बोधिधर्मन कौन था – Who was Bodhidharma

bodidharman in hindi

बोधिधरम एक बौद्ध संत (Buddhist Monk ) थे उनका जन्म भारत में हुआ था ।Bodhidarma family के बारे में बात करे तो माना जाता है कि वे राजा सुगंध के तीसरे पुत्र थे जो दक्षिण भारत के कांचीपुरम में राज करते थे । वे बहुत ही कम उम्र में अपना घर छोड़कर monk बन गए थे ।

इनको ध्यान संप्रदाय का जन्मदाता माना जाता है । 520 से 526 ईस्वी के बीच इन्होंने इस धर्म को फैलाया जिसे झेन धर्म (zen religion) भी कहा जाता है ।

बोधिधर्मन कौन था ? Who was Bodhidaram?

बोधिधर्म चान धर्म (chan religion) को चीन (china) में लाने वाले पहले व्यक्ति थे । कुछ प्राचीन कथाकारों का मानना है की वे चीन के एक शाओलिन नामक मठ में शारीरिक प्रशिक्षण देते थे जिसे बाद में शाओलिन कुंग -फू (shaolin kung-fu) के नाम से जाना गया । जापान देश में bodhidharman को Daruma के नाम से जाना गया । Bodhidharma History hindi में जानने के लिए आगे पढ़िये ।

Biography of Bodhidharma in English में जानने के लिए  pdf  पर क्लिक करे ।

बोधिधर्म के गुरु महा कश्यप –

कहा जाता है कि महाकश्यप ने भगवान Gautam Buddha के द्वारा बुद्ध धर्म का ध्यान प्राप्त किया था । Bodhi dharman ने महा कश्यप को अपना गुरु बनाया और उनसे Buddhism की शिक्षा ली । अपना घर छोड़ने के बाद उन्होंने अपने गुरु के साथ साधारण भिक्षुयों की भांति मठ में रहते हुए Gautam Buddha के उपदेशों का पालन किया । इनका पहला नाम बोधितारा था , बौद्ध भिक्षु बनने के बाद इनका नाम बदलकर बोधिधर्म या बोधिधर्मन कर दिया गया । गौतम बुद्ध से जुड़े होने के कारण इनको buddha dharma का 28 वाँ आचार्य माना गया ।

बोधि धर्म और मार्शल आर्ट का संबंध

Bodhidharman बाल्यकाल से ही अनेक विद्यायों को सीख लिया था । उनके पास पंच तत्वों (5 elements) को काबू करने की कला थी । इसके साथ साथ वे मार्शल आर्ट और आयुर्वेद के बहुत बड़े ज्ञानी थी । मार्शल आर्ट को दक्षिण भारत में प्रसिद्ध कलारिपयट्टू (kalaripayattu) नामक कला का विकसित रूप माना जाता है ।

इस कला की नीव रखने वाले भगवान श्री कृष्ण ( Lord Krishna) थे जिन्होंने अपनी नारायणी सेना(Narayani sena) को इसमें कुशल बनाया था । मार्शल आर्ट कलारिपयट्टू से ही बना है । इस कला में बिना शस्त्रों की सहायता के युद्ध करना सीखया जाता है । चीन , जापान जैसे buddh धर्म को मानने वाले देशों में बोधि धर्म ने इस कला को फैलाया ।

झेन संप्रदाय

इस सम्प्रदाए को ध्यान संप्रदाय ( Meditation Community ) भी कहा जा सकता है । इस विद्या में मौन रहकर अपने मन से दूसरे के मन को शिक्षित किया जाता है । इस कला में कुशल (successful ) होने के लिए कठिन परिश्रम (hard work) करना पड़ता  है । बोधि धर्म ने कुछऐसे ही व्यक्तियों को चुना और उनकी परीक्षा लेने के बाद ही उनको ये शिक्षा दी ।

Bodhidharma Quotes

Bodhidharma के कुछ अनमोल विचार इस प्रकार है –

  1. यदि आप वास्तविकता का अध्ययन करने के लिए अपने दिमाग का उपयोग करते हैं, तो आप न तो अपने मन और न ही वास्तविकता को समझ पाएंगे | यदि आप अपने मन का उपयोग किए बिना वास्तविकता का अध्ययन करते हैं, तो आप दोनों को समझेंगे।

  2. दस लाख लोगों में सिर्फ एक व्यक्ति बिना गुरु की मदद के प्रबुद्ध हो पाता है ।

  3. जब तक आप अपने आप को धोखा देते रहेंगे , तब तक आप अपने वास्तविक मन को नहीं जान पाएंगे |

  4. जब आप समझ नहीं पाते हैं, तब वास्तविकता पर आप निर्भर होते हैं ,लेकिन जब आप समझ जाते है , तो वास्तविकता आप पर निर्भर करती है |

  5. वास्तविकता में कोई अंदर, बाहर या मध्य भाग नहीं होता है।

Bodhidharma Powers in Hindi –

बोधिधर्म अदभुद शक्तियों के धनी थे । उनकी इन्ही शक्तियों को हम यह विस्तार से जानते है ।

