Dev diwali 2020: दीप दिवाली कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है |शास्त्रों के अनुसार इसी दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का इंतकाम किया था |इसी कारण वर्सेस तू पूरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है, इस बात की खुशी को दर्शाने के लिए हम सब देव दीपावली के दिन सभी देवता धरती पर आकर गंगा किनारे दीप प्रज्वलित करते हैं, तथा इसी कारण हर साल देव दीपावली का त्योहार मनाया जाता है | इसी दिन Kartik Purnima 2020 भी मनाई जाएगी| Dev deepawali varanasi, देव दीपावली तिथि समय शुभ मुहूर्त व dev deepawali kab hai की जानकारी जानिये|
देव दीपावली क्यों मनाई जाती है
शास्त्रों के अनुसार इस दिन भगवान शिव ने राक्षस रूपा सुर का वध किया था इसी की खुशी में देव दीपावली स्वर्ग लोक में दीपक जलाकर जश्न मनाते हैं इसके बाद हर साल इस दिन देव दीपावली के रूप में मनाया जाता है इस दिन पूजा का विशेष महत्व है इस प्रकार यह त्यौहार मनाया जाता है इस दिन देवता पृथ्वी पर आते हैं इस महीने ब्रह्मा अंगिरा और आदित्य आदि महा पुनीत पर्वों को प्रमाणित किया जाता है इस वजह से कार्ड पूर्णिमा के दिन पूरे महीने काफी पवित्र माना जाता है |
देव दीपावली 2020 तिथि
29 नवंबर 2020 देव दीपावली 2020
शुभ मुहूर्त
देव दीपावली मुहूर्त – शाम 5 बजकर 08 मिनट से शाम 07 बजकर 47 मिनट तक पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ – दोपहर 12 बजकर 47 मिनट से (29 नवम्बर 2020) पूर्णिमा तिथि समाप्त – अगले दिन दोपहर 02 बजकर 59 मिनट तक (30 नवम्बर 2020)
देव दीपावली का महत्व
देव दीपावली कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है दीप दीपावली के दिन जिस प्रकार पृथ्वी लोक पर मनुष्य दिवाली मनाते हैं उसी प्रकार देवता भी दीप जलाकर दीपावली के पर्व मौके पर दीपावली के 15 दिन बाद देव दीपावली मनाई जाती है कहते हैं कि इस दिन सभी देव गंगा नदी पर घाट पर आकर दीपक जलाते हैं और पुराणों के अनुसार इसी दिन भगवान शिव ने कृपा शुरु नामक राक्षस का वध किया था |
त्रिपा सूरज ने ब्रह्मा जी के घोर तपस्या की थी तथा उनसे वरदान प्राप्त किया था ,कि 3 लोगों पर अपना आधिपत्य स्थापित कर पाए इस समस्या के समाधान में सभी देवता भगवान शिव के पास गए और उनसे भक्तों ने विनती की कि स्वीकार कर दिया देव दीपावली कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है कार्तिक मास वैसे त्यौहार और व्रत के लिए बनाया गया है इसी कारण इस महीने पूजा-पाठ शादी करना बहुत शुभ माना गया है |
देव दीपावली पूजा विधि
- देव दीपावली के दिन स्नान करके गंगा में सा वस्त्र धारण कर ले , इस दिन गंगा स्नान जरूर करना चाहिए |
- इस दिन भगवान शिव को भगवान शिव की पूजा करें तथा विष्णु भगवान की भी पूजा करें साथी में सबसे पहले भगवान गणेश की भी विधि विधान से आवश्यक पूजा करें|
- इस दिन भगवान शिव को पूजा में पुष्प, नैवेद्य, घी बेलपत्र अर्पित करें और भगवान विष्णु को पूजा में पीले वस्त्र, नैवेद्य,पीले फूल, पीली मिठाई अर्पित करें।
- इसके बाद भगवान शिव को भगवान शिव की पूजा करें और तथा भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा करें देव दीपावली कथा सुनने के बाद भगवान गणेश भगवान शिव और भगवान विष्णु की धूप में दीपक जलाए और आरती उतारे आरती करें |
- आखरी में आपको भगवान शिव और भगवान विष्णु को मिठाईयां का भोग लगाना है प्रसाद लगाएंके मुख्य द्वार पर दीपक भी तथा आवश्यक जलाए |
देव दीपावली की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार त्रिपुर नामक राक्षस ने एक एक लाख वर्ष तक तीर्थराज प्रयाग में कठोर तप किया था। उसकी तपस्या से तीनों लोकों हिलने लगे थे। त्रिपुर की तपस्या देखकर सभी देवता गण भयभीत हो गए और उन्होंने त्रिपुर की तपस्या भंग करने का निश्चय किया। इसके लिए उन्होंने अप्सराओं को त्रिपुर के पास उसकी तपस्या भंग करने के लिए भेजा लेकिन वह अप्सराएं त्रिपुर की तपस्या भंग नही कर सकी। अंत में ब्रह्मा जी को त्रिपुर की तपस्या के आगे विवश होकर उसे वर देने के लिए आना ही पड़ा। ब्रह्मा जी ने त्रिपुर के पास आकर उसे वर मांगने के लिए कहा।त्रिपुर ने ब्रह्मा जी किसी मनुष्य या देवता के हाथों न मारे जाने का वरदान मांगा। इसके बाद त्रिपुर ने स्वर्गलोक पर आक्रमण कर दिया। सभी देवताओं ने एक योजना बनाकर त्रिपुर को भगवान शिव के साथ युद्ध करने में व्यस्त कर दिया। जिसके बाद भगवान शिव और त्रिपुर के बीच में भयंकर युद्ध हुआ। भगवान शिव ने ब्रह्माजी और विष्णुजी की सहायता प्राप्त करके त्रिपुर का अंत कर दिया। इसी कारण से देवता अपनी खुशी को जाहिर करने के लिए दीपावली का त्योहार मनाते हैं जिसे देव दीपावली के नाम से जाना जाता है।
देव दीपावली के दिन मां लक्ष्मी को कैसे प्रसन्न कर सकते हैं
देव दीपावली के दिन महालक्ष्मी को प्रसन्न करें कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा में आप तुलसी के संपर्क दीप जलाएं महालक्ष्मी को प्रसन्न करें तथा इस दिन महादेव त्रिशूल नामक राक्षस का बंद किया था इससे प्रसन्न होकर देवताओं ने गंगा में दीप जलाए थे इसलिए इस दिन गंगा पर दीप जलाकर देव दीपावली मनाई जाती है |
दीप दीपावली के दिन मुख्य अनुष्ठान
इस दिन दीप दीपावली के दिन मुख्य अनुष्ठान चंद्रमा को देख कर दियो को रोशनी देते हैं गंगा नदी के घाट पर दक्षिणमुखी रविदास घाट से राजघाट तक देवी गंगा और अन्य पीठासीन देवताओं का सम्मान में लाखों दीप जलाए जाते हैं दीपावली के दिन जल्दी उठते हैं और का स्नान करके पवित्र गंगा में डुबकी लगाते हैं वह देवी गंगा को सम्मान करते हैं दीपक दान करते हैं तेल दीपक चढ़ाते हैं गंगा की आरती करते हैं 24 ब्राह्मण पुजारियों देवता 24 लड़कियों के साथ पूजा करी जाती है |
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