लगे तो एडिथ कैवल्स के इन महान शब्दों को याद रखना चाहिए ‘मुझे किसी के प्रति भी मृणा और कटुता नही रखनी चाहिए ।’ यही बात महात्मा गाँधी ने जेल की सलाखों के पीछे से कही थी । देशभक्ति अच्छी है परन्तु इसके द्वारा मानवता के प्रति सार्वभौमिक प्रेम की भावना को दबाया नही जाना चाहिए ।
इसके कारण हमें ‘एक विश्व’ की विकासशील धारणा के प्रति उदासीन नही हो जाना चाहिए । वास्तव में हम देशभक्ति को कोरे राष्ट्रवाद के साथ मिला देते हैं । यदि हम इन दोनों के भेद को स्पष्ट रख सके तो देशभक्ति की भावना की हम बड़ी-बड़ी डींगें मारने के निरर्थक भुलावे से अपने आप को बचा सकते है ।

एक लेखक ने एक बार कहा था कि जहाँ ”देशभक्ति सामूहिक उत्तरदायित्व की एक सजीव भावना है वहाँ राष्ट्रवाद उस मूर्ख मुर्गे के समान है जो अपने ही घूरे पर बैठा किलकारता रहता है ।” राष्ट्रवाद एक प्रकार की संकीर्णता है जो बाकी मानव समाज के लिए अपना दरवाजा बंद रखती है ।

यह देशभक्ति नहीं होती है कि केवल अपने ही देश को सर्वोत्कृष्ट माना जाए । हमें अपने देश से तो प्रेम करना ही चाहिए परन्तु हमें किसी अन्य देश अथवा व्यक्ति से घृणा नहीं करनी चाहिए । सच्चे देशभक्त को दूसरे देशों का भी वैसा ही सम्मान करना चाहिए, जैसा वह अपने देश का सम्मान करता है । उसे दूसरे देशों से सीखने, उनकी सहायता करने और उन्हें सहयोग के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए । तभी देशभक्ति धीरे-धीरे भाईचारे की भावना में बदल जाएगी ।

देशभक्ति पर निबंध

प्रस्तावना

देशभक्ति, देश के प्रति प्यार और सम्मान की भावना है। देशभक्त अपने देश के प्रति निःस्वार्थ प्रेम तथा उसपे गर्व करने के लिए जाने जाते हैं। दुनिया के हर देश में उनके देशभक्तों का एक समूह होता है, जो अपने देश के विकास के लिए कुछ भी करने को तैयार रहते हैं। हालांकि, देशभक्ति की भावना हर क्षेत्र में बढ़ती प्रतिस्पर्धा के साथ-साथ लोगों की बदलती जीवनशैली के कारण लुप्त होती जा रही है।

देशभक्ति का अनुभव स्थापित किया जाना चाहिए

अतीत में, विशेष रूप से ब्रिटिश शासनकाल के दौरान, कई लोग अपने देशवासियों के अंदर देशभक्ति की भावना पैदा करने के लिए आगे आए। देशभक्तों ने बैठकों का आयोजन किया तथा उनके आसपास के लोगों को प्रेरित करने के लिए भाषण देते हुए कई उदाहरणों का उपयोग किया। उसी प्रकार, जब बच्चे छोटें हो तभी से उनके अन्दर देशभक्ति की भावना पैदा की जानी चाहिए। स्कूलों और कॉलेजों में भी बच्चों के अन्दर अपने देश के प्रति प्यार और सम्मान की भावना को स्थापित करना चाहिए।

कई संस्थान 15 अगस्त और 26 जनवरी को समारोह एवं कार्यक्रम आयोजित करते हैं, उनमें देशभक्ति गीत गाए जाते हैं और उस दौरान देशभक्ति की भावना आसपास के पूरे देश को घेरी रहती है। लेकिन क्या यह असली देशभक्ति है? नहीं! ऐसा वातावरण सामान्य रूप से सदैव होना चाहिए ना कि केवल इन विशेष तिथियों के आसपास ही। तभी जाके ये भावनाएं हमेशा के लिए हर नागरिक के दिल में बैठ जाएगी।
वो देश निश्चित रूप से बेहतर हो जाता है, जहां के युवा अपने देश से प्यार करते है तथा उस देश की सामाजिक और आर्थिक स्थिति को सुधारने की दिशा में कार्य करते है।

