Budhwar Vrat Katha Aarti

हिन्दू धर्म में सप्ताह में बुधवार के दिन को भगवान गणेश जी को समर्पित किया है। यह दिन सप्ताह की द्रष्टि से सप्ताह का चौथा दिन है। बुधवार के दिन भगवान् गणेश जी की पूजा-अर्चना करना और Budhwar Ganesh Vrat Katha या बुधवार प्रदोष व्रत कथा सुनना अत्यंत ही शुभ माना जाता है। लेकिन बुधवार के दिन को किसी भी प्रकार का शुभ कार्य करने के लिए यात्रा करना वर्जित है। इस वजह से ही किसी भी विवाहित स्त्री को अपने मायके से ससुराल नहीं जाने दिया जाता है तथा इसके बारे में बुधवार की कथा में तथा पुराणों में भी बताया गया है। आज हम इस लेख में Budh Grah Vrat एवं बुधवार की Story की बात कर रहे है।

आज हम इस Article में Budhwar ka Vrat Kaise Karte Hain और Budhwar Vrat Udyapan Vidhi in Hindi के साथ-साथ Wednesday Ganesh Vrat Vidhi के बारे में भी जानकारी प्रस्तुत कर रहे है। इसके साथ ही आपको Budhwar Vrat me Kya Khana Chahiye ये भी बताएंगे। कई बार लोग सोचते है कि मैं भी Budhwar ki Katha Sunau तो वह इस Article को पढ़कर इस कथा को सुना सकते है। आप Internet पर Pandhare Budhwar Vrat Katha in Marathi के साथ-साथ in English में भी पढ़ सकते है। तो आइये जानते है कि Budhwar ke Vrat Kaise kare.

बुधवार पूजा विधि

  • पौराणिक कथाओं के अनुसार बुधवार का व्रत विशाखा नक्षत्रयुक्त बुधवार को ही शुरू करना चाहिए।
  • बुधवार का व्रत शुक्ल पक्ष के प्रथम बुधवार से आरम्भ करना अति उत्तम माना जाता है।
  • इस दिन ब्रह्म महूर्त में प्रातः काल उठकर सभी नित्य क्रियाओं से निवृत हो कर स्नान आदि करें।
  • स्नान करने के बाद हरे रंग की माला अथवा हरे रंग के वस्त्र धारण कर भगवान् बुध की पूजा करे।
  • मान्यताओं के अनुसार बुधवार के व्रत को आरम्भ करने से पूर्व सर्व प्रथम भगवान् गणेश जी की Puja करे।
  • बुधवार के व्रत को शुरू करते समय भगवान् गणेश जी की Pooja के साथ-साथ नवग्रहों की भी पूजा अवश्य करें।
  • यदि आपके पास भगवान बुध की प्रतिमा नहीं है तो आप भगवान् शिव जी की मूर्ति के समक्ष भी पूजा कर सकते है।
  • पूजा करने के बाद Budhwar ka Vrat Katha सुने और Budhwar ke Vrat ki Katha को सुनने के बाद Wednesday Vrat katha Aarti करें।
  • बुधवार के व्रत के दौरान भागवत महा पुराण का भी पाठ करें।
  • बुधवार के व्रत में रंग के वस्त्र, पुष्प एवं हरे रंग की सब्जियों का दान करें।
  • पूरे दिन व्रत केरने के बाद संध्या काल में भगवान् बुध की पूजा करें।
  • शाम को पूजा करने के बाद एक समय भोजन ग्रहण कर अपना उपवास पूर्ण करें।

Budhwar ki Vrat Katha | बुधवार व्रत कथा

एक समय की बात है एक साहूकार अपनी पत्नी को विदा कराने के लिए अपने ससुराल गया। कुछ दिन वहां रहने के उपरांत उसने सास-ससुर से अपनी पत्नी को विदा करने के लिए कहा किंतु सास-ससुर तथा अन्य संबंधियों ने कहा कि “बेटा आज बुधवार है। बुधवार को किसी भी शुभ कार्य के लिए यात्रा नहीं करते।” लेकिन वह नहीं माना और हठ करके बुधवार के दिन ही पत्नी को विदा करवाकर अपने नगर को चल पड़ा। राह में उसकी पत्नी को प्यास लगी, उसने पति से पीने के लिए पानी मांगा। साहूकार लोटा लेकर गाड़ी से उतरकर जल लेने चला गया। जब वह जल लेकर वापस आया तो वह बुरी तरह हैरान हो उठा, क्योंकि उसकी पत्नी के पास उसकी ही शक्ल-सूरत का एक दूसरा व्यक्ति बैठा था।