  • आयुर्वेदाचार्य बोधि धर्म-एक संकट हर्ता

एक बार की बात है बहुत लंबा सफर तय करते हुए बोधि धर्म चीन के एक गाँव नानयिन (naan – king )पहुंचे । कुछ समय पूर्व गाँव में एक भविष्यवाणी हुई थी कि गाँव पर एक संकट आने वाला है । लोगों ने बोधि धर्म को वही संकट समझा और गाँव से बाहर निकाल दिया और वे गाँव के बाहर ही एक छोटी सी कुटिया में रहने लगे ।

कुछ समय बाद गाँव में एक महामारी फैल गई । इस महामारी से बचने के लिए गाँववाले बीमार लोगों को गाँव के बाहर छोड़ देते थे। आयुर्वेद का ज्ञान होने के कारण बोधि धर्म इन पीढ़ित लोगों का इलाज करके उनको बचा लेते थे । तब गाँव वालों को अपनी गलती पर बहुत पछतावा हुआ और सभी उन्हे अपना संकट हर्ता मानने लगे । उन्होंने सभी लोगों को दूसरे की मदद में लगा दिया जिससे गाँव का संकट जल्दी ही दूर हो गया ।

  • चाय के खोजकर्ता

कई हजारों साल पहले चीन में एक राजा हुआ करते थे जिनका नाम था (Wu)वू । वे बौद्ध धरम के अनुयायी तथा महान संरक्षक थे। उनके मन में कई धार्मिक और दार्शनिक प्रश्न थे जिनका उत्तर उनको नहीं मिल पा रहा था । एक भविष्यवक्ता ने भविष्यवाणी की कि एक महान संत भारत से आएंगे और चीन में बुद्धधर्म का प्रचार करेंगे ।

बहुत लंबा इंतजार करने के बाद जब कई बोद्ध भिक्षु भारत से चीन जा रहे थे तब राजा उनके इंतजार में लग गया । जब राजा ने बोधिधर्म को देखा तब उनको बहुत आश्चर्य हुआ क्युकी उनका मानना था कि भारत से आने वाले संत अनुभवी और बुजुर्ग होंगे ना की 22-23 साल का कोई बालक । फिर भी राजा ने पूरे मन से उनका स्वागत किया और अपने मन में उठे प्रश्न को पूछना शुरू किया ।

राजा ने पहला प्रश्न पूछा ,  ‘इस सृष्टि का स्रोत क्या है ?’ बोधि धर्म इस प्रश्न को सुनकर मुस्कुराये और कहा से प्रश्न मूर्खतापूर्ण है दूसरा प्रश्न पूछिए । राजा ने दूसरा प्रश्न  पूछा, ‘मेरे अस्तित्व का स्तोत्र क्या है ?’ इस प्रश्न को भी उन्होंने मुखतापूर्ण कहकर खारिज कर दिया । इस

पर राजा ने अपने क्रोध को शांत करते हुए एक प्रश्न और पूछा , ‘बौद्ध धर्म का प्रचार-प्रसार करने के लिए मैंने कई ध्यान कक्ष बनवाए, सैकड़ों बगीचे लगवाए और हजारों अनुवादकों को प्रशिक्षित किया। मैंने इतने सारे प्रबंध किए हैं। क्या मुझे मुक्ति मिलेगी?’ इस पर बोधि धरम ने कुछ विचार करके उत्तर दिया – तुम्हें तो सातवे नरक में जाना पड़ेगा ।  इस पर राजा ने गुस्से में आकर उन्होंने अपने राज्य से बाहर निकाल दिया ।

उसके बाद कुछ  शिष्यों को इकट्ठा किया और उनके साथ चाय (Bodhidharma Tea) नाम के एक पहाड़ पर जाकर रहने लगे । एक बार ध्यान (meditation) करते हुए बोधिधर्म को नींद आ गई इससे वह बहुत निराश और उन्होंने अपनी पलकें (eyelid) काटी और जमीन पर फेंक दी । जहां – जहां उनकी पलकें गिरी वहाँ हरे रंग की चोटी -चोटी पत्तियां उग आई । जब इन पत्तियों को में उबालकर (boil ) पिया गया तो पता चला की इससे नींद नहीं आती है । इस प्रकार चाय की खोज हुई ।

Teachings Of Bodhidarma

बोधिधर्म की शिक्षाओं को 2 विधियों से समझाया गया है जिनमे उन्होंने Way ऑफ Awekening में प्रवेश करने का तरीका बताया है ।

उनकी शिक्षाओं की 2 विधियाँ है –

  1. मौन तथा शब्दों के माध्यम से
  2. विश्राम तथा आंदोलन के माध्यम से

कई बार वे मौन(silence) रहते हुए ही साधकों के विचारों को भंग कर देते थे और कभी कभी बहुत जोर से शब्दों या अभिव्यक्तियों का उपयोग करते हुए अपने शिष्यों की मानसिक स्तिथि (mental state) को सम्पूर्ण रूप से परिवर्तित करते थे ।

बोधिधर्म की मृत्यु (Death Date)

  • मृत्यु का समय – 540 AD
  • मृत्यु का स्थान – शाओलिन मठ(shaolin monestry ) , चीन (china ) |

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