निष्कर्ष

एक सच्चा देशभक्त वह है जो अपने देश की स्थिती सुधारने में जितना हो सके उतनी कड़ी मेहनत कर अपना पुर्ण योगदान दे सके। एक सच्चा देशभक्त न केवल अपने देश के निर्माण की दिशा में काम करता है बल्कि उसके आस-पास के लोगों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करता है।

Essay on Patriotism in Hindi

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Introduction

Patriotism is one of the purest feelings in the world. A patriot feels selflessly for his country. He keeps his country’s interests and well-being above his own. He is ready to sacrifice for his country without thinking twice.

Patriotism is a Virtue Everyone Must Possess

Our country is also referred to as our motherland and we must love it the way we love our mother. Those who feel the same love and devotion for their country as they feel for their mother and family are known to be true patriots. Patriotism is a virtue that every individual must possess. A country full of patriots certainly makes a better place to live compared to the one where people are fighting with each other in the name of religion, caste, creed and other issues. A place where people have collective interests and mission would certainly have lesser conflicts. Here is why everyone must possess the virtue of patriotism:

Nation Building

When everyone is dedicated towards building the nation strong in every aspect, there is no way that country wouldn’t grow and develop. Patriots put the nation’s interest above their own and work with devotion for its betterment.

Maintaining Peace and Harmony

A good nation is one where peace and harmony is maintained at all times. People have a feeling of brotherhood and help and support each other. The feeling of patriotism is known to promote the feeling of brotherhood among one’s countrymen.

Working for a Common Goal
Patriots work for a common goal and that is for the betterment of their country. When everyone is driven towards a common goal or mission there is no way it cannot be achieved.

No Selfish Motives

Patriots work selflessly for their country without any individual interest. If everyone possesses the feeling of patriotism and does not think about gratifying his/ her individual interest, there will be benefits certainly to the country.

No corruption

If political leaders have a feeling of patriotism, they will work for the country unlike the present scenario where in those in power are busy making money for themselves rather than working for the upliftment of the country. Similarly, if the government officials and other citizens of the country are determined towards serving the nation rather than making quick money or getting quick services for themselves, the level of corruption will fall.

Patriotism Must Not Turn Into Chauvinism

Being patriotic is a great virtue. We must love and respect our country and serve it in whatever way we can. The positive points of possessing feeling of patriotism shared above show how it can help the country prosper and grow. However, some people take this love for their country to the next level. Excess love for one’s country and believing that your country is superior and important is termed as chauvinism. As excess of everything is bad so is excess love for one’s country. Chauvinists’ strong belief in their country’s ideologies and irrational belief of superiority of its own people creates a feeling of hatred for others. This often instigates conflicts and war amid countries thereby disrupting peace and harmony.
There have been several instances in the past wherein chauvinism has resulted in unnecessary conflicts turning into riots. There is a very thin line between patriotism and chauvinism. While patriotism is healthy, chauvinism is fanatic and irrational. People must ensure that their devotion and love towards their country does not turn into chauvinism over the time.

Conclusion

Love for one’s native land is the purest form of love. A person who is ready to sacrifice his own interests for his/ her country deserves a salute. Each country in the world needs more and more people who possess this feeling.

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त्याचा अर्थ: जो माणूस सक्तीने समर्थन करतो आणि देशाचे संरक्षण करण्यासाठी तयार आहे तो देशभक्त आहे. देशभक्तांच्या भावना आणि गुणांना देशभक्ती म्हणून ओळखले जाते. जगातील प्रत्येक देशात अशी व्यक्ती निर्माण झाली आहेत. देशभक्त आपल्या सर्वांनी आपल्या आई-जमीनवर ऋणी आहेत. आम्ही येथे जन्मलो आहोत आणि आपण या मातीवर मोठे झालो आहोत.