पत्नी भी अपने पति को देखकर हैरान रह गई। वह दोनों में कोई अंतर नहीं कर पाई। साहूकार ने पास बैठे शख्स से पूछा कि तुम कौन हो और मेरी पत्नी के पास क्यों बैठे हो? उसकी बात सुनकर उस व्यक्ति ने कहा- अरे भाई, यह मेरी पत्नी है। मैं अपनी पत्नी को ससुराल से विदा करा कर लाया हूं, लेकिन तुम कौन हो जो मुझसे ऐसा प्रश्न कर रहे हो? दोनों आपस में झगड़ने लगे। तभी राज्य के सिपाही आए और उन्होंने साहूकार को पकड़ लिया और स्त्री से पूछा कि तुम्हारा असली पति कौन है? उसकी पत्नी चुप रही क्योंकि दोनों को देखकर वह खुद हैरान थी कि वह किसे अपना पति कहे? साहूकार ईश्वर से प्रार्थना करते हुए बोला “हे भगवान, यह क्या लीला है?”

तभी आकाशवाणी हुई कि मूर्ख आज बुधवार के दिन तुझे शुभ कार्य के लिए गमन नहीं करना चाहिए था। तूने हठ में किसी की बात नहीं मानी। यह सब भगवान बुधदेव के प्रकोप से हो रहा है।

साहूकार ने भगवान बुधदेव से प्रार्थना की और अपनी गलती के लिए क्षमा याचना की। तब मनुष्य के रूप में आए बुध देवता अंतर्ध्यान हो गए। वह अपनी स्त्री को घर ले आया। इसके पश्चात पति-पत्नी नियमपूर्वक बुधवार व्रत करने लगे। जो व्यक्ति इस कथा को कहता या सुनता है उसको बुधवार के दिन यात्रा करने का कोई दोष नहीं लगता और उसे सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है।

बुधवार व्रत के नियम

  • Wednesday Fast वाले दिन व्रत करने वाले व्यक्ति को प्रातः काल उठना चाहिए।
  • बुधवार के व्रत को शुक्ल पक्ष के प्रथम बुधवार से ही प्रारम्भ करने चाहिए।
  • बुधवार का व्रत करने के लिए विशाखा नक्षत्रयुक्त बुधवार का चयन करना चाहिए।
  • बुधवार पूजा करने के दौरान गणेश जी के साथ नव ग्रहों की भी पूजा जरूर करनी चाहिए।
  • बुधवार के व्रत को सात बुधवार तक विधि वत करना चाहिए।
  • Wed Fast Katha के साथ-साथ Budhwar Pradosh Vrat Katha और Ganesh Ji ki Katha का भी स्मरण करना चाहिए।
  • बुधवार की व्रत कथा सुनने के दौरान बीच में अपने स्थान से नहीं उठना चाहिए।
  • बुधवार के व्रत में व्रत करने वाले व्यक्ति को मूंग दाल का हलवा, दही या फिर हरी वस्तु से बन भोजन का सेवन करना चाहिए।
  • बुधवार के सात व्रत पूर्ण होने के उपरांत सातवे व्रत वाले दिन विधि पूर्वक उद्यापन करना चाहिए।

Budhwar Vrat Aarti | बुधवार व्रत आरती

बुधवार व्रत की आरती

आरती युगलकिशोर की कीजै। तन मन धन न्यौछावर कीजै॥
गौरश्याम मुख निरखन लीजै। हरि का रूप नयन भर पीजै॥

रवि शशि कोटि बदन की शोभा। ताहि निरखि मेरो मन लोभा॥
ओढ़े नील पीत पट सारी। कुजबिहारी गिरिवरधारी॥

फूलन सेज फूल की माला। रत्न सिंहासन बैठे नन्दलाला॥
कंचन थार कपूर की बाती। हरि आए निर्मल भई छाती॥

श्री पुरुषोत्तम गिरिवरधारी। आरती करें सकल नर नारी॥
नन्दनन्दन बृजभान किशोरी। परमानन्द स्वामी अविचल जोरी॥

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