Dhanu Sankranti Puja Vidhi, Katha, Date : 16th December 2022-23

धनु संक्रांति कब और कैसे मनाये जाती हैं

संक्रांति का मतलब सूर्य का अपना स्थान बदलकर अपनी जगह से किसी दूसरी राशि में प्रवेश करना होता है|

सूर्य गृह जब धनु राशि में प्रवेश करता है तो हम उसे धनु संक्रांति क रूप में मनाते हैं इस महीने को धनु माह भी कहा जाता है साल की आखरी संक्रांति पर सूर्य वृश्चिक राशि से जाकर गुरु क राशि धनु में जाते हैं हिन्दू कलैण्डर के अनुसार धनु संक्रांति सौर महीने क पहले दिन मनाई जाती हैं|

इस साल Dhanu Sankranti 2020 तारिख १६ दिसंबर  दिन सोमवार को मनाई जाएगी|

Dahnu Sankranti 2020 की पूजा विधि (pooja vidhi) व् व्रत की dhanu sankranti katha बताई गयी हैं जिससे की आप विधि पूर्वक pooja समाप्त कर सकते है |

Dhanu Sankranti को धनुर संक्रमण क नाम से भी जाना जाता है यह त्यौहार धनुर मास की शुरुवात को दर्शाता है धनु संक्रांति भारत क ओड़िसा राज्य में मनाई जाती हैं| Odisha प्रांत में इसका अनूठा महत्व है जहां इस दिन असाधारण खुशी के साथ प्रशंसा की जाती है| धनु राशि को बृहस्पति की अग्नि राशि कहा जाता है। इसलिए इस राशि में सूर्य का प्रवेश लाभकारी सिद्ध होता है।

Dhanu Sankranti  2020 पुण्य काल

Date/दिनांक : 16th December
Time : 03 :43PM -5 :27 PM
अवधि – 1 घंटा 43 मिनट

धनु संक्रांति महा पुण्य कला

Dhanu Sankranti Pooja Vidhi

  1. इस दिन सुबह उठकर सूर्यः भगवान की विधि विधान से pooja vidhi करनी चाहिए
  2. उन्हें जल अर्पण करना चाहिए साथ ही उन्हें धुप पुष्प आदि चढ़कर भोग लगाना चाहिए
  3. सभी भक्त को प्रसाद में मीठी भात खिलानी चाहिए
  4. धनु यात्रा में जिससे लेना चाहिए साथ ही प्रदर्शनी में मदद करनी चाहिए

इस दिन भगवान सत्यनारायण की कथा पढ़ी जाती है , जिसे आप पढ़ सकते है और सभी को सुना सकते है ।

महाभारत काल के वीर योधा भीष्म पितामाह का धनु संक्रांति के साथ का संबंध

धनु संक्रांति का दूसरा नाम पौष संक्रांति भी है। भारत के दक्षिणी भाग में इसे धनुर्मास के नाम से जाना जाता है। इस दिन श्री हरि जी के अवतार भगवान जगन्नाथ की पूजा की जाती है।

पितामह भीष्म महाभारत के युद्ध में खरमास में ही पराजित हुए थे। खरमास के अंत तथा सूर्य के उत्तरायण के समय उन्होंने अपना देह त्याग दिया। सूर्यदेव की एक राशि में रहने की अवधि एक माह की होती हैं। सूर्यदेव जब धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करते है तब सभी अच्छे और शुभ कामो का आरम्भ होता है

 

धनु संक्रांति की पूजा महत्व

  • इस दिन सूर्य भगवन की पूजा करने से मनुष्य के सभी रोगो को पापो का नाश होता है
  • वह धर्म क मार्ग पर चलता हैं
  • मन की इच्छा पूरी होती हैं

पूजन मंत्र

हर भग भुवनेश्वराय नमः

Importance of Dhanu Sankranti (धार्मिक अनुसन्धान )

धनु संक्रांति के समय रोग बढ़ते हैं। मनुष्य का मन चंचलता से भरा होता होता है धनु संक्रांति को मनाते समय हम भगवन जग्गनाथ की पूजा अर्चना करते हैं यह त्योहार Orissa में फसल के कटने क बाद मनाया जाता है इस दिन ओड़िसा के लोग मीठी भात बनाते है और उसे भगवान जगन्नाथ को प्रशाद के रूप में चढ़ाते है उसके बाद यह प्रसाद सभी को दिया जाता हैं धनु संक्रांति के दिन सभी सूर्य भगवान् की आराधना व् कथा करते हैं|  इसका बहुत महत्व होता हैं यह पूजा करने से सभी को लाभ प्राप्त होता हैं और सभी भक्त जान बढ़ी धूमधाम से इस पर्व को श्रद्धा से मनाते हैं कहा जाता है की इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से लोग अपने बुरे कर्म और पापो से मुक्त होकर अपने जीवन को स्वच्छ करते हैं जिससे उन्हें अपने पापो से मुक्ति मिलती हैं यह त्यौहार १०-१२ दिन तक मनाया जाता हैं सभी लोग इसमें आगे बढ़कर हिस्सा लेते हैं बहुत सी प्रतियोगिताओ का आयोजन होता हैं|

2020 update

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