देशभक्ती म्हणजे केवळ आपल्या देशाच्या स्वातंत्र्यासाठी विदेशी नियमांच्या ओझ्यापासून लढण्यासाठी नाही. यात सहकारी पुरुषांकरिता खरे प्रेम आणि प्रामाणिक भावना आणि देशाच्या प्रगतीसाठी भावनिक कार्य समाविष्ट आहे.

खरा देशभक्तः एक खरे देशभक्त तो आहे जो आपले जीवन आणि आपल्या देशासाठी सर्व काही देऊ शकेल. देशाचा भविष्य त्याच्या शासनावर अवलंबून आहे. जर शासक खरे देशभक्त असतील तर ते देशाच्या आणि लोकांच्या हिताचे विचार करतील. ते देशाच्या चांगल्यासाठी काहीतरी करत असतात. एक देशभक्त देशाच्या हिताचे स्वतःचेच रक्षण करतो. तो लोकांना योग्य मार्गावर नेत आहे. तो दयाळू, प्रेमळ, सत्य आणि प्रामाणिक आहे.

खोट्या देशभक्तः परंतु काही खोटे देशभक्त आहेत. त्यांना नेहमी परिस्थितीचा अयोग्य फायदा घेणे आवडते. ते कोणत्याही तत्त्वाचे आणि वर्णांचे पुरुष नाहीत. त्यांच्यात नैतिकता आणि बलिदान नाही. ते स्वार्थी आहेत. ते त्यांच्या स्वत: च्या लहान जगात राहतात. अशा लोक राष्ट्र शत्रू आहेत.

देशभक्त पुरस्कार: एक खरे देशभक्त आपल्या मातृभूमीसाठी जगतो आणि मरतो. तो जीवनात आणि त्याच्या मृत्यू नंतर देखील प्रेम आणि सन्मान आहे. अशा देशभक्त अमर आहेत. आधुनिक युगात अशा व्यक्तींमध्ये महात्मा गांधी, राजेंद्र प्रसाद, जवाहरलाल नेहरू, सुभाषचंद्र बोस आणि इतर आहेत. पूर्वजांमध्ये महाराणा प्रताप, शिवाजी आणि इतर होते. एक देशभक्त मृत्यूच्या बाबतीतही धाडसी आणि निडर आहे. त्याला माहित आहे:

त्यांच्या मृत्यूनंतर अनेक वेळा प्रेक्षक मरण पावतात;
शूरवीर कधीही मृत्यूचा स्वाद घेऊ शकत नाही. …शेक्सपियर

निष्कर्षः परंतु देशभक्तांना केवळ राष्ट्रीय हितसंबंधच नव्हे तर आंतरराष्ट्रीय बंधुत्वाचा विचार करावा लागतो. त्याला राष्ट्रीय भावनांपासून उंचावणे आवश्यक आहे. त्याला मानवजातीच्या भल्याबद्दल विचार करावा लागतो. महात्मा गांधी योग्यरित्या म्हणतात, “माझ्या देशभक्तीमध्ये सर्वसाधारणपणे मानवजातीच्या चांगल्या गोष्टींचा समावेश आहे”

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प्रस्तावना

मार्क ट्वेन ने कहा, “जब-जब इसे जरुरत पड़ी तब-तब देशभक्ति ने देश और सरकार का समर्थन किया। देशभक्ति सभी देशों को प्यार और सम्मान करने तथा इसके सुधार की दिशा में काम करने के बारे में बताती है। इस दिशा में काम करने के लिए, लोग सरकार और अन्य संस्थानों के साथ हाथ मिलाते है।

समय के साथ देशभक्ति लुप्त हो रही है

समय के साथ देशभक्ति की भावना लुप्त हो रही हैं औऱ इन दिनों युवा पीढ़ी में ये भावना बहुत कम देखने को मिलती है, ऐसा इसलिए है क्योंकि आजकल लोग अपने जीवन में ही उलझे रहते हैं। वे अत्यधिक स्वार्थी होते जा रहे है। स्वार्थी व्यक्ति वह होते है जो हमेशा अपने बारे में सोचते है और अपने स्वार्थ के आगे सब कुछ भुल जाते है, अपने स्वार्थ को हर चीज में और हर किसी से ऊपर रखते है। दूसरी ओर, देशभक्ति अपने देश के प्रति निःस्वार्थ प्रेम को दरसाता है। जो व्यक्ति खुद में ही परेशान रहता है और खुद को ही महत्व देता है, वो कभी एक देशभक्त नहीं हो सकता। इन दिनों बढ़ती प्रतिस्पर्धा ने भी लोगों को स्वार्थी बनाने में अपना बहुत योगदान दिया है। प्रत्येक व्यक्ति पैसे कमाने में व्यस्त है ताकि वो अपने जीवन को और आरामदायक तथा उनके आस-पास के लोगों की तुलना में और अधिक बेहतर बना सके। ऐसे परिस्थिति में किसी और चीज के बारे में सोचने के लिए शायद ही किसी के पास समय हो, लोगों ने देश के प्रति प्रेम तथा उसकी सेवा के प्रति जैसी भावना को लगभग भूला ही दिया है। देश के सुधार औऱ विकास की दिशा में योगदान देने के बजाये, युवा अब बेहतर जीवनशैली की तलाश में अन्य देशों में प्रवास कर रहे हैं, अगर लोगों की मानसिकता लगभग 100 साल पहले इसी तरह होती, तो वे कभी भी एकजुट नहीं होते और देश की आजादी के लिए नही लड़ते। वो उस स्थिति में केवल अपने स्वार्थी आदर्शों की ही खोज कर रहे होते।

सच्चे देशभक्त बनाम झूठे देशभक्त

हालांकि कई लोगों ने ब्रिटिश शासन के दौरान देशभक्त होने का दावा किया परन्तु उनमें से कुछ झूठे देशभक्त थे जिन्होंने अपने स्वार्थ को पुरा करने के लिए उस स्थिति का लाभ उठाया। आज भी ऐसे कई लोग हैं जो वास्तव में अपने देश से प्यार करते हैं और उसका सम्मान करते हैं, वहीं कुछ ऐसे भी है जो ऐसा करने का केवल नाटक करते हैं। एक सच्चा देशभक्त वह है जो अपने देश की सेवा करने के लिए पुर्णतः समर्पित होता है। वह पहले अपने देश और देशवासियों के हित के बारे में सोचता है और फिर अपने देश के सुधार और विकास के लिए सबकुछ बलिदान करने को तैयार हो जाता है। दूसरी तरफ, झूठा देशभक्त वह है जो अपने देश से प्यार करने का दावा करता है और देशभक्त होने का दिखावा करता है। हालांकि, वह अपने लाभ के लिए ऐसा करता है और वास्तव में उसे इन भावनाओं को अपने स्वार्थ के लिए दर्शाने का अधिकार नहीं है।

राष्ट्रवाद बनाम देशभक्त

राष्ट्रवाद और देशभक्ति शब्द अक्सर एक-दूसरे के लिए उपयोग किए जाते हैं हालांकि, दोनों में अंतर है। देशभक्ति का मतलब किसी देश के सकारात्मक बिंदुओं पर गर्व करना तथा उसके सुधार के लिए योगदान देना। दूसरी ओर, राष्ट्रवाद का अर्थ है कि, किसी भी देश पर उसके सकारात्मक और नकारात्मक बिंदुओं के बावजूद भी उसपर गौरव करना। हालांकि देशभक्ति को अच्छा माना जाता है वहीं, राष्ट्रवाद को तर्कहीन तथा द्वेषपूर्ण माना जाता है।

निष्कर्ष

देशभक्ति कुछ लोगों में स्वयं उत्पन्न होती है जबकि कुछ में इसे स्थापित किया जाता है। देश के सुधार और विकास के लिए देशभक्ति की भावना आवश्यक है क्योंकि ये देश के लोगों को एक साथ लाने तथा उन्हें प्रेम, हर्ष, के साथ-साथ एक दुसरे की देखभाल करने की खुशी का अनुभव करने में भी मदद करता है।

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